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सोम
एक प्राचीन भारतीय लता जिसके रस का सेवन वैदिक ऋषि विशेषतः यज्ञों के समय मादक पदार्थ के रूप में करते थे
सोम
मुर्दे का तेजा, मरने के बाद तीसरे दिन की फ़ातिहा जिस में क़ुरआन ख़वानी वग़ैरा का सवाब मरने वाले को बख्शा जाता है
सोमरस
अमृत या देवताओं का पेय, मदिरा, शराब, कहा जाता है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनि यज्ञ में सोमरस की आहुति देते थे और फिर प्रसाद रूप में इसे ग्रहण करते थे, ऋग्वेद के अनुसार सोमरस के गुण संजीवनी बूटी की तरह हैं, यह बलवर्द्धक पेय है जो व्यक्ति को चिर युवा रखता है, इसे पीने वाला अपराजेय हो जाता है
सोमवार
सप्ताह के सात वारों या दिनों में से एक जो सोम अर्थात चंद्रमा का दिन माना जाता है, सात वारों में से एक वार जो सोम अर्थात् चन्द्रमा का दिन माना जाता है, चंद्रवार (मंडे), रविवार के बाद और मंगलवार के पहले का दिन
सोमनाथ
काठियावाड़ के दक्षिणी तट पर स्थित एक प्राचीन नगर जहां उक्त ज्योतिर्लिंग का मंदिर है। इस मंदिर के अतुल धन-रत्न की प्रसिद्धि सुनकर सन् १०२४ ई० में महमूद गजनवी इसे ध्वस्त करके यहां से करोड़ों की सम्पत्ति गजनी ले गया था। अब स्वतन्त्र भारत में इस मन्दिर का जीर्णोद्धार हो गया है, प्रसिद्ध द्वादश ज्योतिलिंगों में से एक
सिवुम में फूल उठाना
मुर्दे का तेजा करना जिस में क़ुरआन ख़वानी होती है और फ़ातिहे के बाद फूओल उठाया जाता है
सूमड़ी
अँखुवा, छोटी, मामूली, घटिया, निचली, कोंपल, छोटी पसली या पसलियाँ जो कुरकरी हड्डी के नर्म और बड़ी पसलियों के नीचे और दोनों तरफ़ कोख के साथ झिल्ली में लगी होती हैं
सौ में फूला, हज़ार में काना, सो लाख में ईंचा ताना
जिस की आँख में भूओला हो वो बुरा होता है, काना इस से भी बुरा और ये ेंछा ताना इस भी बुरा
मे'दा-सिवुम
جگالی کرنے والے جانوروں کا تیسرا ہضم یا ہضم کا تیسرا مرحلہ ، اُم التلافیف ، ہزارلا (Omasum) ۔
शक्ल-ए-सिवुम
(منطق) استدلال کے ذریعہ نتیجہ پر پہنچنے کی کوشش کا تیسرا کلمہ جس کی بنیاد شکلِ اول میں موجود ہوتی ہے.
सख़ी सूम साल भर में बराबर हो जाते हैं
फ़ी्याज़ और दरिया दिल आदमी का बख़शिश-ओ-सख़ावत के ज़रीये और बख़ील आदमी का बेजा सिर्फ़ के बाइस साल भर में हिसाब बराबर हो जाता है, फ़ी्याज़ आदमी का माल सही जगह सिर्फ़ होता है और बख़ील का ग़लत जगह
बरस भर में सखी और सूम बराबर हो जाते हैं
कंजूसी करने से कोई लाभ नहीं होता, अंत में दानवीर और कंजूस का हिसाब बराबर बराबर हो जाता है
सख़ी से राह नहीं सूम से क्यूँ तोड़ियो
अगर अच्छे से मुलाक़ात नहीं तो बुरे से विरोध नहीं कुछ तो फ़ायदा हो ही रहेगा
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