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इंसान ही तो हे

मनुष्य से भूल-चूक हो ही जाती है

तू ही

only you

तूँ ही

वैसे ही, उसी समय

देर में देर तो होती ही है

प्रायः देर के कामों में अधिक देर होती चली जाती है

यहाँ तो जग ही डूबा है

एक व्यक्ति ग़लती या भूल-चूक करे तो दूसरे उसे समझाएँ, जब सब ही ग़लती करें तो कौन समझाए

बाँदी जब शादी करती है तो ऐसी ही करती है

तुच्छ या डींगें मारने वाला व्यक्ति शादी आदि में अपनी स्थिति या क्षमता से अधिक काम करता है

तेरे ही तले तो गंगा बहती है

पूरी भूमि तुम्हारे अधीन है, तू ही तो बड़ा शक्तिशाली, राज वाला या मालदार है

साथ तो हाथ का दिया ही चलता है

परलोक में दान ही काम आएगा, फ़क़ीरों का वचन

आँख ही फूटी तो भौं कब भाती है

जो बात या विषय ही संबंध का कारण था जब वही न रहा तो फिर संबंध कैसा, जड़ न हो तो शाख़ें बेकार हैं

आँख ही फूटी तो कब भाती है भौं

जो बात या विषय ही संबंध का कारण था जब वही न रहा तो फिर संबंध कैसा, जड़ न हो तो शाख़ें बेकार हैं

अभी तो बेटी बाप ही के घर है

अभी तक मुआमला क़ाबू से बाहर नहीं हुआ, अभी अवस्था में सुधार संभव है

तुम्हारे ही तो सुर्ख़ाब का पर है

(व्यंग्यात्मक) आप बहुत शक्तिशाली हैं

घी गिर पड़ा तो उबाली सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही ग़नीमत है, मजबूरी और शर्मिंदगी को छिपाने के लिए बात टालने के मौक़ा पर कहते हैं

कोई जलता है तो जलने दो, मैं आप ही जलता हूँ

में आप ही मुसीबत में हूँ, किसी की मुसीबत से मुझे क्या ग़रज़

घी गिर पड़ा तो रूखी सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही ग़नीमत है, मजबूरी और शर्मिंदगी को छिपाने के लिए बात टालने के मौक़ा पर कहते हैं

आँख ही फूटी तो भौं से क्या काम है

जो बात या विषय ही संबंध का कारण था जब वही न रहा तो फिर संबंध कैसा, जड़ न हो तो शाख़ें बेकार हैं

रोटी पर का घी गिर पड़ा तो कहा, मुझे रूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही बड़ी बात है

रोटी पर का घी गिर पड़ा, तो कहा मुझे रूखी ही भाती है

हानि हो जाए तो परवाह न करना

घी गिर गया तो रूखी सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही बड़ी बात है

बिगड़ी तो बिगड़ी ही सही

दुश्मनी हुई तो अब हो, मतभेद हुई तो हो जाए

सदा मियाँ घोड़े ही तो ख़रीदा करते हैं

जब कोई शख़्स अपनी बिसात से बाहर क़दम रखता है और ताली की लेता है तो अज़राह-ए-तंज़ कहते हैं शेखी ख़ोरे पर तंज़ है

वो तो बड़े ही भले मानुस हैं

वह बहुत नटखट हैं अर्थात बहुत भले हैं

घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खी उड़ाएगा

۔مثل ہر شخص اپنی ترقی سے خود ہی فائدہ اُٹھاتا ہے۔ ہر ایک اپنا ہی بھلا چاہتاہے۔

सदा मियाँ घोड़े ही तो ख़रीदा किए

जब कोई शख़्स अपनी बिसात से बाहर क़दम रखता है और ताली की लेता है तो अज़राह-ए-तंज़ कहते हैं शेखी ख़ोरे पर तंज़ है

आता तो सब ही भला, थोड़ा बहुता, कुच्छ, जाते तो दो ही भले, दालिद्दर और दुःख

जो मिले अच्छा जो जाए बुरा

दामन झाड़ दें तो रूपया ही रूपया हो जाए

धनाढ्यता के प्रदर्शन के अवसर पर गर्व से कहते हैं

घोड़ी की अगर दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खियाँ उड़ावेगा

हराएक को अपना मतलब पहले मल्हूज़ होता है, हर शख़्स अपनी तरक़्क़ी से ख़ुद फ़ायदा उठाता है

सदा मियाँ घोड़े ही तो रखते थे

जब कोई व्यक्ति अपनी बिसात से बाहर क़दम रखता है और अपनी बड़ाई बयान करता है तो व्यंगात्मक तौर पर कहते हैं

आता तो सब ही भला थोड़ा बहुत कुछ, जाते दो ही भले दलिद्दर और दुख

जो मिले अच्छा जो जाए बुरा

जले तो फफूले फोड़ा ही करते हैं

बिगड़े दिल जो कुछ कहें कम है

बाड़ ही जब खेत खाए तो रखवाली कौन करे

जब रक्षक ही भक्षक हो तो किस से सहायता की गुहार लगाई जाये

बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

जब बाड़ ही खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

नानी तो कुवारी ही मर गई, नवासी के साढ़े सतरा बान

(बाण शादी से पहले नहाने को कहते हैं) नव दौलत आदमी के मुताल्लिक़ कहा जाता है जो एक दम शेखी आ जाए

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नवड़िया पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

जिधर देखता हूँ उधर तू ही तू है

ईश्वर की स्तुति में कहते हैं

हलवाई दीवाना होगा तो हिर फिर कर लड्डू अपनों ही को देगा

हर सूरत में अपनों को फ़ायदा पहुंचाने वाले के संबंध में कहते हैं

कोई जले तो जलने दो मै आप ही जलता हूँ

मैं आप ही मुसीबत में गिरफ़्तार, हूँ मुझे किसी की मुसीबत से किया

कुत्ता पाए तो सवा मन खाए, नहीं तो ज़बान ही चाट कर रह जाए

कुत्ता लालची भी है और सहनशील भी, अगर मिले तो सब कुछ खा जाता है अगर न मिले तो मालिक का घर छोड़ कर नहीं जाता

अपना ही पैसा खोटा, तो परखने वाले का क्या दोष

जब अपनी संतान अयोग्य है तो दूसरे का क्या दोष, जब अपनी ही कोई चीज़ बुरी है, तो इसमें आलोचकों का क्या दोष, वह तो उसे बुरी बताएंगे ही

नाट का बच्चा तो क़लाबाज़ी ही करेगा

जो जिस काम में सक्षम है वही काम करेगा

हलवाई दीवाना होगा तो हिर फिर कर लड्डू अपनों ही को मारेगा

हर सूरत में अपनों को फ़ायदा पहुँचाने वाले के संबंध में कहते हैं

आता तो सभी भला थोड़ा बहुत कुछ, जाता बस दो ही भले दलिद्दर और दुख

जो मिले अच्छा जो जाए बुरा

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नय्या पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

एक तो था ही दीवाना, उस पर आई बहार

बुरे के लिए और बुराई का सामान पैदा हो गया

कुत्ता पाए तो सवा मन खाए, नहीं तो दिया ही चाट कर रह जाए

कुत्ता लालची भी है और सहनशील भी, अगर मिले तो सब कुछ खा जाता है अगर न मिले तो मालिक का घर छोड़ कर नहीं जाता

आरे सर पर चल गए तो भी मदार ही मदार

तकालीफ़-ओ-मसाइब बर्दाश्त करने पर भी अपने इरादे और अक़ीदे से बाज़ नहीं आए

सर पर आरी चल गई तो भी मदार ही मदार

सख़्त तकलीफ़ उठाई फिर भी अपनी हिट पर क़ायम रहा

सावन सोवे साँथरे और माह खरेरी खाट , आप ही मर जाएंगे तो जेठ चलेंगे बाट

जो साइन में पियाल पर सोए और माघ में ख़ाली चारपाई पर और जेठ में सफ़र करे वो ख़्वाहमख़्वाह मरेगा

सर पर आरे चल गए तो भी मदार ही मदार

सख़्त तकलीफ़ उठाई फिर भी अपनी हिट पर क़ायम रहा

तो था ही दीवाना उस पर आई बहार

आवारा के लिए आवारगी के मज़ीद सामान भी मुहय्या हो गए, शौक़ीन के लिए हसब मर्ज़ी मारकात-ओ-अस्बाब फ़राहम होगए, ख़राबी में और ख़राबी पड़ी

वैसा ही तो को फल मिले जैसा बीज बोवाय, नीम बोय के बालके गाँडा कोई न खाय

जैसा करोगे वैसा भरोगे

घुटने नीवेंगे तो पेट ही को नीवेंगे

अपनों की तरफ़ से ढलते हैं , हर शख़्स अपनों ही का फ़ायदा ढूंढता है

नानी तो कवारी ही मर गई नवासी के सौ सौ बान

بان شادی سے پہلے نہانے کو کہتے ہیں، نو دولت کے متعلق کہتے ہیں

नानी तो कुवारी ही मर गई, नवासी के सौ सौ बान

(बाण शादी से पहले नहाने को कहते हैं) नव दौलत आदमी के मुताल्लिक़ कहा जाता है जो एक दम शेखी आ जाए

जग जला तो जलने दे, मैं आप ही जलती हूँ

मैं स्वयं परेशानी में हूँ दूसरों की परेशानी का क्या करूँ

वैसा ही तो को फल मिले जैसा बीज बोवाए, नीम बोय के निकले गाँडा कोई न खाए

जैसा करोगे वैसा भरोगे

माँ डाएन हो गई तो क्या बच्चों ही को खाएगी

बुरा इंसान भी अपनों का लिहाज़ करता है, अपनों को कोई नक्साक् नहीं पहुंचाता चाहे ग़ैरों से कैसा सुलूक करे

नाट का बच्चा तो कलाबाज़ी ही करेगा

जो जिस काम में सक्षम है वही काम करेगा

जले हुए तो यूँ ही कहा करते हैं

जिन को तकलीफ़ पहूँची हो वह तकलीफ़ देने वाले को बद-दुआएँ अर्थात श्राप देते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जानकार के अर्थदेखिए

जानकार

jaankaarجان کار

स्रोत: हिंदी

वज़्न : 2121

जानकार के हिंदी अर्थ

विशेषण

शे'र

English meaning of jaankaar

Adjective

جان کار کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

صفت

  • جاننے والا، واقف، باخبر

Urdu meaning of jaankaar

  • Roman
  • Urdu

  • jaanne vaala, vaaqif, baaKhbar

जानकार के पर्यायवाची शब्द

जानकार के अंत्यानुप्रास शब्द

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इंसान ही तो हे

मनुष्य से भूल-चूक हो ही जाती है

तू ही

only you

तूँ ही

वैसे ही, उसी समय

देर में देर तो होती ही है

प्रायः देर के कामों में अधिक देर होती चली जाती है

यहाँ तो जग ही डूबा है

एक व्यक्ति ग़लती या भूल-चूक करे तो दूसरे उसे समझाएँ, जब सब ही ग़लती करें तो कौन समझाए

बाँदी जब शादी करती है तो ऐसी ही करती है

तुच्छ या डींगें मारने वाला व्यक्ति शादी आदि में अपनी स्थिति या क्षमता से अधिक काम करता है

तेरे ही तले तो गंगा बहती है

पूरी भूमि तुम्हारे अधीन है, तू ही तो बड़ा शक्तिशाली, राज वाला या मालदार है

साथ तो हाथ का दिया ही चलता है

परलोक में दान ही काम आएगा, फ़क़ीरों का वचन

आँख ही फूटी तो भौं कब भाती है

जो बात या विषय ही संबंध का कारण था जब वही न रहा तो फिर संबंध कैसा, जड़ न हो तो शाख़ें बेकार हैं

आँख ही फूटी तो कब भाती है भौं

जो बात या विषय ही संबंध का कारण था जब वही न रहा तो फिर संबंध कैसा, जड़ न हो तो शाख़ें बेकार हैं

अभी तो बेटी बाप ही के घर है

अभी तक मुआमला क़ाबू से बाहर नहीं हुआ, अभी अवस्था में सुधार संभव है

तुम्हारे ही तो सुर्ख़ाब का पर है

(व्यंग्यात्मक) आप बहुत शक्तिशाली हैं

घी गिर पड़ा तो उबाली सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही ग़नीमत है, मजबूरी और शर्मिंदगी को छिपाने के लिए बात टालने के मौक़ा पर कहते हैं

कोई जलता है तो जलने दो, मैं आप ही जलता हूँ

में आप ही मुसीबत में हूँ, किसी की मुसीबत से मुझे क्या ग़रज़

घी गिर पड़ा तो रूखी सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही ग़नीमत है, मजबूरी और शर्मिंदगी को छिपाने के लिए बात टालने के मौक़ा पर कहते हैं

आँख ही फूटी तो भौं से क्या काम है

जो बात या विषय ही संबंध का कारण था जब वही न रहा तो फिर संबंध कैसा, जड़ न हो तो शाख़ें बेकार हैं

रोटी पर का घी गिर पड़ा तो कहा, मुझे रूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही बड़ी बात है

रोटी पर का घी गिर पड़ा, तो कहा मुझे रूखी ही भाती है

हानि हो जाए तो परवाह न करना

घी गिर गया तो रूखी सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही बड़ी बात है

बिगड़ी तो बिगड़ी ही सही

दुश्मनी हुई तो अब हो, मतभेद हुई तो हो जाए

सदा मियाँ घोड़े ही तो ख़रीदा करते हैं

जब कोई शख़्स अपनी बिसात से बाहर क़दम रखता है और ताली की लेता है तो अज़राह-ए-तंज़ कहते हैं शेखी ख़ोरे पर तंज़ है

वो तो बड़े ही भले मानुस हैं

वह बहुत नटखट हैं अर्थात बहुत भले हैं

घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खी उड़ाएगा

۔مثل ہر شخص اپنی ترقی سے خود ہی فائدہ اُٹھاتا ہے۔ ہر ایک اپنا ہی بھلا چاہتاہے۔

सदा मियाँ घोड़े ही तो ख़रीदा किए

जब कोई शख़्स अपनी बिसात से बाहर क़दम रखता है और ताली की लेता है तो अज़राह-ए-तंज़ कहते हैं शेखी ख़ोरे पर तंज़ है

आता तो सब ही भला, थोड़ा बहुता, कुच्छ, जाते तो दो ही भले, दालिद्दर और दुःख

जो मिले अच्छा जो जाए बुरा

दामन झाड़ दें तो रूपया ही रूपया हो जाए

धनाढ्यता के प्रदर्शन के अवसर पर गर्व से कहते हैं

घोड़ी की अगर दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खियाँ उड़ावेगा

हराएक को अपना मतलब पहले मल्हूज़ होता है, हर शख़्स अपनी तरक़्क़ी से ख़ुद फ़ायदा उठाता है

सदा मियाँ घोड़े ही तो रखते थे

जब कोई व्यक्ति अपनी बिसात से बाहर क़दम रखता है और अपनी बड़ाई बयान करता है तो व्यंगात्मक तौर पर कहते हैं

आता तो सब ही भला थोड़ा बहुत कुछ, जाते दो ही भले दलिद्दर और दुख

जो मिले अच्छा जो जाए बुरा

जले तो फफूले फोड़ा ही करते हैं

बिगड़े दिल जो कुछ कहें कम है

बाड़ ही जब खेत खाए तो रखवाली कौन करे

जब रक्षक ही भक्षक हो तो किस से सहायता की गुहार लगाई जाये

बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

जब बाड़ ही खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

नानी तो कुवारी ही मर गई, नवासी के साढ़े सतरा बान

(बाण शादी से पहले नहाने को कहते हैं) नव दौलत आदमी के मुताल्लिक़ कहा जाता है जो एक दम शेखी आ जाए

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नवड़िया पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

जिधर देखता हूँ उधर तू ही तू है

ईश्वर की स्तुति में कहते हैं

हलवाई दीवाना होगा तो हिर फिर कर लड्डू अपनों ही को देगा

हर सूरत में अपनों को फ़ायदा पहुंचाने वाले के संबंध में कहते हैं

कोई जले तो जलने दो मै आप ही जलता हूँ

मैं आप ही मुसीबत में गिरफ़्तार, हूँ मुझे किसी की मुसीबत से किया

कुत्ता पाए तो सवा मन खाए, नहीं तो ज़बान ही चाट कर रह जाए

कुत्ता लालची भी है और सहनशील भी, अगर मिले तो सब कुछ खा जाता है अगर न मिले तो मालिक का घर छोड़ कर नहीं जाता

अपना ही पैसा खोटा, तो परखने वाले का क्या दोष

जब अपनी संतान अयोग्य है तो दूसरे का क्या दोष, जब अपनी ही कोई चीज़ बुरी है, तो इसमें आलोचकों का क्या दोष, वह तो उसे बुरी बताएंगे ही

नाट का बच्चा तो क़लाबाज़ी ही करेगा

जो जिस काम में सक्षम है वही काम करेगा

हलवाई दीवाना होगा तो हिर फिर कर लड्डू अपनों ही को मारेगा

हर सूरत में अपनों को फ़ायदा पहुँचाने वाले के संबंध में कहते हैं

आता तो सभी भला थोड़ा बहुत कुछ, जाता बस दो ही भले दलिद्दर और दुख

जो मिले अच्छा जो जाए बुरा

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नय्या पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

एक तो था ही दीवाना, उस पर आई बहार

बुरे के लिए और बुराई का सामान पैदा हो गया

कुत्ता पाए तो सवा मन खाए, नहीं तो दिया ही चाट कर रह जाए

कुत्ता लालची भी है और सहनशील भी, अगर मिले तो सब कुछ खा जाता है अगर न मिले तो मालिक का घर छोड़ कर नहीं जाता

आरे सर पर चल गए तो भी मदार ही मदार

तकालीफ़-ओ-मसाइब बर्दाश्त करने पर भी अपने इरादे और अक़ीदे से बाज़ नहीं आए

सर पर आरी चल गई तो भी मदार ही मदार

सख़्त तकलीफ़ उठाई फिर भी अपनी हिट पर क़ायम रहा

सावन सोवे साँथरे और माह खरेरी खाट , आप ही मर जाएंगे तो जेठ चलेंगे बाट

जो साइन में पियाल पर सोए और माघ में ख़ाली चारपाई पर और जेठ में सफ़र करे वो ख़्वाहमख़्वाह मरेगा

सर पर आरे चल गए तो भी मदार ही मदार

सख़्त तकलीफ़ उठाई फिर भी अपनी हिट पर क़ायम रहा

तो था ही दीवाना उस पर आई बहार

आवारा के लिए आवारगी के मज़ीद सामान भी मुहय्या हो गए, शौक़ीन के लिए हसब मर्ज़ी मारकात-ओ-अस्बाब फ़राहम होगए, ख़राबी में और ख़राबी पड़ी

वैसा ही तो को फल मिले जैसा बीज बोवाय, नीम बोय के बालके गाँडा कोई न खाय

जैसा करोगे वैसा भरोगे

घुटने नीवेंगे तो पेट ही को नीवेंगे

अपनों की तरफ़ से ढलते हैं , हर शख़्स अपनों ही का फ़ायदा ढूंढता है

नानी तो कवारी ही मर गई नवासी के सौ सौ बान

بان شادی سے پہلے نہانے کو کہتے ہیں، نو دولت کے متعلق کہتے ہیں

नानी तो कुवारी ही मर गई, नवासी के सौ सौ बान

(बाण शादी से पहले नहाने को कहते हैं) नव दौलत आदमी के मुताल्लिक़ कहा जाता है जो एक दम शेखी आ जाए

जग जला तो जलने दे, मैं आप ही जलती हूँ

मैं स्वयं परेशानी में हूँ दूसरों की परेशानी का क्या करूँ

वैसा ही तो को फल मिले जैसा बीज बोवाए, नीम बोय के निकले गाँडा कोई न खाए

जैसा करोगे वैसा भरोगे

माँ डाएन हो गई तो क्या बच्चों ही को खाएगी

बुरा इंसान भी अपनों का लिहाज़ करता है, अपनों को कोई नक्साक् नहीं पहुंचाता चाहे ग़ैरों से कैसा सुलूक करे

नाट का बच्चा तो कलाबाज़ी ही करेगा

जो जिस काम में सक्षम है वही काम करेगा

जले हुए तो यूँ ही कहा करते हैं

जिन को तकलीफ़ पहूँची हो वह तकलीफ़ देने वाले को बद-दुआएँ अर्थात श्राप देते हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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