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ब-जाए

जगह या स्थान पर अथवा बदले में, जगह या स्थान पर, बदले में, किसी की जगह पर, किसी के बदले

बजा-ए-ख़ुद

अपनी जगह पर, स्वयं, खुद

बजा-ए-इस्म-ए-'आज़म

instead of the great name

अंधा गाए बहरा बजाए

जब किसी काम के करने में अयोग्य व्यक्ति एक साथ लगे हों

जैसे हर गुन गाए तैसे गाल बजाए

दोनों हालतों में यकसाँ रहे

सर बजाए पा करना

सर के बिल चलना, निहायत आजिज़ी-ओ-इनकिसारी इख़तियार करना

गले पड़ी बजाए सिद्ध

जब सर पर आ जाए तो करना ही पड़ता है, कष्ट आए तो झेलनी ही पड़ता है

डोमनी का पूत चपनी बजाए, अपनी ज़ात आप ही जताए

काम से असलियत का पता चलता है

डोमनी का पूत चपनी बजाए, अपनी ज़ात आप ही बताए

काम से असलियत का पता चलता है

जिस का खाए उस का बजाए

رک : جس کا کھائے اس کا گائے.

आप का सर ब-जा-ए-क़ुरआन

सर को (सारे अंगों से ऊँचा होने के कारण) पवित्र क़ुरआन से उपमा दे कर क़सम खाने की एक शैली, पर्यायवाची: आप के सर की क़सम, अर्थात् पवित्र क़ुरान की क़सम

आप का सर बजाए क़ुरआन के है

तुम्हारे सर की क़सम

माल-ए-हराम बूवद बजाए हराम रफ़्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जैसी नाजायज़ कमाई थी वैसी ही नाजायज़ मुद्दों में ख़र्च हुई, नाजायज़ माल जिस तरह आया था इसी तरह चला गया, हराम की कमाई यूंही उड़ जाती है

डोम बजाए चपनी और ज़ात जताए अपनी

आदमी की असलियत उस की कथनी और करनी से ज़ाहिर हो जाती है

डोम बजाए चपनी और ज़ात बताए अपनी

आदमी की असलियत उस की कथनी और करनी से ज़ाहिर हो जाती है

भैंस के आगे बीन बजाए भैंस पड़ी पखराए

ना अहल या नादान के सामने हुनर दिखाना बेसूद है , बेवक़ूफ़ के आगे हुनर दिखाने की कुछ क़दर नहीं होती

फूले फूले फिरत हैं आज हमारो बियाह, तुलसी गए बजाए के देव काठ में पाह

गो शादी बहुत ख़ुशी होती है, इंसान मुसीबतों में फंस जाता है

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ब-जाए

जगह या स्थान पर अथवा बदले में, जगह या स्थान पर, बदले में, किसी की जगह पर, किसी के बदले

बजा-ए-ख़ुद

अपनी जगह पर, स्वयं, खुद

बजा-ए-इस्म-ए-'आज़म

instead of the great name

अंधा गाए बहरा बजाए

जब किसी काम के करने में अयोग्य व्यक्ति एक साथ लगे हों

जैसे हर गुन गाए तैसे गाल बजाए

दोनों हालतों में यकसाँ रहे

सर बजाए पा करना

सर के बिल चलना, निहायत आजिज़ी-ओ-इनकिसारी इख़तियार करना

गले पड़ी बजाए सिद्ध

जब सर पर आ जाए तो करना ही पड़ता है, कष्ट आए तो झेलनी ही पड़ता है

डोमनी का पूत चपनी बजाए, अपनी ज़ात आप ही जताए

काम से असलियत का पता चलता है

डोमनी का पूत चपनी बजाए, अपनी ज़ात आप ही बताए

काम से असलियत का पता चलता है

जिस का खाए उस का बजाए

رک : جس کا کھائے اس کا گائے.

आप का सर ब-जा-ए-क़ुरआन

सर को (सारे अंगों से ऊँचा होने के कारण) पवित्र क़ुरआन से उपमा दे कर क़सम खाने की एक शैली, पर्यायवाची: आप के सर की क़सम, अर्थात् पवित्र क़ुरान की क़सम

आप का सर बजाए क़ुरआन के है

तुम्हारे सर की क़सम

माल-ए-हराम बूवद बजाए हराम रफ़्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जैसी नाजायज़ कमाई थी वैसी ही नाजायज़ मुद्दों में ख़र्च हुई, नाजायज़ माल जिस तरह आया था इसी तरह चला गया, हराम की कमाई यूंही उड़ जाती है

डोम बजाए चपनी और ज़ात जताए अपनी

आदमी की असलियत उस की कथनी और करनी से ज़ाहिर हो जाती है

डोम बजाए चपनी और ज़ात बताए अपनी

आदमी की असलियत उस की कथनी और करनी से ज़ाहिर हो जाती है

भैंस के आगे बीन बजाए भैंस पड़ी पखराए

ना अहल या नादान के सामने हुनर दिखाना बेसूद है , बेवक़ूफ़ के आगे हुनर दिखाने की कुछ क़दर नहीं होती

फूले फूले फिरत हैं आज हमारो बियाह, तुलसी गए बजाए के देव काठ में पाह

गो शादी बहुत ख़ुशी होती है, इंसान मुसीबतों में फंस जाता है

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