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कुँवारी

अविवाहिता, अपरिणीता, कुमारी, कुँआरी

कुँवारी-माँ

अर्थात : बीबी मरयम

कुँवारी-बाली

۔صفت۔ مونث۔ بن بیاہی لڑکی۔

कुँवारी खाए रोटी ब्याही खाए बोटी

कुँवारी से ब्याही की सम्मान ज़्यादा होती है

कुँवारी को सदा बसंत

आज़ाद और मुजर्रद के लिए हरवक़त ख़ुशी का मौक़ा है, मुराद ये है कि ग़ैर शादीशुदा औरत को वो दुख नहीं होते जो शादी के बाद सहने होते हैं

कुँवारी अरमान , ब्याही पशेमान

कुँवारी को अरमान, ब्याही पशेमान

अविवाहित हो तो शादी की इच्छा करती है और विवाहित हो तो पछताती है, जिसने किया वह भी पछताया जिसने न किया वह भी बचताया

कुँवारी करे अरमान , ब्याही हो पशेमान

कुँवारी खाए रोटियाँ, ब्याही खाए बोटियाँ

कुंवारी लड़की का ख़र्च कम होता है, परंतु शादी कर देने पर माता-पिता को बहुत ख़र्च करना पड़ता है

राज-कुँवारी

सुंदर एवं कुँवारी राजकुमारी, राज कुमारी, राजा की बेटी

गाय गू खाएगी और कुँवारी बर माँगेगी

चौधवीं सदी के मुताल्लिक़ कहते हैं कि निहायत ख़राब ज़माना है, निहायत बेशरमी का वक़्त आ गया है

जब तक बहू रही कुँवारी सास रही वारी , जब बहू गई ब्याही पड़ गई ख़ुवारी

जब तक शादी नहीं हो जाती सास बहू की बहुत ख़ातिरदारी करती है शादी के बादहू क़दर नहीं रहती

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कुँवारी को सदा बसंत के अर्थदेखिए

कुँवारी को सदा बसंत

ku.nvaarii ko sadaa basa.ntکُنواری کو سَدا بَسَنْت

कहावत

मूल शब्द: कुँवारी

कुँवारी को सदा बसंत के हिंदी अर्थ

  • आज़ाद और मुजर्रद के लिए हरवक़त ख़ुशी का मौक़ा है, मुराद ये है कि ग़ैर शादीशुदा औरत को वो दुख नहीं होते जो शादी के बाद सहने होते हैं

کُنواری کو سَدا بَسَنْت کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • آزاد اور مجرّد کے لئے ہروقت خوشی کا موقع ہے، مراد یہ ہے کہ غیر شادی شدہ عورت کو وہ دکھ نہیں ہوتے، جو شادی کے بعد سہنے ہوتے ہیں

Urdu meaning of ku.nvaarii ko sadaa basa.nt

  • Roman
  • Urdu

  • aazaad aur mujarrad ke li.e haravqat Khushii ka mauqaa hai, muraad ye hai ki Gair shaadiishudaa aurat ko vo dukh nahii.n hote, jo shaadii ke baad sahne hote hai.n

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कुँवारी

अविवाहिता, अपरिणीता, कुमारी, कुँआरी

कुँवारी-माँ

अर्थात : बीबी मरयम

कुँवारी-बाली

۔صفت۔ مونث۔ بن بیاہی لڑکی۔

कुँवारी खाए रोटी ब्याही खाए बोटी

कुँवारी से ब्याही की सम्मान ज़्यादा होती है

कुँवारी को सदा बसंत

आज़ाद और मुजर्रद के लिए हरवक़त ख़ुशी का मौक़ा है, मुराद ये है कि ग़ैर शादीशुदा औरत को वो दुख नहीं होते जो शादी के बाद सहने होते हैं

कुँवारी अरमान , ब्याही पशेमान

कुँवारी को अरमान, ब्याही पशेमान

अविवाहित हो तो शादी की इच्छा करती है और विवाहित हो तो पछताती है, जिसने किया वह भी पछताया जिसने न किया वह भी बचताया

कुँवारी करे अरमान , ब्याही हो पशेमान

कुँवारी खाए रोटियाँ, ब्याही खाए बोटियाँ

कुंवारी लड़की का ख़र्च कम होता है, परंतु शादी कर देने पर माता-पिता को बहुत ख़र्च करना पड़ता है

राज-कुँवारी

सुंदर एवं कुँवारी राजकुमारी, राज कुमारी, राजा की बेटी

गाय गू खाएगी और कुँवारी बर माँगेगी

चौधवीं सदी के मुताल्लिक़ कहते हैं कि निहायत ख़राब ज़माना है, निहायत बेशरमी का वक़्त आ गया है

जब तक बहू रही कुँवारी सास रही वारी , जब बहू गई ब्याही पड़ गई ख़ुवारी

जब तक शादी नहीं हो जाती सास बहू की बहुत ख़ातिरदारी करती है शादी के बादहू क़दर नहीं रहती

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