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ऊजड़

वीरान; निर्जन; उजड़ा हुआ।

ऊजड़ नगरी सूना देस

उस स्थान के बारे में बोलते हैं जो निर्जन और उजाड़ हो, तबाह और बर्बाद देश या शहर आदि

या बसे गूजर या रहे ऊजड़

ऐसे मौके़ पर बोलने लगे कि हम अपने सिवा किसी को नहीं बसने देंगे यानी या तो हमें रहे वर्ना दूसरे को भी रहना नसीब नहीं होसकता, यानी अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे, जब कोई शख़्स अपनी ही आबादी चाहे और दूसरे की आबादी ना देख सके, इस बस्ती में या गुजर बसेंगे या उजड़ी रहेगी, हम अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे

बसे तो गूजर , नहीं तो ऊजड़

वो बस्ती जो वीरान पड़ी रहे या निचले तबक़े के लोगों से आबाद होजाए (निज़ाम उद्दीन औलिया की बददुआ जो उन्हों ने फ़िरोज़ तुग़ल्लुक़ से नाराज़ होकर इस के क़िले को दी थी अब ज़रब-उल-मसल

गूजर से ऊजड़ भली ऊजड़ से भली उजाड़, जहाँ गूजर को देखिए वहीं दीजे मार

गुजर से वीरानी बेहतर है, जहां गुजर मिले उसे मार देना चाहिए, गुजरों की मज़म्मत में कहते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मन चंचल करम दलिद्री के अर्थदेखिए

मन चंचल करम दलिद्री

man chanchal karam dalidriiمن چنچل کرم دلدری

अथवा : मन-मौजी करम दलद्दरी, मन भोयग करम दलिद्री, मन उमराव कर्म दलद्दरी

कहावत

मन चंचल करम दलिद्री के हिंदी अर्थ

  • दिल में भोग विलास की इच्छा है परंतु भाग्य ख़राब है
  • दिल में धन-संपन्नता परंतु भाग्यवान नहीं, दिल अमीर है मगर भाग्य बुरी है अर्थात निर्धनता है
  • इच्छाएँ तो बड़ी परंतु भाग्य खोटा

Roman

من چنچل کرم دلدری کے اردو معانی

  • دل میں عیش و عشرت کی خواہش ہے مگر قسمت خراب ہے
  • دل میں امارت مگر اقبال یاور نہیں، دل امیر ہے مگر قسمت بُری ہے یعنی مفلسی ہے
  • خواہشیں تو بڑی لیکن قسمت کھوٹی

Urdu meaning of man chanchal karam dalidrii

  • dil me.n a.ish-o-ishrat kii Khaahish hai magar qismat Kharaab hai
  • dil me.n imaarat magar iqbaal yaavar nahiin, dil amiir hai magar qismat burii hai yaanii mufalisii hai
  • khvaahishe.n to ba.Dii lekin qismat khoTii

खोजे गए शब्द से संबंधित

ऊजड़

वीरान; निर्जन; उजड़ा हुआ।

ऊजड़ नगरी सूना देस

उस स्थान के बारे में बोलते हैं जो निर्जन और उजाड़ हो, तबाह और बर्बाद देश या शहर आदि

या बसे गूजर या रहे ऊजड़

ऐसे मौके़ पर बोलने लगे कि हम अपने सिवा किसी को नहीं बसने देंगे यानी या तो हमें रहे वर्ना दूसरे को भी रहना नसीब नहीं होसकता, यानी अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे, जब कोई शख़्स अपनी ही आबादी चाहे और दूसरे की आबादी ना देख सके, इस बस्ती में या गुजर बसेंगे या उजड़ी रहेगी, हम अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे

बसे तो गूजर , नहीं तो ऊजड़

वो बस्ती जो वीरान पड़ी रहे या निचले तबक़े के लोगों से आबाद होजाए (निज़ाम उद्दीन औलिया की बददुआ जो उन्हों ने फ़िरोज़ तुग़ल्लुक़ से नाराज़ होकर इस के क़िले को दी थी अब ज़रब-उल-मसल

गूजर से ऊजड़ भली ऊजड़ से भली उजाड़, जहाँ गूजर को देखिए वहीं दीजे मार

गुजर से वीरानी बेहतर है, जहां गुजर मिले उसे मार देना चाहिए, गुजरों की मज़म्मत में कहते हैं

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