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राज़ी

किसी बात को स्वीकार करने या किसी बात पर तैयार हो जाने वाला, सहमत किया हुआ, जो प्रसन्न या मान गया हो

राज़ी

राज़ी होना

राज़ी-राज़ी

स्वेच्छा पूर्वक, रजामंदी से, ख़ुशी से

राज़ी-नामा

संधिपत्र, सुलहनामा, मुक़दमे के दोनों पक्षों में संधि का लिखित पत्र

राज़ी करना

राज़ी बनना

राज़ी बनाना (रुक) का लाज़िम , मुतीअ-ओ-फ़र्मांबरदार होना

राज़ी-ख़ुशी

सुख से, आनंद से, ख़ुशी से, ख़ुश ख़ुश, भला चंगा, अमन-ओ-अमान से

राज़ी बनाना

(ओ) मार पीट कर किसी का दिमाग़ दरुस्त करना, ठीक करना , मुतीअ-ओ-फ़र्मांबरदार बनाना

राज़ी-नामा होना

राज़ी नामा लिखा जाना

राज़ी ब-रज़ा होना

राज़ी-नामा कर लेना

हम राज़ी हमारा ख़ुदा राज़ी

रुक : हम ख़ुश हमारा ख़ुदा ख़ुश

मैं राज़ी , मेरा ख़ुदा राज़ी

नीम-राज़ी

कुछ रज़ामंद हो, मगर पूरी तरह राज़ी न हो, अर्धसहमत, आधा रज़ामंद, आंशिक रूप से सहमत

मैं राज़ी और मेरा ख़ुदा राज़ी

रुक : में ख़ुश मेरा ख़ुदा ख़ुश, किसी बात पर मुकम्मल रज़ा ज़ाहिर करने के लिए कहते हैं

तुम से मैं राज़ी मेरा ख़ुदा राज़ी

मेरे दिल में तुम्हारी ओर से कोई कष्ट या द्वेष नहीं

अल-ख़ामोश-नीम-राज़ी

निवेदन सुन कर चुप हो जाने वाला आधा रज़ामंद है, विनती सुन कर चुप रहने से ये अर्थ निकलता है कि जिससे संबंधन किया जाए लगभग प्रसन्न है

दीद-बाज़ी रब राज़ी

रिया कार बनावटी सूफीयों का नारा जिस की आड़ में अपनी ताक झान, नज़रबाज़ी का जवाज़ पैदा करते हैं, ताक झान और नज़रबाज़ी को रुहानी गज़ा क़रार देना

क़ाज़ी-ब-रिश्वत-राज़ी

रिश्वत या घूस देने से सब ही राज़ी, तैयार या खुश हो जाते हैं

तन्नूर बाज़ी अल्लाह राज़ी

होटल का खाना खाए बिना और कोई चारा ही नहीं

तक़दीर पर राज़ी रहना

भाग्य पर संतुष्ट रहना, क़िस्मत पर राज़ी रहना

दीदार बाज़ी ख़ुदा राज़ी

ई आदमी, ताड़बाज़ी की हिमायत में कहते हैं

हक़ का राज़ी ख़ुदा है

हक़ का बख़शने वाला, इस्तेमाल की इजाज़त देने वाला अल्लाह ताला है

ख़ुशामद से ख़दा राज़ी है

कहने सुनने और मिन्नत समाजत का असर होता है

क़ाज़ी ब दो गवाह राज़ी

शरी'अत के हिसाब से दो गवाहों से मुक़द्दमे का फ़ैसला हो जाता है

पेश क़ाज़ी रवी राज़ी आई

तन्हा पेश क़ाज़ी रवी राज़ी शवी

तन्हा पेश क़ाज़ी रवी राज़ी आई

नेकी पर राज़ी , बदी पर क़ाज़ी

नेकी कर के मुतमइन और ख़ुश रहो और बदी पर क़ाज़ी से अपना फ़ैसला या अंजाम सुनो

दो दिल राज़ी तो क्या करे क़ाज़ी

फ़रीक़ैन की रजामंदी में हाकिम दख़ल नहीं दे सकता, दो शख़्स मुत्तफ़िक़ हूँ तो तीसरा नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

मर्द 'औरत राज़ी तो क्या करे क़ाज़ी

रुक : मियां बीवी राज़ी (अलख) जो ज़्यादा मुस्तामल है

मौत को पकड़ा तो बुख़ार पर राज़ी हुआ

मुश्किल काम पर पकड़ेंगे तो आसान काम पर राज़ी होगा, जब आदमी बड़ी मुसीबत में गिरफ़्तार होता है तो थोड़े से दुख और मेहनत को समझता हय

जब दो दिल राज़ी तो क्या करेगा क़ाज़ी

दो पक्षों की सहमति में हाकिम हस्तक्षेप नहीं कर सकता, दो व्यक्ति सहमत हों तो तीसरा व्यक्ति हानि नहीं पहुँचा सकता

जिस को गेहों की नहीं , वो चने ही की से राज़ी

जैसे अच्छी चीज़ नहीं मिल सकती वो बरी पर ही गुज़ारा कर लेता है

टहल करो फ़क़ीर की जो देवे तुम्हें असीस, रैन दिना राज़ी रहो जग में बिस्वा बीस

फ़क़ीरों की सेवा करनी चाहिए, मनुष्य सुखी रहता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में हदीस-ए-मुतवातिर के अर्थदेखिए

हदीस-ए-मुतवातिर

hadiis-e-mutavaatirحَدِیثِ مُتَواتِر

स्रोत: अरबी

वज़्न : 1221122

टैग्ज़: हदीस दंड रिवायात

हदीस-ए-मुतवातिर के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • वह हदीस जिसका वर्णन हर काल या समय में उतने लोगों ने किया हो कि उसके ग़लत होने की कोई संभावना न हो

English meaning of hadiis-e-mutavaatir

Noun, Feminine

  • a continuous tradition handed down by many distinct chains of narrators, a genuine Hadith

Roman

حَدِیثِ مُتَواتِر کے اردو معانی

اسم، مؤنث

  • (حدیث) وہ حدیث جو (روایت کے ہر مرجع میں) کئی اسناد سے منقول ہو (اور راویوں کی تعداد ہر مرحلے میں اتنی رہے جن کا جھوٹ پر جمع ہونا عقلاً محال ہو) اور بہت قدیم زمانے سے اٹھایا گیا ہو

Urdu meaning of hadiis-e-mutavaatir

  • (hadiis) vo hadiis jo (rivaayat ke har marajjaa men) ka.ii asnaad se manquul ho (aur raaviyo.n kii taadaad har marhale me.n itnii rahe jin ka jhuuT par jamaa honaa aqlan muhaal ho) aur bahut qadiim zamaane se uThaayaa gayaa ho

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राज़ी

किसी बात को स्वीकार करने या किसी बात पर तैयार हो जाने वाला, सहमत किया हुआ, जो प्रसन्न या मान गया हो

राज़ी

राज़ी होना

राज़ी-राज़ी

स्वेच्छा पूर्वक, रजामंदी से, ख़ुशी से

राज़ी-नामा

संधिपत्र, सुलहनामा, मुक़दमे के दोनों पक्षों में संधि का लिखित पत्र

राज़ी करना

राज़ी बनना

राज़ी बनाना (रुक) का लाज़िम , मुतीअ-ओ-फ़र्मांबरदार होना

राज़ी-ख़ुशी

सुख से, आनंद से, ख़ुशी से, ख़ुश ख़ुश, भला चंगा, अमन-ओ-अमान से

राज़ी बनाना

(ओ) मार पीट कर किसी का दिमाग़ दरुस्त करना, ठीक करना , मुतीअ-ओ-फ़र्मांबरदार बनाना

राज़ी-नामा होना

राज़ी नामा लिखा जाना

राज़ी ब-रज़ा होना

राज़ी-नामा कर लेना

हम राज़ी हमारा ख़ुदा राज़ी

रुक : हम ख़ुश हमारा ख़ुदा ख़ुश

मैं राज़ी , मेरा ख़ुदा राज़ी

नीम-राज़ी

कुछ रज़ामंद हो, मगर पूरी तरह राज़ी न हो, अर्धसहमत, आधा रज़ामंद, आंशिक रूप से सहमत

मैं राज़ी और मेरा ख़ुदा राज़ी

रुक : में ख़ुश मेरा ख़ुदा ख़ुश, किसी बात पर मुकम्मल रज़ा ज़ाहिर करने के लिए कहते हैं

तुम से मैं राज़ी मेरा ख़ुदा राज़ी

मेरे दिल में तुम्हारी ओर से कोई कष्ट या द्वेष नहीं

अल-ख़ामोश-नीम-राज़ी

निवेदन सुन कर चुप हो जाने वाला आधा रज़ामंद है, विनती सुन कर चुप रहने से ये अर्थ निकलता है कि जिससे संबंधन किया जाए लगभग प्रसन्न है

दीद-बाज़ी रब राज़ी

रिया कार बनावटी सूफीयों का नारा जिस की आड़ में अपनी ताक झान, नज़रबाज़ी का जवाज़ पैदा करते हैं, ताक झान और नज़रबाज़ी को रुहानी गज़ा क़रार देना

क़ाज़ी-ब-रिश्वत-राज़ी

रिश्वत या घूस देने से सब ही राज़ी, तैयार या खुश हो जाते हैं

तन्नूर बाज़ी अल्लाह राज़ी

होटल का खाना खाए बिना और कोई चारा ही नहीं

तक़दीर पर राज़ी रहना

भाग्य पर संतुष्ट रहना, क़िस्मत पर राज़ी रहना

दीदार बाज़ी ख़ुदा राज़ी

ई आदमी, ताड़बाज़ी की हिमायत में कहते हैं

हक़ का राज़ी ख़ुदा है

हक़ का बख़शने वाला, इस्तेमाल की इजाज़त देने वाला अल्लाह ताला है

ख़ुशामद से ख़दा राज़ी है

कहने सुनने और मिन्नत समाजत का असर होता है

क़ाज़ी ब दो गवाह राज़ी

शरी'अत के हिसाब से दो गवाहों से मुक़द्दमे का फ़ैसला हो जाता है

पेश क़ाज़ी रवी राज़ी आई

तन्हा पेश क़ाज़ी रवी राज़ी शवी

तन्हा पेश क़ाज़ी रवी राज़ी आई

नेकी पर राज़ी , बदी पर क़ाज़ी

नेकी कर के मुतमइन और ख़ुश रहो और बदी पर क़ाज़ी से अपना फ़ैसला या अंजाम सुनो

दो दिल राज़ी तो क्या करे क़ाज़ी

फ़रीक़ैन की रजामंदी में हाकिम दख़ल नहीं दे सकता, दो शख़्स मुत्तफ़िक़ हूँ तो तीसरा नुक़्सान नहीं पहुंचा सकता

मर्द 'औरत राज़ी तो क्या करे क़ाज़ी

रुक : मियां बीवी राज़ी (अलख) जो ज़्यादा मुस्तामल है

मौत को पकड़ा तो बुख़ार पर राज़ी हुआ

मुश्किल काम पर पकड़ेंगे तो आसान काम पर राज़ी होगा, जब आदमी बड़ी मुसीबत में गिरफ़्तार होता है तो थोड़े से दुख और मेहनत को समझता हय

जब दो दिल राज़ी तो क्या करेगा क़ाज़ी

दो पक्षों की सहमति में हाकिम हस्तक्षेप नहीं कर सकता, दो व्यक्ति सहमत हों तो तीसरा व्यक्ति हानि नहीं पहुँचा सकता

जिस को गेहों की नहीं , वो चने ही की से राज़ी

जैसे अच्छी चीज़ नहीं मिल सकती वो बरी पर ही गुज़ारा कर लेता है

टहल करो फ़क़ीर की जो देवे तुम्हें असीस, रैन दिना राज़ी रहो जग में बिस्वा बीस

फ़क़ीरों की सेवा करनी चाहिए, मनुष्य सुखी रहता है

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