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no more के लिए उर्दू शब्द
no more के देवनागरी में उर्दू अर्थ
संज्ञा
- मज़ीद कुछ नहीं
विशेषण
- मज़ीद या ज़्यादा का उलट
क्रिया-विशेषण
- इस से ज़्यादा 'अर्से तक नहीं
- फिर कभी नहीं
- इससे बढ़-कर, बेहतर या मुतजाविज़ नहीं
- अला-हाज़-अल-क़यास, नहीं, किसी तरह नहीं
no more کے اردو معانی
اسم
- مزید کچھ نہیں:
صفت
- مزید یا زیادہ کا الٹ:
فعل متعلق
- اس سے زیادہ عرصے تک نہیں۔.
- پھر کبھی نہیں ۔.
- اس سے بڑھ کر ، بہتر یا متجاوز نہیں:
- علی ہٰذا القیاس، نہیں، کسی طرح نہیں:
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नौ-मुरीदा
जो नया-नया अनुयायी हुआ हो, (व्यंगात्मक) वह व्यक्ति जो शिष्य होने के आदत और शिष्टाचार से पूरी तरह परिचित न हो या उनका ग़लत प्रयोग करता हो
न मारे चैन न मराए चैन
किसी पल सुकून नहीं, किसी सूरत में राज़ी नहीं, जब कोई किसी भी बात पर न ठहरे तो कहते हैं
न मारे मरे न काटे कटे
जो परेशानी किसी तरह दूर ना हो उस के संबंध में और जो वस्तु बहुत मज़बूत हो उस के पक्ष में बोलते हैं
न मारी मरे , ना काटी कटे
जो मुसीबत किसी तरह दूर ना हो उस की निसबत और निहायत मज़बूत शैय के हक़ में बोलते हैं
अंधों ने गाँव मारा दौड़ियो बे लंगड़ो
अयोग्यों के दोस्त भी अयोग्य, निकम्मों के साथी भी निकम्मे होते हैं
सियाम न छोड़ो , छोड़ो न समेत , दोनों मारो एक ही खेत
दुश्मनों का लिहाज़ करना चाहिए उसे तबाह करना चाहिए ख़ाह वो सिया हो या सफ़ैद
बाप न मारे पिदड़ी बेटा गो-अंदाज़
बाप दादा से कुछ हो नहीं सका बेटा सोरमाई दिखाता है (वो लोग जिन के बुज़ुर्गों से कुछ ना होसका, जब बढ़ चढ़ कर दावे करते हैं तो इस मौक़ा पे तंज़िया कहा जाता है)
बाप न मारे पिदड़ी बेटा तीर-अंदाज़
बाप दादा से कुछ हो नहीं सका बेटा सोरमाई दिखाता है (वो लोग जिन के बुज़ुर्गों से कुछ ना होसका, जब बढ़ चढ़ कर दावे करते हैं तो इस मौक़ा पे तंज़िया कहा जाता है)
दूल्हा ने दुल्हन पाई, शहबाले ने गाँड़ मराई
शहि बाला एक छोटा लड़का होता है जो दूल्हा के साथ रहता है उसे गालियां पड़ती हैं
होते ही न मरा जो कफ़न थोड़ा लगना
रुक : होते ही क्यों ना मर गया , ऐसे शख़्स की निसबत बोलते हैं जिस से सख़्त नफ़रत हो, ऐसा शख़्स पैदा ही ना होता तो बेहतर था कि ज़्यादा कफ़न भी ना देना पड़ता या बुरा आदमी अगर पैदा होते ही मर जाये तो अच्छा है
माई बाप के लातें मारे मेहरी देख जुड़ाय, चारों धाम जो फिरे आवे तबहूँ पाप न जाय
जो अपनी बीवी की ख़ातिर माता-पिता को मारे यदि वो सारी दुनिया के तीर्थ फिर आए फिर भी उसका पाप नहीं धुलेंगे
पठानों ने गाँव मारा , जुलाहों की चढ़ बनी
फ़ातिहों के पास उमूमन शुरू में कमीने लोग ही आते हैं मोअज़्ज़िज़ीन दूर ही रहते हैं
मैं दूसरा मेरा भाई तीसरा हज्जाम नाई
उस समय प्रयुक्त है जब कोई व्यक्ति (प्रायः दावत में) बहुत से आदमी अपने साथ लेकर आए और यह प्रकट करे कि मेरे साथ तो बहुत कम आदमी हैं
क़ाज़ी जी की लौंडी मरी सारा शहर आया, क़ाज़ी मरे कोई न आया
जिसका मुँह होता है उसकी वजह से सबका सम्मान होता है, जब वह मर जाता है तो कोई नहीं पूछता, जीते जी को सब चाहते हैं, मुँह देखे का सब सम्मान करते हैं, बड़े आदमी के जीवन में लोग आदर-सत्कार या आवभगत करते हैं उसके मरने के बाद कोई उसका नाम तक नहीं लेता, बहुत से काम बड़े आदमियों को ख़ुश करने के लिए ही किए जात हैं, उनके मरने पर उन्हें कोई नहीं पूछता, क्योंकि फिर उनसे कोई काम नहीं
बुढ़िया मरी तो मरी फ़रिश्तों ने घर देख लिया
एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया
गर्दन वहाँ मारे जहाँ पानी न मिले
थोड़ा भी दया के क़ाबिल, योग्य नहीं है, अत्याचारी दुष्ट और भ्रष्ट आदमी के संबंध में कहते हैं
ना मर्द मरे नान पर और मर्द मरे नाम पर
बुज़दिल और कम हौसला आदमी की हिम्मत माल-ओ-दौलत तक महिदूद होती है लेकिन शरीफ़ और बहादुर आदमी अपनी इज़्ज़त के लिए जान देने में भी दरेग़ नहीं करता
कमानी न पहिया गाड़ी जोत मेरे भैया
किमी काम का पहले से कोई संबंध है ही नहीं फिर भी उसे करने की तैयारी करना
चल न सकूँ मिरा कुद्दन नाम
ताक़त से ज़ियादा दावा करने वाले बच्चे के लिए प्रयुक्त, उलटी बात, नाम बड़ा और ख़ूबी कुछ नहीं
माया मरी न मन मरे मर मर गए सरीर, आसा तिरिश्ना न मरे कह गए दास कबीर
ना तो क़ुदरत मरती है ना दिल ना ख़ाहिश ना उम््ीद, बदन मर जाता है उम्मीदवार प्यासा रह जाता है
उरद कहै मेरे माथे टीका, मो बिन ब्याह न होवै नीका
सब अपने आप को बड़ा समझते हैं और समझते हैं कि उनके बिना काम नहीं हो सकता
ये मेरी सिक्षा मान प्यारा, साैदा कधे न बेच उधारा
मेरा यह सदुपदेश याद रखो प्यारे उधार कभी नहीं बेचना चाहिये
नादिर तेरे हाैलों ने मारा
नादिर शाह के क़हर-ओ-ग़ज़ब की तरफ़ इशारा है जिस ने मुहम्मद शाह रंगीले के अह्द में दिल्ली में क़तल-ए-आम किराया था और जिस के ख़ौफ़-ओ-दहश्त से दिल्ली की औरतों के हमल साक़ित हो जाते थे
बाले की माँ और बूढ़े की जोरू को ख़ुदा न मारे
ना फिर उस को माँ मिलेगी ना उस को जोरू हाथ आएगी यानी इस उम्र का आदमी दूसरे का मुहताज होता है
संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .
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