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काया बड़ी का माया

जान से बेहतर माल नहीं है अर्थात स्वस्थ से अच्छा धन नहीं है, कंजूस के लिए भी बोलते हैं जो शरीर से अधिक धन को मूल्यवान जाने

काया माया का क्या भरोसा है

ज़िंदगी और दौलत का कोई एतबार नहीं

मुए बैल की बड़ी बड़ी आँखें

मरे हुए संबंधी की हद से अधिक प्रशंसा करने या किसी चीज़ या घटना के बीत जाने के पश्चात उस की प्रशंसा करने के अवसर पर प्रयुक्त

मूए बाप की बड़ी बड़ी आँखें

इंसान का मूल्य मृत्यु के बाद होता है

माया का क्या जोड़ना, खल खाना, कम्बल ओढ़ना

कंजूस के प्रति कहते हैं जो दुख उठा कर धन जमा' करता है अर्थात ऐसी दौलत जमा' करने का क्या लाभ कि खाने पहनने को भी तरसे

खाया बड़ी कि माया

अच्छा भोजन या रुपयों का संग्रह, जिसका प्रयोग धन की महानता और श्रेष्ठता दर्शाने के लिए किया जाता है

कोई तोलों बड़ा कोई मूलों बड़ा

۔مثل۔ ہر شخص اپنی حیثیت کے موافق عزت رکھتا ہے۔ یعنی کسی میں کوئی صفت زیادہ ہے اور کسی میں کوئی دوسری صفت۔

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीए के सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

क़र्ज़ की क्याँ माँ मुई है

क़र्ज़ कहीं से भी मिल सकता है एक जगह से नहीं तो दूसरी जगह से

मूए का कोई नहीं, जीते का सब कोई

जीवित की सभी चापलूसी करते हैं, मृत का कोई नाम नहीं लेता, धनी के सभी मित्र होते हैं, निर्धन की मिट्टी अपवित्र है, शक्तिशाली के सभी साथी हैं, कमज़ोर का कोई साथ नहीं देता

कोई तोलों बड़ा कोई मोलों बड़ा, कोई तोलों कम कोई मोलों कम

हर शख़्स अपनी अपनी हैसियत के मुवाफ़िक़ इज़्ज़त रखता है, यानी किसी में कोई सिफ़त ज़्यादा है और किसी में कोई दूसरी सिफ़त

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीते-जी का सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

मूए का कोई नाम नहीं जीते का सब कोई

۔ مثل۔ زندہ کی سبھی خوشامد کرتے ہیں۔ مُردہ کا کوئی نام نہیں لیتا۔ روپیہ کے سب یار ہوتے ہےیں۔ کنگال کی مٹّی کو قبر میں اور زندہ کو اپنے گھر میں آرام ہے یعنی ہر شخص اپنے ہی مسکن میں خوش ہے۔

बड़ा कोई है

बहुत शरारती है, निहायत चालाक है

इस से क्या हासिल कि शेरशाह की दाढ़ी बड़ी थी या सलीम शाह की

बेकार बहस अथवा तकरार के अवसर पर बोलते हैं

माया को माया मिले कर के लम्बे हात, तुलसी दास ग़रीब की कोई न पूछे बात

धन को धन खींचता है

इस से क्या हासिल कि शाह जहाँ की दाढ़ी बड़ी थी या 'आलम-गीर की

अत्यधिक वाद विवाद व्यर्थ होता है, अनावश्यक चर्चा से क्या लाभ

लाल ख़ान की चादर बड़ी होगी तो अपना बदन ढाँकेगी किसी को क्या

अमीर होगा तो ख़ुद उस को फ़ायदा होगा, जब कोई किसी अमीर की दौलत-ओ-स्रोत का ज़िक्र करे तो कहते हैं

जूता पहले साई का , बड़ा भरोसा ब्याही का ,जूता पहने नरी का , क्या भरोसा करी का

साई का जूता और ब्याही बीवी काबिल-ए-एतिबार होती है बाज़ारी जूती और आश्ना औरत का कोई एतबार नहीं

माया को माया मिले कर कर लम्बे हाथ, तुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात

धन को धन खींचता है

माया को माया मिले कर कर लम्बे हाथ, तुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात

ख़ुदा की चोरी नहीं तो बंदे की क्या डर

अपने अवगुण को बंदों से छुपाते वक़्त कहते हैं

समा करे न क्या करे समैं समैं की बात, किसी समय के दिन बड़े किसी समय की रात

हर मौसम अपना उचित काम करता है मनुष्य कुछ नहीं कर सकता

ख़ुदा की चोरी नहीं तो बंदे की क्या चोरी

अपने अवगुण को बंदों से छुपाते वक़्त कहते हैं

समा करे निर क्या करे समैं समैं की बात, किसी समय के दिन बड़े किसी समय की रात

हर मौसम अपना उचित काम करता है मनुष्य कुछ नहीं कर सकता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कंचन-काया के अर्थदेखिए

कंचन-काया

kanchan-kaayaaکَنْچَن کایا

स्रोत: संस्कृत

कंचन-काया के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • सोने के रंग का शरीर
  • सुनहरे रंग के शरीर की स्त्री

کَنْچَن کایا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مؤنث

  • سونے کے رنگ کا جسم
  • سنہرے رنگ کے جسم کی عورت

Urdu meaning of kanchan-kaayaa

  • Roman
  • Urdu

  • sone ke rang ka jism
  • sunahre rang ke jism kii aurat

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काया बड़ी का माया

जान से बेहतर माल नहीं है अर्थात स्वस्थ से अच्छा धन नहीं है, कंजूस के लिए भी बोलते हैं जो शरीर से अधिक धन को मूल्यवान जाने

काया माया का क्या भरोसा है

ज़िंदगी और दौलत का कोई एतबार नहीं

मुए बैल की बड़ी बड़ी आँखें

मरे हुए संबंधी की हद से अधिक प्रशंसा करने या किसी चीज़ या घटना के बीत जाने के पश्चात उस की प्रशंसा करने के अवसर पर प्रयुक्त

मूए बाप की बड़ी बड़ी आँखें

इंसान का मूल्य मृत्यु के बाद होता है

माया का क्या जोड़ना, खल खाना, कम्बल ओढ़ना

कंजूस के प्रति कहते हैं जो दुख उठा कर धन जमा' करता है अर्थात ऐसी दौलत जमा' करने का क्या लाभ कि खाने पहनने को भी तरसे

खाया बड़ी कि माया

अच्छा भोजन या रुपयों का संग्रह, जिसका प्रयोग धन की महानता और श्रेष्ठता दर्शाने के लिए किया जाता है

कोई तोलों बड़ा कोई मूलों बड़ा

۔مثل۔ ہر شخص اپنی حیثیت کے موافق عزت رکھتا ہے۔ یعنی کسی میں کوئی صفت زیادہ ہے اور کسی میں کوئی دوسری صفت۔

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीए के सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

क़र्ज़ की क्याँ माँ मुई है

क़र्ज़ कहीं से भी मिल सकता है एक जगह से नहीं तो दूसरी जगह से

मूए का कोई नहीं, जीते का सब कोई

जीवित की सभी चापलूसी करते हैं, मृत का कोई नाम नहीं लेता, धनी के सभी मित्र होते हैं, निर्धन की मिट्टी अपवित्र है, शक्तिशाली के सभी साथी हैं, कमज़ोर का कोई साथ नहीं देता

कोई तोलों बड़ा कोई मोलों बड़ा, कोई तोलों कम कोई मोलों कम

हर शख़्स अपनी अपनी हैसियत के मुवाफ़िक़ इज़्ज़त रखता है, यानी किसी में कोई सिफ़त ज़्यादा है और किसी में कोई दूसरी सिफ़त

क़ब्र में रख के ख़बर को न आया कोई, मूए का कोई नहीं, जीते-जी का सब कोई

मरने के बाद क़ब्र पर भी कोई नहीं जाता

मूए का कोई नाम नहीं जीते का सब कोई

۔ مثل۔ زندہ کی سبھی خوشامد کرتے ہیں۔ مُردہ کا کوئی نام نہیں لیتا۔ روپیہ کے سب یار ہوتے ہےیں۔ کنگال کی مٹّی کو قبر میں اور زندہ کو اپنے گھر میں آرام ہے یعنی ہر شخص اپنے ہی مسکن میں خوش ہے۔

बड़ा कोई है

बहुत शरारती है, निहायत चालाक है

इस से क्या हासिल कि शेरशाह की दाढ़ी बड़ी थी या सलीम शाह की

बेकार बहस अथवा तकरार के अवसर पर बोलते हैं

माया को माया मिले कर के लम्बे हात, तुलसी दास ग़रीब की कोई न पूछे बात

धन को धन खींचता है

इस से क्या हासिल कि शाह जहाँ की दाढ़ी बड़ी थी या 'आलम-गीर की

अत्यधिक वाद विवाद व्यर्थ होता है, अनावश्यक चर्चा से क्या लाभ

लाल ख़ान की चादर बड़ी होगी तो अपना बदन ढाँकेगी किसी को क्या

अमीर होगा तो ख़ुद उस को फ़ायदा होगा, जब कोई किसी अमीर की दौलत-ओ-स्रोत का ज़िक्र करे तो कहते हैं

जूता पहले साई का , बड़ा भरोसा ब्याही का ,जूता पहने नरी का , क्या भरोसा करी का

साई का जूता और ब्याही बीवी काबिल-ए-एतिबार होती है बाज़ारी जूती और आश्ना औरत का कोई एतबार नहीं

माया को माया मिले कर कर लम्बे हाथ, तुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात

धन को धन खींचता है

माया को माया मिले कर कर लम्बे हाथ, तुलसी दास गरीब की कोई न पूछे बात

ख़ुदा की चोरी नहीं तो बंदे की क्या डर

अपने अवगुण को बंदों से छुपाते वक़्त कहते हैं

समा करे न क्या करे समैं समैं की बात, किसी समय के दिन बड़े किसी समय की रात

हर मौसम अपना उचित काम करता है मनुष्य कुछ नहीं कर सकता

ख़ुदा की चोरी नहीं तो बंदे की क्या चोरी

अपने अवगुण को बंदों से छुपाते वक़्त कहते हैं

समा करे निर क्या करे समैं समैं की बात, किसी समय के दिन बड़े किसी समय की रात

हर मौसम अपना उचित काम करता है मनुष्य कुछ नहीं कर सकता

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