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न मरता है , न जीता है

सख़्त अज़ीयत में है , ना जान निकलती है ना सेहत याब होता है, बहुत बेहाल है

रिज़्क़ है न मौत

बड़ा अभागा है मृत्यु भी नहीं आती कि भुखमरी की मुसीबत से छुटकारा हो

है न हुवाए

ना तो है ना आज तक हुआ है , बिलकुल मौजूद नहीं, ना है ना होगा

न निगले बनती है न उगले

۔(دہلی) اس وقت مستعمل ہے جب کسی کام کے کرنے اور نہ کرنے میں دقت ہو۔ یعنی دونوں طرح خرابی ہے نہ کرتےبن آتی ہے نہ چھوڑتے۔ لکھنؤ میں اس جگہ نہ نگلتے بنتی ہے نہ اُگلتے مستعمل ہے۔

दीदा है न शुनीदा

इसके जैसा न देखा है न सुना

दीद है न शुनीद

रुक : दीद ना शुनीद

न निगले बनती है, न उगले

दोनों तरह ख़राबी है उधर कुँआं उधर खाई ना करते बिन आई है ना छोड़े ही, उस वक़्त कहते हैं जब किसी काम के करने और ना करने दोनों सूरतों में दिक़्क़त हो

होनी है न होगी

न हो सकता है और न होगा, इस बात का होना संभव नहीं

हल्दी लगती है न फिटकरी

मेहनत नहीं करनी पड़ती, कोशिश नहीं करनी पड़ती

कुछ आता है न जाता है

नालायक़ है , निकम्मा है , किसी काम का नहीं

बुज़ुर्गी ब-'अक़्ल है न बसाल

बृद्ध वह है जिसकी बुद्धि अधिक हो न कि आयु

'औरत न मर्द, मुवा हीजड़ा है, हड्डी न पस्ली, मुवा छीचड़ा है

महिलाएं डरपोक निर्बल के संबंधित कहती हैं कि डरपोक आदमी किसी काम का नहीं होता

सब जीते जी का झगड़ा है, ये तेरा है ये मेरा है, चल बसे इस दुनिया से, न तेरा है न मेरा है

मौत के वक़्त कोई चीज़ साथ नहीं जाती ये सब ज़िंदगी के साथ हैं

सब जीते जी का बखेड़ा है ये तेरा है ये मेरा है, जब चल बसे इस दुनिया से न तेरा है न मेरा है

मृत्यु के समय कोई चीज़ साथ नहीं जाती ये सब जीवन के साथ हैं

आटा है न पाटा , मुर्ग़ का है पर काता

सामर्थ्य अथवा सामान नहीं था तो ये कोलाहल क्यों किया

उधेड़ के रोटी न खाओ तंगी होती है

उधेड़ कर रोटी का खाना बुरा समझा जाता है, रोटी का छिलका नहीं उतारना चाहिए

गूड़ भरा हँसियाँ है , न निगलने बने , न उगलते बने

جہاں کسی کام کے کرنے یا نہ کرنے میں پس و پیش یا تذبذب ہو وہاں یہ مثل بولتے ہیں یعنی نہ کیے ہی بنتی ہے نہ چھوڑے ہر طرح نقصان ہے

न कमर है न दहन है

महबूब की ख़ूबसूरती ज़ाहिर करने के लिए कहते हैं

कुत्ता टेढ़ी पूँछ है , कभी न सीधी हो

बद आदमी की बदख़स्लत नहीं जाती

हुक़्क़े का मज़ा जिसने ज़माने में न जाना, वो मर्द मुख़न्नस है न 'औरत न ज़नाना

हुक़्क़े के रसिया हुक़्क़े की प्रशंसा या बड़ाई में कहते हैं

जिस का ओर है न छोर

जिस की था, नहीं, जो बहुत बड़ा है, समुंद्र के मुताल्लिक़ कहते हैं

सुख मानो तो सुख है , दुख मानो तो दुख है , सच्चा सुखिया वो है जो सुख माने न दुख

अगर समझो तो ख़ुशी है अगर तकलीफ़ समझो तो तकलीफ़ ख़ुशी होती है . असल में ख़ुशी वो है जो आराम और तकलीफ़ की पर्वा ना करे क्योंकि आराम और ख़ुशी एतबारी कैफ़यात हैं

न पूछो, बयान से बाहर है

क़ाबिल अबियान नहीं, ज़िक्र के काबिल नहीं, निहायत तकलीफ़देह ज़िक्र है

मेंह कहता है आज बरस के फिर न बरसूँगा

मुतवातिर देर तक बहुत तेज़ बारिश होना

दुख सुख निस दिन संग है मेट सके न कोई

दुख और आराम सदैव इकठ्ठे होते हैं कोई उन्हें अलग नहीं कर सकता

घर बार तुम्हारा है कोठी कुठले को हाथ न लगाना

झूटी बातों से किसी का दिल ख़ुश करना

दम का क्या भरोसा है, आया न आया

जीवन का कोई भरोसा नहीं

कोठी कुठले को हाथ न लगाओ, घर बार तुम्हारा है

ज़बानी बहुत हमदर्दी मगर कुछ देने को तैय्यार नहीं, क़ीमती चीज़ अपने क़बज़ा में, फ़ुज़ूल चीज़ों से दूसरों को ख़ुश करना होतो कहते हैं

घर बार तुम्हारा है कोठी कोठले को हाथ न लगाना

झूटी बातों से किसी का दिल ख़ुश करना

ठोंगें मार किया सर गंजा, कहे मेरे है हाथ न पंजा

अर्थात हानि तो पहुँचा दिया और बेकार में बहाने बनाता है

ज़ुलैख़ा पढ़ी पर ये न जाना 'औरत है या मर्द

किसी बात या घटनाक्रम को प्रारंभ से अंत तक सुनना या पढ़ना किन्तु इस पर बिल्कुल ध्यान न देना

जिस पगड़ी में हो न चिल्ला पगड़ी नहीं वो फेंटी है

चिल्लद से अलबत्ता पगड़ी की ज़ेबाइश हो जाती है , हर चीज़ अपने औसाफ़ में पूरी होनी चाहिए

सर्दी का मारा पनपे है अन्न का मारा न पनपे

चाहे कपड़ा ना हो मगर पेट को रवी ज़रूर चाहिए, सर्दी का मारा बच जाता है फ़ाक़ों का मारा नहीं बचता

पेड़ 'अली धत्ता जिस की जड़ है न पत्ता

جو گمنام ہو ، جس کی اصل و نسل کا پتا نہ ہو ، ناپائیدار ؛ بے اصل بات جس کا سر پیر نہ ہو.

तराज़ू से खड़े होकर न तोलो बरकत जाती रहती है

(ओ) खड़ा होकर तौलना अच्छा नहीं समझा जाता

बिगड़ा बेटा, खोटा पैसा कभी न कभी काम आ ही जाता है

अपनी वस्तु कैसी ही ख़राब हो किसी न किसी समय ज़रूरत में काम दे जाती है

कोठी कुठले को हाथ न लगाओ, घर बार आप का है

ज़बानी बहुत हमदर्दी मगर कुछ देने को तैय्यार नहीं, क़ीमती चीज़ अपने क़बज़ा में, फ़ुज़ूल चीज़ों से दूसरों को ख़ुश करना होतो कहते हैं

न लड़, लड़ना शैतान का काम है, बनी पे जो चूके सो तुख़्म हराम है

बिना नियन्त्रण के लड़ना नहीं चाहिए और जब नियन्त्रण मिले तो चूक जाना बड़ी मूर्खता है

करनी ही संग जात है, जब जाय छूट सरीर, कोई साथ न दे सके, मात पिता सत बीर

मनुष्य के मरने पर उसके कर्म ही साथ जाते हैं, माँ-बाप, भाई या कोई कितना भी सज्जन या प्रिय व्यक्ति हो कोई साथ नहीं जाता

मर्द वो है जो दे और न ले, और नीम मर्द वो है जो दे और ले, ना-मर्द वो है जो न दे और न ले

बुज़ुर्गों का क़ौल है कि बहादुर वो है जो देता है यानी सख़ावत करता है मगर किसी से लेता नहीं, नीम बहादुर वो है जो देता भी है और लेता भी, बुज़दिल और नालायक़ वो है जो लेता तो है मगर देता किसी को नहीं

बिद्दिया वो माल है जो ख़र्चत दुगना हो राजा रवा चोर ताछीन न साके को

इलम ऐसा माल है जो (ख़र्च करे) सिखाने से ज़्यादा होता है और उसे राजा राव या चोर कोई नहीं छीन सकता

दया धर्म का मोल है बाप मोल अभियान, तुलसी दया न छाड़िए जब लग घट में प्राण

दी्या धर्म की जड़ है . ग़रूर गुनाह की, जब तक ज़िंदगी ही दिया करनी चाहीए

गोरे चमड़े पे न जा ये छछूँदर से बदतर है

गोरे रंग पर रीझना नहीं चाहिए क्योंकि उस की कोई हैसियत नहीं होती है नौजवान आदमी जो रंडी पर आशिक़ हो जाये उसे बतौर नसीहत कहते यहं

परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दो ही बातों का खोट है रहे न संग ले जाय

परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है

ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा

ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा

चख डाल माल धन को कौड़ी न रख कफ़न को, जिस ने दिया है तन को देगा वही मन को

आनंद लो ख़र्च करो, किसी बात की परवाह नहीं

जीते हैं न मरते हैं, सिसक सिसक दम भरते हैं

जीवन से निराश हैं, जीवन के दिन पूरे कर रहे हैं, बहुत कष्टमय जीवन बिता रहे हैं, मरणासन्न हैं

हुए हैं न होंगे

नामुमकिन है , महिज़ बेमुरव्वत और बे दीद हैं

चंगा है मगर नंगा नहीं

सक्षम है लेकिन फ़िज़ूलख़र्च नहीं

नंग की बेटी डूबती चली लोगों ने जाना मतवाली है

इज़्ज़त जाना, इज़्ज़त ना रहना, साख ख़त्म होना

काम करने की सौ राहें हैं , न करने की एक नहीं

काम सिदक़ नी्यत से किया जाये तो कई तरीक़े निकल आते हैं अगरना करने की नी्यत हो तो कोई तरीक़ा नहीं निकलता

डोली न कहार बीबी बैठी हैं तैयार

सामान कुछ नहीं इरादे बड़े बड़े

ये भी किसी ने न पूछा कि तेरी मुँह में कितने दाँत हैं

जहां किसी की कोई पूछगिछ और ख़ातिर तवाज़ो ना हो वहां ये मुहावरा बोलते हैं

क्यों न होवे चुड़ैल बन्यानी, जिसके बड़े महाजिन हैं

जैसे बुज़ुर्ग वैसी औलाद, जिस के बुज़ुर्ग बड़े जिन होंगे वो यक़ीनन चुड़ैल होगी , बनियों से मज़ाक़ है कि बनीए की बीवी चुड़ैल क्यों ना होगी क्योंकि इस के बुज़ुर्ग महाजन यानी बड़े जिन् हैं

दाना न घास, हैं हैं करे

घोड़े को दाना घास ना मिले तो हिनहिनाता है

चातुर तो बैरी भला मूरख भला न मीत, साध कहें हैं मत करो को मूरख से प्रीत

बुद्धिमान शत्रु मूर्ख दोस्त से अच्छा होता है इस लिए मूर्ख से दोस्ती नहीं करनी चाहिये

चिड़ीमार हमेशा नंगे भूके रहते हैं

ظلم کبھی سر سبز نہیں ہوتے.

तिरया तुझ से जो कहे मोल न तू वो मान, तिरया मत पर जो चलें वो नर हैं निर्ज्ञान

स्त्री के कहने पर नहीं चलना चाहिए जो उन के कहने पर चले वो मूर्ख है

गीदड़ उछला उछला जब अंगूर के ख़ोशे तक न पहुँचा तो कहा अंगूर खट्टे होते हैं

बहुतेरी तदबीर की जब एक ना चली तो दूसरों ही का क़सूर बताया जब कोई तदबीर बिन नहीं पड़ती तो अपनी शर्मिंदगी मिटाने को दूसरों का क़सूर बताते हैं

क्यों न होवे चुड़ैल बनीनी, जिसके बड़े महाजिन हैं

जैसे बुज़ुर्ग वैसी औलाद, जिस के बुज़ुर्ग बड़े जिन होंगे वो यक़ीनन चुड़ैल होगी , बनियों से मज़ाक़ है कि बनीए की बीवी चुड़ैल क्यों ना होगी क्योंकि इस के बुज़ुर्ग महाजन यानी बड़े जिन् हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में न मरता है , न जीता है के अर्थदेखिए

न मरता है , न जीता है

na martaa hai , na jiitaa haiنَہ مَرتا ہے ، نَہ جِیتا ہے

वाक्य

न मरता है , न जीता है के हिंदी अर्थ

  • सख़्त अज़ीयत में है , ना जान निकलती है ना सेहत याब होता है, बहुत बेहाल है

نَہ مَرتا ہے ، نَہ جِیتا ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • سخت اذیت میں ہے ؛ نہ جان نکلتی ہے نہ صحت یاب ہوتا ہے ، بہت بے حال ہے ۔

Urdu meaning of na martaa hai , na jiitaa hai

  • Roman
  • Urdu

  • saKht aziiyat me.n hai ; na jaan nikaltii hai na sehat yaab hotaa hai, bahut behaal hai

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न मरता है , न जीता है

सख़्त अज़ीयत में है , ना जान निकलती है ना सेहत याब होता है, बहुत बेहाल है

रिज़्क़ है न मौत

बड़ा अभागा है मृत्यु भी नहीं आती कि भुखमरी की मुसीबत से छुटकारा हो

है न हुवाए

ना तो है ना आज तक हुआ है , बिलकुल मौजूद नहीं, ना है ना होगा

न निगले बनती है न उगले

۔(دہلی) اس وقت مستعمل ہے جب کسی کام کے کرنے اور نہ کرنے میں دقت ہو۔ یعنی دونوں طرح خرابی ہے نہ کرتےبن آتی ہے نہ چھوڑتے۔ لکھنؤ میں اس جگہ نہ نگلتے بنتی ہے نہ اُگلتے مستعمل ہے۔

दीदा है न शुनीदा

इसके जैसा न देखा है न सुना

दीद है न शुनीद

रुक : दीद ना शुनीद

न निगले बनती है, न उगले

दोनों तरह ख़राबी है उधर कुँआं उधर खाई ना करते बिन आई है ना छोड़े ही, उस वक़्त कहते हैं जब किसी काम के करने और ना करने दोनों सूरतों में दिक़्क़त हो

होनी है न होगी

न हो सकता है और न होगा, इस बात का होना संभव नहीं

हल्दी लगती है न फिटकरी

मेहनत नहीं करनी पड़ती, कोशिश नहीं करनी पड़ती

कुछ आता है न जाता है

नालायक़ है , निकम्मा है , किसी काम का नहीं

बुज़ुर्गी ब-'अक़्ल है न बसाल

बृद्ध वह है जिसकी बुद्धि अधिक हो न कि आयु

'औरत न मर्द, मुवा हीजड़ा है, हड्डी न पस्ली, मुवा छीचड़ा है

महिलाएं डरपोक निर्बल के संबंधित कहती हैं कि डरपोक आदमी किसी काम का नहीं होता

सब जीते जी का झगड़ा है, ये तेरा है ये मेरा है, चल बसे इस दुनिया से, न तेरा है न मेरा है

मौत के वक़्त कोई चीज़ साथ नहीं जाती ये सब ज़िंदगी के साथ हैं

सब जीते जी का बखेड़ा है ये तेरा है ये मेरा है, जब चल बसे इस दुनिया से न तेरा है न मेरा है

मृत्यु के समय कोई चीज़ साथ नहीं जाती ये सब जीवन के साथ हैं

आटा है न पाटा , मुर्ग़ का है पर काता

सामर्थ्य अथवा सामान नहीं था तो ये कोलाहल क्यों किया

उधेड़ के रोटी न खाओ तंगी होती है

उधेड़ कर रोटी का खाना बुरा समझा जाता है, रोटी का छिलका नहीं उतारना चाहिए

गूड़ भरा हँसियाँ है , न निगलने बने , न उगलते बने

جہاں کسی کام کے کرنے یا نہ کرنے میں پس و پیش یا تذبذب ہو وہاں یہ مثل بولتے ہیں یعنی نہ کیے ہی بنتی ہے نہ چھوڑے ہر طرح نقصان ہے

न कमर है न दहन है

महबूब की ख़ूबसूरती ज़ाहिर करने के लिए कहते हैं

कुत्ता टेढ़ी पूँछ है , कभी न सीधी हो

बद आदमी की बदख़स्लत नहीं जाती

हुक़्क़े का मज़ा जिसने ज़माने में न जाना, वो मर्द मुख़न्नस है न 'औरत न ज़नाना

हुक़्क़े के रसिया हुक़्क़े की प्रशंसा या बड़ाई में कहते हैं

जिस का ओर है न छोर

जिस की था, नहीं, जो बहुत बड़ा है, समुंद्र के मुताल्लिक़ कहते हैं

सुख मानो तो सुख है , दुख मानो तो दुख है , सच्चा सुखिया वो है जो सुख माने न दुख

अगर समझो तो ख़ुशी है अगर तकलीफ़ समझो तो तकलीफ़ ख़ुशी होती है . असल में ख़ुशी वो है जो आराम और तकलीफ़ की पर्वा ना करे क्योंकि आराम और ख़ुशी एतबारी कैफ़यात हैं

न पूछो, बयान से बाहर है

क़ाबिल अबियान नहीं, ज़िक्र के काबिल नहीं, निहायत तकलीफ़देह ज़िक्र है

मेंह कहता है आज बरस के फिर न बरसूँगा

मुतवातिर देर तक बहुत तेज़ बारिश होना

दुख सुख निस दिन संग है मेट सके न कोई

दुख और आराम सदैव इकठ्ठे होते हैं कोई उन्हें अलग नहीं कर सकता

घर बार तुम्हारा है कोठी कुठले को हाथ न लगाना

झूटी बातों से किसी का दिल ख़ुश करना

दम का क्या भरोसा है, आया न आया

जीवन का कोई भरोसा नहीं

कोठी कुठले को हाथ न लगाओ, घर बार तुम्हारा है

ज़बानी बहुत हमदर्दी मगर कुछ देने को तैय्यार नहीं, क़ीमती चीज़ अपने क़बज़ा में, फ़ुज़ूल चीज़ों से दूसरों को ख़ुश करना होतो कहते हैं

घर बार तुम्हारा है कोठी कोठले को हाथ न लगाना

झूटी बातों से किसी का दिल ख़ुश करना

ठोंगें मार किया सर गंजा, कहे मेरे है हाथ न पंजा

अर्थात हानि तो पहुँचा दिया और बेकार में बहाने बनाता है

ज़ुलैख़ा पढ़ी पर ये न जाना 'औरत है या मर्द

किसी बात या घटनाक्रम को प्रारंभ से अंत तक सुनना या पढ़ना किन्तु इस पर बिल्कुल ध्यान न देना

जिस पगड़ी में हो न चिल्ला पगड़ी नहीं वो फेंटी है

चिल्लद से अलबत्ता पगड़ी की ज़ेबाइश हो जाती है , हर चीज़ अपने औसाफ़ में पूरी होनी चाहिए

सर्दी का मारा पनपे है अन्न का मारा न पनपे

चाहे कपड़ा ना हो मगर पेट को रवी ज़रूर चाहिए, सर्दी का मारा बच जाता है फ़ाक़ों का मारा नहीं बचता

पेड़ 'अली धत्ता जिस की जड़ है न पत्ता

جو گمنام ہو ، جس کی اصل و نسل کا پتا نہ ہو ، ناپائیدار ؛ بے اصل بات جس کا سر پیر نہ ہو.

तराज़ू से खड़े होकर न तोलो बरकत जाती रहती है

(ओ) खड़ा होकर तौलना अच्छा नहीं समझा जाता

बिगड़ा बेटा, खोटा पैसा कभी न कभी काम आ ही जाता है

अपनी वस्तु कैसी ही ख़राब हो किसी न किसी समय ज़रूरत में काम दे जाती है

कोठी कुठले को हाथ न लगाओ, घर बार आप का है

ज़बानी बहुत हमदर्दी मगर कुछ देने को तैय्यार नहीं, क़ीमती चीज़ अपने क़बज़ा में, फ़ुज़ूल चीज़ों से दूसरों को ख़ुश करना होतो कहते हैं

न लड़, लड़ना शैतान का काम है, बनी पे जो चूके सो तुख़्म हराम है

बिना नियन्त्रण के लड़ना नहीं चाहिए और जब नियन्त्रण मिले तो चूक जाना बड़ी मूर्खता है

करनी ही संग जात है, जब जाय छूट सरीर, कोई साथ न दे सके, मात पिता सत बीर

मनुष्य के मरने पर उसके कर्म ही साथ जाते हैं, माँ-बाप, भाई या कोई कितना भी सज्जन या प्रिय व्यक्ति हो कोई साथ नहीं जाता

मर्द वो है जो दे और न ले, और नीम मर्द वो है जो दे और ले, ना-मर्द वो है जो न दे और न ले

बुज़ुर्गों का क़ौल है कि बहादुर वो है जो देता है यानी सख़ावत करता है मगर किसी से लेता नहीं, नीम बहादुर वो है जो देता भी है और लेता भी, बुज़दिल और नालायक़ वो है जो लेता तो है मगर देता किसी को नहीं

बिद्दिया वो माल है जो ख़र्चत दुगना हो राजा रवा चोर ताछीन न साके को

इलम ऐसा माल है जो (ख़र्च करे) सिखाने से ज़्यादा होता है और उसे राजा राव या चोर कोई नहीं छीन सकता

दया धर्म का मोल है बाप मोल अभियान, तुलसी दया न छाड़िए जब लग घट में प्राण

दी्या धर्म की जड़ है . ग़रूर गुनाह की, जब तक ज़िंदगी ही दिया करनी चाहीए

गोरे चमड़े पे न जा ये छछूँदर से बदतर है

गोरे रंग पर रीझना नहीं चाहिए क्योंकि उस की कोई हैसियत नहीं होती है नौजवान आदमी जो रंडी पर आशिक़ हो जाये उसे बतौर नसीहत कहते यहं

परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दो ही बातों का खोट है रहे न संग ले जाय

परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है

ये दुनिया दिन चार है संग न तेरे जा, साईं का रख आसरा और वा से ही नेह लगा

ये संसार नश्वर है, ईश्वर से ध्यान लगा

चख डाल माल धन को कौड़ी न रख कफ़न को, जिस ने दिया है तन को देगा वही मन को

आनंद लो ख़र्च करो, किसी बात की परवाह नहीं

जीते हैं न मरते हैं, सिसक सिसक दम भरते हैं

जीवन से निराश हैं, जीवन के दिन पूरे कर रहे हैं, बहुत कष्टमय जीवन बिता रहे हैं, मरणासन्न हैं

हुए हैं न होंगे

नामुमकिन है , महिज़ बेमुरव्वत और बे दीद हैं

चंगा है मगर नंगा नहीं

सक्षम है लेकिन फ़िज़ूलख़र्च नहीं

नंग की बेटी डूबती चली लोगों ने जाना मतवाली है

इज़्ज़त जाना, इज़्ज़त ना रहना, साख ख़त्म होना

काम करने की सौ राहें हैं , न करने की एक नहीं

काम सिदक़ नी्यत से किया जाये तो कई तरीक़े निकल आते हैं अगरना करने की नी्यत हो तो कोई तरीक़ा नहीं निकलता

डोली न कहार बीबी बैठी हैं तैयार

सामान कुछ नहीं इरादे बड़े बड़े

ये भी किसी ने न पूछा कि तेरी मुँह में कितने दाँत हैं

जहां किसी की कोई पूछगिछ और ख़ातिर तवाज़ो ना हो वहां ये मुहावरा बोलते हैं

क्यों न होवे चुड़ैल बन्यानी, जिसके बड़े महाजिन हैं

जैसे बुज़ुर्ग वैसी औलाद, जिस के बुज़ुर्ग बड़े जिन होंगे वो यक़ीनन चुड़ैल होगी , बनियों से मज़ाक़ है कि बनीए की बीवी चुड़ैल क्यों ना होगी क्योंकि इस के बुज़ुर्ग महाजन यानी बड़े जिन् हैं

दाना न घास, हैं हैं करे

घोड़े को दाना घास ना मिले तो हिनहिनाता है

चातुर तो बैरी भला मूरख भला न मीत, साध कहें हैं मत करो को मूरख से प्रीत

बुद्धिमान शत्रु मूर्ख दोस्त से अच्छा होता है इस लिए मूर्ख से दोस्ती नहीं करनी चाहिये

चिड़ीमार हमेशा नंगे भूके रहते हैं

ظلم کبھی سر سبز نہیں ہوتے.

तिरया तुझ से जो कहे मोल न तू वो मान, तिरया मत पर जो चलें वो नर हैं निर्ज्ञान

स्त्री के कहने पर नहीं चलना चाहिए जो उन के कहने पर चले वो मूर्ख है

गीदड़ उछला उछला जब अंगूर के ख़ोशे तक न पहुँचा तो कहा अंगूर खट्टे होते हैं

बहुतेरी तदबीर की जब एक ना चली तो दूसरों ही का क़सूर बताया जब कोई तदबीर बिन नहीं पड़ती तो अपनी शर्मिंदगी मिटाने को दूसरों का क़सूर बताते हैं

क्यों न होवे चुड़ैल बनीनी, जिसके बड़े महाजिन हैं

जैसे बुज़ुर्ग वैसी औलाद, जिस के बुज़ुर्ग बड़े जिन होंगे वो यक़ीनन चुड़ैल होगी , बनियों से मज़ाक़ है कि बनीए की बीवी चुड़ैल क्यों ना होगी क्योंकि इस के बुज़ुर्ग महाजन यानी बड़े जिन् हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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