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मरज़ा
‘मरीज़' का बहु., बीमार लोग, रोगी लोग
मर्ज़िय्या
मर्ज़ी का स्त्री., पसंदीदा
मर्ज़ी मौला अज़ हमा औला
हर मुआमले में ख़ुदा की रज़ा पर राज़ी रहना चाहिए, मालिक की रज़ा सब से बेहतर है (किसी मुआमले में इंसान की बेबसी के मौक़ा पर मुस्तामल)
मर्ज़ी होना
पसंद होना, राय के उचित होना
मर्ज़ी से
जानबूझ कर, आमतौर पर अपनी के साथ
मर्ज़ी पर होना
रहम-ओ-करम पर होना, अधीन होना
मर्ज़ी-ए-रब
परमेश्वर की इच्छा, भगवान की मर्जी
मर्ज़ी पटना
आम सहमति होना, संतुलन बनाना
मर्ज़ी से बाहर होना
किसी के हुक्म में या किसी के ज़ेर फ़रमान ना रहना, किसी के असर में ना होना
मर्ज़ी की मालिक होना
(औरत का) ख़ुद-मुख़्तार होना, अपनी पसंद पर चलना, जो दिल चाहे वो करना
मर्ज़ी पाना
अनुमति हासिल करना, सहमति पाना
मरज़िय्यात
रोग की विद्या, रोग विद्या, रोग-निदान
मर्ज़ी मिलना
सहमत होना, एक राय होना, इत्तिफ़ाक़-ए-राय होना, परस्पर सहमति होना, बाहम रजामंदी होना, दिल मिलना
मर्ज़ी में आना
पसंद होना, राय में आना, राय के मुवाफ़िक़ होना, जी में आना
मर्ज़ी में आना
۔پسند ہونا۔رائے میں آنا۔؎
मर्ज़ी पर चलना
आदेश के अनुसार कार्य करना, आदेश का पालन करना, प्रभाव में रहना
मर्ज़ी के मुवाफ़िक़
according to the will or pleasure, to one's satisfaction, satisfactorily
मर्ज़ी मिले का सौदा
رضامندی کا معاملہ، باہم راضی ہوجانے کی ہدایت
मर्ज़ियात
मर्ज़ी का बहु., पसंदीदा चीज़ें, मर्ज़ी के मुताबिक़ चीज़ें या बातें वग़ैरा
मरज़ियाती
مرض (رک) سے متعلق یا منسوب ، بیماری کا ۔
'ऐन-मर्ज़ी
मूल सहमति, व्यक्तिगत मर्ज़ी, व्यक्तिगत सहमति, ज़ाती मर्ज़ी
तेरी मेरी मर्ज़ी
तो और में दोनों राज़ी, दोनों की रजामंदी, ईजाब-ओ-क़बूल का कलिमे , एक उम्दा कपड़े का नाम
ना-मर्ज़ी
نارضا مندی ، ناپسندیدگی ، نامرغوبیت ، نامنظوری ۔
बिला-मर्ज़ी
बिना सहमति के, बगै़र रज़ामंदी के, बिना स्वीकृति के
ख़िलाफ़-ए-मर्ज़ी
इच्छा-विरुद्ध, जिस बात को जी न चाहता हो, मर्ज़ी के विरुद्ध, स्वभाव-विरुद्ध
अपनी मर्ज़ी से
voluntarily, of one's own will or consent
ख़ुदा की मर्ज़ी
ईश्वर का आदेश (किसी के मरने पर या काम बगड़ने या सदमा पहुँचने पर कहते हें) ईश्वर की यही इच्छा थी
मन-मर्ज़ी से
اپنے حسب منشا ، مرضی سے ، اپنی خواہش کے مطابق ۔
चुप, आधी मर्ज़ी
कोई जवाब में चुप रहे तो समझते हैं कि वह मान गया है, चुप्पी आधी सहमति है
ताबे'-ए- मरज़ी-ए-मालिक
वह जो मालिक की इच्छा के अधीन हो, स्वयं किसी बात का अधिकारी न हो
मुज़ारे'-ए-ताबे'-मर्ज़ी-ए-मालिक
(विधिक) वह किसान जिसे भू-स्वामी जब चाहे निकाल दे, वह किसान जो भू-स्वामी की इच्छा के अधीन हो
आगे ख़ुदा की मर्ज़ी
अंजाम ख़ुदा के हाथ में है
हर च मर्ज़ी-ए-ऊस्त हमा नेकूस्त
(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो कुछ उस की (अल्लाह की) मर्ज़ी वही ठीक है