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बखान

बखानने की क्रिया या भाव

बखानी

رک: بکھان ۔

बखानना

तारीफ या प्रशंसा करना।

बखान करना

व्याख्या करना, विस्तार से वर्णन करना

बखान डालना

अपमानित करने की ग़रज़ से किसी का पोशीदा और छिपी हुई बातों को बयान करना

मूरख के बखान सहावे

नादान को नसीहत सुनने की आदत होजाती है

नानी के आगे नन्हियाल का बखान

किसी के प्रिय की शिकायत उसी के सामने करना, जब कोई व्यक्ती किसी से किसी व्यक्ति या वस्तु के विषय में ऐसी बातें जिसके विषय में उससे अधिक जानकारी रखता हो तब व्यंग में ऐसा कहते हैं

दिन दस आदर पाय के करनी आप बखान, जो लग काग सराध पख तो लग तो सनमान

थोड़े दिनों का सम्मान, तू प्रसन्न हो ऐ कौवे सराध के दिनों में तेरा सम्मान होगा

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में पाँचों उंगलियाँ बराबर नहीं होतीं के अर्थदेखिए

पाँचों उंगलियाँ बराबर नहीं होतीं

paa.ncho.n u.ngliyaa.n baraabar nahii.n hotii.nپانچوں انگلیاں برابر نہیں ہوتیں

अथवा : पाँचों उंगलियाँ बराबर नहीं

कहावत

मूल शब्द: पाँचों

पाँचों उंगलियाँ बराबर नहीं होतीं के हिंदी अर्थ

  • मनुष्य भिन्न भिन्न स्वभाव के होते हैं, सब लोग एक से अर्थात अच्छे या बुरे नहीं होते
  • सब चीजें सब एक सी नहीं होतीं

English meaning of paa.ncho.n u.ngliyaa.n baraabar nahii.n hotii.n

  • all are not alike, all are not equally good or bad

پانچوں انگلیاں برابر نہیں ہوتیں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • آدمی مختلف طبیعت کے ہوتے ہیں، سب لوگ ایک سے یعنی اچھے یا برے نہیں ہوتے
  • سب چیزیں ایک جیسی نہیں ہوتیں

Urdu meaning of paa.ncho.n u.ngliyaa.n baraabar nahii.n hotii.n

  • Roman
  • Urdu

  • aadamii muKhtlif tabiiyat ke hote hain, sab log ek se yaanii achchhe ya bure nahii.n hote
  • sab chiize.n ek jaisii nahii.n hotii.n

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رک: بکھان ۔

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तारीफ या प्रशंसा करना।

बखान करना

व्याख्या करना, विस्तार से वर्णन करना

बखान डालना

अपमानित करने की ग़रज़ से किसी का पोशीदा और छिपी हुई बातों को बयान करना

मूरख के बखान सहावे

नादान को नसीहत सुनने की आदत होजाती है

नानी के आगे नन्हियाल का बखान

किसी के प्रिय की शिकायत उसी के सामने करना, जब कोई व्यक्ती किसी से किसी व्यक्ति या वस्तु के विषय में ऐसी बातें जिसके विषय में उससे अधिक जानकारी रखता हो तब व्यंग में ऐसा कहते हैं

दिन दस आदर पाय के करनी आप बखान, जो लग काग सराध पख तो लग तो सनमान

थोड़े दिनों का सम्मान, तू प्रसन्न हो ऐ कौवे सराध के दिनों में तेरा सम्मान होगा

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पाँचों उंगलियाँ बराबर नहीं होतीं

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