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'आरिफ़

अल्लाह वाला व्यक्ति, ब्रह्मज्ञानी, जिसने ईश्वर को पहचान लिया, ध्यानी, ज्ञाता, जाननेवाला, परिचित, सूफ़ी

'आरिफ़-ब-हक़

ईश्वर को पहचानने वाला, ब्रह्मज्ञानी, ऋषि, मुनि, वली

'आरिफ़ा

आरिफ़ (रुक) की तानीस, ख़ुदा शनास औरत

'आरिफ़-उल-वुजूद

'आरिफ़ाना

आध्यात्मिक, सूफ़ी संतों जैसा, ऋषियों जैसा, ब्रह्मज्ञानियों जैसा, जोगियों जैसा

'आरिफ़ुल्लाह

ईश्वर को पहचानने वाला, ब्रह्मज्ञानी, ऋषि, मुनि, वली

'आरिफ़िय्यत

आ'रफ़

'आरिफ़ाना-कलाम

आरिफ़-बिल्लाह

ईश्वर को पहचानने वाला, ब्रह्मज्ञानी, ऋषि, मुनि, वली

वली-ए-'आरिफ़

सत्यनिष्ठ उपासक, ब्रह्मज्ञानी, ईश्वर मित्र, सूफ़ी, संत

मर्द-ए-'आरिफ़

दाइरत-उल-म'आरिफ़

विश्वकोश

ग़ैर-मुत'आरिफ़

गुमनाम, अप्रसिद्ध, अविख्यात, अपरिचित

क़ीमत-ए-मुत'आरिफ़

म'आरिफ़-नवाज़ी

मुत'आरफ़ करवाना

उजरत-ए-मुत'आरफ़

किताब-उल-म'आरिफ़

म'आरिफ़-परवरी

म'आरिफ़-परवर

म'आरिफ़

पहचानने के स्थान, परिचय, पहचान, परिचित लोग, दोस्त लोग, मित्रगण, विद्वज्जन, इल्मवाले, बुद्धजीवी, खुदा शनास, नामवर लोग

मुत'आरिफ़

परिचित, पहचानने वाला, शनासा

मु'आरिफ़

मुत'आरफ़

परिचित, चर्चित, प्रसिद्ध, जाना पहचाना, मशहूर

मुत'आरफ़ होना

जाना पहचाना जाना, वाक़िफ़ होना

मुत'आरफ़ कराना

रोशनास कराना, पेश करना, वाक़िफ़ करना

रफ़ी'

उच्च, उत्तुंग, बलंद, श्रेष्ठ, विशिष्ट, | उत्तम, शरीफ़ ।।

मु'आमला रफ़ा' दफ़ा' कराना

मुआमला ख़त्म कराना, झगड़ा चुकाना

रफ़ा'-दफ़ा'

(मुआफ़ी, बीच-बचाव या सहनशीलता इत्यादि से) बात ख़त्म करने, दबाने, झगड़ा मिटाने या तुल जाने का कार्य, न होने के समान, ठंडा, ख़त्म

रफ़ी'-उल-क़द्र

उच्च पदवी वाला, सम्मानित

मु'आमला रफ़ा'-दफ़ा' होना

मुआमला ख़त्म होना

रफ़ा'-दफ़ा' करना

ज़रूरिय्यात रफ़ा' करना

हाजतें पूरी करना, इहितयाजात की तकमील करना, जरूरतों की तकमील, किसी की अग़राज़ पूरी करना

दफ़'आ दफ़'आ

नुबुव्वतुत-ता'रीफ़

दफ़'आ-उल-वक़्ती

समय बिताना

दफ़'-उल-वक़्ती

समय व्यतीत करने का अस्थायी प्रबंध, तुरंत कुछ करने की क्रिया

दफ़-'उल-वक़्त

किसी तरह समय व्यतीत करना, अस्थायी उपाय, मामले को निपटाना

रोफ़ राफ़ करना

तन फुन् करना, पैर पटख़ना

रफ़'आ

‘उ’ की मात्रा, ‘पेश’ की हरकत ।

रफ़'-उल-यदैन

मुस्तग़्नी-'अनित्त'आरुफ़

मिक़दार-ए-मा'रूफ़

ज्ञात मात्रा, वो मात्रा जो मालूम हो, वो रक़म जो मालूम हो

terraced roof

स्पाट छत ख़ुसूसन मशरिक़ी या जुनूबी एशियाई घरों की कोठा अटारी , बाम मंज़िल ।

दफ़'-ए-दख़्ल-ए-मुक़द्दर

राफ़ि'

हवाई-दिफ़ा'

दाफ़ि'-ए-क़ब्ज़

अ वि.कब्ज को रफ़ा करनेवाला।

रफ़ी'उद्दरजात

उच्च ग्रेड वाला (ईश्वर के लिए इस्तेमाल किया जाता है) अतिरंजित, उच्च, भव्य स्थिति और स्थान का मालिक

रफ़ा'-दाद

भरपाई, क्षतिपूर्ति, मुआवज़ा

दिफ़ा'

रक्षा, बचाव, हिफ़ाज़त, प्रतिरक्षा

ज़रूरत राफ़ा होना

ज़रूरत पूरी होना, काम चलना

दाफ़े'

निवारण करने वाला, (दुख दर्द इत्यादि) दूर करने वाला, मिटाने वाला, दूर रखने वाला

ज़रूरत रफ़ा' करना

आवश्यकता पूरी करना, स्वार्थ सिद्ध करना, काम चलाना

रफ़ी'उश्शान

बहुत बड़ी शान, प्रतिष्ठा और इज्ज़त वाला।

रफ़'-ए-ए'तिराज़ करना

दाफ़े'-उल-बल्लियात

वज़ीर-ए-दिफ़ा'

रक्षामंत्री।।

विज़रत-ए-दिफ़ा'

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में आज़ाद-नज़्म के अर्थदेखिए

आज़ाद-नज़्म

aazaad-nazmآزادْ نَظْم

आज़ाद-नज़्म के हिंदी अर्थ

फ़ारसी, अरबी - संज्ञा, स्त्रीलिंग, संयुक्त शब्द

  • मुक्त छंद, उर्दू शायरी की वह विधा जिसमें रदीफ़ काफ़िये की पाबंदी न हो

English meaning of aazaad-nazm

Persian, Arabic - Noun, Feminine, Compound Word

  • free verse, vers libre

آزادْ نَظْم کے اردو معانی

فارسی، عربی - اسم، مؤنث، مرکب لفظ

  • وہ نظم جس كے مصرعوں میں دریف وقوافی كی پابندی نہ ہو اور جس كے مصرعوں میں اركان كی تعداد عروضی قواعد كے برخلاف مختلف ہو

आज़ाद-नज़्म से संबंधित रोचक जानकारी

क़ाफ़िया की क़ैद से आज़ाद होने के लिए पाश्चात्य साहित्य से लाभ उठा कर उर्दू नज़्म की जो विधाएं लोकप्रिय हुईं वह "आज़ाद नज़्म" और "मुअर्रा नज़्म" हैं लेकिन ये वज़न और बहर पर आधारित होती हैं। मुअर्रा नज़्म (blank verse) क़ाफ़िया से वंचित होती हैं, लेकिन सारे मिसरे (पंक्तियां) एक ही बहर और एक ही वज़न में होते हैं, जैसे जां निसार अख़्तर की नज़्म "महकती हुई रात": ये तेरे प्यार की ख़ुशबू से महकती हुई रात अपने सीने में छुपाए तिरे दिल की धड़कन आज फिर तेरी अदा से मिरे पास आई है आज़ाद नज़्म (free Verse) भी किसी एक बहर में लिखी जाती है, लेकिन उसके मिसरे छोटे बड़े होते हैं। मख़दूम मोहिउद्दीन की आज़ाद नज़्म "चारागर" यूं शुरू होती है: इक चमेली के मंडुवे तले मयकदे से ज़रा दूर उस मोड़ पर दो बदन प्यार की आग में जल गए आज़ाद नज़्म में हम क़ाफ़िया मिसरे भी शामिल किए जाते हैं। फ़ैज़ की नज़्म "तुम मेरे पास रहो" देखिए: तुम मेरे पास रहो मिरे क़ातिल मिरे दिलदार मिरे पास रहो जिस घड़ी रात चले आसमानों का लहू पी के सियह रात चले मरहम ए मुश्क लिए नश्तर ए अलमास लिए बैन करती हुई हंसती हुई गाती निकले दर्द के कासिनी पाज़ेब बजाती निकले तसद्दुक़ हुसैन ख़ालिद, मीरा जी और नून मीम राशिद आज़ाद नज़्म के नायक माने जाते हैं। फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, सरदार जाफ़री और अख्तरुल ईमान भी इस विधा के श्रेष्ठ शायर हैं।

लेखक: अज़रा नक़वी

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