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सुकून-ए-क़ल्ब

दिल का इतमीनान, दिल की शांति, आराम, सहायता, चैन और सुख

शरीक-ए-हयात

ज़िंदगी का दोस्त या साथी, अर्थात: जीवनसंगिनी, पत्नी, भार्या, पति

मशवरत

आपस में सोच विचार एवं सलाह या राय का आदान-प्रदान करना, सलाह, मशवरा, परस्पर सुझाव

सितमगर

(प्रायः कविता में) प्रेमिका, माशूक़, महबूब

कोशिश

कोई काम करने के लिए विशेष रूप से किया जानेवाला प्रयत्न, मेहनत, दौड़ धूप, प्रयत्न, प्रयास, चेष्टा, उद्योग, श्रम, उद्यम, उपाय, परिश्रम

बे-नियाज़

जिसे किसी से कुछ लेने की इच्छा न हो निःस्पृह, स्वच्छंद, आज़ाद, बेपरवाह

दीद के क़ाबिल

देखने के लायक़, देखने योग्य

क़ाबिल-ए-दीद

देखने लायक़, अच्छा दिखने वाला

आठ बार नौ त्योहार

सुख-सुविधा और आराम का शौक़ या लगन ऐसा बढ़ा हुआ है कि युग और समय उसको अल्प व्यय नहीं करने देता

चमनिस्तान

ऐसा बाग़ जहाँ फूल ही फूल हों, ऐसी जगह जहाँ दूर तक फूल ही फूल और हरा भरा नज़र आए, वाटिका, चमन, बाग़

'औरत

जाया, भार्या, पत्नी, जोरू

ताग़ूत

शैतान, अत्यन्त निर्दय और अत्याचारी व्यक्ति

मन-भावन

मन को भाने या अच्छा लगने वाला

दादरा

संगीत में एक प्रकार का चलता गाना (पक्के या शास्त्रीय गानों से भिन्न), एक प्रकार का गान, एक ताल

मज़दूर

शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमाने वाला कोई व्यक्ति, जैसे: इमारत बनाने, कल-कारख़ानों में काम करने वाला, श्रमिक, कर्मकार, भृतक, मजूर

ख़ैर-अंदेश

भलाई की बात सोचने वाला, वह शख़्स जो किसी की भलाई चाहे, शुभचिंतक

दूध-शरीक बहन

ऐसी बालिका जो किसी ऐसी स्त्री का दूध पीकर पली हो जिसका दूध पीकर और कोई बालिका या बालक भी पला हो, धाय संतान, दूधबहिन, दूधबहन

रिसाई

दुख और मौत से संबंधित, शोकयुक्त

ज़र्फ़

बर्तन, भाजन, पात्र

तिहाई

किसी वस्तु के तीन समान भागों में कोई एक भाग, तीसरा अंश, भाग या हिस्सा, तीसरा हिस्सा

"पेड़" टैग से संबंधित शब्द

"पेड़" से संबंधित उर्दू शब्द, परिभाषाओं, विवरणों, व्याख्याओं और वर्गीकरणों की सूची

तेँदू

मझोले आकार का एक वृक्ष जो भारतवर्ष, लंका, बरमा और पूर्वी बंगाल के पहाड़ी जंगलों में पाया जाता है, इस पेड़ का फल जो नींबू की तरह का हरे रंग का होता है और पकने पर पाला हो जाता और खाया जाता है, इसकी छाल काली होती है जो जलाने से चिड़चिड़ाती है, आबनूस

अँकोल

पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाला एक पेड़ जिसके पत्ते शरीफे़ के पेड़ के पत्तों-जैसे होते हैं और फल बेर के बराबर तथा काले होते हैं, एक कांटेदार पेड़ जिसका तेल प्रायः जादू-मंत्र के काम आता है

अश्वता

पवित्र अंजीर का पेड़

आम

उस फल का पेड़

आँवला

एक प्रकार का कसैला रूखा फल जो रंग में अँगूर के जैसा और डील-डौल में आलूचे के समान होता है

कचनार

एक वृक्ष जिसकी कलियाँ सब्ज़ी बनाने तथा फूल और तने की छाल औषधि के काम आती है

गुढ़्ल

एक दरख़्त

चनार

एक प्रकार का बहुत ऊँचा पेड़ जो उत्तर भारत, विशेषतः कश्मीर में बहुत अधिकता से होता है, इसके पत्ते पंजे के आकार के होते हैं और जाड़े में बिलकुल झड़ जाते है, इसकी लकड़ी पीलापन लिए सफेद रंग की और बहुत मजबूत होती है, यह बहुत देर में जलती है और मेज़ कुर्सीयाँ आदि बनाने के काम आती है

जंड

एक पेड़ जिसकी लकड़ी जलाने के काम आती है जो सांगर कहलाता है इस की फलियों का अचार डालते हैं

जंबीर

जँबीरी नीबू, मरुवा, वनतुलसी

तख़्ता

बड़ी चौकी, चौकी, लंबी तिपाई

दरख़्त

वृक्ष, पेड़, झाड़, द्रुम, पादप

दुल्ब

चनार का दरख़्त

नख़ला

खजूर का माद्दा पेड़ जिस में फल आता है

नमेरू

एक पेड़ का नाम अथवा उसका फूल, रुद्राक्ष का पेड़

नाग-चंपा

नागकेसर (पेड़ और उसका फूल)

निंब

नीम का पेड़

निम्ब-तरू

ढाक का पेड़ जो स्वर्ग (जन्नत) के पेड़ों में से एक माना जाता है, लात

पुत्र-जीव

पतरन जीव नामक पेड़

पियाबाँसा

कटसरैया, कुरबक

पोतिक

एक फली दार पेड़ जिसके बीज गोल होते हैं और बच्चे इससे गोली खेलते हैं

बकाइन

बकायन (वृक्ष)

बकायन

नीम की जाति का एक वृक्ष जिसके फल, फूल, पत्तियाँ आदि दवा के काम आते हैं, महानिंब

बनकटी

जंगल की साफ़ की हुई ज़मीन

बीजीसर

साल का पेड़

भोजपत्र

ऊँचे पर्वतों पर होने वाला मझोले आकार के एक वृक्ष की छाल जो प्राचीन काल में ग्रंथ और लेख आदि लिखने के काम आती थी, जिसे हुक़्क़े की नाल पर लपेटा जाता था

मूशिक

एक दरख़्त का नाम

लकड़

मूर्ख, बेवक़ूफ़

विष्टर

आक, मदार

सागौन

एक प्रसिद्ध वृक्ष जिसकी लकड़ी बहुत सुन्दर तथा मज़बूत होती है और इमारत के काम आती है, वर्ष भर हरा रहने वाला एक प्रसिद्ध वृक्ष जिसकी लकड़ी मेज़, कुर्सी, दरवाज़े का पल्ला आदि बनाने में प्रयुक्त की जाती है, सागवान

सिदरतुल-मुंतहा

(लाक्षणिक) उन्नति की पराकाष्ठा, विकास की चरम सीमा

सिदरा

स्वर्ग के सबसे ऊँचे मकान पर एक बेर का पेड़

सिदरा-ए-तूबा

बेर का एक पेड़ जो सातवें आस्मान पर है, और जहाँ तक किसी की पहुँच नहीं है, केवल ‘जिब्रील' जा सकते हैं, उससे आगे कोई नहीं जा सकता, कहते मेराज की रात में पैग़म्बर मोहम्मद साहब गए थे

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