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सुन्नत

ख़तना, खत्नः, मुसलमानी

sonnet

चौदह मिसरों की नज़म जिस में काफियों की तर्तीब मुख़्तलिफ़ सूरतों में मुख़्तलिफ़ होती है और उमूमन हर मिसरे में १० मातरे।

सुन्नत-जमा'अत

सुन्नत-उल-फ़े'ली

सुन्नत-उल-अल्लाह

सुन्नत करना

ख़तना करना, परिशुद्ध करना

सुन्नत गले में पड़ना

किसी तरीक़ पर गामज़न होना

सुन्नत-उल-क़ाैली

सुन्नत-उल-अव्वलीन

सुन्नत अदा करना

किसी विधि को अपनाना, पालन ​​करना, अपनाना

सुन्नत-ओ-जमा'अत

सुन्नत-ए-मुवक्किदा

सुन्नत-ए-ग़ैर-मुवक्कदा

सुन्नत पर 'अमल करना

सुन्नत-ए-मूसवी

सुन्नत-ए-नब्वी

सुन्नत-ए-आबा

बापदादा का दस्तूर, खानदान का रवाज ।।

सुन्नत-ए-देरीना

सुन्नत-ए-कफ़ाया

सुन्नत-ए-मशहूर

(फ़िक्ह) पैग़म्बर मोहम्मद साहब की शैली, (संकेतात्मक) जानी-पहचानी चीज़

सुन्नत-ए-रसूल

पैगंबर मुहम्मद का तरीका और जीने का ढंग

सुन्नती

पैग़ंबर मोहम्मद की सुन्नत का पालन करने वाला

सुन्नत-ए-मोहम्मदी

सुन्नत-ए-इलाही

ईश्वर को जाने वाला पथ

सुन्नत-ए-पैग़म्बरी

पैगंबर साहिब का किया हुआ अमल, जिसके करने से सवाब मिलता है।

सुन्नत-ए-इलाहिय्या

सुन्नत-ए-मुस्तहबा

(फ़िक्ह) पसंद की हुई शैली

सुन्नत-ए-इब्राहीमी

बक़रा'ईद पर पैग़म्बर इब्राहीम की प्रथा के अनुसार जानवर की क़ुर्बानी अर्थात बाली देना

सुन्नतुत-तक़रीरी

sonant

सोतयात: सूती और जुज़ु कलिमा की शक्ल में ।

sennit

तवारीख़: हैट या तिनकों की टोपी या हैट बनने की प्लेटदार बैत या तीलियां।

sennet

तवारीख़: नफ़ीर या किसी फूंकने वाले साज़ पर वाहिद सदा (दूर एलज़बथ के ड्रामों के स्टेज की हिदायात में)

sinnet

जहाज़रानी: आपस में गुँधे हुए रस्से या तनाबें तीन या नौ लड़ों में।

sonneteer

तहक़ीरन: उमूमन: सॉनेट नवीस।

sonneting

चौदह मिसरे की एक किस्म की नज़म

तलाक़-ए-सुन्नत

जादा-ए-सुन्नत

रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का दिखाया हुआ रास्ता, सुन्नत का ढंग

अहल-ए-सुन्नत

(शाब्दिक) सुन्नत वाले लोग, वह जो विधि और नियम का पाबंद हो

किताब-ओ-सुन्नत

सन्नाटे

सन्नाटा

अकेला पन, तन्हा होना, आबादी न होना, वीरानी, ख़ामोशी, मौन, चुप्पी

सन्नाटा पड़ना

उजाड़ होना, सुनसान होना, सन्नाटा छा जाना

सन्नाटे का

सन्नाटा गुज़रना

आश्चर्यचकित होना, हैरत होना

सन्नाटा गुज़र जाना

भय से चुप हो जाना, चकित होना, घबरा जाना, स्तब्ध हो जाना, सिटपिटा जाना

सन्नाटे की हवा

सन्नाटों में

ख़ौफ़ और अंदेशे में, ग़म और फ़िक्र में

सन्नाटा आना

ग़शी तारी होना

सन्नाटा करना

ख़ामोशी तारी करना

सन्नाटा मारना

तेज़ी से उछलना, छलांग लगाना

सन्नाटा छाना

हो का आलम होना, ख़ामोशी तारी होना

सन्नाटा बीतना

बिलकुल शांत हो जाना, गुमसुम हो जाना

सन्नाटा भरना

संस्नाते हुए तेज़ी से उड़ना या निकल जाना, तेज़ी से चलना

सन्नाटा छा जाना

हो का आलम होना, ख़ामोशी तारी होना

सन्नाटे में

सन्नाटा होना

हुआ या तीर वग़ैरा के ज़ोर से चलने की आवाज़ निकलना

सन्नती

सन्नाटे में रह जाना

आश्चर्यचकित रह जाना, हक्का-बक्का रह जाना

सुन्नटा

(बोल चाल) सुनार का बेटा

sinanthropus

क़दीम चीनी बिन मांस का पथराया (मुतहज्जिर) ढांचा ; अब Homo erectus की इस्तिलाह राइज है।

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में आज़ाद-नज़्म के अर्थदेखिए

आज़ाद-नज़्म

aazaad-nazmآزادْ نَظْم

आज़ाद-नज़्म के हिंदी अर्थ

फ़ारसी, अरबी - संज्ञा, स्त्रीलिंग, संयुक्त शब्द

  • मुक्त छंद, उर्दू शायरी की वह विधा जिसमें रदीफ़ काफ़िये की पाबंदी न हो

English meaning of aazaad-nazm

Persian, Arabic - Noun, Feminine, Compound Word

  • free verse, vers libre

آزادْ نَظْم کے اردو معانی

فارسی، عربی - اسم، مؤنث، مرکب لفظ

  • وہ نظم جس كے مصرعوں میں دریف وقوافی كی پابندی نہ ہو اور جس كے مصرعوں میں اركان كی تعداد عروضی قواعد كے برخلاف مختلف ہو

आज़ाद-नज़्म से संबंधित रोचक जानकारी

क़ाफ़िया की क़ैद से आज़ाद होने के लिए पाश्चात्य साहित्य से लाभ उठा कर उर्दू नज़्म की जो विधाएं लोकप्रिय हुईं वह "आज़ाद नज़्म" और "मुअर्रा नज़्म" हैं लेकिन ये वज़न और बहर पर आधारित होती हैं। मुअर्रा नज़्म (blank verse) क़ाफ़िया से वंचित होती हैं, लेकिन सारे मिसरे (पंक्तियां) एक ही बहर और एक ही वज़न में होते हैं, जैसे जां निसार अख़्तर की नज़्म "महकती हुई रात": ये तेरे प्यार की ख़ुशबू से महकती हुई रात अपने सीने में छुपाए तिरे दिल की धड़कन आज फिर तेरी अदा से मिरे पास आई है आज़ाद नज़्म (free Verse) भी किसी एक बहर में लिखी जाती है, लेकिन उसके मिसरे छोटे बड़े होते हैं। मख़दूम मोहिउद्दीन की आज़ाद नज़्म "चारागर" यूं शुरू होती है: इक चमेली के मंडुवे तले मयकदे से ज़रा दूर उस मोड़ पर दो बदन प्यार की आग में जल गए आज़ाद नज़्म में हम क़ाफ़िया मिसरे भी शामिल किए जाते हैं। फ़ैज़ की नज़्म "तुम मेरे पास रहो" देखिए: तुम मेरे पास रहो मिरे क़ातिल मिरे दिलदार मिरे पास रहो जिस घड़ी रात चले आसमानों का लहू पी के सियह रात चले मरहम ए मुश्क लिए नश्तर ए अलमास लिए बैन करती हुई हंसती हुई गाती निकले दर्द के कासिनी पाज़ेब बजाती निकले तसद्दुक़ हुसैन ख़ालिद, मीरा जी और नून मीम राशिद आज़ाद नज़्म के नायक माने जाते हैं। फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, सरदार जाफ़री और अख्तरुल ईमान भी इस विधा के श्रेष्ठ शायर हैं।

लेखक: अज़रा नक़वी

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