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हम को

हमें

हम को पीटे

एक प्रकार की कड़ी शपथ जो अपने किसी प्रियजन को दी जाती है अर्थत अगर ऐसा करे तो हमें मरा हुआ देखे और रोए

हम को गाड़े हमारी भती खाए

इसका मतलब है कि हमें दफ़्नाया जाए, एक प्रकार की कठोर प्रजाति

हम को यार की यारी से काम , यार की बातों से क्या काम

अपने काम से काम रखना, अपना फ़ायदा हासिल करना, दूसरे की नुक़्सान की पर्वा ना करना, अपना उल्लू सीधा करना

हम को हे हे करे

रुक : हम को पीटे

हमूँ का

हमारी, हमारा

हमीं को

हम ही को, सिर्फ़ हमें

हम कौन हैं

हम इस योग्य नहीं, हमको इसमें कोई अधिकार नहीं

हम-कुफ़्व

एक गोत्रवाले, एक जाति-वाले, ममवर्ण सहगोत्र, सजातीय

हम-कौन

۔ ہم اس لائق نہیں۔ ہمارا اس معاملہ میں کچھ دخل نہیں۔

हम-क़ौम

एक ही जाति के, एक जातिवाले, सजातीय, एक राष्ट्रवाले, सहराष्ट्र

हम रोटी नहीं खाते रोटी हम को खाती है

بڑی تنگی سے بسر ہوتی ہے ، کھانے کی محنت اور تکلیف زیادہ تنگ کرتی ہے

हम चाहें तेरे दाएँ को , तुम चाहो हमारे बाएँ को

(अविर) औरतें उस वक़्त बोलती हैं जब कोई किसी से बेवफाई करे

तुम को हम से अनेक हैं हम को तुम सा एक, रवी को कंवल अनेक हैं कंवल को रवी एक

वफ़ादार पत्नी अपने पति से कहती है कि तुम्हारे लिए तो मेरे जैसी बहुत सी स्त्रियाँ हैं मगर मेरे लिए तुम एक ही हो जैसे सूरज के लिए कंवल बहुत हैं मगर कंवल के लिए सूरज एक ही है

वो मर गए हम को मरना है

परिणाम स्वरूप हर एक को मरना है (क़सम के रूप में या सत्यता का विश्वास दिलाने के लिए) सबको एक दिन मरना है, मानव नश्वर है (पछतावे के प्रकटन के रूप में)

तुम को हम सी अनेक हैं हम को तुम सा एक, रवी को कंवल अनेक हैं कंवल को रवी एक

वफ़ादार पत्नी अपने पति से कहती है कि तुम्हारे लिए तो मेरे जैसी बहुत सी स्त्रियाँ हैं मगर मेरे लिए तुम एक ही हो जैसे सूरज के लिए कंवल बहुत हैं मगर कंवल के लिए सूरज एक ही है

हम ही को करना सिखाने आया है

वह हमसे चालाकी करता है

मरो या जियो हम को अपने हलवे माँडे से मतलब है

स्वार्थी का कहना कि चाहे कोई मरे या जिये उन का फ़ायदा हो

हम तो डूबे हैं मगर यार को ले डूबेंगे

दूसरों को मुसीबत में अपने साथ फंसाना

झूटे घर को घर कहें और साँचे घर को गोर , हम चलें घर आपने और लोग मचावें शोर

असल घर तो क़ब्र है, आदमी मर जाता है तो लोग ख़्वाहमख़्वाह शोर मचाते हैं उस वक़्त तो इंसान अपने असली घर को जाता है

कुछ तुम ने समझा, कुछ हम ने समझा, औरों को ख़बर न हुई

किसी बात का तुम्हें ख़याल हुआ किसी बात का हमें, इस प्रकार बात बन गई

हम तो डूबे हैं सनम तुम को भी ले डूबेंगे

हम ख़ुद तो फँसे हैं तुम को भी फँसाएगे, इसका उपयोग तब किया जाता है जब यह कहा जाता है कि एक व्यक्ति स्वयं मुसीबत में है और दूसरों को भी मुसीबत मे डालेगा

हमीं को रोए

हम ही को रोय, हमें ही पीटे

साजन हम तुम ऐक हैं देखत के हैं दो, मन से मन को तौल दो मन कदी न हो

हम तुम असल में एक हैं भले ही दो दिखाई देते हैं

हमीं को हे हे करके पीटे

रुक : हमें है है करे , हमारा मातम करे, हमारा मुर्दा देखे

कोई कह के सुनाए, हम कर के दिखाएँ

हम बातें करने वाले नहीं काम करने वाले हैं

लोहा करे अपनी बड़ाई, हम भी हैं महा देव के भाई

योग्यता साधारण दावा बहुत बड़ा

लोहा करे अपनी लड़ाई, हम भी हैं महा देव के भाई

योग्यता साधारण दावा बहुत बड़ा

वली सब का अल्लाह है हम तो रखवाले हैं

सब का मालिक ईश्वर है हम तो मात्र रखवाले हैं

सब से भले हम, न रहे की शादी न गए का ग़म

निश्चिंत आज़ाद व्यक्ति को न किसी की ख़ुशी न दुख या चिंता, वह हर चीज़ से निस्पृह होता है

हवा का हम-क़दम होना

हुआ के साथ चलना, बहुत तेज़ी के साथ चलना या उड़ना

चमगादड़ के घर मेहमान आए, हम भी लटकें तुम भी लटको

जैसे व्यक्ति के घर जाओगे वैसा ही सम्मान पाओगे, समाज जैसा करे वैसा ही करो

कोई काम करे दाम से, हम दाम करें काम से

कोई रुपय से रुपया कमाता है, हम काम कर के कमाते हैं

मुफ़्त के खाने वाले हम और हमारा भाई

वहां कहते हैं जहां कोई बेशरमी से लोगों का माल खाए

चमगादड़ों के घर मेहमान आए, हम भी लटकें तुम भी लटको

जैसे व्यक्ति के घर जाओगे वैसा ही सम्मान पाओगे, समाज जैसा करे वैसा ही करो

हर कि दंदाँ दाद नान हम मी दहद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस ने दाँत दिए वही रोटी भी देगा, इंसान को रिज़्क की तलब में ज़्यादा परेशान ना होना चाहिए ख़ुदा पर भरोसा करना चाहिए

'उम्रत दराज़ बाद कि ईं हम ग़नीमत अस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जब खी निकम्मे आदमी से कोई मामूली काम हो जाये तो कहते हैं कि तेरी उमरदराज़ हो, ये भी ग़नीमत है

हम क्या राँड के जँवाई हैं

کیا ہم بہت کمزور یا غریب ہیں جو تم ہم سے ایسا برتاؤ کرتے ہو

तीन दिन का छोकरा हमें सिखावत बात

जब कोई कमउमर मश्वरा दे तो उम्र रसीदा कहते हैं

हम भी कोई हैं

हम से भी कोई रिश्ता और ख़ुसूसीयत है , हमारा भी बड़ा मर्तबा है

सब कोई झूमर पहिरे लंगडी कहे हम-हूँ

हर एक को देख कर वो भी जिसे किसी चीज़ की आवश्यकता न हो रेस करे तो कहते हैं

हम क्या तेरे पट्टी तले के हैं

ہم تجھ سے کسی طرح کم نہیں ہیں

मियाँ कमाते क्या हो एक से दस, सास नंद को छोड़ दो, हमें तुम्हें बस

जो कुछ तुम कमाते हो वो हमारे लिए बहुत है, सास-नंद को छोड़ कर अलग हो जाओ

तीन दिन का छोकरा हमें सिखाता है

जब कोई कमउमर मश्वरा दे तो उम्र रसीदा कहते हैं

हम-संग घर का जाया

पड़ोसी अपने घर वालों की तरह होता है, पड़ोसी अस्ली रिश्तेदार के जैसा होता

हमारी हम से पूछो, कोहकन की कोहकन जाने

جس بات کا ہمارے ساتھ کچھ تعلق نہیں، ہمیں اس کا پتہ نہیں

उज्ज्वल बरन अधीनता एक चरन दो ध्यान, हम जाने तुम भगत हो निरे कपट की खान

बगुला भगत अर्थात बाहर से कुछ एवं भीतर से कुछ, बाहर से अच्छा एवं भीतर से बुरा

खेती कर के हम मरे, बहोरे के कोठे भरे

किसान की मेहनत की कमाई साहूकार के घर जाती है

उजल बरन अधीनता एक चरन दो ध्यान, हम जाने तुम भगत हो निरे कपट की खान

बगुला भगत अर्थात बाहर से कुछ एवं भीतर से कुछ, बाहर से अच्छा एवं भीतर से बुरा

हम अभी से फ़ातिहा के लिए हाथ उठाते हैं

(महिला) जब कोई झूट-मूट मरने की धमकी देता है तो औरतें कहती हैं

पीतम बसें पहाड़ पर और हम जमुना के तीर, अब कि मिलना कठिन है कि पाँव पड़ी ज़ंजीर

प्रीतम पहाड़ पर रहता है और हम जमुना के किनारे अब मिलना मुश्किल है क्यूँकि रखवाली होती है अर्थात यहाँ से निकलना कठिन है

हम किस खेत की मूली हैं

हमारी क्या हैसियत है, हमारा क्या ज़ोर है, हमारी कौन सुनता है

हम साँप नहीं हैं कि जीएँ चाट कर मिट्टी

हमें कुछ मिलना चाहिए, बहुत दिनों तक तनख़्वाह या मज़दूरी ना मिले तो कहते हैं

झींगर बैठे बुक़्चे पर कहे कि हम मालिक हैं

झीन कपड़ों के बुक़चे को लग जाये तो कुछ छोड़ता ही नहीं

ये भी कहेंगे कि हमें बकरी बंदर ले दो

महिज़ नादान और बेवक़ूफ़ हैं, किसी की बेवक़ूफ़ी ज़ाहिर करने के मौके़ पर बोलते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में क़दीम-उल-ख़िदमत के अर्थदेखिए

क़दीम-उल-ख़िदमत

qadiim-ul-KHidmatقَدِیمُ الْخِدْمَت

स्रोत: अरबी

वज़्न : 12222

क़दीम-उल-ख़िदमत के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • पुराना सेवक, बाप-दादा के समय का नौकर

English meaning of qadiim-ul-KHidmat

Noun, Feminine

  • very old servant

قَدِیمُ الْخِدْمَت کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مؤنث

  • پرانا خدمت گزار، باپ دادا کے وقت کا ملازم

Urdu meaning of qadiim-ul-KHidmat

  • Roman
  • Urdu

  • puraanaa Khidamataguzaar, baap daada ke vaqt ka mulaazim

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हम को

हमें

हम को पीटे

एक प्रकार की कड़ी शपथ जो अपने किसी प्रियजन को दी जाती है अर्थत अगर ऐसा करे तो हमें मरा हुआ देखे और रोए

हम को गाड़े हमारी भती खाए

इसका मतलब है कि हमें दफ़्नाया जाए, एक प्रकार की कठोर प्रजाति

हम को यार की यारी से काम , यार की बातों से क्या काम

अपने काम से काम रखना, अपना फ़ायदा हासिल करना, दूसरे की नुक़्सान की पर्वा ना करना, अपना उल्लू सीधा करना

हम को हे हे करे

रुक : हम को पीटे

हमूँ का

हमारी, हमारा

हमीं को

हम ही को, सिर्फ़ हमें

हम कौन हैं

हम इस योग्य नहीं, हमको इसमें कोई अधिकार नहीं

हम-कुफ़्व

एक गोत्रवाले, एक जाति-वाले, ममवर्ण सहगोत्र, सजातीय

हम-कौन

۔ ہم اس لائق نہیں۔ ہمارا اس معاملہ میں کچھ دخل نہیں۔

हम-क़ौम

एक ही जाति के, एक जातिवाले, सजातीय, एक राष्ट्रवाले, सहराष्ट्र

हम रोटी नहीं खाते रोटी हम को खाती है

بڑی تنگی سے بسر ہوتی ہے ، کھانے کی محنت اور تکلیف زیادہ تنگ کرتی ہے

हम चाहें तेरे दाएँ को , तुम चाहो हमारे बाएँ को

(अविर) औरतें उस वक़्त बोलती हैं जब कोई किसी से बेवफाई करे

तुम को हम से अनेक हैं हम को तुम सा एक, रवी को कंवल अनेक हैं कंवल को रवी एक

वफ़ादार पत्नी अपने पति से कहती है कि तुम्हारे लिए तो मेरे जैसी बहुत सी स्त्रियाँ हैं मगर मेरे लिए तुम एक ही हो जैसे सूरज के लिए कंवल बहुत हैं मगर कंवल के लिए सूरज एक ही है

वो मर गए हम को मरना है

परिणाम स्वरूप हर एक को मरना है (क़सम के रूप में या सत्यता का विश्वास दिलाने के लिए) सबको एक दिन मरना है, मानव नश्वर है (पछतावे के प्रकटन के रूप में)

तुम को हम सी अनेक हैं हम को तुम सा एक, रवी को कंवल अनेक हैं कंवल को रवी एक

वफ़ादार पत्नी अपने पति से कहती है कि तुम्हारे लिए तो मेरे जैसी बहुत सी स्त्रियाँ हैं मगर मेरे लिए तुम एक ही हो जैसे सूरज के लिए कंवल बहुत हैं मगर कंवल के लिए सूरज एक ही है

हम ही को करना सिखाने आया है

वह हमसे चालाकी करता है

मरो या जियो हम को अपने हलवे माँडे से मतलब है

स्वार्थी का कहना कि चाहे कोई मरे या जिये उन का फ़ायदा हो

हम तो डूबे हैं मगर यार को ले डूबेंगे

दूसरों को मुसीबत में अपने साथ फंसाना

झूटे घर को घर कहें और साँचे घर को गोर , हम चलें घर आपने और लोग मचावें शोर

असल घर तो क़ब्र है, आदमी मर जाता है तो लोग ख़्वाहमख़्वाह शोर मचाते हैं उस वक़्त तो इंसान अपने असली घर को जाता है

कुछ तुम ने समझा, कुछ हम ने समझा, औरों को ख़बर न हुई

किसी बात का तुम्हें ख़याल हुआ किसी बात का हमें, इस प्रकार बात बन गई

हम तो डूबे हैं सनम तुम को भी ले डूबेंगे

हम ख़ुद तो फँसे हैं तुम को भी फँसाएगे, इसका उपयोग तब किया जाता है जब यह कहा जाता है कि एक व्यक्ति स्वयं मुसीबत में है और दूसरों को भी मुसीबत मे डालेगा

हमीं को रोए

हम ही को रोय, हमें ही पीटे

साजन हम तुम ऐक हैं देखत के हैं दो, मन से मन को तौल दो मन कदी न हो

हम तुम असल में एक हैं भले ही दो दिखाई देते हैं

हमीं को हे हे करके पीटे

रुक : हमें है है करे , हमारा मातम करे, हमारा मुर्दा देखे

कोई कह के सुनाए, हम कर के दिखाएँ

हम बातें करने वाले नहीं काम करने वाले हैं

लोहा करे अपनी बड़ाई, हम भी हैं महा देव के भाई

योग्यता साधारण दावा बहुत बड़ा

लोहा करे अपनी लड़ाई, हम भी हैं महा देव के भाई

योग्यता साधारण दावा बहुत बड़ा

वली सब का अल्लाह है हम तो रखवाले हैं

सब का मालिक ईश्वर है हम तो मात्र रखवाले हैं

सब से भले हम, न रहे की शादी न गए का ग़म

निश्चिंत आज़ाद व्यक्ति को न किसी की ख़ुशी न दुख या चिंता, वह हर चीज़ से निस्पृह होता है

हवा का हम-क़दम होना

हुआ के साथ चलना, बहुत तेज़ी के साथ चलना या उड़ना

चमगादड़ के घर मेहमान आए, हम भी लटकें तुम भी लटको

जैसे व्यक्ति के घर जाओगे वैसा ही सम्मान पाओगे, समाज जैसा करे वैसा ही करो

कोई काम करे दाम से, हम दाम करें काम से

कोई रुपय से रुपया कमाता है, हम काम कर के कमाते हैं

मुफ़्त के खाने वाले हम और हमारा भाई

वहां कहते हैं जहां कोई बेशरमी से लोगों का माल खाए

चमगादड़ों के घर मेहमान आए, हम भी लटकें तुम भी लटको

जैसे व्यक्ति के घर जाओगे वैसा ही सम्मान पाओगे, समाज जैसा करे वैसा ही करो

हर कि दंदाँ दाद नान हम मी दहद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस ने दाँत दिए वही रोटी भी देगा, इंसान को रिज़्क की तलब में ज़्यादा परेशान ना होना चाहिए ख़ुदा पर भरोसा करना चाहिए

'उम्रत दराज़ बाद कि ईं हम ग़नीमत अस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जब खी निकम्मे आदमी से कोई मामूली काम हो जाये तो कहते हैं कि तेरी उमरदराज़ हो, ये भी ग़नीमत है

हम क्या राँड के जँवाई हैं

کیا ہم بہت کمزور یا غریب ہیں جو تم ہم سے ایسا برتاؤ کرتے ہو

तीन दिन का छोकरा हमें सिखावत बात

जब कोई कमउमर मश्वरा दे तो उम्र रसीदा कहते हैं

हम भी कोई हैं

हम से भी कोई रिश्ता और ख़ुसूसीयत है , हमारा भी बड़ा मर्तबा है

सब कोई झूमर पहिरे लंगडी कहे हम-हूँ

हर एक को देख कर वो भी जिसे किसी चीज़ की आवश्यकता न हो रेस करे तो कहते हैं

हम क्या तेरे पट्टी तले के हैं

ہم تجھ سے کسی طرح کم نہیں ہیں

मियाँ कमाते क्या हो एक से दस, सास नंद को छोड़ दो, हमें तुम्हें बस

जो कुछ तुम कमाते हो वो हमारे लिए बहुत है, सास-नंद को छोड़ कर अलग हो जाओ

तीन दिन का छोकरा हमें सिखाता है

जब कोई कमउमर मश्वरा दे तो उम्र रसीदा कहते हैं

हम-संग घर का जाया

पड़ोसी अपने घर वालों की तरह होता है, पड़ोसी अस्ली रिश्तेदार के जैसा होता

हमारी हम से पूछो, कोहकन की कोहकन जाने

جس بات کا ہمارے ساتھ کچھ تعلق نہیں، ہمیں اس کا پتہ نہیں

उज्ज्वल बरन अधीनता एक चरन दो ध्यान, हम जाने तुम भगत हो निरे कपट की खान

बगुला भगत अर्थात बाहर से कुछ एवं भीतर से कुछ, बाहर से अच्छा एवं भीतर से बुरा

खेती कर के हम मरे, बहोरे के कोठे भरे

किसान की मेहनत की कमाई साहूकार के घर जाती है

उजल बरन अधीनता एक चरन दो ध्यान, हम जाने तुम भगत हो निरे कपट की खान

बगुला भगत अर्थात बाहर से कुछ एवं भीतर से कुछ, बाहर से अच्छा एवं भीतर से बुरा

हम अभी से फ़ातिहा के लिए हाथ उठाते हैं

(महिला) जब कोई झूट-मूट मरने की धमकी देता है तो औरतें कहती हैं

पीतम बसें पहाड़ पर और हम जमुना के तीर, अब कि मिलना कठिन है कि पाँव पड़ी ज़ंजीर

प्रीतम पहाड़ पर रहता है और हम जमुना के किनारे अब मिलना मुश्किल है क्यूँकि रखवाली होती है अर्थात यहाँ से निकलना कठिन है

हम किस खेत की मूली हैं

हमारी क्या हैसियत है, हमारा क्या ज़ोर है, हमारी कौन सुनता है

हम साँप नहीं हैं कि जीएँ चाट कर मिट्टी

हमें कुछ मिलना चाहिए, बहुत दिनों तक तनख़्वाह या मज़दूरी ना मिले तो कहते हैं

झींगर बैठे बुक़्चे पर कहे कि हम मालिक हैं

झीन कपड़ों के बुक़चे को लग जाये तो कुछ छोड़ता ही नहीं

ये भी कहेंगे कि हमें बकरी बंदर ले दो

महिज़ नादान और बेवक़ूफ़ हैं, किसी की बेवक़ूफ़ी ज़ाहिर करने के मौके़ पर बोलते हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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