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जिस्म

शरीर, काया, देह, घनत्व, बदन

जिस्मिय्या

जिस्म नीला होना

किसी बीमारी या जरयान-ए-ख़ून की वजह से या जिस्म में कोई ज़हरीला माद्दा पैदा होजाने की वजह से नीलाहट का पैदा हो जाना, बदन पर बुद्धियां पड़ना, जिस्म पर मार पीट या चोट के बहुत ज़्यादा निशानात होना

जिस्म आधा होना

शरीर निर्बल हो जाना, क्षीण हो जाना

जिस्म ग़िर्बाल होना

शरीर छलनी होना, बुरी तरह घायल होना

जिस्म ख़लासा होना

(बनकीती) बच जाना, आज़ाद हो जाना

जिस्म काँटा होना

बहुत लागर होना, कमज़ोर-ओ-नातवां होना

जिस्म ठंडा होना

जिस्म का सर्द पड़ जाना, मर जाना

जिस्म को आरासता करना

शरीर पर अस्त्र-शस्त्र आदि बाँधना, शरीर को तरह-तरह की वस्तुओं से सजाना

जिस्म-ए-ता'लीमी

लंबाई चौड़ाई और मोटाई, घनत्व, स्थूलता।

जिस्मियत

शारीरिक स्थिति, भगवान के शरीर में विश्वास

जिस्मानी

जिस्म से संबंधित, जिस्म की, शारीरिक

जिस्म-परवर

जिस्म की परवरिश करने वाला, बदन को पालने वाला

जिस्म-ए-'ऊर

नंगा, नंगा शरीर, नंगा तन

जिस्म-तार

(ज्योतिष विज्ञान) अँधेरी काया अँधेरा गोला

जिस्मी-नज़रिया

जिस्म-नुमा

स्टिरियोस्कोप

जिस्म-ए-जौहरी

जिस्म-पोशी

शरीर छुपाना

जिस्म-ए-तब'ई

जिस्मानियत

लंबाई चौड़ाई और मोटाई या गहराई और ऊँचाई, स्थूलता, घनत्व।।

जिस्मानियात

जिस्म खिलना

शरीर की कुरूपता दूर होना, जिस्म का भद्दापन दूर होना, जिस्म का बा-रौनक़ होना

जिस्म घुलना

रुक : बदन घुलना, धीरे धीरे ताक़त ज़ाइल होना, खाल और हड्डियां रह जाना

जिस्म-मिसाली

जिस्म फुकना

किसी कारण से शरीर का जलना, शरीर का गर्म होना या तपना, तेज़ बुख़ार होना

जिस्म अकड़ना

बुख़ार या किसी और सबब से जिस्म का उन कर सख़्त हो जाना

जिस्म-ए-सुबक

जिस्म-ए-मुहद्दद-ए-जिहात

(दर्शन शास्त्र) वह शरीर जिसके लिए स्थान के परित्याग की आवश्यक्ता नहीं

जिस्म-ए-मुत्लक़

जिस्म-ए-क़ाक़

जिस्म-ए-फ़ानी

नश्वर देह, मिट जाने- वाला शरीर, मानवदेह।

जिस्म-ए-नामी

जिस्म-ए-कुल्ली

जिस्म-ए-सहीह

जिस्म-ए-सक़ील

भारी भरकम जिस्म

जिस्म-ए-सफ़्नी

सख़्त शरीर (चिकित्सा) वह सफ़ेद आड़ा सख़्त क़िस्म का बंद जो दिमाग़ के हर दो आधे हिस्सों अर्थात दाएँ और बाएँ हिस्सों को आपस में मिलाता है

जिस्म-ए-जमादी

जिस्म-ए-हैवानी

जिस्मानी-लना

(मनोविज्ञान) कामना

जिस्मानी-सज़ा

जिस्म-ए-मुख़त्तत

मस्तिष्क का एक भाग जिसमें झुर्री होती है

जिस्मानी-सेहत

जिस्म-ए-सनोबरी

जिस्म-ए-नबाताती

जिस्मानी-तकलीफ़

शरीर की तकलीफ़, बीमार, दर्द, मार वग़ैरा

जिस्मानी-वर्ज़िश

जिस्मानी-नफ़्सियात

शारीरिक मनोविज्ञान, ह शाखा व्यवहार के जैविक आधार का वर्णन करती है

सियाह-जिस्म

दोहरा-जिस्म

'औरत_का_जिस्म

महिला की योनि

आ'ज़ा कटा जिस्म

आ'ज़ा-ए-जिस्म

शरीर के अंग

ब-राह-ए-जिस्म

मुर्दा जानवर का जिस्म

सारा जिस्म ज़बान होना

बहुत बोलना

ख़ुद-जिस्म

सर्द-जिस्म

वह हवा जो कोसों तक ज़मीन के चारों तरफ़ फैली हुई है, कोयलों की भट्टी के तुलना में उस पहाड़ी हवा का तापमान बहुत कम होता है

चोर-जिस्म

ख़ुर्द-जिस्म

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में आज़ाद-नज़्म के अर्थदेखिए

आज़ाद-नज़्म

aazaad-nazmآزادْ نَظْم

आज़ाद-नज़्म के हिंदी अर्थ

फ़ारसी, अरबी - संज्ञा, स्त्रीलिंग, संयुक्त शब्द

  • मुक्त छंद, उर्दू शायरी की वह विधा जिसमें रदीफ़ काफ़िये की पाबंदी न हो

English meaning of aazaad-nazm

Persian, Arabic - Noun, Feminine, Compound Word

  • free verse, vers libre

آزادْ نَظْم کے اردو معانی

فارسی، عربی - اسم، مؤنث، مرکب لفظ

  • وہ نظم جس كے مصرعوں میں دریف وقوافی كی پابندی نہ ہو اور جس كے مصرعوں میں اركان كی تعداد عروضی قواعد كے برخلاف مختلف ہو

आज़ाद-नज़्म से संबंधित रोचक जानकारी

क़ाफ़िया की क़ैद से आज़ाद होने के लिए पाश्चात्य साहित्य से लाभ उठा कर उर्दू नज़्म की जो विधाएं लोकप्रिय हुईं वह "आज़ाद नज़्म" और "मुअर्रा नज़्म" हैं लेकिन ये वज़न और बहर पर आधारित होती हैं। मुअर्रा नज़्म (blank verse) क़ाफ़िया से वंचित होती हैं, लेकिन सारे मिसरे (पंक्तियां) एक ही बहर और एक ही वज़न में होते हैं, जैसे जां निसार अख़्तर की नज़्म "महकती हुई रात": ये तेरे प्यार की ख़ुशबू से महकती हुई रात अपने सीने में छुपाए तिरे दिल की धड़कन आज फिर तेरी अदा से मिरे पास आई है आज़ाद नज़्म (free Verse) भी किसी एक बहर में लिखी जाती है, लेकिन उसके मिसरे छोटे बड़े होते हैं। मख़दूम मोहिउद्दीन की आज़ाद नज़्म "चारागर" यूं शुरू होती है: इक चमेली के मंडुवे तले मयकदे से ज़रा दूर उस मोड़ पर दो बदन प्यार की आग में जल गए आज़ाद नज़्म में हम क़ाफ़िया मिसरे भी शामिल किए जाते हैं। फ़ैज़ की नज़्म "तुम मेरे पास रहो" देखिए: तुम मेरे पास रहो मिरे क़ातिल मिरे दिलदार मिरे पास रहो जिस घड़ी रात चले आसमानों का लहू पी के सियह रात चले मरहम ए मुश्क लिए नश्तर ए अलमास लिए बैन करती हुई हंसती हुई गाती निकले दर्द के कासिनी पाज़ेब बजाती निकले तसद्दुक़ हुसैन ख़ालिद, मीरा जी और नून मीम राशिद आज़ाद नज़्म के नायक माने जाते हैं। फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, सरदार जाफ़री और अख्तरुल ईमान भी इस विधा के श्रेष्ठ शायर हैं।

लेखक: अज़रा नक़वी

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संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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