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हर-रोज़

रोज़ के रोज़, प्रतिदिन, बिना अंतराल, रोज़ाना, सदैव, हमेशा

हर-रोज़ा

हर दिन होनेवाला, हर दिन का, हर रोज़ का, बिला नाग़ा, मुसलसल

हर रोज़ का

हर रोज़ रोज़-ए-'ईद हर शब शब-ए-बरात

हर शब शब-ए-बरात हे हर रोज़ रोज़-ए-'ईद

ज़िंदगी मज़े से गुज़रती है, हर वक़्त ऐश ही ऐश है

सय्याद न हर रोज़ शिकारी बबुर्द

कौन हर रोज़ अतालीक़ हो समझाए गा

मूर्ख आदमी को समझाना बहुत कठिन है, कम समझदार को सिखाना कठिन काम है

हर-कि-रा पंज-रोज़ नौबत-ए-ऊस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर किसी की बारी पाँच रोज़ की है यानी ज़िंदगी चंद रोज़ा है दाइमी नहीं है

हर रोज़ 'ईद नीस्त कि हल्वा ख़ूरद कसे

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर रोज़ ईद नहीं है कि कोई हलवा खाए , रोज़ रोज़ उम्दा मौक़ा हाथ नहीं आता , हर रोज़ ख़ुशी हासिल नहीं होती, ज़माना एक सा नहीं रहता, (बिलउमूम ऐसे मौके़ पर मुस्तामल जब कोई एक बार कुछ पाने के बाद फिर फ़ायदे की उम्मीद रखे)

हर रोज़ नया कुँवाँ खोदना नया पानी पीना

रोज़ कमाना और रोज़ खाना

अंधे के पाँव तले बटेर दब गई, कहा हर रोज़ शिकार खाएँगे

संयोग अथवा आकस्मिक बात पर भरोसा नहीं हो सकता, क्या जाने फिर संयोग हो या ना हो

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में डाली के अर्थदेखिए

डाली

Daaliiڈالی

स्रोत: हिंदी

वज़्न : 22

टैग्ज़: संकेतात्मक

डाली के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • वृक्ष की छोटी शाखा, दरख़्त की छोटी शाख़, टहनी या डाल, डलिया
  • (संकेतात्मक) अनाज की बाल, बाली, फली
  • फूल या मेवा की टोकरी जो अमीरों या शासकों को उपहार स्वरूप देते हैं
  • मेवा या तरकारी आदि जो बाग़ से मालिक के लिए आती है
  • मेवा, फल, फूल मिठाइयाँ आदि सजाकर डलिया या टोकरी में भेजना या रखना
  • उन फलों को कहते हैं जो फ़सल का ख़रीदार फ़सल बेचने वाले को क़ीमत के अलावा देता है
  • डाली, ख़्वांचा या टोकरा सर पर लिए हुए आदमी
  • (लाक्षणिक) स्वीकृति, सजी बनी सुंदर वस्तु या ख़ूबसूरत चीज़
  • (लाक्षणिक) घूस, रिश्वत
  • पत्थरों के वृक्ष नुमा भंडारों की डाल या शाख़ा
  • फ़सल का अनाज ओसाना, बरसना

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वह सैनिक जो ढाल धारण किये हो

शे'र

English meaning of Daalii

Noun, Feminine

  • a branch, a bough, a present of fruits, sweetmeats spread out on a tray
  • gift of fruit, etc. in a basket or tray and partially covered with flowers given as a present (and sometimes also as bribe)

Roman

ڈالی کے اردو معانی

اسم، مؤنث

  • درخت کی چھوٹی شاخ، ٹہنی
  • (کنایتاً) اناج کی بال، بالی، پھلی
  • پھول یا میوہ کی ٹوکری جو امیروں یا حُکّام کی نذر کرتے ہیں
  • میوہ ترکاری وغیرہ جو باغ سے مالک کے لیے آتی ہے
  • میوہ، پھل، پُھول، مِٹھائی وغیرہ سجا کر تھال ٹرے یا سِینی یا ٹوکری میں بھیجنا یا رکھنا
  • اُن پھلوں کو کہتے ہیں جو فصل کا خریدار فصل بیچتے والے کو قیمت کے علاوہ دیتا ہے
  • ڈالی، خوانچہ یا ٹوکرا سرپرلیے ہوئے آدمی
  • (مجازاً) قبولیت، سجی بنی خوبصورت چیز
  • (مجازا) رِشوت
  • پتّھروں کے اشجار نُما ذخیروں کی ٹہنی یا شاخ
  • فصل کا اناج اوسانا

اسم، مذکر

  • وہ سپاہی جو ڈھال پہنے ہوئے ہو

Urdu meaning of Daalii

  • daraKht kii chhoTii shaaKh, Tahnii
  • (kinaayatan) anaaj kii baal, baalii, phalii
  • phuul ya meva kii Tokarii jo amiiro.n ya hukkaam kii nazar karte hai.n
  • meva tarkaarii vaGaira jo baaG se maalik ke li.e aatii hai
  • meva, phal, phuu.ol, miThaa.ii vaGaira saja kar thaal Tre ya sainii ya Tokarii me.n bhejnaa ya rakhnaa
  • in phalo.n ko kahte hai.n jo fasal ka Khariidaar fasal bechte vaale ko qiimat ke ilaava detaa hai
  • Daalii, Khavaanchaa ya Tokraa sar par li.e hu.e aadamii
  • (majaazan) qabuuliiyat, sajii banii Khuubsuurat chiiz
  • (mujaazaa) rishvat
  • patthাro.n ke ashjaar numaa zaKhiiro.n kii Tahnii ya shaaKh
  • fasal ka anaaj osaana
  • vo sipaahii jo Dhaal pahne hu.e ho

डाली के पर्यायवाची शब्द

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हर-रोज़

रोज़ के रोज़, प्रतिदिन, बिना अंतराल, रोज़ाना, सदैव, हमेशा

हर-रोज़ा

हर दिन होनेवाला, हर दिन का, हर रोज़ का, बिला नाग़ा, मुसलसल

हर रोज़ का

हर रोज़ रोज़-ए-'ईद हर शब शब-ए-बरात

हर शब शब-ए-बरात हे हर रोज़ रोज़-ए-'ईद

ज़िंदगी मज़े से गुज़रती है, हर वक़्त ऐश ही ऐश है

सय्याद न हर रोज़ शिकारी बबुर्द

कौन हर रोज़ अतालीक़ हो समझाए गा

मूर्ख आदमी को समझाना बहुत कठिन है, कम समझदार को सिखाना कठिन काम है

हर-कि-रा पंज-रोज़ नौबत-ए-ऊस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर किसी की बारी पाँच रोज़ की है यानी ज़िंदगी चंद रोज़ा है दाइमी नहीं है

हर रोज़ 'ईद नीस्त कि हल्वा ख़ूरद कसे

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर रोज़ ईद नहीं है कि कोई हलवा खाए , रोज़ रोज़ उम्दा मौक़ा हाथ नहीं आता , हर रोज़ ख़ुशी हासिल नहीं होती, ज़माना एक सा नहीं रहता, (बिलउमूम ऐसे मौके़ पर मुस्तामल जब कोई एक बार कुछ पाने के बाद फिर फ़ायदे की उम्मीद रखे)

हर रोज़ नया कुँवाँ खोदना नया पानी पीना

रोज़ कमाना और रोज़ खाना

अंधे के पाँव तले बटेर दब गई, कहा हर रोज़ शिकार खाएँगे

संयोग अथवा आकस्मिक बात पर भरोसा नहीं हो सकता, क्या जाने फिर संयोग हो या ना हो

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