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मज़ीद कुछ नहीं

नौ मुरस्सा'

جسے حال ہی میں جواہرات سے آراستہ کیا گیا ہو ؛ جس میں نئے نئے جواہر جڑے ہوں ۔

नौ-मुरीद

a recent convert

नौ-मुरीदा

जो नया-नया अनुयायी हुआ हो, (व्यंगात्मक) वह व्यक्ति जो शिष्य होने के आदत और शिष्टाचार से पूरी तरह परिचित न हो या उनका ग़लत प्रयोग करता हो

न मारे चैन न मराए चैन

किसी पल सुकून नहीं, किसी सूरत में राज़ी नहीं, जब कोई किसी भी बात पर न ठहरे तो कहते हैं

न मारे मरे न काटे कटे

जो परेशानी किसी तरह दूर ना हो उस के संबंध में और जो वस्तु बहुत मज़बूत हो उस के पक्ष में बोलते हैं

न मारी मरे , ना काटी कटे

जो मुसीबत किसी तरह दूर ना हो उस की निसबत और निहायत मज़बूत शैय के हक़ में बोलते हैं

पड़ न मरे लड़ मरे

अज्ञानी झगड़ालू के बारे में कहते हैं, निठल्लेपन से बेरोज़गारी बेहतर है

अंधों ने गाँव मारा दौड़ियो बे लंगड़ो

अयोग्यों के दोस्त भी अयोग्य, निकम्मों के साथी भी निकम्मे होते हैं

लिखे न पढ़े दूध मारे कढ़े

गुण कीच नहीं मगर मौज-मस्ती करता है

कव्वे ने दिया टुकड़ा तो मेरा गया भुकड़ा

थोड़ी आमदनी से गुज़ारा करना

सियाम न छोड़ो , छोड़ो न समेत , दोनों मारो एक ही खेत

दुश्मनों का लिहाज़ करना चाहिए उसे तबाह करना चाहिए ख़ाह वो सिया हो या सफ़ैद

रुवाँ न धुवाँ बीवी मारे जुवाँ

बेकार या निखट्टू है, कुछ नहीं करता धर्ता

रुवाँ न धुवाँ बीवी मारे जुँवाँ

बेकार या निखट्टू है, कुछ नहीं करता धर्ता

सब तोड़ें पर मेरा एक रब न तोड़े

सारी दुनिया नाराज़ हो मगर ख़ुदा नाराज़ ना हो

बाप न मारे पिदड़ी बेटा गो-अंदाज़

बाप दादा से कुछ हो नहीं सका बेटा सोरमाई दिखाता है (वो लोग जिन के बुज़ुर्गों से कुछ ना होसका, जब बढ़ चढ़ कर दावे करते हैं तो इस मौक़ा पे तंज़िया कहा जाता है)

गधे को ज़ा'फ़रान दी, उस ने कहा, मेरी आँख फोड़ी

बुरे के साथ सुलूक करना भी बुराई है

बाप न मारे पिदड़ी बेटा तीर-अंदाज़

बाप दादा से कुछ हो नहीं सका बेटा सोरमाई दिखाता है (वो लोग जिन के बुज़ुर्गों से कुछ ना होसका, जब बढ़ चढ़ कर दावे करते हैं तो इस मौक़ा पे तंज़िया कहा जाता है)

दूल्हा ने दुल्हन पाई, शहबाले ने गाँड़ मराई

शहि बाला एक छोटा लड़का होता है जो दूल्हा के साथ रहता है उसे गालियां पड़ती हैं

मरे न पीछा छोड़े

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मारा मुँह तबाक़ आगे धरा न खाए

मारे हुए आदमी का खाने को भी दिल नहीं चाहता

ठाड़ा मारे और रोने न दे

बलपूर्वक अपनी मनमानी करता है

क्या हिजड़ों ने राह मारी है

आने से क्यों डरते हो, डरने की क्या बात है

छटी न सत्वाँसा , मेरा लाडला नवासा

देना ना लेना ख़ातिरदारी बहुत यानी ख़ुशक मुहब्बत जताई

कोई न पूछे बात मेरा धन सुहागन नाम

कोई पूछे न गिने आप ही आप इतरावे

होते ही न मरा जो कफ़न थोड़ा लगना

रुक : होते ही क्यों ना मर गया , ऐसे शख़्स की निसबत बोलते हैं जिस से सख़्त नफ़रत हो, ऐसा शख़्स पैदा ही ना होता तो बेहतर था कि ज़्यादा कफ़न भी ना देना पड़ता या बुरा आदमी अगर पैदा होते ही मर जाये तो अच्छा है

कोई पूछे न पूछे , मेरा धन सुहागन नाम

आप ही आप इतराए जाना चाहे कोई पूछे या ना पूछे

माई बाप के लातें मारे मेहरी देख जुड़ाय, चारों धाम जो फिरे आवे तबहूँ पाप न जाय

जो अपनी बीवी की ख़ातिर माता-पिता को मारे यदि वो सारी दुनिया के तीर्थ फिर आए फिर भी उसका पाप नहीं धुलेंगे

ढोर मरे न कव्वा खाए

फ़ुज़ूल उम्मीद के मौक़ा पर कहते हैं

पठानों ने गाँव मारा , जुलाहों की चढ़ बनी

फ़ातिहों के पास उमूमन शुरू में कमीने लोग ही आते हैं मोअज़्ज़िज़ीन दूर ही रहते हैं

ज़बरदस्त मारे और रोने न दे

ऐसे अवसर पर प्रयुक्त जब कोई व्यक्ति अत्यचार करे और शिकायत भी न करने दे

मैं दूसरा मेरा भाई तीसरा हज्जाम नाई

उस समय प्रयुक्त है जब कोई व्यक्ति (प्रायः दावत में) बहुत से आदमी अपने साथ लेकर आए और यह प्रकट करे कि मेरे साथ तो बहुत कम आदमी हैं

क़ाज़ी जी की लौंडी मरी सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया

जिसका मुँह होता है उसकी वजह से सबका सम्मान होता है, जब वह मर जाता है तो कोई नहीं पूछता, जीते जी को सब चाहते हैं, मुँह देखे का सब सम्मान करते हैं, बड़े आदमी के जीवन में लोग आदर-सत्कार या आवभगत करते हैं उसके मरने के बाद कोई उसका नाम तक नहीं लेता, बहुत से काम बड़े आदमियों को ख़ुश करने के लिए ही किए जात हैं, उनके मरने पर उन्हें कोई नहीं पूछता, क्योंकि फिर उनसे कोई काम नहीं

ज़ख़्मी दुश्मनों में दम ले तो मरे न ले तो मरे

हर हालत में बर्बादी है, बचने का रासता नहीं

धम धम हेच न ग़म, मरे सो हम

सब से ज़्यादा मुसीबत हम पर है (नजम उल-मिसाल)

तीर न कमान, मेरे चचा ख़ूब लड़े

स्वयं अपनी प्रशंसा करने पर व्यंग है

राँड मरे , न खंडर ढए

रांड और खन्डर की उम्र बहुत तवील होती है

रीत न सत्वाँसा मेरा लाडला नवासा

मुहब्बत तो बहुत ज़ाहिर करे मगर ख़र्च कुछ नहीं करे तो कहते हैं

मारे न चूही, नाम फ़तेह ख़ाँ

मुफ़्त में बहादुर प्रसिद्ध हो गए

बुढ़िया मरी तो मरी फ़रिश्तों ने घर देख लिया

एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया

गर्दन वहाँ मारे जहाँ पानी न मिले

थोड़ा भी दया के क़ाबिल, योग्य नहीं है, अत्याचारी दुष्ट और भ्रष्ट आदमी के संबंध में कहते हैं

ना मर्द मरे नान पर और मर्द मरे नाम पर

बुज़दिल और कम हौसला आदमी की हिम्मत माल-ओ-दौलत तक महिदूद होती है लेकिन शरीफ़ और बहादुर आदमी अपनी इज़्ज़त के लिए जान देने में भी दरेग़ नहीं करता

छटी न सत्वाँसा अमीर-उल-उमरा का नवासा

मामूली हैसियत का हो कर अपने आप को बहुत कुछ समझे तो कहते हैं

कमानी न पहिया गाड़ी जोत मेरे भैया

किमी काम का पहले से कोई संबंध है ही नहीं फिर भी उसे करने की तैयारी करना

मर्द को ना मर्द मारे बनिए को

नामर्द कमज़ोर से लड़ता है

ख़सम न पूछे बात मेरा धन्ना सुहागन नाम

कोई मुँह लगाना नहीं पर आप ही इतराता है

चल न सकूँ मिरा कुद्दन नाम

ताक़त से ज़ियादा दावा करने वाले बच्चे के लिए प्रयुक्त, उलटी बात, नाम बड़ा और ख़ूबी कुछ नहीं

दादा ने पुन किया पोतों ने गाँड मराई

नाख़लफ़ औलाद से ख़ानदान की बदनामी होती है

चूतियों ने गाँव मारा है

यह कहावत उस समय कहते हैं जब किसी को मूर्ख बना कर बहुत अधिक माँगा जाए

माया मरी न मन मरे मर मर गए सरीर, आसा तिरिश्ना न मरे कह गए दास कबीर

ना तो क़ुदरत मरती है ना दिल ना ख़ाहिश ना उम््ीद, बदन मर जाता है उम्मीदवार प्यासा रह जाता है

उरद कहै मेरे माथे टीका, मो बिन ब्याह न होवै नीका

सब अपने आप को बड़ा समझते हैं और समझते हैं कि उनके बिना काम नहीं हो सकता

ये मेरी सिक्षा मान प्यारा, साैदा कधे न बेच उधारा

मेरा यह सदुपदेश याद रखो प्यारे उधार कभी नहीं बेचना चाहिये

वहाँ लटका के मारे जहाँ पानी न मिले

रुक : वहां गर्दन मारीए अलख

गधे की आँख में नोन दिया, उस ने कहा, मेरी आँखें फोड़ दीं

तुच्छ आदमी एहसान नहीं मानता

नादिर तेरे हाैलों ने मारा

नादिर शाह के क़हर-ओ-ग़ज़ब की तरफ़ इशारा है जिस ने मुहम्मद शाह रंगीले के अह्द में दिल्ली में क़तल-ए-आम किराया था और जिस के ख़ौफ़-ओ-दहश्त से दिल्ली की औरतों के हमल साक़ित हो जाते थे

बाले की माँ और बूढ़े की जोरू को ख़ुदा न मारे

ना फिर उस को माँ मिलेगी ना उस को जोरू हाथ आएगी यानी इस उम्र का आदमी दूसरे का मुहताज होता है

सर्दी का मारा पनपे है अन्न का मारा न पनपे

चाहे कपड़ा ना हो मगर पेट को रवी ज़रूर चाहिए, सर्दी का मारा बच जाता है फ़ाक़ों का मारा नहीं बचता

कन्त न पूछे बात री, मेरा धन सुहागन नाम

पति बात नहीं पूछता, कहने को में सुहागन हूँ

शैतान जान न मारे तो हैरान ज़रूर करे

शैतान मारता तो नहीं है परंतु मनुष्य को बहुत परेशान करता है

राम ना मारे , अपनी मराए

ख़ुदा नहीं मारता अपनी बेवक़ूफ़ी तबाह कराती है

no more के लिए उर्दू शब्द

no more

no more के देवनागरी में उर्दू अर्थ

संज्ञा

  • मज़ीद कुछ नहीं

विशेषण

  • मज़ीद या ज़्यादा का उलट

क्रिया-विशेषण

  • इस से ज़्यादा 'अर्से तक नहीं
  • फिर कभी नहीं
  • इससे बढ़-कर, बेहतर या मुतजाविज़ नहीं
  • अला-हाज़-अल-क़यास, नहीं, किसी तरह नहीं

no more کے اردو معانی

اسم

  • مزید کچھ نہیں:

صفت

  • مزید یا زیادہ کا الٹ:

فعل متعلق

  • اس سے زیادہ عرصے تک نہیں۔.
  • پھر کبھی نہیں ۔.
  • اس سے بڑھ کر ، بہتر یا متجاوز نہیں:
  • علی ہٰذا القیاس، نہیں، کسی طرح نہیں:

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मज़ीद कुछ नहीं

नौ मुरस्सा'

جسے حال ہی میں جواہرات سے آراستہ کیا گیا ہو ؛ جس میں نئے نئے جواہر جڑے ہوں ۔

नौ-मुरीद

a recent convert

नौ-मुरीदा

जो नया-नया अनुयायी हुआ हो, (व्यंगात्मक) वह व्यक्ति जो शिष्य होने के आदत और शिष्टाचार से पूरी तरह परिचित न हो या उनका ग़लत प्रयोग करता हो

न मारे चैन न मराए चैन

किसी पल सुकून नहीं, किसी सूरत में राज़ी नहीं, जब कोई किसी भी बात पर न ठहरे तो कहते हैं

न मारे मरे न काटे कटे

जो परेशानी किसी तरह दूर ना हो उस के संबंध में और जो वस्तु बहुत मज़बूत हो उस के पक्ष में बोलते हैं

न मारी मरे , ना काटी कटे

जो मुसीबत किसी तरह दूर ना हो उस की निसबत और निहायत मज़बूत शैय के हक़ में बोलते हैं

पड़ न मरे लड़ मरे

अज्ञानी झगड़ालू के बारे में कहते हैं, निठल्लेपन से बेरोज़गारी बेहतर है

अंधों ने गाँव मारा दौड़ियो बे लंगड़ो

अयोग्यों के दोस्त भी अयोग्य, निकम्मों के साथी भी निकम्मे होते हैं

लिखे न पढ़े दूध मारे कढ़े

गुण कीच नहीं मगर मौज-मस्ती करता है

कव्वे ने दिया टुकड़ा तो मेरा गया भुकड़ा

थोड़ी आमदनी से गुज़ारा करना

सियाम न छोड़ो , छोड़ो न समेत , दोनों मारो एक ही खेत

दुश्मनों का लिहाज़ करना चाहिए उसे तबाह करना चाहिए ख़ाह वो सिया हो या सफ़ैद

रुवाँ न धुवाँ बीवी मारे जुवाँ

बेकार या निखट्टू है, कुछ नहीं करता धर्ता

रुवाँ न धुवाँ बीवी मारे जुँवाँ

बेकार या निखट्टू है, कुछ नहीं करता धर्ता

सब तोड़ें पर मेरा एक रब न तोड़े

सारी दुनिया नाराज़ हो मगर ख़ुदा नाराज़ ना हो

बाप न मारे पिदड़ी बेटा गो-अंदाज़

बाप दादा से कुछ हो नहीं सका बेटा सोरमाई दिखाता है (वो लोग जिन के बुज़ुर्गों से कुछ ना होसका, जब बढ़ चढ़ कर दावे करते हैं तो इस मौक़ा पे तंज़िया कहा जाता है)

गधे को ज़ा'फ़रान दी, उस ने कहा, मेरी आँख फोड़ी

बुरे के साथ सुलूक करना भी बुराई है

बाप न मारे पिदड़ी बेटा तीर-अंदाज़

बाप दादा से कुछ हो नहीं सका बेटा सोरमाई दिखाता है (वो लोग जिन के बुज़ुर्गों से कुछ ना होसका, जब बढ़ चढ़ कर दावे करते हैं तो इस मौक़ा पे तंज़िया कहा जाता है)

दूल्हा ने दुल्हन पाई, शहबाले ने गाँड़ मराई

शहि बाला एक छोटा लड़का होता है जो दूल्हा के साथ रहता है उसे गालियां पड़ती हैं

मरे न पीछा छोड़े

वृद्ध व्यक्ति के संबंध में कहते हैं जो बीमार हो और मरे नहीं

मारा मुँह तबाक़ आगे धरा न खाए

मारे हुए आदमी का खाने को भी दिल नहीं चाहता

ठाड़ा मारे और रोने न दे

बलपूर्वक अपनी मनमानी करता है

क्या हिजड़ों ने राह मारी है

आने से क्यों डरते हो, डरने की क्या बात है

छटी न सत्वाँसा , मेरा लाडला नवासा

देना ना लेना ख़ातिरदारी बहुत यानी ख़ुशक मुहब्बत जताई

कोई न पूछे बात मेरा धन सुहागन नाम

कोई पूछे न गिने आप ही आप इतरावे

होते ही न मरा जो कफ़न थोड़ा लगना

रुक : होते ही क्यों ना मर गया , ऐसे शख़्स की निसबत बोलते हैं जिस से सख़्त नफ़रत हो, ऐसा शख़्स पैदा ही ना होता तो बेहतर था कि ज़्यादा कफ़न भी ना देना पड़ता या बुरा आदमी अगर पैदा होते ही मर जाये तो अच्छा है

कोई पूछे न पूछे , मेरा धन सुहागन नाम

आप ही आप इतराए जाना चाहे कोई पूछे या ना पूछे

माई बाप के लातें मारे मेहरी देख जुड़ाय, चारों धाम जो फिरे आवे तबहूँ पाप न जाय

जो अपनी बीवी की ख़ातिर माता-पिता को मारे यदि वो सारी दुनिया के तीर्थ फिर आए फिर भी उसका पाप नहीं धुलेंगे

ढोर मरे न कव्वा खाए

फ़ुज़ूल उम्मीद के मौक़ा पर कहते हैं

पठानों ने गाँव मारा , जुलाहों की चढ़ बनी

फ़ातिहों के पास उमूमन शुरू में कमीने लोग ही आते हैं मोअज़्ज़िज़ीन दूर ही रहते हैं

ज़बरदस्त मारे और रोने न दे

ऐसे अवसर पर प्रयुक्त जब कोई व्यक्ति अत्यचार करे और शिकायत भी न करने दे

मैं दूसरा मेरा भाई तीसरा हज्जाम नाई

उस समय प्रयुक्त है जब कोई व्यक्ति (प्रायः दावत में) बहुत से आदमी अपने साथ लेकर आए और यह प्रकट करे कि मेरे साथ तो बहुत कम आदमी हैं

क़ाज़ी जी की लौंडी मरी सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया

जिसका मुँह होता है उसकी वजह से सबका सम्मान होता है, जब वह मर जाता है तो कोई नहीं पूछता, जीते जी को सब चाहते हैं, मुँह देखे का सब सम्मान करते हैं, बड़े आदमी के जीवन में लोग आदर-सत्कार या आवभगत करते हैं उसके मरने के बाद कोई उसका नाम तक नहीं लेता, बहुत से काम बड़े आदमियों को ख़ुश करने के लिए ही किए जात हैं, उनके मरने पर उन्हें कोई नहीं पूछता, क्योंकि फिर उनसे कोई काम नहीं

ज़ख़्मी दुश्मनों में दम ले तो मरे न ले तो मरे

हर हालत में बर्बादी है, बचने का रासता नहीं

धम धम हेच न ग़म, मरे सो हम

सब से ज़्यादा मुसीबत हम पर है (नजम उल-मिसाल)

तीर न कमान, मेरे चचा ख़ूब लड़े

स्वयं अपनी प्रशंसा करने पर व्यंग है

राँड मरे , न खंडर ढए

रांड और खन्डर की उम्र बहुत तवील होती है

रीत न सत्वाँसा मेरा लाडला नवासा

मुहब्बत तो बहुत ज़ाहिर करे मगर ख़र्च कुछ नहीं करे तो कहते हैं

मारे न चूही, नाम फ़तेह ख़ाँ

मुफ़्त में बहादुर प्रसिद्ध हो गए

बुढ़िया मरी तो मरी फ़रिश्तों ने घर देख लिया

एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया

गर्दन वहाँ मारे जहाँ पानी न मिले

थोड़ा भी दया के क़ाबिल, योग्य नहीं है, अत्याचारी दुष्ट और भ्रष्ट आदमी के संबंध में कहते हैं

ना मर्द मरे नान पर और मर्द मरे नाम पर

बुज़दिल और कम हौसला आदमी की हिम्मत माल-ओ-दौलत तक महिदूद होती है लेकिन शरीफ़ और बहादुर आदमी अपनी इज़्ज़त के लिए जान देने में भी दरेग़ नहीं करता

छटी न सत्वाँसा अमीर-उल-उमरा का नवासा

मामूली हैसियत का हो कर अपने आप को बहुत कुछ समझे तो कहते हैं

कमानी न पहिया गाड़ी जोत मेरे भैया

किमी काम का पहले से कोई संबंध है ही नहीं फिर भी उसे करने की तैयारी करना

मर्द को ना मर्द मारे बनिए को

नामर्द कमज़ोर से लड़ता है

ख़सम न पूछे बात मेरा धन्ना सुहागन नाम

कोई मुँह लगाना नहीं पर आप ही इतराता है

चल न सकूँ मिरा कुद्दन नाम

ताक़त से ज़ियादा दावा करने वाले बच्चे के लिए प्रयुक्त, उलटी बात, नाम बड़ा और ख़ूबी कुछ नहीं

दादा ने पुन किया पोतों ने गाँड मराई

नाख़लफ़ औलाद से ख़ानदान की बदनामी होती है

चूतियों ने गाँव मारा है

यह कहावत उस समय कहते हैं जब किसी को मूर्ख बना कर बहुत अधिक माँगा जाए

माया मरी न मन मरे मर मर गए सरीर, आसा तिरिश्ना न मरे कह गए दास कबीर

ना तो क़ुदरत मरती है ना दिल ना ख़ाहिश ना उम््ीद, बदन मर जाता है उम्मीदवार प्यासा रह जाता है

उरद कहै मेरे माथे टीका, मो बिन ब्याह न होवै नीका

सब अपने आप को बड़ा समझते हैं और समझते हैं कि उनके बिना काम नहीं हो सकता

ये मेरी सिक्षा मान प्यारा, साैदा कधे न बेच उधारा

मेरा यह सदुपदेश याद रखो प्यारे उधार कभी नहीं बेचना चाहिये

वहाँ लटका के मारे जहाँ पानी न मिले

रुक : वहां गर्दन मारीए अलख

गधे की आँख में नोन दिया, उस ने कहा, मेरी आँखें फोड़ दीं

तुच्छ आदमी एहसान नहीं मानता

नादिर तेरे हाैलों ने मारा

नादिर शाह के क़हर-ओ-ग़ज़ब की तरफ़ इशारा है जिस ने मुहम्मद शाह रंगीले के अह्द में दिल्ली में क़तल-ए-आम किराया था और जिस के ख़ौफ़-ओ-दहश्त से दिल्ली की औरतों के हमल साक़ित हो जाते थे

बाले की माँ और बूढ़े की जोरू को ख़ुदा न मारे

ना फिर उस को माँ मिलेगी ना उस को जोरू हाथ आएगी यानी इस उम्र का आदमी दूसरे का मुहताज होता है

सर्दी का मारा पनपे है अन्न का मारा न पनपे

चाहे कपड़ा ना हो मगर पेट को रवी ज़रूर चाहिए, सर्दी का मारा बच जाता है फ़ाक़ों का मारा नहीं बचता

कन्त न पूछे बात री, मेरा धन सुहागन नाम

पति बात नहीं पूछता, कहने को में सुहागन हूँ

शैतान जान न मारे तो हैरान ज़रूर करे

शैतान मारता तो नहीं है परंतु मनुष्य को बहुत परेशान करता है

राम ना मारे , अपनी मराए

ख़ुदा नहीं मारता अपनी बेवक़ूफ़ी तबाह कराती है

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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