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जान-पहचान

दो या अधिक व्यक्तियों का आपसी परिचय या मेलमिलाप, परस्पर मैत्री, पहचानना, परिचय (केवल व्यक्तियों के संबंध में प्रयुक्त)

जान ही की पहचान है

मुहब्बत जब तक रहती है जब तक जान सलामत है , जिसे जानते हैं उसे ही पहचान सकते हैं ग़ैर या अजनबी आदमी को क्या पहचानें

जान न पहचान ख़ाला सलाम

(अवामी) जब कोई किसी अपरिचित के साथ बहुत उत्साह से मिलता है या चतुराई से अपनी मित्रता दिखा कर अपना मतलब निकालना चाहते हैं तो कहते हैं

जान न पहचान दिल-ओ-जान क़ुर्बान

अंजान से मोहब्बत करते समय यह कहते हैं

जान न पहचान ना-ख़्वाँदा मेहमान

रुक : जान ना पहचान बड़ी ख़ाला सलाम

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सदा मियाँ घोड़े ही तो रखते थे के अर्थदेखिए

सदा मियाँ घोड़े ही तो रखते थे

sadaa miyaa.n gho.De hii to rakhte theسَدا مِیاں گھوڑے ہی تو رَکْھتے تھے

कहावत

सदा मियाँ घोड़े ही तो रखते थे के हिंदी अर्थ

  • जब कोई व्यक्ति अपनी बिसात से बाहर क़दम रखता है और अपनी बड़ाई बयान करता है तो व्यंगात्मक तौर पर कहते हैं
  • उस व्यक्ति के प्रति कहते हैं जो निर्धनता में भी धनवानों जैसी बातें करे
  • शेख़ी-ख़ोरे पर व्यंग है

Roman

سَدا مِیاں گھوڑے ہی تو رَکْھتے تھے کے اردو معانی

  • جب کوئی شخص اپنی بساط سے باہر قدم رکھتا ہے اور تعلّی یا اپنی بڑائی بیان کرتا ہے تو ازراہِ طنز کہتے ہیں
  • اس شخص کے متعلق کہتے ہیں جو غربت میں بھی امیروں کی سی باتیں کرے
  • شیخی خورے پر طنز ہے

Urdu meaning of sadaa miyaa.n gho.De hii to rakhte the

  • jab ko.ii shaKhs apnii bisaat se baahar qadam rakhtaa hai aur taalii ya apnii ba.Daa.ii byaan kartaa hai to azraah-e-tanz kahte hai.n
  • is shaKhs ke mutaalliq kahte hai.n jo Gurbat me.n bhii amiiro.n kii sii baate.n kare
  • shekhii Khore par tanz hai

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दो या अधिक व्यक्तियों का आपसी परिचय या मेलमिलाप, परस्पर मैत्री, पहचानना, परिचय (केवल व्यक्तियों के संबंध में प्रयुक्त)

जान ही की पहचान है

मुहब्बत जब तक रहती है जब तक जान सलामत है , जिसे जानते हैं उसे ही पहचान सकते हैं ग़ैर या अजनबी आदमी को क्या पहचानें

जान न पहचान ख़ाला सलाम

(अवामी) जब कोई किसी अपरिचित के साथ बहुत उत्साह से मिलता है या चतुराई से अपनी मित्रता दिखा कर अपना मतलब निकालना चाहते हैं तो कहते हैं

जान न पहचान दिल-ओ-जान क़ुर्बान

अंजान से मोहब्बत करते समय यह कहते हैं

जान न पहचान ना-ख़्वाँदा मेहमान

रुक : जान ना पहचान बड़ी ख़ाला सलाम

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