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साँझ

संध्याकाल, सायंकाल, शाम, सूर्य डूबने से कुछ पहले तथा कुछ बाद तक का समय, सूर्य ढलने के बाद का समय, सूर्यास्त के आस-पास का समय

साँझी

दसहरे के समय मंदिरों में गोबर की बनाई हुई मूर्तियां (जो मूर्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं)

साँझा

साझा, योगदान, हिस्सादारी, हिस्सा, भाग

साँझ-सवेर

morning and evening

साँझ फूलना

संध्या होना, शाम होना

साँझ जाए और भोर आए , वो कैसे न छिनाल कहलाए

जो औरत शाम को जाये और सुबह को आए वो बदचलन समझी जाती है जो सरीहन बद हो उसे बद ही कहा जाएगा

धुर-साँझ

dusk, twilight, evening

धरती की माँ साँझ

संध्या को आराम मिलता है

धर्नी की माँ साँझ

संध्या को आराम मिलता है

मंदिर माँ सभी साँझ से राखो दीपक बाल, साँझ अँधेरे बैठना है इती भौंडी चाल

सर-ए-शाम घर में चिराग़ जलाना चाहिए, क्योंकि शाम ही से अंधेरे में बैठ रहना बहुत भिवंडी बात है

एक तो मुआ अन-भाया था, दूसरे सही साँझ आता था

पहले तो वह मुझे पसंद नहीं था और फिर शाम से ही आकर अड्डा जमाता था

भोरे भुलाए साँझ घरे आवे ओ भुलेल न कहलावे

सुबह का भोला शाम को घर आ जाये तो उसे भोला नहीं कहना चाहीए

तड़के का भूला साँझ को आए तो भूला नहीं कहलाता

रुक : सुबह का भोला शाम को आए, अगर कोई शख़्स थोड़ा सा भटक कर राह रास्त पर आजाए तो उसे गुमराह नहीं समझना चाहिए

एक तो मुआ अन-भाया था, दूसरे सई साँझ से आता था

पहले तो वह मुझे पसंद नहीं था और फिर शाम से ही आकर अड्डा जमाता था

सवेरे का भूला साँझ को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर ग़लती करने वाला जल्द ही उस की तलाफ़ी कर दे तो काबिल-ए-माफ़ी है, इंसान गुनाह करके तौबा करे तो ग़नीमत है, अगर बिगड़ने के बाद सुधर जाये तो बुरा नहीं

मंदिर माँ सभी साँच से राखो दीपक बाल, साँझ अँधेरे बैठना है इती भौंडी चाल

सर-ए-शाम घर में चिराग़ जलाना चाहिए, क्योंकि शाम ही से अंधेरे में बैठ रहना बहुत भिवंडी बात है

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

जिस घर बडे न बूझें दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जाएँगे जिन की त्रिया बाँझ

जिस घर में बड़ों की इज़्ज़त ना हो या शाम को दिए ना जलें या जिस घर में बांझ औरत हो वो घर उजड़ जाते हैं

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न कभी फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

जिस घर बड़े न बूझिए दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जानिए जिन की त्रिया बाँझ

जिस घर में बड़ों की इज़्ज़त ना हो या शाम को दिए ना जलें या जिस घर में बांझ औरत हो वो घर उजड़ जाते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में साँझ जाए और भोर आए , वो कैसे न छिनाल कहलाए के अर्थदेखिए

साँझ जाए और भोर आए , वो कैसे न छिनाल कहलाए

saa.njh jaa.e aur bhor aa.e , vo kaise na chhinaal kahlaa.eسانجھ جائے اَور بھور آئے ، وہ کَیسے نَہ چِھنال کَہْلائے

कहावत

साँझ जाए और भोर आए , वो कैसे न छिनाल कहलाए के हिंदी अर्थ

  • जो औरत शाम को जाये और सुबह को आए वो बदचलन समझी जाती है जो सरीहन बद हो उसे बद ही कहा जाएगा

سانجھ جائے اَور بھور آئے ، وہ کَیسے نَہ چِھنال کَہْلائے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • جو عورت شام کو جائے اور صبح کو آئے وہ بدچلن سمجھی جاتی ہے جو صریحاً بد ہو اُسے بد ہی کہا جائے گا.

Urdu meaning of saa.njh jaa.e aur bhor aa.e , vo kaise na chhinaal kahlaa.e

  • Roman
  • Urdu

  • jo aurat shaam ko jaaye aur subah ko aa.e vo badachlan samjhii jaatii hai jo sariihan bad ho use bad hii kahaa jaa.egaa

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साँझ

संध्याकाल, सायंकाल, शाम, सूर्य डूबने से कुछ पहले तथा कुछ बाद तक का समय, सूर्य ढलने के बाद का समय, सूर्यास्त के आस-पास का समय

साँझी

दसहरे के समय मंदिरों में गोबर की बनाई हुई मूर्तियां (जो मूर्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं)

साँझा

साझा, योगदान, हिस्सादारी, हिस्सा, भाग

साँझ-सवेर

morning and evening

साँझ फूलना

संध्या होना, शाम होना

साँझ जाए और भोर आए , वो कैसे न छिनाल कहलाए

जो औरत शाम को जाये और सुबह को आए वो बदचलन समझी जाती है जो सरीहन बद हो उसे बद ही कहा जाएगा

धुर-साँझ

dusk, twilight, evening

धरती की माँ साँझ

संध्या को आराम मिलता है

धर्नी की माँ साँझ

संध्या को आराम मिलता है

मंदिर माँ सभी साँझ से राखो दीपक बाल, साँझ अँधेरे बैठना है इती भौंडी चाल

सर-ए-शाम घर में चिराग़ जलाना चाहिए, क्योंकि शाम ही से अंधेरे में बैठ रहना बहुत भिवंडी बात है

एक तो मुआ अन-भाया था, दूसरे सही साँझ आता था

पहले तो वह मुझे पसंद नहीं था और फिर शाम से ही आकर अड्डा जमाता था

भोरे भुलाए साँझ घरे आवे ओ भुलेल न कहलावे

सुबह का भोला शाम को घर आ जाये तो उसे भोला नहीं कहना चाहीए

तड़के का भूला साँझ को आए तो भूला नहीं कहलाता

रुक : सुबह का भोला शाम को आए, अगर कोई शख़्स थोड़ा सा भटक कर राह रास्त पर आजाए तो उसे गुमराह नहीं समझना चाहिए

एक तो मुआ अन-भाया था, दूसरे सई साँझ से आता था

पहले तो वह मुझे पसंद नहीं था और फिर शाम से ही आकर अड्डा जमाता था

सवेरे का भूला साँझ को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर ग़लती करने वाला जल्द ही उस की तलाफ़ी कर दे तो काबिल-ए-माफ़ी है, इंसान गुनाह करके तौबा करे तो ग़नीमत है, अगर बिगड़ने के बाद सुधर जाये तो बुरा नहीं

मंदिर माँ सभी साँच से राखो दीपक बाल, साँझ अँधेरे बैठना है इती भौंडी चाल

सर-ए-शाम घर में चिराग़ जलाना चाहिए, क्योंकि शाम ही से अंधेरे में बैठ रहना बहुत भिवंडी बात है

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

जिस घर बडे न बूझें दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जाएँगे जिन की त्रिया बाँझ

जिस घर में बड़ों की इज़्ज़त ना हो या शाम को दिए ना जलें या जिस घर में बांझ औरत हो वो घर उजड़ जाते हैं

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न कभी फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

जिस घर बड़े न बूझिए दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जानिए जिन की त्रिया बाँझ

जिस घर में बड़ों की इज़्ज़त ना हो या शाम को दिए ना जलें या जिस घर में बांझ औरत हो वो घर उजड़ जाते हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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