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अगर चे मगर चे
क्यों क्या, किसी कार्य को लेकर पीछे एवं आगे होना, उलझन में पड़ना, धैर्य दिखाना, हिचर-मिचर
अगर की बत्ती
वह बत्ती जो अगर के बुरादे में और ख़ुशबूदार चीज़ें मिला कर बनाई जाती है, घरों और महफ़िलों में हवा साफ़ और ख़ुशबूदार करने के लिए जलाते हैं
अगर-दान
वह बर्तन जिसमें बने हुए छेदों में अगरबत्तियाँ लगाई जाती हैं, वह बर्तन जिसमें आग रोशन करके अगरबत्तियाँ जलाते हैं
अगर कोह टले, न टले फ़क़ीर
पहाड़ भले ही टल जाए पर फ़क़ीर नहीं टलता, वह भीख़ लेकर ही दरवाज़ा छोड़ता है
अगर कोह टले तो टले, न टले फ़क़ीर
पहाड़ भले ही टल जाए पर फ़क़ीर नहीं टलता, वह भीख़ लेकर ही दरवाज़ा छोड़ता है
अग्रवाल
वैश्यों की एक जाति जिसका आदि निवास दिल्ली से पश्चिम अगरोहा नाम का स्थान कहा जाता है, अग्रवाल
ज़ौक़-ए-गुल चीदन अगर दारी ब-गुल्ज़ार बेरौ
अगर तुझे फूल चुनने का शौक़ है तो किसी बाग़ में जाओ, अर्थात अगर तुम किसी उद्देश्य में विजय प्राप्त करना चाहते हो तो घर से निकलो और उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए उचित उपाय करो, बिना थोड़ी दौड़-धूप किए घर बैठे रहने से उद्देश्य पूर नहीं हो सकता
ख़र-ए-'ईसा अगर ब-मक्का रवद चूँ बयायद हुनूज़ ख़रश बाशद
एक अक्षम कमीने का सुधार नहीं किया जा सकता है भले ही वह सबसे अच्छी संगति में रहे
गंदुम अगर बहम न-रसद जौ ग़नीमत अस्त
बड़ा फ़ायदा हासिल ना हो तो थोड़ा फ़ायदा ही सही, अच्छी चीज़ मयस्सर ना हो तो मामूली चीज़ ही ग़नीमत है, असल चीज़ हासिल ना कर किसे तो खिसयाना हो कर किसी और चीज़ पर इकतिफ़ा कर लेने के मौक़ा पर बोलते हैं
घोड़ी की अगर दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खियाँ उड़ावेगा
हराएक को अपना मतलब पहले मल्हूज़ होता है, हर शख़्स अपनी तरक़्क़ी से ख़ुद फ़ायदा उठाता है
नाज की मौज अगर बरसे असौज
वक़्त पर मींह बरसे तो अनाज की क्या कमी, आसोज का मींह दोनों फसलों को होता हुय
नाज की मौज अगर बरसे आसौज
वक़्त पर मींह बरसे तो अनाज की क्या कमी, आसोज का मींह दोनों फसलों को होता हुय
गंदुम अगर बहम न-रसद भुस ग़नीमत अस्त
बड़ा फ़ायदा हासिल ना हो तो थोड़ा फ़ायदा ही सही, अच्छी चीज़ मयस्सर ना हो तो मामूली चीज़ ही ग़नीमत है, असल चीज़ हासिल ना कर किसे तो खिसयाना हो कर किसी और चीज़ पर इकतिफ़ा कर लेने के मौक़ा पर बोलते हैं
ख़स अगर बर आसमाँ रवद हमा ख़स अस्त व गौहर अगर दर ख़लाब उफ़्तद हमाँ नफ़ीस
तिनका अगर आसमान पर चला जाए तो भी तिनका है और मोती अगर कीचड़ में गिर पड़े तो भी नफ़ीस है, बुरी चीज़ बुरी है अच्छी चीज़ अच्छी, कमीना आदमी कितना ही बढ़ जाए कमीना ही है और शरीफ़ आदमी कितना ही तबाह हो जाए तब भी उसकी शराफ़त में फ़र्क़ न आएगा
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