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ग़रज़
मतलब, मक़सद, आवश्यकता, ख़्वाहिश, इरादा, हदफ़ अर्थात , निशाना या वह गोलाई जिस पर निशाना सीखने के लिए गोलियाँ मारते हैं
ग़रज़ कि
उद्देश्य, कहानी संक्षिप्त है, सारांश यह है कि, मतलब यह है कि
ग़रज़ होना
वास्ता होना, अर्थ होना, परवाह होना
ग़रज़-गो
अपनी मतलब बयान करने वाला, मतलबी; (लाक्षणिक) चापलूस
ग़रज़-मंद
इच्छुक, ख़्वाहिशमंद, जिसका कोई काम अटका हो, मतलबी, ख़ुदग़रज़
ग़रज़ बावली है
ज़रूरतमंद आदमी पागल होता है, वह अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए कुछ भी करने से नहीं हिचकिचाता, इच्छुक को बस अपना काम सूझता है, अर्थात आवश्यकता उसे अंधा बना देती है
ग़रज़ अटकी होना
ज़रूरत पड़ना, हाजत होना, काम पड़ना, हाजत बरारी पर मुनहसिर होना
ग़रज़ बावली होती है
ज़रूरतमंद आदमी पागल होता है, वह अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए कुछ भी करने से नहीं हिचकिचाता, इच्छुक को बस अपना काम सूझता है, अर्थात आवश्यकता उसे अंधा बना देती है
ग़रज़ करना
(दुकानदारी) सस्ता या औने-पौने बेच डालना
ग़रज़-आश्ना
मतलब का यार, स्वार्थसाधक, स्वार्थी
ग़रज़-मंदी
स्वार्थी, अपने लाभ की इच्छा, मतलबी
ग़रज़-आलूद
स्वार्थ पर आधारित, स्वार्थ से भरा
ग़रज़ पड़ना
हाजिब होना, ज़रूरत पड़ना, ग़रज़ मुताल्लिक़ होना
ग़रज़ डालना
किसी का जरूरतमंद बनाना, किसी से कोई काम संबंधित करना, किसी से कुछ मतलब निकालने की अपेक्षा करना, संबंधित होना
ग़रज़-बावला
मतलबी, इच्छुक, आवश्यकता के हाथों असहाय
ग़रज़ को लोग गधे को भी बाप बनाते हैं
संकट या आवश्यकता के समय नीच और घटिया आदमी की भी चापलूसी करनी पड़ती है
ग़रज़ रखना
मतलब रखना, संबंध रखना, परस्पर व्यवहार का संबंध रखना
ग़रज़ निकलना
आवश्यकता पूरी होना, लक्ष्य प्राप्त होना
ग़रज़ जताना
हाजत और ज़रूरत से आगाह करना
ग़रज़ अटकना
ज़रूरत पड़ना, हाजत होना, काम पड़ना, हाजत बरारी पर मुनहसिर होना
ग़रज़ अटकाना
ग़रज़ अटकना (रुक) का मुतअद्दी
ग़रज़ का यार
स्वार्थी दोस्त, मतलब का यार, मतलबी
ग़रज़ निकालना
उद्देश्य पूरा करना, काम निकालना
ग़रज़-मंद बावला होता है
ज़रूरतमंद आदमी पागल होता है, वह अपनी बात पूरी करने के लिए किसी बात से नहीं हिचकिचाता
ग़र्ज़ी
ज़रूरतमंद, हाजतमंद, ग़रज़मंद
ग़रज़ के लिए गधे को बाप बनाते हैं
ज़रूरतमंद को घटिया अदमी की भी चापलूसी करनी पड़ती है
ग़रज़ का दोस्त
मतलबी मित्र, स्वार्थी मित्र, मतलबी दोस्त
ग़रज़ का आश्ना
मतलब का दोस्त, मतलबी मित्र
ग़रज़ के लिए गधे को बाप बनाना पड़ता है
ज़रूरतमंद को मतलबी की भी ख़ुशामद करनी पड़ती है, ज़रूरतमंद को अपमानजनक काम करना पड़ता है
ग़रज़ पड़े से आदमी बावला हो जाता है
ज़रूरत के वक़्त आदमी दीवानों की तरह काम करता है
ग़रज़ निकली आँख बदली
मतलबी बे मर वित्त होता है, तोता चश्मी का इज़हार करते वक़्त कहते हैं
ग़रज़ निकली आँख बदली
selfish person is never true to anyone
ग़रज़ का बावला अपनी गावे
आकांक्षी व्यक्ति अपनी ही बात की धुन रखता है, हर समय अपनी आवश्यकता एवं ज़रूरत बयान करता रहता है
ग़रज़ मंद करे या दर्द मंद करे
या तो जिसे कुछ काम हो वह सहायता करता है या शुभचिंतक अथवा दयावान
अहल-ए-ग़रज़
हितार्थी, मतलबी, वो लोग जो सहायता या पक्ष के लिए आग्रह करते हैं
ख़ुद-ग़रज़
स्वार्थी, स्वार्थपर, केवल अपना स्वार्थ सिद्ध करनेवाला, अपने मतलब में चौकस
जिंसियत-ग़रज़
جن کی غرض ایک ہو ، ایک ضرورت ایک مقصد یا ایک خواہش رکھنے والے ۔
बे-ग़रज़
निःस्वार्थ, जिसका कोई स्वार्थ न हो
क्या ग़रज़ है
۔کیا پڑی ہے۔ کیوں۔ ؎
ان کو کیا غرض جو خوامخواہ جھگڑے میں پھنسیں۔
क्या ग़रज़
(तनफ़्फ़ुर या बेज़ारी या लापरवाई से) किया पड़ी है, कोई ग़रज़ नहीं
ला-ग़रज़
جسے (کسی بات سے) کوئی واسطہ اور تعلق نہ ہو بے تعلق ، بے نیاز ، غافل .
बा-ग़रज़
अपने मतलब के अनुसार काम करने वाला, स्वार्थी
बदीं-ग़र्ज़
इस उद्देश से, इस आशा से, इरा ग़रज़ से ।।
इस ग़रज़ से
hence, therefore, with this object, for this purpose
साहिब-ए-ग़रज़
ज़रूरतमंद व्यक्ति, ग़रज़मंद, हाजतमंद शख़्स
हल्वे माँडे से ग़रज़ होना
अपना भला चाहना कोई मरे या जीए, हर हाल में अपनी ग़रज़ और मतलब को मद्द-ए-नज़र रखना, हर हालत में अपने फ़ायदे की सूचना
अपनी ग़रज़ को
अपने मतलब से, अपनी ज़रूरत से
अपनी ग़रज़ बावली
ग़रज़ के पीछे आदमी बिलकुल साबुन जाना है, ग़रज़ मंदी आदमी को मजबूर कर देती है
अपनी ग़रज़ को गधे चराते हैं
अपनी ज़रूरत या फ़ायदे के लिए घटिया से घटिया काम करना पड़ता है
मेरी जूती को ग़रज़ पड़ी है
रुक : मेरी जूती से जो फ़सीह है
बला को क्या ग़रज़
मुतरादिफ़ : (मेरी या तुम्हारी) पापोश को क्या ग़रज़ है, क्या पर्वा है, वग़ैरा
जूती को क्या ग़रज़
क्या संबंध, लगाव है, क्या आवश्यकता, क्या ज़रूरत है (नाराज़गी या घृणायुक्त भाव प्रकट करने के लिए)