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और ही बात है

अनोखी स्थिति है, अजीब आनंद है

बात ही क्या है

बहुत आसान है, कोई मुश्किल बात नहीं है

बात ये और है

मामला यह बिल्कुल अलग है, मसला ही दूसरा है

ये और बात है

۔ये बात जुदा है।

कुछ और बात है

۔معاملہ کچھ اور ہے۔ ناانصافی کی بات ہے۔ خلاف اُمید بات ہے۔ ؎ شُکرِ جفا وگر نہ شکایت سے کم نہیں۔

ये बात ही क्या है

۔ये कोई मुश्किल काम नहीं है।

और रोना ही क्या है

यही सोच तो है

बात रह जाती है और वक़्त निकल जाता है

विपत्ति का समय बीत जाता है किंतु व्यक्तियों के व्यवहार याद रह जाते हैं

ज़ालिम की चाल ही और है

अत्याचारी के तरीक़े अलग होते हैं, ज़ालिम के तरीक़े मुख़्तलिफ़ होते हैं

दो ही बात में हार जीत है

बहुत जल्द निर्णय होता है, जल्द इधर या उधर हो कर रहता है

दिल का कुछ और ही नक़्शा है

दिल घबराता है, दिल परेशान है

दिल का कुछ और ही नक़्शा है

दिल घबराता है, दिल परेशान है

दस्तार और गुफ़्तार अपनी ही काम आती है

अपने हाथ से अपनी पगड़ी (दोपट्टा) बांधना चाहिए और अपनी बात ख़ुद ही कहना मुनासिब है दोसे के ज़रीये दोनों ठीक नहीं क्यों कि अपनी बात या मतलब को जैसे ख़ुद कह सकता है इस तरह दूसरे से अदा नहीं हो सकता

किरिया और तरकारी खाने ही के लिए है

झूठी सौगंध खाए तो उसकी औचित्यता में कहते हैं

चूना और चमार कूटे ही ठीक रहता है

चूने को जितना ज़्यादा कूटें उतना ही मज़बूत होता है, चमार को जूते लगते रहें तो दुरुस्त रहता है

वो और बात है

वह बात दूसरी है

जहाँ और दरख़्त नहीं वहाँ अरनड ही दरख़्त है

जहां लायक़ नहीं होते, वहां कम लियाक़त ही लियाक़तदार होजाते हैं, जहां कोई शैय बेहतर ना हो वहां कमतर ही सही, रुक: जहां रूख नहीं अलख

मर्द की बात और गाड़ी का पहिया आगे चलता है

शरीफ़ अपने स्वीकृति अर्थात वचन से फिरते नहीं हैं, शरीफ़ जो वचन देता है उसे अवश्य पूरा करता है

मर्द की बात और गाड़ी का पहिया आगे को चलता है

शरीफ़ अपने स्वीकृति अर्थात वचन से फिरते नहीं हैं, शरीफ़ जो वचन देता है उसे अवश्य पूरा करता है

दो बात करो दो चीत करो , मेरा मतलब कुछ और है

मेरे मतलब की कुछ नहीं कहते, मीर मतलब की कहीं

पान और ईमान फेरे ही से अच्छा रहता है

यदि देख-रेख न की जाए तो पान गल जाते हैं, ईमान बिना तौबा के सुरक्षित नहीं रहता

ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा

ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में और ही बात है के अर्थदेखिए

और ही बात है

aur hii baat haiاَور ہی بات ہے

वाक्य

और ही बात है के हिंदी अर्थ

  • अनोखी स्थिति है, अजीब आनंद है

اَور ہی بات ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • نرالی کیفیت ہے، عجیب لطف ہے.

Urdu meaning of aur hii baat hai

  • Roman
  • Urdu

  • niraalii kaifiiyat hai, ajiib lutaf hai

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और ही बात है

अनोखी स्थिति है, अजीब आनंद है

बात ही क्या है

बहुत आसान है, कोई मुश्किल बात नहीं है

बात ये और है

मामला यह बिल्कुल अलग है, मसला ही दूसरा है

ये और बात है

۔ये बात जुदा है।

कुछ और बात है

۔معاملہ کچھ اور ہے۔ ناانصافی کی بات ہے۔ خلاف اُمید بات ہے۔ ؎ شُکرِ جفا وگر نہ شکایت سے کم نہیں۔

ये बात ही क्या है

۔ये कोई मुश्किल काम नहीं है।

और रोना ही क्या है

यही सोच तो है

बात रह जाती है और वक़्त निकल जाता है

विपत्ति का समय बीत जाता है किंतु व्यक्तियों के व्यवहार याद रह जाते हैं

ज़ालिम की चाल ही और है

अत्याचारी के तरीक़े अलग होते हैं, ज़ालिम के तरीक़े मुख़्तलिफ़ होते हैं

दो ही बात में हार जीत है

बहुत जल्द निर्णय होता है, जल्द इधर या उधर हो कर रहता है

दिल का कुछ और ही नक़्शा है

दिल घबराता है, दिल परेशान है

दिल का कुछ और ही नक़्शा है

दिल घबराता है, दिल परेशान है

दस्तार और गुफ़्तार अपनी ही काम आती है

अपने हाथ से अपनी पगड़ी (दोपट्टा) बांधना चाहिए और अपनी बात ख़ुद ही कहना मुनासिब है दोसे के ज़रीये दोनों ठीक नहीं क्यों कि अपनी बात या मतलब को जैसे ख़ुद कह सकता है इस तरह दूसरे से अदा नहीं हो सकता

किरिया और तरकारी खाने ही के लिए है

झूठी सौगंध खाए तो उसकी औचित्यता में कहते हैं

चूना और चमार कूटे ही ठीक रहता है

चूने को जितना ज़्यादा कूटें उतना ही मज़बूत होता है, चमार को जूते लगते रहें तो दुरुस्त रहता है

वो और बात है

वह बात दूसरी है

जहाँ और दरख़्त नहीं वहाँ अरनड ही दरख़्त है

जहां लायक़ नहीं होते, वहां कम लियाक़त ही लियाक़तदार होजाते हैं, जहां कोई शैय बेहतर ना हो वहां कमतर ही सही, रुक: जहां रूख नहीं अलख

मर्द की बात और गाड़ी का पहिया आगे चलता है

शरीफ़ अपने स्वीकृति अर्थात वचन से फिरते नहीं हैं, शरीफ़ जो वचन देता है उसे अवश्य पूरा करता है

मर्द की बात और गाड़ी का पहिया आगे को चलता है

शरीफ़ अपने स्वीकृति अर्थात वचन से फिरते नहीं हैं, शरीफ़ जो वचन देता है उसे अवश्य पूरा करता है

दो बात करो दो चीत करो , मेरा मतलब कुछ और है

मेरे मतलब की कुछ नहीं कहते, मीर मतलब की कहीं

पान और ईमान फेरे ही से अच्छा रहता है

यदि देख-रेख न की जाए तो पान गल जाते हैं, ईमान बिना तौबा के सुरक्षित नहीं रहता

ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा

ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा

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