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माँ-बाप

माता-पिता, वालिदैन

माँ-बाप का होना

एक बाप से होना, हलाली होना (आत्म-सम्मान के अवसर पर)

माँ-बाप को बुरा कहवाना

बड़ों को बुरा भला कहलवाना

माँ बाप जीते, हराम का नहीं कहलाता

सबूत मौजूद हो तो दा'वा ग़लत नहीं ठहराया जाता

माँ बाप का लाडला

माता-पिता का प्रिय, वह लड़का जिसे माता-पिता ने लाड़-प्यार में पाला हो, दुलारा, बहुत स्नेह और प्रेम से पाला हुआ

माँ बाप जनम के साथी हैं, कर्म के नहीं

माँ बाप ज़िंदगी में साथ देते हैं आख़िरत में कोई काम नहीं आता

धर्म माँ बाप

मज़हब की रौशनी में मुँह बोली माँ और मुँह बोला बाप, दीनी माँ बाप

माँ डायन बाप ओझा

नालायक़ों की नालायक़ संतान

माँ चील बाप कव्वा

cross-breed

बाप ओछान , माँ डाबन

दोनों मुरब्बी ज़दर रसां

ब-मंज़िला-ए-माँ-बाप

in loco parentis

माँ सरंगी बाप तंबूर

कलातोत बच्चा जिस की माँ डोमनी और बाप डोम हो, मीरासी

दीनी बाप , भाई , बहन , फ़रज़ंद , माँ

سن و مال کی مناسبت سے اپنے کسی ہم مذہب کو باپ ، بھائی ، بہن یا ماں کی جگہ تصور کیا جائے ، دین کی یکسانیت کے لحاظ سے رشتہ دار نیز مُنہ بولا رشتہ دار.

एक माँ-बाप के होना

be related as siblings, live in brotherly peace and harmony

माँ नारंगी बाप कोएला बेटा रौशुद्दौला

कमीने का शेखी मारना , नालायक़ वालदैन के हाँ लायक़ औलाद होना, अदना वालदैन की औलाद बड़ाई का दावा करे तो कहते हैं

अलिफ़ बे हव्वा, माँ चील बाप कव्वा

पढ़ाई से बचाव या घृणा प्रकट करने के लिए बच्चों का विरोधी नारा

माँ नारंगी बाप कोला बेटा रौशुद्दौला

कमीने का शेखी मारना , नालायक़ वालदैन के हाँ लायक़ औलाद होना, अदना वालदैन की औलाद बड़ाई का दावा करे तो कहते हैं

बाप की टाँग तले आई और माँ कहलाई

जब किसी को ऐसा सम्मान मिले जिसके वह योग्य न हो तो कहते हैं जैसे बाप की जानने वाली एक प्रकार की माँ बन जाती है

बाप दीना माँ पुदीना बेटा मिर्ज़ा नीना

कमअस्ल आदमी अपने आप को बहुत बड़ा बनाना है

माँ पिसनहारी भली, बाप हफ़्त हज़ारी बुरा

माँ का प्रेम बाप से अधिक होता है

माँ एली, बाप तेली, बेटा शाख़-ए-ज़ा'फ़रान

बेटा माँ-बाप से बढ़ कर निकला, जब कोई साधारण व्यक्ति असाधारण होने का दा'वा करे तो कहते हैं

माँ पनहारी, बाप कंजर, बेटा मिर्ज़ा संजर

यदि अज्ञातकुल व्यक्ति प्रतिष्ठित अथवा सम्मानित होने का दा'वा करे तो कहते हैं

हगता मूतता माँ का, हँसता बोलता बाप का

बच्चे की ग़लाज़त सिर्फ़ माँ ही बर्दाश्त करती है

माँ ज़ाग़ , बाप कलंग , बच्चे निकले रंग-ब-रंग

(रुक) माँ टीनी बाप कुलंग अलख

होत का बाप अन होत की माँ

बाप रुपय का साथी माँ मुफ़लिसी की , रुपय से तक़वियत है और बे रुपय कोई नहीं पूछता

माँ पिसनहारी बाप कंजर, बेटा मिर्ज़ा संजर

बेटा माँ-बाप से बढ़ कर निकला, जब कोई साधारण व्यक्ति असाधारण होने का दा'वा करे तो कहते हैं

सोते लड़के का मुँह चूमा न माँ ख़ुश न बाप ख़ुश

बगै़र इतलाइ के किसी के साथ नेकी करना रायगां है, छुपा कर मुहब्बत करना बे कार है

माँ बेटी गाने वाली , धी डोमनी बाप पूत बराती

बे सर्व सामानी की कैफ़ीयत, ग़रीबों की शादी के मुताल्लिक़ कहते हैं

माँ रोवे तलवार के घाव से, बाप रोवे तीर के घाव से

अयोग्य एवं बदचलन संतान अपने माँ-बाप को सताती है

कहें तो माँ मारी जाए , नहीं तो बाप कुत्ता खाए

रुक : कहूं तो माँ मारी जाये अलख

जिस के माँ बाप जीते हैं वो हरामी नहीं कहलाता

जिसके लिए प्रमाण और सबूत मौजूद है, उसे कोई भी विश्वासरहित नहीं कह सकता

कहूँ तो माँ मारी जाए, न कहूँ तो बाप कुत्ता खाए

हर प्रकार से संकट है, न कहते बनता है न चुप रहते

माँ को न बाप को जो बनेगी सो आप को

हर कोई अपने कार्यों का उत्तरदायी है, कोई किसी दूसरे के शब्दों के लिए उत्तरदायी नहीं है

माँ टेनी बाप कुलंग बच्चे निकले रंग बिरंग

दोग़ले ख़ानदान की संतान एक जैसी नहीं होती कोई कैसा है कोई कैसा है

सच कहूँ तो माँ मारी जाए और झूट कहूँ तो बाप कुत्ता खाए

इस मौक़ा पर मुस्तामल जहां सच्च और झूओट् दोनों के इज़हार में मुश्किल पेश आती हो

माँ की सोत न बाप की यारी, किसी नाते की तू मन्हारी

(ओ) कोई ख़्वाहमख़्वाह का रिश्ता जताए तो कहती हैं कि तरह हम से कोई ताल्लुक़ नहीं है

टहल करो माँ बाप की जो होएँ संपूरन आस, या टहल सो जो फिरें नरक उन्हों का बास

माँ बाप की सेवा करने वालों की सब उम्मीदें पूरी होती हैं जो उन की सेवा न करें वो नरक में जाते हैं

बाप डोम और डोम ही दादा, कहे मियाँ मैं शर्मा-ज़ादा

जो अपनी जाति को छुपाए उसके प्रति कहते हैं

ज़रूरत में गधे को भी बाप बना लेते हैं

विपत्ति के समय नीच लोगों की भी चापलूसी करनी पड़ती है, विपत्ति के समय सब कुछ करना पड़ता है, मजबूरी में सब कुछ करना पड़ता है

ढाल बाँधूँ तलवार बाँधूँ कस के बाँधूँ फेटा, बीच बाज़ार में डाका मारूँ तो बाप का बेटा

जो बात करूंगा खुल कर और ईमानदारी से करूँगा

मन जाने पाप, माई जाने न बाप

मनुष्य अपने पापों को स्वयं भली भाँति जानता है, माँ-बाप नहीं जानते

बाप के गले में मोगरे, पूत के गले में रुद्राक्ष

नव-धनी के प्रति कहते हैं कि बाप तो लकड़ी का हार पहनता था परंतु बेटा जवाहरात का कंठा पहनता है

दया धर्म का मोल है बाप मोल अभियान, तुलसी दया न छाड़िए जब लग घट में प्राण

दी्या धर्म की जड़ है . ग़रूर गुनाह की, जब तक ज़िंदगी ही दिया करनी चाहीए

ओखल में मूसरा माई बाप बिसरा

बीवी की मुहब्बत में आदमी माँ बाप को भूल जाता है

ओखली में मूसरा माई बाप बिसरा

बीवी की मुहब्बत में आदमी माँ बाप को भूल जाता है

बाप मरा बेटा भया, इस का टोटा उस में गया

निर्धन के यहाँ बूढ़ा व्यक्ति मर जाए तो एक मुफ़्त खाने वाला कम हो जाता है परंतु एक बच्चा जन्मे तो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता खाने वाले उतने ही रहते हैं

बेटी बाप के घर में है

it is still not too late

बाप पेट में पूत ब्याहे चला

बेटा बाप से बढ़ गया

अभी बेटी बाप के घर में है

there is still time (to mend matters, etc.)

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में वालिदैन के अर्थदेखिए

वालिदैन

vaalidainوالِدَین

स्रोत: अरबी

वज़्न : 2121

शब्द व्युत्पत्ति: व-ल-द

वालिदैन के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • माता-पिता, माँ-बाप

English meaning of vaalidain

Noun, Masculine

  • parents, mother and father

والِدَین کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مذکر

  • ماں اور باپ، مادر و پدر (دونوں)، ماتا پِتا، مادر پدر

Urdu meaning of vaalidain

  • Roman
  • Urdu

  • maa.n aur baap, maadar-o-pidar (donon), maata pitaa, maadar pidar

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माँ-बाप

माता-पिता, वालिदैन

माँ-बाप का होना

एक बाप से होना, हलाली होना (आत्म-सम्मान के अवसर पर)

माँ-बाप को बुरा कहवाना

बड़ों को बुरा भला कहलवाना

माँ बाप जीते, हराम का नहीं कहलाता

सबूत मौजूद हो तो दा'वा ग़लत नहीं ठहराया जाता

माँ बाप का लाडला

माता-पिता का प्रिय, वह लड़का जिसे माता-पिता ने लाड़-प्यार में पाला हो, दुलारा, बहुत स्नेह और प्रेम से पाला हुआ

माँ बाप जनम के साथी हैं, कर्म के नहीं

माँ बाप ज़िंदगी में साथ देते हैं आख़िरत में कोई काम नहीं आता

धर्म माँ बाप

मज़हब की रौशनी में मुँह बोली माँ और मुँह बोला बाप, दीनी माँ बाप

माँ डायन बाप ओझा

नालायक़ों की नालायक़ संतान

माँ चील बाप कव्वा

cross-breed

बाप ओछान , माँ डाबन

दोनों मुरब्बी ज़दर रसां

ब-मंज़िला-ए-माँ-बाप

in loco parentis

माँ सरंगी बाप तंबूर

कलातोत बच्चा जिस की माँ डोमनी और बाप डोम हो, मीरासी

दीनी बाप , भाई , बहन , फ़रज़ंद , माँ

سن و مال کی مناسبت سے اپنے کسی ہم مذہب کو باپ ، بھائی ، بہن یا ماں کی جگہ تصور کیا جائے ، دین کی یکسانیت کے لحاظ سے رشتہ دار نیز مُنہ بولا رشتہ دار.

एक माँ-बाप के होना

be related as siblings, live in brotherly peace and harmony

माँ नारंगी बाप कोएला बेटा रौशुद्दौला

कमीने का शेखी मारना , नालायक़ वालदैन के हाँ लायक़ औलाद होना, अदना वालदैन की औलाद बड़ाई का दावा करे तो कहते हैं

अलिफ़ बे हव्वा, माँ चील बाप कव्वा

पढ़ाई से बचाव या घृणा प्रकट करने के लिए बच्चों का विरोधी नारा

माँ नारंगी बाप कोला बेटा रौशुद्दौला

कमीने का शेखी मारना , नालायक़ वालदैन के हाँ लायक़ औलाद होना, अदना वालदैन की औलाद बड़ाई का दावा करे तो कहते हैं

बाप की टाँग तले आई और माँ कहलाई

जब किसी को ऐसा सम्मान मिले जिसके वह योग्य न हो तो कहते हैं जैसे बाप की जानने वाली एक प्रकार की माँ बन जाती है

बाप दीना माँ पुदीना बेटा मिर्ज़ा नीना

कमअस्ल आदमी अपने आप को बहुत बड़ा बनाना है

माँ पिसनहारी भली, बाप हफ़्त हज़ारी बुरा

माँ का प्रेम बाप से अधिक होता है

माँ एली, बाप तेली, बेटा शाख़-ए-ज़ा'फ़रान

बेटा माँ-बाप से बढ़ कर निकला, जब कोई साधारण व्यक्ति असाधारण होने का दा'वा करे तो कहते हैं

माँ पनहारी, बाप कंजर, बेटा मिर्ज़ा संजर

यदि अज्ञातकुल व्यक्ति प्रतिष्ठित अथवा सम्मानित होने का दा'वा करे तो कहते हैं

हगता मूतता माँ का, हँसता बोलता बाप का

बच्चे की ग़लाज़त सिर्फ़ माँ ही बर्दाश्त करती है

माँ ज़ाग़ , बाप कलंग , बच्चे निकले रंग-ब-रंग

(रुक) माँ टीनी बाप कुलंग अलख

होत का बाप अन होत की माँ

बाप रुपय का साथी माँ मुफ़लिसी की , रुपय से तक़वियत है और बे रुपय कोई नहीं पूछता

माँ पिसनहारी बाप कंजर, बेटा मिर्ज़ा संजर

बेटा माँ-बाप से बढ़ कर निकला, जब कोई साधारण व्यक्ति असाधारण होने का दा'वा करे तो कहते हैं

सोते लड़के का मुँह चूमा न माँ ख़ुश न बाप ख़ुश

बगै़र इतलाइ के किसी के साथ नेकी करना रायगां है, छुपा कर मुहब्बत करना बे कार है

माँ बेटी गाने वाली , धी डोमनी बाप पूत बराती

बे सर्व सामानी की कैफ़ीयत, ग़रीबों की शादी के मुताल्लिक़ कहते हैं

माँ रोवे तलवार के घाव से, बाप रोवे तीर के घाव से

अयोग्य एवं बदचलन संतान अपने माँ-बाप को सताती है

कहें तो माँ मारी जाए , नहीं तो बाप कुत्ता खाए

रुक : कहूं तो माँ मारी जाये अलख

जिस के माँ बाप जीते हैं वो हरामी नहीं कहलाता

जिसके लिए प्रमाण और सबूत मौजूद है, उसे कोई भी विश्वासरहित नहीं कह सकता

कहूँ तो माँ मारी जाए, न कहूँ तो बाप कुत्ता खाए

हर प्रकार से संकट है, न कहते बनता है न चुप रहते

माँ को न बाप को जो बनेगी सो आप को

हर कोई अपने कार्यों का उत्तरदायी है, कोई किसी दूसरे के शब्दों के लिए उत्तरदायी नहीं है

माँ टेनी बाप कुलंग बच्चे निकले रंग बिरंग

दोग़ले ख़ानदान की संतान एक जैसी नहीं होती कोई कैसा है कोई कैसा है

सच कहूँ तो माँ मारी जाए और झूट कहूँ तो बाप कुत्ता खाए

इस मौक़ा पर मुस्तामल जहां सच्च और झूओट् दोनों के इज़हार में मुश्किल पेश आती हो

माँ की सोत न बाप की यारी, किसी नाते की तू मन्हारी

(ओ) कोई ख़्वाहमख़्वाह का रिश्ता जताए तो कहती हैं कि तरह हम से कोई ताल्लुक़ नहीं है

टहल करो माँ बाप की जो होएँ संपूरन आस, या टहल सो जो फिरें नरक उन्हों का बास

माँ बाप की सेवा करने वालों की सब उम्मीदें पूरी होती हैं जो उन की सेवा न करें वो नरक में जाते हैं

बाप डोम और डोम ही दादा, कहे मियाँ मैं शर्मा-ज़ादा

जो अपनी जाति को छुपाए उसके प्रति कहते हैं

ज़रूरत में गधे को भी बाप बना लेते हैं

विपत्ति के समय नीच लोगों की भी चापलूसी करनी पड़ती है, विपत्ति के समय सब कुछ करना पड़ता है, मजबूरी में सब कुछ करना पड़ता है

ढाल बाँधूँ तलवार बाँधूँ कस के बाँधूँ फेटा, बीच बाज़ार में डाका मारूँ तो बाप का बेटा

जो बात करूंगा खुल कर और ईमानदारी से करूँगा

मन जाने पाप, माई जाने न बाप

मनुष्य अपने पापों को स्वयं भली भाँति जानता है, माँ-बाप नहीं जानते

बाप के गले में मोगरे, पूत के गले में रुद्राक्ष

नव-धनी के प्रति कहते हैं कि बाप तो लकड़ी का हार पहनता था परंतु बेटा जवाहरात का कंठा पहनता है

दया धर्म का मोल है बाप मोल अभियान, तुलसी दया न छाड़िए जब लग घट में प्राण

दी्या धर्म की जड़ है . ग़रूर गुनाह की, जब तक ज़िंदगी ही दिया करनी चाहीए

ओखल में मूसरा माई बाप बिसरा

बीवी की मुहब्बत में आदमी माँ बाप को भूल जाता है

ओखली में मूसरा माई बाप बिसरा

बीवी की मुहब्बत में आदमी माँ बाप को भूल जाता है

बाप मरा बेटा भया, इस का टोटा उस में गया

निर्धन के यहाँ बूढ़ा व्यक्ति मर जाए तो एक मुफ़्त खाने वाला कम हो जाता है परंतु एक बच्चा जन्मे तो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता खाने वाले उतने ही रहते हैं

बेटी बाप के घर में है

it is still not too late

बाप पेट में पूत ब्याहे चला

बेटा बाप से बढ़ गया

अभी बेटी बाप के घर में है

there is still time (to mend matters, etc.)

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