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जान-पहचान

दो या अधिक व्यक्तियों का आपसी परिचय या मेलमिलाप, परस्पर मैत्री, पहचानना, परिचय (केवल व्यक्तियों के संबंध में प्रयुक्त)

जान पहचान वाला

friend, familiar, an acquaintance

जान पहचान का

friend, familiar, an acquaintance

जान न पहचान दिल-ओ-जान क़ुर्बान

अंजान से मोहब्बत करते समय यह कहते हैं

जान न पहचान, बड़ी ख़ाला सलाम

किसी से ख़्वाह-मख़्वाह सहमति एवं एकचित्तता जताना या संबंध ज़ाहिर करना

जान न पहचान ना-ख़्वाँदा मेहमान

रुक : जान ना पहचान बड़ी ख़ाला सलाम

जान न पहचान बड़ी ख़ाला सलाम

यह कहावत वहां बोलते हैं जहां कोई अनजान आदमी बहुत तपाक और उत्साह दिखाए, अनुचित गुण दिखाने वाले और चालाक के संबंध मे बोलते हैं जो बेकार की दोस्ती जता कर अपना मतलब निकालते हैं

जान मारे बानिया, पहचान मारे चोर

बनिया दूसरों को लूटता है और चोर अपने जानने वाले को

जान न पहचान ख़ाला सलाम

(अवामी) जब कोई किसी अपरिचित के साथ बहुत उत्साह से मिलता है या चतुराई से अपनी मित्रता दिखा कर अपना मतलब निकालना चाहते हैं तो कहते हैं

जान ही की पहचान है

मुहब्बत जब तक रहती है जब तक जान सलामत है , जिसे जानते हैं उसे ही पहचान सकते हैं ग़ैर या अजनबी आदमी को क्या पहचानें

जाना-पहचाना

जिसके बारे में जानकारी हो, जिससे भली-भांती परिचय हो, जाना-पहचाना, जाना-बूझा

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सिंफ़-ए-सुख़न के अर्थदेखिए

सिंफ़-ए-सुख़न

sinf-e-suKHanصِنْفِ سُخَن

वज़्न : 2212

सिंफ़-ए-सुख़न के हिंदी अर्थ

फ़ारसी, अरबी - संज्ञा, पुल्लिंग

  • कविता की रचना पद्धति

शे'र

English meaning of sinf-e-suKHan

Persian, Arabic - Noun, Masculine

  • genre of poetry, form of poetry

صِنْفِ سُخَن کے اردو معانی

Roman

فارسی، عربی - اسم، مذکر

  • نوع شاعری کی قسم

Urdu meaning of sinf-e-suKHan

Roman

  • nau shaayarii kii qasam

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जान-पहचान

दो या अधिक व्यक्तियों का आपसी परिचय या मेलमिलाप, परस्पर मैत्री, पहचानना, परिचय (केवल व्यक्तियों के संबंध में प्रयुक्त)

जान पहचान वाला

friend, familiar, an acquaintance

जान पहचान का

friend, familiar, an acquaintance

जान न पहचान दिल-ओ-जान क़ुर्बान

अंजान से मोहब्बत करते समय यह कहते हैं

जान न पहचान, बड़ी ख़ाला सलाम

किसी से ख़्वाह-मख़्वाह सहमति एवं एकचित्तता जताना या संबंध ज़ाहिर करना

जान न पहचान ना-ख़्वाँदा मेहमान

रुक : जान ना पहचान बड़ी ख़ाला सलाम

जान न पहचान बड़ी ख़ाला सलाम

यह कहावत वहां बोलते हैं जहां कोई अनजान आदमी बहुत तपाक और उत्साह दिखाए, अनुचित गुण दिखाने वाले और चालाक के संबंध मे बोलते हैं जो बेकार की दोस्ती जता कर अपना मतलब निकालते हैं

जान मारे बानिया, पहचान मारे चोर

बनिया दूसरों को लूटता है और चोर अपने जानने वाले को

जान न पहचान ख़ाला सलाम

(अवामी) जब कोई किसी अपरिचित के साथ बहुत उत्साह से मिलता है या चतुराई से अपनी मित्रता दिखा कर अपना मतलब निकालना चाहते हैं तो कहते हैं

जान ही की पहचान है

मुहब्बत जब तक रहती है जब तक जान सलामत है , जिसे जानते हैं उसे ही पहचान सकते हैं ग़ैर या अजनबी आदमी को क्या पहचानें

जाना-पहचाना

जिसके बारे में जानकारी हो, जिससे भली-भांती परिचय हो, जाना-पहचाना, जाना-बूझा

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