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जान-पहचान

दो या अधिक व्यक्तियों का आपसी परिचय या मेलमिलाप, परस्पर मैत्री, पहचानना, परिचय (केवल व्यक्तियों के संबंध में प्रयुक्त)

जान ही की पहचान है

मुहब्बत जब तक रहती है जब तक जान सलामत है , जिसे जानते हैं उसे ही पहचान सकते हैं ग़ैर या अजनबी आदमी को क्या पहचानें

जान न पहचान ख़ाला सलाम

(अवामी) जब कोई किसी अपरिचित के साथ बहुत उत्साह से मिलता है या चतुराई से अपनी मित्रता दिखा कर अपना मतलब निकालना चाहते हैं तो कहते हैं

जान न पहचान दिल-ओ-जान क़ुर्बान

अंजान से मोहब्बत करते समय यह कहते हैं

जान न पहचान ना-ख़्वाँदा मेहमान

रुक : जान ना पहचान बड़ी ख़ाला सलाम

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में माह-ए-तमाम के अर्थदेखिए

माह-ए-तमाम

maah-e-tamaamماہِ تَمام

वज़्न : 22121

माह-ए-तमाम के हिंदी अर्थ

फ़ारसी, अरबी - संज्ञा, पुल्लिंग

  • पूरा चाँद, चौधवीं रात का चाँद

शे'र

English meaning of maah-e-tamaam

Persian, Arabic - Noun, Masculine

  • full moon

Roman

ماہِ تَمام کے اردو معانی

فارسی، عربی - اسم، مذکر

  • پورا چاند، چودھویں رات کا چاند، بدر

Urdu meaning of maah-e-tamaam

  • puura chaand, chaudhvii.n raat ka chaand, badar

माह-ए-तमाम से संबंधित रोचक जानकारी

महीने की पहली तारीख़ से लेकर सातवीं तारीख़ तक के चांद को 'हलाल' कहते हैं और उसके बाद का चांद 'क़मर' कहलाता है,पूरे चांद को 'बदर' कहते हैं। चांद के लिए और भी कई शब्द हैं जैसे मह, माह, महताब, माह ताब जो उर्दू शायरी में तरह तरह से अपनी चांदनी बिखेरते हैं। परवीन शाकिर की कुल्लियात (समग्र) का नाम 'माह-ए-तमाम' है। इसमें 'माह' फ़ारसी शब्द है और 'तमाम' अरबी शब्द जिसका अर्थ है पूरा हो जाना। वक़्त का क्या सितम है कि परवीन ने 34 वर्ष की आयु में 1994 में अपनी कुल्लियात प्रकाशित कर दी थी और उसी साल कार की दुर्घटना में वह ख़त्म हो गईं। इस दुर्घटना के दूसरे साल 'कफ़-ए-आईना' के नाम से उनका अंतिम काव्य संग्रह उनकी बड़ी बहन की देखरेख में प्रकाशित हुआ जिसे परवीन मृत्यु पूर्व संकलित कर रही थीं और यह नाम उन ही का सुझाया हुआ था।

लेखक: अज़रा नक़वी

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दो या अधिक व्यक्तियों का आपसी परिचय या मेलमिलाप, परस्पर मैत्री, पहचानना, परिचय (केवल व्यक्तियों के संबंध में प्रयुक्त)

जान ही की पहचान है

मुहब्बत जब तक रहती है जब तक जान सलामत है , जिसे जानते हैं उसे ही पहचान सकते हैं ग़ैर या अजनबी आदमी को क्या पहचानें

जान न पहचान ख़ाला सलाम

(अवामी) जब कोई किसी अपरिचित के साथ बहुत उत्साह से मिलता है या चतुराई से अपनी मित्रता दिखा कर अपना मतलब निकालना चाहते हैं तो कहते हैं

जान न पहचान दिल-ओ-जान क़ुर्बान

अंजान से मोहब्बत करते समय यह कहते हैं

जान न पहचान ना-ख़्वाँदा मेहमान

रुक : जान ना पहचान बड़ी ख़ाला सलाम

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