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जने

जन्म देने की हालत, जनना से ली गई रचना में प्रयोग

जनेव

जनेऊ

जनेऊ

वो बटा हुआ तागा जो हिंदूओं में ब्रहमण या खत्री या वैश्य पवित्र समझ कर गर्दन में और बग़ल में आड़ा इस प्रकार डाले रहते हैं कि उसका एक बल या घेरा कमर तक आता है ब्रहमण के गले में बध्धी की तरह डला हुआ धागा, यज्ञोपवीत, ब्रह्मसूत्र, जनयो डालने की रस्म

जने कोई गोंद , मखाने खाए कोई

(ओ) जब मुसीबत कोई उठाए फ़ायदा कोई और ले तो कहते हैं

जनेऊ का हाथ

पट्टेबाजी या तलवार का एक हाथ जिसमें प्रतिद्वंद्वी की छाती पर ऐसा आघात लगाया जाता है जैसे जनेऊ पड़ा रहता है, इसे 'जनेऊ या जनेव का हाथ' भी कहते हैं

जनेऊ का वार

पट्टेबाजी या तलवार का एक हाथ जिसमें प्रतिद्वंद्वी की छाती पर ऐसा आघात लगाया जाता है जैसे जनेऊ पड़ा रहता है, इसे 'जनेऊ या जनेव का हाथ' भी कहते हैं

चार-जने

رک : چار آدمی ، چار لوگ .

जीभ जने ऐक बार माँ जने बार बार

जो बात मुँह से एक बार निकल जाये वो वापिस नहीं आ सकती

ज़बान जने एक बार, माँ जने बार बार

ज़बान का वचन एक ही होता है, ज़बान से एक बार जो कह दिया सो कह दिया, उस से पलटना नहीं चाहिए

हज़ार जने हज़ार बाताँ

(दक्कन) रुक : हज़ार मुँह हैं हज़ार बातें

अंधा न्योते दो जने आएँ

अंधे को बुलाऐं तो दूसरा इस के साथ पहुंचाने के लिए आता है, इस मौक़ा पर मुस्तामल जब एक को कुछ दें तो दूसरे को भी देना पड़े, एक का लिहाज़ करें तो दूसरे का भी लिहाज़ करना पड़ जाये

लड़के जने बीवी और पट्टी बाँधें मियाँ

दुख भरे कोई और फ़ायदा कोई उठाए

बिन जने का थनैला है

बिना संतान के छातियाँ सूजी हुई हैं, वास्तविक्ता कुछ भी नहीं है

बिन जने का थनैला हुआ है

बिना संतान के छातियाँ सूजी हुई हैं, वास्तविक्ता कुछ भी नहीं है

क्यों अंधा न्योता जो दो जने आएँ

ऐसा काम क्यों करे जो दुगना नुक़्सान हो या बालाई ख़र्च आ पड़े

क्यों अंधा न्योता जो दो जने आवें

ऐसा काम क्यों करे जो दुगना नुक़्सान हो या बालाई ख़र्च आ पड़े

दस की लाठी एक जने का बोझ

रुक : दस पाँच की लाठी एक जने का बोझ

पाँच सात की लाठी एक जने का बोझ

थोड़ा थोड़ा बहुत हो जाता है

दस पाँच की लाठी एक जने का बोझ

चंद लोग मिल कर ही मदद करें तो किसी का काम या ज़रूरत पूरी होजाती है

सात पाँच की लाठी ऐक जने का बोझ

कई आदमीयों की मदद से काम पूओरा हो जाता है

मियाँ बिवी दो जने ,किस लिये जौ चने

इस मौके़ पर कहा करते हैं जब किसी के लड़के लड़की ना हो और फिर वो ख़िस्त करे यानी जब सिर्फ़ मियां बीवी ही खाने वाले हैं और ख़र्च ज़्यादा नहीं है तो फिर ख़िस्त करना और जमा करके मरना बेकार है

लड़का जने बीवी और पट्टी बाँधें मियाँ

दुख भरे कोई और लाभ उठाए कोई, एक दुख उठाए दूसरा मज़ा उड़ाए

पर घर नाचें तीन जने, काइस्थ, बैद, दलाल

ये तीनों दूसरे की सेवा से लाभ उठाते हैं

लड़का जने बीवी और पट्टी बाँधे मियाँ

दुख भरे कोई और लाभ उठाए कोई, एक दुख उठाए दूसरा मज़ा उड़ाए

चोर लाठी दो जने, हम बाप पूत अकेले

बुज़दिल आदमी लुट जाये तो परिहास के रूप में उसे कहते हैं

मियाँ बीवी दो जने , किस के लिये पीसें जौ चने

घर के दो आदमी हूँ तो ख़िस्त (या ज़्यादा मेहनत) करना बेफ़ाइदा है

चोर लाठी दो जने, हम बाप बेटे अकेले

बुज़दिल आदमी लुट जाये तो परिहास के रूप में उसे कहते हैं

सभा बिगाड़ें तीन जनें , चुगल , चूतिया , चोर

चुगु़लखोर, बेवक़ूफ़ और चोर पंचायत की बदनामी का बाइस होते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में चोर लाठी दो जने, हम बाप बेटे अकेले के अर्थदेखिए

चोर लाठी दो जने, हम बाप बेटे अकेले

chor laaThii do jane, ham baap beTe akeleچور لاٹھی دو جَنے، ہَم باپ بیٹے اَکیلے

अथवा : चोर लाठी दो जने, हम बाप पूत अकेले

कहावत

चोर लाठी दो जने, हम बाप बेटे अकेले के हिंदी अर्थ

  • बुज़दिल आदमी लुट जाये तो परिहास के रूप में उसे कहते हैं
  • जब कोई अपनी कमज़ोरी छिपाने के लिए अनर्गल बात कहे तब भी कहते हैं

    विशेष चोर ने लाठी लेकर बाप-बेटे पर हमला कर दिया और जो कुछ उनके पास था छीन लिया तब लड़के ने बात बनाई कि हम करते क्या, चोर और लाठी दो जने थे और हम बाप-बेटे अकेले थे।

چور لاٹھی دو جَنے، ہَم باپ بیٹے اَکیلے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • بزدل آدمی لٹ جائے تو مذاقاََ اسے کہتے ہیں
  • جب کوئی اپنی کمزوری چھپانے کے لئے بے تکی بات کہے تب بھی کہتے ہیں

Urdu meaning of chor laaThii do jane, ham baap beTe akele

  • Roman
  • Urdu

  • buzdil aadamii luT jaaye to mazaaqaa ise kahte hai.n
  • jab ko.ii apnii kamzorii chhipaane ke li.e betukii baat kahe tab bhii kahte hai.n

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जने

जन्म देने की हालत, जनना से ली गई रचना में प्रयोग

जनेव

जनेऊ

जनेऊ

वो बटा हुआ तागा जो हिंदूओं में ब्रहमण या खत्री या वैश्य पवित्र समझ कर गर्दन में और बग़ल में आड़ा इस प्रकार डाले रहते हैं कि उसका एक बल या घेरा कमर तक आता है ब्रहमण के गले में बध्धी की तरह डला हुआ धागा, यज्ञोपवीत, ब्रह्मसूत्र, जनयो डालने की रस्म

जने कोई गोंद , मखाने खाए कोई

(ओ) जब मुसीबत कोई उठाए फ़ायदा कोई और ले तो कहते हैं

जनेऊ का हाथ

पट्टेबाजी या तलवार का एक हाथ जिसमें प्रतिद्वंद्वी की छाती पर ऐसा आघात लगाया जाता है जैसे जनेऊ पड़ा रहता है, इसे 'जनेऊ या जनेव का हाथ' भी कहते हैं

जनेऊ का वार

पट्टेबाजी या तलवार का एक हाथ जिसमें प्रतिद्वंद्वी की छाती पर ऐसा आघात लगाया जाता है जैसे जनेऊ पड़ा रहता है, इसे 'जनेऊ या जनेव का हाथ' भी कहते हैं

चार-जने

رک : چار آدمی ، چار لوگ .

जीभ जने ऐक बार माँ जने बार बार

जो बात मुँह से एक बार निकल जाये वो वापिस नहीं आ सकती

ज़बान जने एक बार, माँ जने बार बार

ज़बान का वचन एक ही होता है, ज़बान से एक बार जो कह दिया सो कह दिया, उस से पलटना नहीं चाहिए

हज़ार जने हज़ार बाताँ

(दक्कन) रुक : हज़ार मुँह हैं हज़ार बातें

अंधा न्योते दो जने आएँ

अंधे को बुलाऐं तो दूसरा इस के साथ पहुंचाने के लिए आता है, इस मौक़ा पर मुस्तामल जब एक को कुछ दें तो दूसरे को भी देना पड़े, एक का लिहाज़ करें तो दूसरे का भी लिहाज़ करना पड़ जाये

लड़के जने बीवी और पट्टी बाँधें मियाँ

दुख भरे कोई और फ़ायदा कोई उठाए

बिन जने का थनैला है

बिना संतान के छातियाँ सूजी हुई हैं, वास्तविक्ता कुछ भी नहीं है

बिन जने का थनैला हुआ है

बिना संतान के छातियाँ सूजी हुई हैं, वास्तविक्ता कुछ भी नहीं है

क्यों अंधा न्योता जो दो जने आएँ

ऐसा काम क्यों करे जो दुगना नुक़्सान हो या बालाई ख़र्च आ पड़े

क्यों अंधा न्योता जो दो जने आवें

ऐसा काम क्यों करे जो दुगना नुक़्सान हो या बालाई ख़र्च आ पड़े

दस की लाठी एक जने का बोझ

रुक : दस पाँच की लाठी एक जने का बोझ

पाँच सात की लाठी एक जने का बोझ

थोड़ा थोड़ा बहुत हो जाता है

दस पाँच की लाठी एक जने का बोझ

चंद लोग मिल कर ही मदद करें तो किसी का काम या ज़रूरत पूरी होजाती है

सात पाँच की लाठी ऐक जने का बोझ

कई आदमीयों की मदद से काम पूओरा हो जाता है

मियाँ बिवी दो जने ,किस लिये जौ चने

इस मौके़ पर कहा करते हैं जब किसी के लड़के लड़की ना हो और फिर वो ख़िस्त करे यानी जब सिर्फ़ मियां बीवी ही खाने वाले हैं और ख़र्च ज़्यादा नहीं है तो फिर ख़िस्त करना और जमा करके मरना बेकार है

लड़का जने बीवी और पट्टी बाँधें मियाँ

दुख भरे कोई और लाभ उठाए कोई, एक दुख उठाए दूसरा मज़ा उड़ाए

पर घर नाचें तीन जने, काइस्थ, बैद, दलाल

ये तीनों दूसरे की सेवा से लाभ उठाते हैं

लड़का जने बीवी और पट्टी बाँधे मियाँ

दुख भरे कोई और लाभ उठाए कोई, एक दुख उठाए दूसरा मज़ा उड़ाए

चोर लाठी दो जने, हम बाप पूत अकेले

बुज़दिल आदमी लुट जाये तो परिहास के रूप में उसे कहते हैं

मियाँ बीवी दो जने , किस के लिये पीसें जौ चने

घर के दो आदमी हूँ तो ख़िस्त (या ज़्यादा मेहनत) करना बेफ़ाइदा है

चोर लाठी दो जने, हम बाप बेटे अकेले

बुज़दिल आदमी लुट जाये तो परिहास के रूप में उसे कहते हैं

सभा बिगाड़ें तीन जनें , चुगल , चूतिया , चोर

चुगु़लखोर, बेवक़ूफ़ और चोर पंचायत की बदनामी का बाइस होते हैं

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