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काने

one- eyed

कहने

say, tell, narrate

काने के ब्याह को सौ सौ जोखों

काने की शादी बड़ी मुश्किल से होती है

काने को मुँह पर काना नहीं कहते

۔مثل۔ عیب والے کا عیب مُنھ پر نہیں کہتے۔ ؎

काने चोर कनौंडे भेंट

ज़ख़म पर चोट ज़्यादा लगती है, जिस बात का डर हो वही पेश आ जाती है, जिस से मिलना ना हो वही अदबदा कर सामने आ जाता है

काने चूट गनोंडे फेंट

۔مثل۔ جس بات کا ڈر ہو وہ پیش آجاتی ہے۔ جس شخص سے ملاقات کرنا منظور نہ ہو اُس سے یکایک ملاقات ہوجانے پر بھی بولتے ہیں۔

काने चोट कनौडे भेंट

ज़ख़म पर चोट ज़्यादा लगती है, जिस बात का डर हो वही पेश आ जाती है, जिस से मिलना ना हो वही अदबदा कर सामने आ जाता है

काने को काना प्यारा

मनुष्य को स्वयं जैसा व्यक्ति ही पसंद आता है, दुष्ट व्यक्ति की दुष्ट व्यक्ति से ही बनती है

काने की एक रग सिवा होती है

काना आदमी ज़्यादा शरीर होता है, काना आदमी बहुत पाजी होता है

कहने को

outwardly, apparently (though not really)

कहने का

دکھاوے کا ، نام کا ، قول کی حد تک کا.

कहने के

دکھاوے کا ، نام کا ، قول کی حد تک کا.

कहने-में

under command or control, subject to orders, submissive, obedient, in hand

तीन काने होना

चौसर का खेल खेलना

तीन काने

पाँसे के तीन बिंदू, जब तीन चिन्ह एक-एक करके ईकठ्ठे पड़ें, ये सबसे कम गिने जाते हैं

पहले पाँसे तीन काने

रुक: बिसमिल्लाह ही ग़लत

चार काने पड़ना

(चौसर) पाँसे में चार बिंदुओं का इस तरह आना कि दो दो बिंदु एक पाँसे में और एक एक बिंदु दो पाँसों में और लकीर एक भी न हो दाँव का इच्छानुसार न पड़ना, दाँव का ख़राब आना

यह तीन काने और यह पौ बारा

एक अभागा है और एक भाग्यवान

कहने वाला

شعر کہنے والا ، قصہ گو ، راوی ، بیان کرنے والا.

कहने को होना

۱. इल्ज़ाम देने या ऐब निकालने या बात बनाने का बहाना मिल जाना

कहने के साथ

कहते ही, ज़बान से निकलते ही

कहने पे जाना

किसी के कहने पर अमल करना, कहे में आना, बहकाने में आना

कहने पर जाना

किसी के कहने पर अमल करना, कहे में आना, बहकाने में आना

कहने पे चलना

रुक : कहने पर जाना

कहने पर चलना

रुक : कहने पर जाना

कहने को हो जाना

۱. इल्ज़ाम देने या ऐब निकालने या बात बनाने का बहाना मिल जाना

कहने सुने से

۔۱۔سمجھانے بجھانے سے۔ ؎ ۲۔ لگائی بجھائی کرنے سے۔

कहने से बाहर होना

आज्ञा न मानना, नियंत्रण में न रहना, आज्ञा का पालन न करना, आज्ञाकारी न होना

कहने के लिए

رک : کہنے کو.

कहने के वास्ते

नाम मात्र, कहने को, बहुत कम मात्रा में

कहने की बात है

۔غل ہے۔ اس کی کچھ اصلیَّت نہیں ہے۔ ؎

कहने सुनने पर आ जाना

बहकाने पर कारबन्द होना , दुश्मन वग़ैरा की बात का एतबार कर लेना, किसी की शिकायत या चुगु़लख़ोरी पर बग़ैर तहक़ीक़ यक़ीन कर लेना

कहने को बात रह जाना

शिकायत और शिकायत बाक़ी रहना और समय निकल जाना, समय गुज़र जाने के बाद भी शिकायत और दुख का बाक़ी रहना

अंधे हाफ़िज़ काने राजा

(हास्यात्मक) अंधे मुसलमान को हाफ़िज़ और काने आदमी को राजा जाता है

शैख़ और तीन काने

अनावश्यक शेख़ी और दिखावा

कहने में आ जाना

छल में फँस जाना, झांसे में आ जाना, धोके में फँस जाना, बहकाने में आ जाना

कहने से बात पराई होती है

मुँह से बात निकल जाए तो प्रसिद्ध हो जाती है

कहने में होना

नियंत्रण में होना

कहने-सुनने

कहना-सुनना का बहु., तथा लघु.,

कहने को बात रह गई

۔وقت نکل گیا۔ لیکن شکوہ باقی رہ گیا۔ ؎

कहने की बात रह गई

۔الزام باقی رہا شکایت باقی رہ گئی۔ ؎

चार-काने

(چوسر) داؤ کی اس صورت کا نام، جس میں تینوں پانسے پھینکنے کے بعد چاروں نقطے اس طرح آئیں کہ ایک پانسے میں دو صفر (نقطے) ہوں اور دو پانسوں میں ایک ایک

कहने-सुनने को

गिनने में, देखने में

कहने सुनने में आ जाना

बहकाने पर कारबन्द होना , दुश्मन वग़ैरा की बात का एतबार कर लेना, किसी की शिकायत या चुगु़लख़ोरी पर बग़ैर तहक़ीक़ यक़ीन कर लेना

कहने-सुनने पर जाना

बात मान लेना, बहकने में आ जाना, भड़काने पर अमल करना, छल में आना

कहने को आँधी, करने को ख़ाक

बेअमल बातूनी, जो बातें बनाए और कुछ भी ना करे धरे, निकम्मा, ज़बानी जमा ख़र्च करने वाला

काना मुझे सुहाए नहीं, काने बिन भाए नहीं

एक व्यक्ति से नफ़रत या घृणा करना और बिना उसके रह भी नहीं सकता

काना मुझे भाए नहीं, काने बिन सुहाए नहीं

एक व्यक्ति से नफ़रत या घृणा करना और बिना उसके रह भी नहीं सकता

पीर को न शहीद को पहले काने चोर को

जब कोई कम हैसियत शख़्स अपने आप को औरों पर मुक़द्दम समझे तो उस वक़्त कहते हैं

पीर को न फ़क़ीर को पहले काने चोर को

जब कोई कम हैसियत शख़्स अपने आप को औरों पर मुक़द्दम समझे तो उस वक़्त कहते हैं

कहने की बात नहीं

۔کہنے کے قابل بات نہیں ہے۔ ؎

चार काने आना

(चौसर) पाँसे में चार बिंदुओं का इस तरह आना कि दो दो बिंदु एक पाँसे में और एक एक बिंदु दो पाँसों में और लकीर एक भी न हो दाँव का इच्छानुसार न पड़ना, दाँव का ख़राब आना

काना मुझ को भाए नहीं, काने बिन सुहाए नहीं

एक व्यक्ति से नफ़रत या घृणा करना और बिना उसके रह भी नहीं सकता

कहने-सुनने में आ जाना

۔لگائی بجھائی پر عمل کرنا۔ ؎

कहने की बातें हैं

۔صرف زبانی جمع خرچ ہے۔ ؎

कहने से ज़िद सिवा होती है

आदमी को जिस क़दर समझाओ उसी क़दर वो ज़्यादा हिट करता है

शेख़ी और तीन काने

बहुत अधिक दिखावा और नुमाइश करना

कहने को नन्ही खा जावे धन्नी

देखने के लिए थोड़ा और और खाने के लिए बहुत कुछ, देखने में ज़रा सी और खाए बहुत

कहने से कुम्हार गधे पर नहीं चढ़ना

महिज़ मुंह से बोलने या मांगने से मुराद पर नहीं आती, हर ख़ाहिश पूरी नहीं होती

कहने को मुँह में ज़बान रखते हैं

सवाल का जवाब दे सकते हैं, जैसा कहोगे वैसा सुनोगे , बराए नाम ज़बान है, गोयाई के काबिल नहीं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में पीर को न फ़क़ीर को पहले काने चोर को के अर्थदेखिए

पीर को न फ़क़ीर को पहले काने चोर को

piir ko na faqiir ko pahle kaane chor koپِیر کو نَہ فَقِیر کو پَہلے کانے چور کو

अथवा : पीर को न शहीद को पहले काने चोर को, पीर को न शहीद को पहले नकटे देव को

कहावत

पीर को न फ़क़ीर को पहले काने चोर को के हिंदी अर्थ

  • जब कोई कम हैसियत शख़्स अपने आप को औरों पर मुक़द्दम समझे तो उस वक़्त कहते हैं
  • जो वस्तु दूसरों के लिए तैयार की गई हो उसे जब कोई बहुत अयोग्य व्यक्ति माँगे तब कहते हैं

پِیر کو نَہ فَقِیر کو پَہلے کانے چور کو کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • جب کوئی کم حیثیت شخص اپنے آپ کو اوروں پر مقدم سمجھے تو اس وقت کہتے ہیں
  • جو چیز دوسروں کے لئے تیار کی گئی ہو اسے جب کوئی بہت نااہل شخص مانگ لے تب کہتے ہیں

Urdu meaning of piir ko na faqiir ko pahle kaane chor ko

  • Roman
  • Urdu

  • jab ko.ii kam haisiyat shaKhs apne aap ko auro.n par muqaddam samjhe to us vaqt kahte hai.n
  • jo chiiz duusro.n ke li.e taiyyaar kii ga.ii ho use jab ko.ii bahut naaahal shaKhs maang le tab kahte hai.n

खोजे गए शब्द से संबंधित

काने

one- eyed

कहने

say, tell, narrate

काने के ब्याह को सौ सौ जोखों

काने की शादी बड़ी मुश्किल से होती है

काने को मुँह पर काना नहीं कहते

۔مثل۔ عیب والے کا عیب مُنھ پر نہیں کہتے۔ ؎

काने चोर कनौंडे भेंट

ज़ख़म पर चोट ज़्यादा लगती है, जिस बात का डर हो वही पेश आ जाती है, जिस से मिलना ना हो वही अदबदा कर सामने आ जाता है

काने चूट गनोंडे फेंट

۔مثل۔ جس بات کا ڈر ہو وہ پیش آجاتی ہے۔ جس شخص سے ملاقات کرنا منظور نہ ہو اُس سے یکایک ملاقات ہوجانے پر بھی بولتے ہیں۔

काने चोट कनौडे भेंट

ज़ख़म पर चोट ज़्यादा लगती है, जिस बात का डर हो वही पेश आ जाती है, जिस से मिलना ना हो वही अदबदा कर सामने आ जाता है

काने को काना प्यारा

मनुष्य को स्वयं जैसा व्यक्ति ही पसंद आता है, दुष्ट व्यक्ति की दुष्ट व्यक्ति से ही बनती है

काने की एक रग सिवा होती है

काना आदमी ज़्यादा शरीर होता है, काना आदमी बहुत पाजी होता है

कहने को

outwardly, apparently (though not really)

कहने का

دکھاوے کا ، نام کا ، قول کی حد تک کا.

कहने के

دکھاوے کا ، نام کا ، قول کی حد تک کا.

कहने-में

under command or control, subject to orders, submissive, obedient, in hand

तीन काने होना

चौसर का खेल खेलना

तीन काने

पाँसे के तीन बिंदू, जब तीन चिन्ह एक-एक करके ईकठ्ठे पड़ें, ये सबसे कम गिने जाते हैं

पहले पाँसे तीन काने

रुक: बिसमिल्लाह ही ग़लत

चार काने पड़ना

(चौसर) पाँसे में चार बिंदुओं का इस तरह आना कि दो दो बिंदु एक पाँसे में और एक एक बिंदु दो पाँसों में और लकीर एक भी न हो दाँव का इच्छानुसार न पड़ना, दाँव का ख़राब आना

यह तीन काने और यह पौ बारा

एक अभागा है और एक भाग्यवान

कहने वाला

شعر کہنے والا ، قصہ گو ، راوی ، بیان کرنے والا.

कहने को होना

۱. इल्ज़ाम देने या ऐब निकालने या बात बनाने का बहाना मिल जाना

कहने के साथ

कहते ही, ज़बान से निकलते ही

कहने पे जाना

किसी के कहने पर अमल करना, कहे में आना, बहकाने में आना

कहने पर जाना

किसी के कहने पर अमल करना, कहे में आना, बहकाने में आना

कहने पे चलना

रुक : कहने पर जाना

कहने पर चलना

रुक : कहने पर जाना

कहने को हो जाना

۱. इल्ज़ाम देने या ऐब निकालने या बात बनाने का बहाना मिल जाना

कहने सुने से

۔۱۔سمجھانے بجھانے سے۔ ؎ ۲۔ لگائی بجھائی کرنے سے۔

कहने से बाहर होना

आज्ञा न मानना, नियंत्रण में न रहना, आज्ञा का पालन न करना, आज्ञाकारी न होना

कहने के लिए

رک : کہنے کو.

कहने के वास्ते

नाम मात्र, कहने को, बहुत कम मात्रा में

कहने की बात है

۔غل ہے۔ اس کی کچھ اصلیَّت نہیں ہے۔ ؎

कहने सुनने पर आ जाना

बहकाने पर कारबन्द होना , दुश्मन वग़ैरा की बात का एतबार कर लेना, किसी की शिकायत या चुगु़लख़ोरी पर बग़ैर तहक़ीक़ यक़ीन कर लेना

कहने को बात रह जाना

शिकायत और शिकायत बाक़ी रहना और समय निकल जाना, समय गुज़र जाने के बाद भी शिकायत और दुख का बाक़ी रहना

अंधे हाफ़िज़ काने राजा

(हास्यात्मक) अंधे मुसलमान को हाफ़िज़ और काने आदमी को राजा जाता है

शैख़ और तीन काने

अनावश्यक शेख़ी और दिखावा

कहने में आ जाना

छल में फँस जाना, झांसे में आ जाना, धोके में फँस जाना, बहकाने में आ जाना

कहने से बात पराई होती है

मुँह से बात निकल जाए तो प्रसिद्ध हो जाती है

कहने में होना

नियंत्रण में होना

कहने-सुनने

कहना-सुनना का बहु., तथा लघु.,

कहने को बात रह गई

۔وقت نکل گیا۔ لیکن شکوہ باقی رہ گیا۔ ؎

कहने की बात रह गई

۔الزام باقی رہا شکایت باقی رہ گئی۔ ؎

चार-काने

(چوسر) داؤ کی اس صورت کا نام، جس میں تینوں پانسے پھینکنے کے بعد چاروں نقطے اس طرح آئیں کہ ایک پانسے میں دو صفر (نقطے) ہوں اور دو پانسوں میں ایک ایک

कहने-सुनने को

गिनने में, देखने में

कहने सुनने में आ जाना

बहकाने पर कारबन्द होना , दुश्मन वग़ैरा की बात का एतबार कर लेना, किसी की शिकायत या चुगु़लख़ोरी पर बग़ैर तहक़ीक़ यक़ीन कर लेना

कहने-सुनने पर जाना

बात मान लेना, बहकने में आ जाना, भड़काने पर अमल करना, छल में आना

कहने को आँधी, करने को ख़ाक

बेअमल बातूनी, जो बातें बनाए और कुछ भी ना करे धरे, निकम्मा, ज़बानी जमा ख़र्च करने वाला

काना मुझे सुहाए नहीं, काने बिन भाए नहीं

एक व्यक्ति से नफ़रत या घृणा करना और बिना उसके रह भी नहीं सकता

काना मुझे भाए नहीं, काने बिन सुहाए नहीं

एक व्यक्ति से नफ़रत या घृणा करना और बिना उसके रह भी नहीं सकता

पीर को न शहीद को पहले काने चोर को

जब कोई कम हैसियत शख़्स अपने आप को औरों पर मुक़द्दम समझे तो उस वक़्त कहते हैं

पीर को न फ़क़ीर को पहले काने चोर को

जब कोई कम हैसियत शख़्स अपने आप को औरों पर मुक़द्दम समझे तो उस वक़्त कहते हैं

कहने की बात नहीं

۔کہنے کے قابل بات نہیں ہے۔ ؎

चार काने आना

(चौसर) पाँसे में चार बिंदुओं का इस तरह आना कि दो दो बिंदु एक पाँसे में और एक एक बिंदु दो पाँसों में और लकीर एक भी न हो दाँव का इच्छानुसार न पड़ना, दाँव का ख़राब आना

काना मुझ को भाए नहीं, काने बिन सुहाए नहीं

एक व्यक्ति से नफ़रत या घृणा करना और बिना उसके रह भी नहीं सकता

कहने-सुनने में आ जाना

۔لگائی بجھائی پر عمل کرنا۔ ؎

कहने की बातें हैं

۔صرف زبانی جمع خرچ ہے۔ ؎

कहने से ज़िद सिवा होती है

आदमी को जिस क़दर समझाओ उसी क़दर वो ज़्यादा हिट करता है

शेख़ी और तीन काने

बहुत अधिक दिखावा और नुमाइश करना

कहने को नन्ही खा जावे धन्नी

देखने के लिए थोड़ा और और खाने के लिए बहुत कुछ, देखने में ज़रा सी और खाए बहुत

कहने से कुम्हार गधे पर नहीं चढ़ना

महिज़ मुंह से बोलने या मांगने से मुराद पर नहीं आती, हर ख़ाहिश पूरी नहीं होती

कहने को मुँह में ज़बान रखते हैं

सवाल का जवाब दे सकते हैं, जैसा कहोगे वैसा सुनोगे , बराए नाम ज़बान है, गोयाई के काबिल नहीं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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