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बरसे

rained

बरसे न बरसावे , ना हक़ जी तोसावे

ज़र अर्हम नहीं खाता,उम्मीद दिला देता है हाजत पूरी नहीं करता

बरसे साढ़ तो बन जाए ठाठ

आषाढ़ की बारिश जमींदार के लिए समृद्धि का प्रतीक है

बरसे आसौज तो नाज की मौज

उसूज के महीने(यानी जब आफ़ताब बुरज सन्नबला में हो) की बारिश से किसानों को बहुत फ़ायदा पहुंच है

बरसे सावन, तो हों पाँच के बावन

सावन के महीने की वर्षा से किसानों को बहुत लाभ होता है

सावन बरसे न भादों सूखे

रुक : साइन हरे ना भादों सूओखे

मेंह बरसे गा तो बौछाड़ तो आएगी

आपके अपनों के पास धन है तो कुछ न कुछ लाभ हो ही जाएगा

मेंह बरसे गा तो ओलती टपके गी

अपने अज़ीज़ों के पास दौलत होगी तो कुछ ना कुछ फ़ायदा हो ही जाएगा

मेंह बरसेगा तो ओलती टपके गी ही

रुक : मीना बरसेगा तो औलती टपकेगी

मेंह बरसेगा तो ओलती टपके ही गी

रुक : मीना बरसेगा तो औलती टपकेगी

हथिया बरसे तीन जात हैं तिल्ली, कोदों, कपास

तेरहवीं नकशतरे के दौरान में बारिश हो तो क़िमाद, धान और माश बहुत होते हैं लेकिन तली, कूदों और कपास मर जाते हैं

हथिया बरसे तीन होत हैं शकर, शाली, माश

तेरहवीं नकशतरे के दौरान में बारिश हो तो क़िमाद, धान और माश बहुत होते हैं लेकिन तली, कूदों और कपास मर जाते हैं

नाज की मौज अगर बरसे असौज

वक़्त पर मींह बरसे तो अनाज की क्या कमी, आसोज का मींह दोनों फसलों को होता हुय

नाज की मौज अगर बरसे आसौज

वक़्त पर मींह बरसे तो अनाज की क्या कमी, आसोज का मींह दोनों फसलों को होता हुय

सख़ी दे और शर्माए बादल बरसे और गर्माए

फ़ी्याज़ आदमी, दे कर एहसान नहीं जताता मगर बादल बरसता है और गरजता भी है, सखी की सख़ावत एहसान रखने के लिए नहीं होती

कड़ाही चाटेगा तो तेरे ब्याह में मेंह बरसेगा

कहा जाता है कि कड़ाही चाटने वाले की शादी में बारिश होती है

हुन बरसे तो क्यों तरसे

ईश्वर दे तो क्यों मन ललचाए, अल्लाह अलौकिक रूप से दे तो तरसते क्यों हो

सख़ी देवे और शर्मावे बादल बरसे और गर्मावे

फ़ी्याज़ आदमी, दे कर एहसान नहीं जताता मगर बादल बरसता है और गरजता भी है, सखी की सख़ावत एहसान रखने के लिए नहीं होती

जो गरजेगा वो बरसेगा क्या

शोर करने वाला कोई काम नहीं कर सकता, जो लोग डींगें मारते हैं वो करते कुछ नहीं

जितना तपे गा उतना ही बरसे गा

जितनी गर्मी पड़ेगी इतनी बारिश ज़्यादा होगी

मेंह बरसे गा तो आही रहेगी

अपने अज़ीज़ों के पास दौलत होगी तो कुछ ना कुछ फ़ायदा हो ही जाएगा

पड़ोसन के मींह बरसेगा तो अपनी भी ओलती टपकेगी

पड़ोसी के यहाँ वर्षा होगी तो छिंटे मेरे घर तक भी आएंगी, मालदार के पास रहने से किसी न किसी तरह का लाभ हो ही जाता है, अच्छी संगत पर कहा गया है

आधे असाढ़ तो दुश्मन के बरसे

आधे असाढ़ में तो बैरी के खेत में भी पानी बरसे, अर्थात ईश्वर सब के साथ समान न्याय करे

मिघा के बरसे, मय्या के पुर्से

बारिश से ज़मीन और माँ के खिलाने से औलाद आसूदा होती है

पड़ोसन के घर मींह बरसेगा तो अपनी भी ओलती टपकेगी

पड़ोसी के यहाँ वर्षा होगी तो छिंटे मेरे घर तक भी आएंगी, मालदार के पास रहने से किसी न किसी तरह का लाभ हो ही जाता है, अच्छी संगत पर कहा गया है

आधे असाढ़ तो बैरी के भी बरसे

आधे असाढ़ में तो बैरी के खेत में भी पानी बरसे, अर्थात ईश्वर सब के साथ समान न्याय करे

दाँता बरसे घर पड़े, खाँडा बरसे रन पड़े

फ़साद का प्रभाव घर पर पड़ता है तलवार का जंग पर

पड़ोसन के घर मींह बरसेगा तो बौछार यहाँ भी आवेगी

पड़ोसी के यहाँ वर्षा होगी तो छिंटे मेरे घर तक भी आएंगी, मालदार के पास रहने से किसी न किसी तरह का लाभ हो ही जाता है, अच्छी संगत पर कहा गया है

कबीर दास की उल्टी बानी, बरसे कंबल भीजे पानी

उल्टी बात है, जो होना चाहिए वह होता नहीं, होना चाहिए भीजे कंबल बरसे पानी

पड़ोसन के घर मींह बरसेगा तो बौछाड़ यहाँ भी आवेंगी

पड़ोसी के यहाँ वर्षा होगी तो छिंटे मेरे घर तक भी आएंगी, मालदार के पास रहने से किसी न किसी तरह का लाभ हो ही जाता है, अच्छी संगत पर कहा गया है

पड़ोसन के घर मींह बरसेगा तो अपनी भी ओलतियाँ टपकेंगी

पड़ोसी के यहाँ वर्षा होगी तो छिंटे मेरे घर तक भी आएंगी, मालदार के पास रहने से किसी न किसी तरह का लाभ हो ही जाता है, अच्छी संगत पर कहा गया है

जो जल साढ़ लगत ही बरसे नाज नियार बिन कोई न तरसे

अगर असाढ़ के शुरू में बारिश हो जाए तो अनाज बहुत होता है

आस पास बरसे दिल्ली पड़ी तरसे

جس سے دوسروں کو فائدہ ہو اور اپنے محروم رہیں، اس کی نسبت بولتے ہیں

जिस दिन खील बतासे बरसे थे

कमअक़्ल या नासमझ आदमी जब बात नहीं समझता या जब लोग इस को बनाते हैं, उस वक़्त बोलते हैं

आस पास बरसे दली पड़ी तोसे

अन्य लाभ उठाएँ और पात्र महरूम रहें, दूसरों को लाभ पहुँचे और अपने मुँह तकें

दाता देवे और शर्मावे, बादल बरसे और गर्मावे

असल दानशील उदारता कर के दिखाता नहीं है, जैसे बादल बरसता हुआ पसीने पसीने हो जाता है

पड़ोसन के मेंह बरसेगा तो अपनी भी औलती टपकेंगी

पड़ोसन के मेंह बरसेगा तो अपनी भी औलती टपकेंगी

सख़ी देवे और शरमावे बादल बरसे और गरमावे

उदार व्यक्ति अपनी उदारता प्रकट नहीं करता, जिस तरह बादल चुपके से बारिश बरसाता है

जूँ-जूँ मेंह बरसे तूँ-तूँ कमली भारी हो

जितना क़र्ज़ बढ़ता है, उतनी ही बोझ अधिक होता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कड़ाही चाटेगा तो तेरे ब्याह में मेंह बरसेगा के अर्थदेखिए

कड़ाही चाटेगा तो तेरे ब्याह में मेंह बरसेगा

ka.Daahii chaaTegaa to tere byaah me.n me.nh barsegaaکَڑاہی چاٹے گا تو تیرے بِیاہ میں مینھ بَرْسے گا

कहावत

कड़ाही चाटेगा तो तेरे ब्याह में मेंह बरसेगा के हिंदी अर्थ

  • कहा जाता है कि कड़ाही चाटने वाले की शादी में बारिश होती है

English meaning of ka.Daahii chaaTegaa to tere byaah me.n me.nh barsegaa

  • if you licked the pot, it would rain on your wedding day (a reproach to prevent a child from licking the pot)

کَڑاہی چاٹے گا تو تیرے بِیاہ میں مینھ بَرْسے گا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کہا جاتا ہے کہ کڑاہی چاٹنے والے کی شادی میں بارش ہوتی ہے

Urdu meaning of ka.Daahii chaaTegaa to tere byaah me.n me.nh barsegaa

  • Roman
  • Urdu

  • kahaa jaataa hai ki ka.Daahii chaaTne vaale kii shaadii me.n baarish hotii hai

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बरसे

rained

बरसे न बरसावे , ना हक़ जी तोसावे

ज़र अर्हम नहीं खाता,उम्मीद दिला देता है हाजत पूरी नहीं करता

बरसे साढ़ तो बन जाए ठाठ

आषाढ़ की बारिश जमींदार के लिए समृद्धि का प्रतीक है

बरसे आसौज तो नाज की मौज

उसूज के महीने(यानी जब आफ़ताब बुरज सन्नबला में हो) की बारिश से किसानों को बहुत फ़ायदा पहुंच है

बरसे सावन, तो हों पाँच के बावन

सावन के महीने की वर्षा से किसानों को बहुत लाभ होता है

सावन बरसे न भादों सूखे

रुक : साइन हरे ना भादों सूओखे

मेंह बरसे गा तो बौछाड़ तो आएगी

आपके अपनों के पास धन है तो कुछ न कुछ लाभ हो ही जाएगा

मेंह बरसे गा तो ओलती टपके गी

अपने अज़ीज़ों के पास दौलत होगी तो कुछ ना कुछ फ़ायदा हो ही जाएगा

मेंह बरसेगा तो ओलती टपके गी ही

रुक : मीना बरसेगा तो औलती टपकेगी

मेंह बरसेगा तो ओलती टपके ही गी

रुक : मीना बरसेगा तो औलती टपकेगी

हथिया बरसे तीन जात हैं तिल्ली, कोदों, कपास

तेरहवीं नकशतरे के दौरान में बारिश हो तो क़िमाद, धान और माश बहुत होते हैं लेकिन तली, कूदों और कपास मर जाते हैं

हथिया बरसे तीन होत हैं शकर, शाली, माश

तेरहवीं नकशतरे के दौरान में बारिश हो तो क़िमाद, धान और माश बहुत होते हैं लेकिन तली, कूदों और कपास मर जाते हैं

नाज की मौज अगर बरसे असौज

वक़्त पर मींह बरसे तो अनाज की क्या कमी, आसोज का मींह दोनों फसलों को होता हुय

नाज की मौज अगर बरसे आसौज

वक़्त पर मींह बरसे तो अनाज की क्या कमी, आसोज का मींह दोनों फसलों को होता हुय

सख़ी दे और शर्माए बादल बरसे और गर्माए

फ़ी्याज़ आदमी, दे कर एहसान नहीं जताता मगर बादल बरसता है और गरजता भी है, सखी की सख़ावत एहसान रखने के लिए नहीं होती

कड़ाही चाटेगा तो तेरे ब्याह में मेंह बरसेगा

कहा जाता है कि कड़ाही चाटने वाले की शादी में बारिश होती है

हुन बरसे तो क्यों तरसे

ईश्वर दे तो क्यों मन ललचाए, अल्लाह अलौकिक रूप से दे तो तरसते क्यों हो

सख़ी देवे और शर्मावे बादल बरसे और गर्मावे

फ़ी्याज़ आदमी, दे कर एहसान नहीं जताता मगर बादल बरसता है और गरजता भी है, सखी की सख़ावत एहसान रखने के लिए नहीं होती

जो गरजेगा वो बरसेगा क्या

शोर करने वाला कोई काम नहीं कर सकता, जो लोग डींगें मारते हैं वो करते कुछ नहीं

जितना तपे गा उतना ही बरसे गा

जितनी गर्मी पड़ेगी इतनी बारिश ज़्यादा होगी

मेंह बरसे गा तो आही रहेगी

अपने अज़ीज़ों के पास दौलत होगी तो कुछ ना कुछ फ़ायदा हो ही जाएगा

पड़ोसन के मींह बरसेगा तो अपनी भी ओलती टपकेगी

पड़ोसी के यहाँ वर्षा होगी तो छिंटे मेरे घर तक भी आएंगी, मालदार के पास रहने से किसी न किसी तरह का लाभ हो ही जाता है, अच्छी संगत पर कहा गया है

आधे असाढ़ तो दुश्मन के बरसे

आधे असाढ़ में तो बैरी के खेत में भी पानी बरसे, अर्थात ईश्वर सब के साथ समान न्याय करे

मिघा के बरसे, मय्या के पुर्से

बारिश से ज़मीन और माँ के खिलाने से औलाद आसूदा होती है

पड़ोसन के घर मींह बरसेगा तो अपनी भी ओलती टपकेगी

पड़ोसी के यहाँ वर्षा होगी तो छिंटे मेरे घर तक भी आएंगी, मालदार के पास रहने से किसी न किसी तरह का लाभ हो ही जाता है, अच्छी संगत पर कहा गया है

आधे असाढ़ तो बैरी के भी बरसे

आधे असाढ़ में तो बैरी के खेत में भी पानी बरसे, अर्थात ईश्वर सब के साथ समान न्याय करे

दाँता बरसे घर पड़े, खाँडा बरसे रन पड़े

फ़साद का प्रभाव घर पर पड़ता है तलवार का जंग पर

पड़ोसन के घर मींह बरसेगा तो बौछार यहाँ भी आवेगी

पड़ोसी के यहाँ वर्षा होगी तो छिंटे मेरे घर तक भी आएंगी, मालदार के पास रहने से किसी न किसी तरह का लाभ हो ही जाता है, अच्छी संगत पर कहा गया है

कबीर दास की उल्टी बानी, बरसे कंबल भीजे पानी

उल्टी बात है, जो होना चाहिए वह होता नहीं, होना चाहिए भीजे कंबल बरसे पानी

पड़ोसन के घर मींह बरसेगा तो बौछाड़ यहाँ भी आवेंगी

पड़ोसी के यहाँ वर्षा होगी तो छिंटे मेरे घर तक भी आएंगी, मालदार के पास रहने से किसी न किसी तरह का लाभ हो ही जाता है, अच्छी संगत पर कहा गया है

पड़ोसन के घर मींह बरसेगा तो अपनी भी ओलतियाँ टपकेंगी

पड़ोसी के यहाँ वर्षा होगी तो छिंटे मेरे घर तक भी आएंगी, मालदार के पास रहने से किसी न किसी तरह का लाभ हो ही जाता है, अच्छी संगत पर कहा गया है

जो जल साढ़ लगत ही बरसे नाज नियार बिन कोई न तरसे

अगर असाढ़ के शुरू में बारिश हो जाए तो अनाज बहुत होता है

आस पास बरसे दिल्ली पड़ी तरसे

جس سے دوسروں کو فائدہ ہو اور اپنے محروم رہیں، اس کی نسبت بولتے ہیں

जिस दिन खील बतासे बरसे थे

कमअक़्ल या नासमझ आदमी जब बात नहीं समझता या जब लोग इस को बनाते हैं, उस वक़्त बोलते हैं

आस पास बरसे दली पड़ी तोसे

अन्य लाभ उठाएँ और पात्र महरूम रहें, दूसरों को लाभ पहुँचे और अपने मुँह तकें

दाता देवे और शर्मावे, बादल बरसे और गर्मावे

असल दानशील उदारता कर के दिखाता नहीं है, जैसे बादल बरसता हुआ पसीने पसीने हो जाता है

पड़ोसन के मेंह बरसेगा तो अपनी भी औलती टपकेंगी

पड़ोसन के मेंह बरसेगा तो अपनी भी औलती टपकेंगी

सख़ी देवे और शरमावे बादल बरसे और गरमावे

उदार व्यक्ति अपनी उदारता प्रकट नहीं करता, जिस तरह बादल चुपके से बारिश बरसाता है

जूँ-जूँ मेंह बरसे तूँ-तूँ कमली भारी हो

जितना क़र्ज़ बढ़ता है, उतनी ही बोझ अधिक होता है

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