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'अज़ीज़
ज़बरदस्त, शक्तिशाली, समर्थ
'अज़ीज़-दार
रिश्तेदार, नातेदार, सगा-संबंधी
'अज़ीज़ करना
चाहना, मुहब्बत करना, प्रशंसा करना
'अज़ीज़ रखना
मित्र समझना, मुहब्बत करना, प्यारा समझना
'अज़ीज़ जानना
इज़्ज़त करना, सम्मान की दृष्टि से देखना, मोहब्बत करना, प्यारा समझना, महबूब रखना
'अज़ीज़-'अक़ारिब
स्वजन, सगे-संबंधि, नातेदार, मित्र, दोस्त और परिवार, प्रिय और निकट, रिश्तेदार
'अज़ीज़-उल-क़द्र
گرامی قدر، چھوٹے بھائی یا رشتہ دار یا اپنے ماتحت چھوٹے افسر کے لیے بطور القاب مستعمل
'अज़ीज़-उल-वुजूद
گراں قدر، وقیع، قدر و منزلت کا حامل
'अज़ीज़-ओ-अक़ारिब
सगे संबंधी, प्रिय और निकट, रिश्तेदार
'अज़ीज़-उल-इंतिक़ाम
शक्तिशाली बदला लेने वाला, सर्वशक्तिमान ईश्वर
'अज़ीज़ाना
रिश्तेदार जैसा, अज़ीज़दारी का, प्रेमपूर्ण, स्नेहमय, आत्मीय
मिट्टी 'अज़ीज़ करना
ज़मीन का मी्यत को बखु़शी क़बूल करना
मिट्टी 'अज़ीज़ होना
दफ़न किया जाना, दफ़न होना, मिट्टी ठिकाने लगना, रिश्तेदार या किसी पसंदीदा व्यक्ति के हाथों से दफ़न किया जाना
नसबी-'अज़ीज़
वह रिश्तेदार जिनसे जन्म का रिश्ता हो; जैसे :चचा ज़ाद, ख़ाला ज़ाद,वह व्यक्ति जिससे ख़ून का रिश्ता हो,सगा रिश्ता, सगा रिश्तेदार
किसी की मिट्टी 'अज़ीज़ करना
किसी की मिटटी पलीद करना, किसी को अपमानित और बदनाम करना
किसी की मिट्टी 'अज़ीज़ होना
۱. रुक : किसी की मिट्टी ख़राब होना
वक़्त-ए-'अज़ीज़
क़ीमती वक़्त, ज़िंदगी के क़ीमती लमहात
अश्क-ए-'अज़ीज़
tears of a dear one, dear tear
वतन-ए-'अज़ीज़
मुलक जिस से बहुत मुहब्बत हो, चहेता मुलक, प्यारा मुलक
हदीस-ए-'अज़ीज़
(حدیث) وہ حدیث جو (روایت کے ہر مر حلے میں) کم از کم دو راویوں سے منقول ہو لیکن اسے متواتر یا مشہور احادیث کی طرح رواج عام حاصل نہ ہو.
आँखों से 'अज़ीज़
दिल-ओ-जान से प्यारा, अधिक प्रिय बहुत महबूब
हर दिल 'अज़ीज़
जिसे सब पसंद करें, वह व्यक्ति जिसे हर एक प्यार करे, सब का प्यारा, सर्वप्रिय, लोकप्रिय
जान 'अज़ीज़ होना
जान अज़ीज़ रखना (रुक) का लाज़िम
जान 'अज़ीज़ रखना
जीवन का बलिदान देने से बचना, ख़तरा से जान चुराना, जान की पर्वा करना
दिल को 'अज़ीज़ होना
दिल को महबूब या प्रय होना
जान से 'अज़ीज़ रखना
बहुत ज़्यादा महबूब होना या समझना
जान से 'अज़ीज़ होना
बहुत ज़्यादा महबूब होना या समझना
जान से ज़्यादा 'अज़ीज़ समझना
दिल की तरह 'अज़ीज़ रखना
बहुत प्रिय रखना, बहुत अज़ीज़ रखना, किसी को बहुत चाहना
जान से ज़्यादा 'अज़ीज़ रखना
बहुत प्यार से रखना, बहुत लाड-ओ-प्यार के साथ रखना
आबरू जान से ज़्यादा 'अज़ीज़ है
आदमी जान दे देता मगर आबरू नहीं जाने देता, इज़्ज़त का ख़ायाल जान से ज़्यादा होता है
कस्ब-ए-कमाल कुन कि 'अज़ीज़-ए-जहाँ शवी
(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) साहब-ए-कमाल ही को इज़्ज़त मिलती है