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करेंसी

मुद्रा, प्रत्येक देश में व्यापक रूप से प्रचलित मुद्रा, सरकारी नोट

करेंसी-ऑफ़िस

वह कार्यलय जहाँ से सरकारी नोट जारी होते या होते या जहाँ वो वापस दिए जाते हैं, रुपय बदलने का विभाग

करें नानी भरें नवासी

ग़लती कोई करे, पकड़ा कोई जाए

करें कल्लू, भरें लल्लू

करे कोई पकड़ा कोई जाए, करे कोई दण्ड कोई भोगे

क्या करें

कैसे करें, नहीं कर सकते, मजबूरी है

हुआ करें

कुछ पर्वा नहीं, बला से, हमें क्या, बेनियाज़ी या बेपर्वाई या बेज़ारी ज़ाहिर करने के लिए

आराम करें

भेंट या बात-चीत समाप्त करने एवं जाने की इच्छा का एक सभ्य वर्णन, पर्यायवाची: अब तशरीफ़ ले जाईए, अधिक परेशानी गवारा न कीजिए

नियाव करें

इंसाफ़ से कहो, अदल करो

काैवे कोसा करें खेत पक्का करें

۔मिसल। जब कोई शख़्स किसी को नाहक़ बददुआ दे इस महल पर बोलते हैं यानी नाहक़ की बददुआ का कुछ असर नहीं

थोड़ा करें ग़ाज़ी मियाँ , बहुत करें दफ़ाली

तारीफ़ करने वाले बेबुनियाद शौहरत देते हैं, ख़ुशामदी बढ़ चढ़ कर बातें बनाते और झूटी तारीफ़ें करते हैं, पैरों से बढ़ कर मुरीद चालाक होते हैं

क्या हाल करें

कैसा सुलूक करूं, किस तरह पेश आऊं , कैसी दुरगत बनाऊं

कहें कुछ करें कुछ

उनकी बात का भरोसा नहीं कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं, अविश्वसनीय आदमी है

इन के दुश्मन चोरी करें

may his enemies steal! (i.e. he is never to steal)

गूड़ खाएँ पुवे में छेद करें

रुक : गौड़ खाईं गुलगुलों से परहेज़

मूसल करें जहाँ सींक न समाए

कमाल मुबालग़ा करने के मौक़ा पर मुस्तामल (जहां सोई ना समाय वहां मोसुल घुसेड़ दें)

शिकारी शिकार करें अहमक़ साथ फिरें

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दूसरों के साथ ख़्वाहमख़्वाह मारा मारा फिरता है, जब काम वाले लोगों के साथ बेकार लोग अपना वक़्त ख़राब करने के लिए साथ हो लेते हैं तो ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं

आप रहें उत्तर काम करें पच्छिम

लापरवाह व्यक्ति

शिकारी शिकार करें चूतिया साथ फिरें

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दूसरों के साथ ख़्वाहमख़्वाह मारा मारा फिरता है, जब काम वाले लोगों के साथ बेकार लोग अपना वक़्त ख़राब करने के लिए साथ हो लेते हैं तो ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं

गाँठ में दाम तो सब करें सलाम

पैसा पास हो तो सब इज़्ज़त करते हैं

दामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वुज़ू करें

(a famous line from Urdu poetry) (he/she) is very pious and chaste

या तो हँसा मोती चुगें या करें उपास

या तो नक़द माल उड़ाईं नहीं तो रोज़ा रखें / फ़ाक़ा करें

घर में अनाज नहीं मुल्क का करें राज

पास कुछ नहीं, बड़ाई बहुत

जिस हाँडी में खाएँ उसी में छेद करें

जिस से लाभ प्राप्त हो उसी को हानि पहुँचाना, जिस पर आश्रित रहे उसी का बुरा चाहना

घर में नहीं अनाज, मुल्क का करें राज

निर्धनता में भी बड़ी बड़ी इच्छाएँ करना

शाम के मुर्दे को कहाँ तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

पीर आप दर-माँदा हैं, शफ़ा'अत किस की करें

जो स्वयं आश्रित हो वो किस के काम आएगा

शाम के मुर्दे का कब तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

शाम के मुर्दे को कब तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

ये वो फ़क़ीर नहीं जो खा कर दु'आ करें

यह बड़े अकृतज्ञय व्यक्ति हैं किसी का उपकार नहीं मानते

मापा कन्नया और पटवारी, भेंट लिए बिन करें न यारी

खेत नापने वाला क़ानूनगो और पटवारी बिना रिश्वत लिए काम नहीं करते

कोई काम करे दाम से, हम दाम करें काम से

कोई रुपय से रुपया कमाता है, हम काम कर के कमाते हैं

सब से भले मूसल चंद , करें न खेती भरे न डंड

चोर और क़ज़्ज़ाक़ सब से अच्छे, ना कोई काम करते हैं ना महसूल देते हैं , तंज़न मुस्तामल

पढ़े भी मरें , बिन पढ़े भी मरें , दाँता किलकिल क्यों करें

आख़िर सब को मौत है फिर मशक़्क़त क्यों करें या इस काम से रस्तगारी नहीं तो तदबीर ही किया

बंजी और बटाउना सुख पावें जिस गाम, वा को तो चौखूंट में करें नेक सरनाम

सौदागर अर्थात व्यापारी और मुसाफ़िर जिस किसी से लाभ उठाएँ उसे सारे मुल्क में सुप्रसिद्ध कर देते हैं

भट भटयारी बेसवा तीनों जात कुजात आते का आदर करें जात न पूछें बात

ये (भट्ट, भटियारी, बेसवा) सब अपने स्वार्थ के यार होते हैं, ये तीनों स्वार्थी होते हैं

साईं अखियाँ फेरियाँ बैरी मुल्क जहान, टुक इक झाँकी महर दी लक्खाँ करें सलाम

ईश्वर नाराज़ हो तो सारा संसार नाराज़ हो जाता है और यदि मेहरबानी की एक नज़र कर ले तो लाखों सलाम करते हैं

सार सरावत न करें ब्याह काज के बीच इसमें धन को यूँ समझ जैसा कंकर-कीच

ब्राह्मणों का कहना है कि विवाह के अवसर पर मितव्ययिता नहीं करनी चाहिए, धन-संपत्ति को महत्व नहीं देना चाहिए

रोटी ही के कार ने दर दर माँगें भीक , रोटी ही के वास्ते करें कार सब ठीक

रोटी की ख़ातिर भीक मांगते फिरते हैं और रोटी ही के लिए नौकरी करते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में करें के अर्थदेखिए

करें

kare.nکریں

वज़्न : 12

करें के हिंदी अर्थ

  • करना

शे'र

English meaning of kare.n

  • would do

Urdu meaning of kare.n

  • Roman
  • Urdu

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करेंसी

मुद्रा, प्रत्येक देश में व्यापक रूप से प्रचलित मुद्रा, सरकारी नोट

करेंसी-ऑफ़िस

वह कार्यलय जहाँ से सरकारी नोट जारी होते या होते या जहाँ वो वापस दिए जाते हैं, रुपय बदलने का विभाग

करें नानी भरें नवासी

ग़लती कोई करे, पकड़ा कोई जाए

करें कल्लू, भरें लल्लू

करे कोई पकड़ा कोई जाए, करे कोई दण्ड कोई भोगे

क्या करें

कैसे करें, नहीं कर सकते, मजबूरी है

हुआ करें

कुछ पर्वा नहीं, बला से, हमें क्या, बेनियाज़ी या बेपर्वाई या बेज़ारी ज़ाहिर करने के लिए

आराम करें

भेंट या बात-चीत समाप्त करने एवं जाने की इच्छा का एक सभ्य वर्णन, पर्यायवाची: अब तशरीफ़ ले जाईए, अधिक परेशानी गवारा न कीजिए

नियाव करें

इंसाफ़ से कहो, अदल करो

काैवे कोसा करें खेत पक्का करें

۔मिसल। जब कोई शख़्स किसी को नाहक़ बददुआ दे इस महल पर बोलते हैं यानी नाहक़ की बददुआ का कुछ असर नहीं

थोड़ा करें ग़ाज़ी मियाँ , बहुत करें दफ़ाली

तारीफ़ करने वाले बेबुनियाद शौहरत देते हैं, ख़ुशामदी बढ़ चढ़ कर बातें बनाते और झूटी तारीफ़ें करते हैं, पैरों से बढ़ कर मुरीद चालाक होते हैं

क्या हाल करें

कैसा सुलूक करूं, किस तरह पेश आऊं , कैसी दुरगत बनाऊं

कहें कुछ करें कुछ

उनकी बात का भरोसा नहीं कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं, अविश्वसनीय आदमी है

इन के दुश्मन चोरी करें

may his enemies steal! (i.e. he is never to steal)

गूड़ खाएँ पुवे में छेद करें

रुक : गौड़ खाईं गुलगुलों से परहेज़

मूसल करें जहाँ सींक न समाए

कमाल मुबालग़ा करने के मौक़ा पर मुस्तामल (जहां सोई ना समाय वहां मोसुल घुसेड़ दें)

शिकारी शिकार करें अहमक़ साथ फिरें

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दूसरों के साथ ख़्वाहमख़्वाह मारा मारा फिरता है, जब काम वाले लोगों के साथ बेकार लोग अपना वक़्त ख़राब करने के लिए साथ हो लेते हैं तो ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं

आप रहें उत्तर काम करें पच्छिम

लापरवाह व्यक्ति

शिकारी शिकार करें चूतिया साथ फिरें

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दूसरों के साथ ख़्वाहमख़्वाह मारा मारा फिरता है, जब काम वाले लोगों के साथ बेकार लोग अपना वक़्त ख़राब करने के लिए साथ हो लेते हैं तो ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं

गाँठ में दाम तो सब करें सलाम

पैसा पास हो तो सब इज़्ज़त करते हैं

दामन निचोड़ दें तो फ़रिश्ते वुज़ू करें

(a famous line from Urdu poetry) (he/she) is very pious and chaste

या तो हँसा मोती चुगें या करें उपास

या तो नक़द माल उड़ाईं नहीं तो रोज़ा रखें / फ़ाक़ा करें

घर में अनाज नहीं मुल्क का करें राज

पास कुछ नहीं, बड़ाई बहुत

जिस हाँडी में खाएँ उसी में छेद करें

जिस से लाभ प्राप्त हो उसी को हानि पहुँचाना, जिस पर आश्रित रहे उसी का बुरा चाहना

घर में नहीं अनाज, मुल्क का करें राज

निर्धनता में भी बड़ी बड़ी इच्छाएँ करना

शाम के मुर्दे को कहाँ तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

पीर आप दर-माँदा हैं, शफ़ा'अत किस की करें

जो स्वयं आश्रित हो वो किस के काम आएगा

शाम के मुर्दे का कब तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

शाम के मुर्दे को कब तक रोए शेवन करें

हिंदू अपने मर्दे को शाम को आग नहीं देते, सुबह चलाते हैं

ये वो फ़क़ीर नहीं जो खा कर दु'आ करें

यह बड़े अकृतज्ञय व्यक्ति हैं किसी का उपकार नहीं मानते

मापा कन्नया और पटवारी, भेंट लिए बिन करें न यारी

खेत नापने वाला क़ानूनगो और पटवारी बिना रिश्वत लिए काम नहीं करते

कोई काम करे दाम से, हम दाम करें काम से

कोई रुपय से रुपया कमाता है, हम काम कर के कमाते हैं

सब से भले मूसल चंद , करें न खेती भरे न डंड

चोर और क़ज़्ज़ाक़ सब से अच्छे, ना कोई काम करते हैं ना महसूल देते हैं , तंज़न मुस्तामल

पढ़े भी मरें , बिन पढ़े भी मरें , दाँता किलकिल क्यों करें

आख़िर सब को मौत है फिर मशक़्क़त क्यों करें या इस काम से रस्तगारी नहीं तो तदबीर ही किया

बंजी और बटाउना सुख पावें जिस गाम, वा को तो चौखूंट में करें नेक सरनाम

सौदागर अर्थात व्यापारी और मुसाफ़िर जिस किसी से लाभ उठाएँ उसे सारे मुल्क में सुप्रसिद्ध कर देते हैं

भट भटयारी बेसवा तीनों जात कुजात आते का आदर करें जात न पूछें बात

ये (भट्ट, भटियारी, बेसवा) सब अपने स्वार्थ के यार होते हैं, ये तीनों स्वार्थी होते हैं

साईं अखियाँ फेरियाँ बैरी मुल्क जहान, टुक इक झाँकी महर दी लक्खाँ करें सलाम

ईश्वर नाराज़ हो तो सारा संसार नाराज़ हो जाता है और यदि मेहरबानी की एक नज़र कर ले तो लाखों सलाम करते हैं

सार सरावत न करें ब्याह काज के बीच इसमें धन को यूँ समझ जैसा कंकर-कीच

ब्राह्मणों का कहना है कि विवाह के अवसर पर मितव्ययिता नहीं करनी चाहिए, धन-संपत्ति को महत्व नहीं देना चाहिए

रोटी ही के कार ने दर दर माँगें भीक , रोटी ही के वास्ते करें कार सब ठीक

रोटी की ख़ातिर भीक मांगते फिरते हैं और रोटी ही के लिए नौकरी करते हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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