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मैं कौन तू कौन

तुझे मुझसे क्या संबंध, मेरा-तेरा कोई संबंध नहीं

मैं-कौन

मुझ को क्या वास्ता है, संबंध न प्रकट करने के लिए प्रयुक्त

तू कौन और मैं कौन

(मुराद) कोई किसी को नहीं पूछता है, एक दूसरे से कोई वास्ता नहीं

मैं कौन हूँ

इसका मतलब मुझे क्या सरोकार, क्या संबंध, मुझे तुझसे कोई संबंध नहीं

अल्लाह रक्खे तो कौन चक्खे

जिस को ईश्वर बचाना चाहे उसे कौन मार सकता है

ख़ुदा देता है तो नहीं पूछ्ता तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

मैं भी रानी तू भी रानी, कौन भरे नद्दी से पानी

अकर्मण्य एवं काहिलों के प्रति कहते हैं

कौन से क़ुरआन में लिक्खा है

किस नियम और क़ानून से उचित है अर्थात् यह सही नहीं है

मैं भी रानी तू भी रानी, कौन भरेगा पानी

अकर्मण्य एवं काहिलों के प्रति कहते हैं

भुवा की नदी में कोन हाथ डाले

कौन अपने सर मुसीबत ले

कुतिया चोरों से मिल गई तो पहरा कौन दे

अपने दुश्मन हो जाएँ तो बचाव कठिन है, रक्षक ही हानि पहुँचाए तो कोई नहीं बचा सकता

बाड़ ही जब खेत खाए तो रखवाली कौन करे

जब रक्षक ही भक्षक हो तो किस से सहायता की गुहार लगाई जाये

तू भी रानी मैं भी रानी , कौन भरे पन-घट पानी

۔(عو) جہاں سب کے سب کام سے جی چُرائیں وہاں یہ مثل بولتی ہیں۔

मैं भी रानी तू भी रानी, कौन सर पर डाले पानी

अकर्मण्य एवं काहिलों के प्रति कहते हैं

बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

जब बाड़ ही खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

पराई सराए में कौन धुआँ करता है

कोई दूसरे की मदद नहीं करता

कौन कितने पानी में है

किस का क्या मान-मर्यादा है, क्या प्रतिष्ठा है, क्या दर्जा है, कितनी महत्ता है, पता चल जायेगा

दाई हो मीठी दादा हो मीठा तो स्वर्ग कौन जाए

जहाँ हर तरह का काम हो उस जगह को नहीं छोड़ा जाता

चलती में कौन कसर करता है

जब दाँव चले, कौन फ़ायदा नहीं उठाता

कौन पराई आग में गिरता है

कोई किसी के कारणवश संकट मोल नहीं लेता

बकरी से हल जुतता तो बैल कौन रखता

यदि यूँ ही काम हो जाए तो मेहनत या ख़र्च कौन करता

दाई हो मीठी, दादा हो मीठा तो स्वर्ग कौन जाए

जहाँ हर तरह का काम हो उस जगह को नहीं छोड़ा जाता

तू भी रानी, मैं भी रानी , कौन भरे पन घट पर पानी

जब सब के सब किसी काम से जी चुराईं या इस काम को अपने मरतबे से गिरा हुआ ख़्याल करें तो इस मौक़ा पर ख़ुसूसन औरतें बोलती हैं

कौन से क़ुरआन में लिखा है

۔کس قاعدہ سے جائز ہے۔ (بنات النعش) دکھا تو کون سے قرآن میں لکھا ہے کہ بچّہ پیٹ یں ہو اور بچّے والی چلے پھرے اور کام کرے۔

कौन सी हदीस में आया है

किसी नियम व कानून द्वारा स्वीकार्य है अर्थात यह बात सही नहीं

जब ख़ुदा देने पर आता है तो यह नहीं पूछ्ता कि तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

शहना छुपा पियाल में, कौन कह के बैरी हो

कोतवाल पियाल में छिपा है कौन कह के दुश्मनी मूल ले (इशारे से, अपना पहलू बचाते हुए या महिज़ हमाक़त से राज़ फ़ाश करना

कुतिया चोरों मिल गई तो पहरा कौन दे

अपने दुश्मन हो जाएँ तो बचाव कठिन है, रक्षक ही हानि पहुँचाए तो कोई नहीं बचा सकता

तूती की आवाज़ नक़्क़ार ख़ाने में काैन सुनता है

बड़ों के सामने छोटों या अदना आदमीयों की कोई समाअत नहीं, शोर-ओ-शग़ब, हंगामे के मजमे में किसी कमज़ोर या तन्हा आदमी की बात पर कोई कान नहीं धर्ता

कुतिया चोरों मिल गई तो पहरा देवे कौन

अपने दुश्मन हो जाएँ तो बचाव कठिन है, रक्षक ही हानि पहुँचाए तो कोई नहीं बचा सकता

जब ख़ुदा देने पर आता है तो ये नहीं पूछता कि तू कौन है

ईश्वर की कृपा नीच और उच्च पर समान होती है

भाइयों में कौन छोटा कौन बड़ा

(समुदाय में) सब समान हैं.

पराई सार में कौन धुआँ करता है

कोई दूसरे की मदद नहीं करता

आसक्ती गिरा कुँवें में कहे अभी कौन उठे

किसी घोर आलसी आदमी पर उपहास के लिए बोला जाता है

कुतिया चोरों से मिल गई तो पहरा देवे कौन

मुहाफ़िज़ ही नुक़्सान पहुंचाए तो फिर बचाओ कैसा

आसक्ती गिरा कुँवें में, कहा, अभी कौन उठे

किसी घोर आलसी आदमी पर उपहास के लिए बोला जाता है

काग़ज़ की नाव में कौन पार उतरा

क्षणस्थायी वस्तु से कोई लक्ष प्राप्त नहीं होता, कमज़ोर का सहारा लेने वाला सफल नहीं होता

नक़्क़ार-ख़ाना में तूती की आवाज़ कौन सुनता है

बड़े आदमीयों में छोटे की आवाज़ बे असर रहती है , बहुत से आदमीयों के आगे एक की नहीं चलती , ताक़त वरों में कमज़ोरों की तरफ़ कोई तवज्जा नहीं देता

तूती की आवाज़ नक़्क़ार-ख़ाने में कौन सुनता है

बहुत हंगामे या चीख़-पुकार में कमज़ोर आवाज़ को कोई नहीं सुन सकता

नक़्क़ार-ख़ाने में तूती की आवाज़ कौन सुनता है

बहुत हंगामे या चीख़-पुकार में कमज़ोर आवाज़ को कोई नहीं सुन सकता

सोने की कटारी , कटोरे में काैन भीक न देगा

अमीर आदमी को क़र्ज़, ख़ूओसोरत औरत को ख़ावंद फ़ौरन मिल जाता है

शान में कौन सा बट्टा लग जाता

क्या बेइज़्ज़ती या अपमान होती

शहना छुपा पियाल में, कौन कह कर बैरी हो

कोतवाल पियाल में छिपा है कौन कह के दुश्मनी मूल ले (इशारे से, अपना पहलू बचाते हुए या महिज़ हमाक़त से राज़ फ़ाश करना

कौन सा घर है जिस में मौत नहीं आई

मुसीबत और तकलीफ़ से कोई जगह ख़ाली नहीं

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नय्या पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

गंगा के मेले में चक्की को कौन पूछे

बड़े लोगों के मजमा में अदना की कौन सुनता है , बेमहल और बे मौक़ा काम की क़दर नहीं होती

मूँग मोठ में बड़ा कौन

बिरादरी में सब समान हैं, अपनों में निर्धन एवं धनवान समान होते हैं

मूँग मोठ में छोटा बड़ा कौन

बिरादरी में सब समान हैं, अपनों में निर्धन एवं धनवान समान होते हैं

मूँग मूँग में छोटा बड़ा कौन

बिरादरी में सब समान हैं, अपनों में निर्धन एवं धनवान समान होते हैं

कौन ऐसी किशमिश है जिस में लकड़ी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

आसकती गिरा कुँवें में कहे अभी कौन उठे

(व्यंग के रूप में) सुस्त और आलसी आदमी को निंदित करने के अवसर पर प्रयुक्त

काग़ज़ की नाव में कौन पार उतरा

अस्थिर वस्तु से कोई उद्देश्य प्राप्त नहीं होता, अस्थिर समर्थन पर विश्वास नहीं करना चाहिए

कौन सी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

कोई ऐब से ख़ाली नहीं, कोई ना कोई इल्लत हर एक के साथ लगी होती है, हर शख़्स में कोई ना कोई ख़ामी ज़रूर होती है

कौन ऐसी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

बाड़ लगाई खेत को बाड़ खेत को खाए, राजा हो चोरी करे तो नियाव कौन चुकाए

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

फूहड़ के घर खिड़की लगी सब कुत्तों को चिन्ता पड़ी, बाँडा कुत्ता पाँचे सौन लगी तो है पर देगा कौन

फूहड़ महिला के घर में दरवाज़ा लगा तो कुत्तों को फ़िक्र पड़ी परंतु एक बे-दुम अर्थात लंडूरे कुत्ते ने कहा कि दरवाज़ा लगा तो है उसे बंद कौन करेगा

मैं भी रानी तू भी रानी, खींचे कौन कूएँ का पानी

अकर्मण्य एवं काहिलों के प्रति कहते हैं

मैं भी रानी तू भी रानी, कौन डाले सर पर पानी

अकर्मण्य एवं काहिलों के प्रति कहते हैं

कुतिया चोरों से मिल गई तो मदत आवे कौन

मुहाफ़िज़ ही नुक़्सान पहुंचाए तो फिर बचाओ कैसा

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कौन बड़ी बात है के अर्थदेखिए

कौन बड़ी बात है

kaun ba.Dii baat haiکَون بَڑی بات ہے

वाक्य

कौन बड़ी बात है के हिंदी अर्थ

  • कोई ज़्यादा अहम बात नहीं, मामूली सी बात है, आसान काम है

کَون بَڑی بات ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کوئی زیادہ اہم بات نہیں، معمولی سی بات ہے، آسان کام ہے.

Urdu meaning of kaun ba.Dii baat hai

  • Roman
  • Urdu

  • ko.ii zyaadaa aham baat nahiin, maamuulii sii baat hai, aasaan kaam hai

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मैं कौन तू कौन

तुझे मुझसे क्या संबंध, मेरा-तेरा कोई संबंध नहीं

मैं-कौन

मुझ को क्या वास्ता है, संबंध न प्रकट करने के लिए प्रयुक्त

तू कौन और मैं कौन

(मुराद) कोई किसी को नहीं पूछता है, एक दूसरे से कोई वास्ता नहीं

मैं कौन हूँ

इसका मतलब मुझे क्या सरोकार, क्या संबंध, मुझे तुझसे कोई संबंध नहीं

अल्लाह रक्खे तो कौन चक्खे

जिस को ईश्वर बचाना चाहे उसे कौन मार सकता है

ख़ुदा देता है तो नहीं पूछ्ता तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

मैं भी रानी तू भी रानी, कौन भरे नद्दी से पानी

अकर्मण्य एवं काहिलों के प्रति कहते हैं

कौन से क़ुरआन में लिक्खा है

किस नियम और क़ानून से उचित है अर्थात् यह सही नहीं है

मैं भी रानी तू भी रानी, कौन भरेगा पानी

अकर्मण्य एवं काहिलों के प्रति कहते हैं

भुवा की नदी में कोन हाथ डाले

कौन अपने सर मुसीबत ले

कुतिया चोरों से मिल गई तो पहरा कौन दे

अपने दुश्मन हो जाएँ तो बचाव कठिन है, रक्षक ही हानि पहुँचाए तो कोई नहीं बचा सकता

बाड़ ही जब खेत खाए तो रखवाली कौन करे

जब रक्षक ही भक्षक हो तो किस से सहायता की गुहार लगाई जाये

तू भी रानी मैं भी रानी , कौन भरे पन-घट पानी

۔(عو) جہاں سب کے سب کام سے جی چُرائیں وہاں یہ مثل بولتی ہیں۔

मैं भी रानी तू भी रानी, कौन सर पर डाले पानी

अकर्मण्य एवं काहिलों के प्रति कहते हैं

बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

जब बाड़ ही खेत को खाए तो रखवाली कौन करे

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

पराई सराए में कौन धुआँ करता है

कोई दूसरे की मदद नहीं करता

कौन कितने पानी में है

किस का क्या मान-मर्यादा है, क्या प्रतिष्ठा है, क्या दर्जा है, कितनी महत्ता है, पता चल जायेगा

दाई हो मीठी दादा हो मीठा तो स्वर्ग कौन जाए

जहाँ हर तरह का काम हो उस जगह को नहीं छोड़ा जाता

चलती में कौन कसर करता है

जब दाँव चले, कौन फ़ायदा नहीं उठाता

कौन पराई आग में गिरता है

कोई किसी के कारणवश संकट मोल नहीं लेता

बकरी से हल जुतता तो बैल कौन रखता

यदि यूँ ही काम हो जाए तो मेहनत या ख़र्च कौन करता

दाई हो मीठी, दादा हो मीठा तो स्वर्ग कौन जाए

जहाँ हर तरह का काम हो उस जगह को नहीं छोड़ा जाता

तू भी रानी, मैं भी रानी , कौन भरे पन घट पर पानी

जब सब के सब किसी काम से जी चुराईं या इस काम को अपने मरतबे से गिरा हुआ ख़्याल करें तो इस मौक़ा पर ख़ुसूसन औरतें बोलती हैं

कौन से क़ुरआन में लिखा है

۔کس قاعدہ سے جائز ہے۔ (بنات النعش) دکھا تو کون سے قرآن میں لکھا ہے کہ بچّہ پیٹ یں ہو اور بچّے والی چلے پھرے اور کام کرے۔

कौन सी हदीस में आया है

किसी नियम व कानून द्वारा स्वीकार्य है अर्थात यह बात सही नहीं

जब ख़ुदा देने पर आता है तो यह नहीं पूछ्ता कि तू कौन है

ईश्वर अच्छे या बुरे की जाँच कर के नहीं देता, ईश्वर की कृपा सामान्य है, ईश्वर को जिसे देना होता है उसे देता है, फिर वह कोई भी हो

शहना छुपा पियाल में, कौन कह के बैरी हो

कोतवाल पियाल में छिपा है कौन कह के दुश्मनी मूल ले (इशारे से, अपना पहलू बचाते हुए या महिज़ हमाक़त से राज़ फ़ाश करना

कुतिया चोरों मिल गई तो पहरा कौन दे

अपने दुश्मन हो जाएँ तो बचाव कठिन है, रक्षक ही हानि पहुँचाए तो कोई नहीं बचा सकता

तूती की आवाज़ नक़्क़ार ख़ाने में काैन सुनता है

बड़ों के सामने छोटों या अदना आदमीयों की कोई समाअत नहीं, शोर-ओ-शग़ब, हंगामे के मजमे में किसी कमज़ोर या तन्हा आदमी की बात पर कोई कान नहीं धर्ता

कुतिया चोरों मिल गई तो पहरा देवे कौन

अपने दुश्मन हो जाएँ तो बचाव कठिन है, रक्षक ही हानि पहुँचाए तो कोई नहीं बचा सकता

जब ख़ुदा देने पर आता है तो ये नहीं पूछता कि तू कौन है

ईश्वर की कृपा नीच और उच्च पर समान होती है

भाइयों में कौन छोटा कौन बड़ा

(समुदाय में) सब समान हैं.

पराई सार में कौन धुआँ करता है

कोई दूसरे की मदद नहीं करता

आसक्ती गिरा कुँवें में कहे अभी कौन उठे

किसी घोर आलसी आदमी पर उपहास के लिए बोला जाता है

कुतिया चोरों से मिल गई तो पहरा देवे कौन

मुहाफ़िज़ ही नुक़्सान पहुंचाए तो फिर बचाओ कैसा

आसक्ती गिरा कुँवें में, कहा, अभी कौन उठे

किसी घोर आलसी आदमी पर उपहास के लिए बोला जाता है

काग़ज़ की नाव में कौन पार उतरा

क्षणस्थायी वस्तु से कोई लक्ष प्राप्त नहीं होता, कमज़ोर का सहारा लेने वाला सफल नहीं होता

नक़्क़ार-ख़ाना में तूती की आवाज़ कौन सुनता है

बड़े आदमीयों में छोटे की आवाज़ बे असर रहती है , बहुत से आदमीयों के आगे एक की नहीं चलती , ताक़त वरों में कमज़ोरों की तरफ़ कोई तवज्जा नहीं देता

तूती की आवाज़ नक़्क़ार-ख़ाने में कौन सुनता है

बहुत हंगामे या चीख़-पुकार में कमज़ोर आवाज़ को कोई नहीं सुन सकता

नक़्क़ार-ख़ाने में तूती की आवाज़ कौन सुनता है

बहुत हंगामे या चीख़-पुकार में कमज़ोर आवाज़ को कोई नहीं सुन सकता

सोने की कटारी , कटोरे में काैन भीक न देगा

अमीर आदमी को क़र्ज़, ख़ूओसोरत औरत को ख़ावंद फ़ौरन मिल जाता है

शान में कौन सा बट्टा लग जाता

क्या बेइज़्ज़ती या अपमान होती

शहना छुपा पियाल में, कौन कह कर बैरी हो

कोतवाल पियाल में छिपा है कौन कह के दुश्मनी मूल ले (इशारे से, अपना पहलू बचाते हुए या महिज़ हमाक़त से राज़ फ़ाश करना

कौन सा घर है जिस में मौत नहीं आई

मुसीबत और तकलीफ़ से कोई जगह ख़ाली नहीं

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नय्या पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

गंगा के मेले में चक्की को कौन पूछे

बड़े लोगों के मजमा में अदना की कौन सुनता है , बेमहल और बे मौक़ा काम की क़दर नहीं होती

मूँग मोठ में बड़ा कौन

बिरादरी में सब समान हैं, अपनों में निर्धन एवं धनवान समान होते हैं

मूँग मोठ में छोटा बड़ा कौन

बिरादरी में सब समान हैं, अपनों में निर्धन एवं धनवान समान होते हैं

मूँग मूँग में छोटा बड़ा कौन

बिरादरी में सब समान हैं, अपनों में निर्धन एवं धनवान समान होते हैं

कौन ऐसी किशमिश है जिस में लकड़ी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

आसकती गिरा कुँवें में कहे अभी कौन उठे

(व्यंग के रूप में) सुस्त और आलसी आदमी को निंदित करने के अवसर पर प्रयुक्त

काग़ज़ की नाव में कौन पार उतरा

अस्थिर वस्तु से कोई उद्देश्य प्राप्त नहीं होता, अस्थिर समर्थन पर विश्वास नहीं करना चाहिए

कौन सी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

कोई ऐब से ख़ाली नहीं, कोई ना कोई इल्लत हर एक के साथ लगी होती है, हर शख़्स में कोई ना कोई ख़ामी ज़रूर होती है

कौन ऐसी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

बाड़ लगाई खेत को बाड़ खेत को खाए, राजा हो चोरी करे तो नियाव कौन चुकाए

जहाँ सताने वाले और दुख पहुँचाने वाले अपने हों वहाँ कहते हैं

फूहड़ के घर खिड़की लगी सब कुत्तों को चिन्ता पड़ी, बाँडा कुत्ता पाँचे सौन लगी तो है पर देगा कौन

फूहड़ महिला के घर में दरवाज़ा लगा तो कुत्तों को फ़िक्र पड़ी परंतु एक बे-दुम अर्थात लंडूरे कुत्ते ने कहा कि दरवाज़ा लगा तो है उसे बंद कौन करेगा

मैं भी रानी तू भी रानी, खींचे कौन कूएँ का पानी

अकर्मण्य एवं काहिलों के प्रति कहते हैं

मैं भी रानी तू भी रानी, कौन डाले सर पर पानी

अकर्मण्य एवं काहिलों के प्रति कहते हैं

कुतिया चोरों से मिल गई तो मदत आवे कौन

मुहाफ़िज़ ही नुक़्सान पहुंचाए तो फिर बचाओ कैसा

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