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जान रहे या न रहे

رک : جان جائے کہ رہے.

जान जाये कि रहे

कुछ ही मुसीबत क्यों न आए, कैसा ही नुक़्सान क्यों न हो

या किसी को कर रहे या किसी का हो रहे

लोगों से अलग थलग नहीं रहना चाहिए या किसी को दोस्त बनाए या ख़ुद किसी का दोस्त बने, या किसी को अपना दोस्त बनाए या किसी का दोस्त बिन जाये अलग थलग रह कर गुज़ारा नहीं होता

शैख़ चंडाल न रहे मक्खी न रहे बाल

ऐसे शख़्स के बारे में कहते हैं जो हरीस हो बहुत लालची, हर चीज़ हड़प कर जाने वाला

मख़्फ़ी न रहे

let it not be hidden, be it known, whereas

फ़रीद शकर-गंज, न रहे दुख न रहे रंज

एक प्रार्थनात्मक वाक्य, बाबा फ़रीद के फ़क़ीरों की पुकार कि बाबा फ़रीद गंज को याद किया जाए तो दुख और मुसीबत दूर हो

या बसे गूजर या रहे ऊजड़

ऐसे मौके़ पर बोलने लगे कि हम अपने सिवा किसी को नहीं बसने देंगे यानी या तो हमें रहे वर्ना दूसरे को भी रहना नसीब नहीं होसकता, यानी अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे, जब कोई शख़्स अपनी ही आबादी चाहे और दूसरे की आबादी ना देख सके, इस बस्ती में या गुजर बसेंगे या उजड़ी रहेगी, हम अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे

न रहे मान न रहे मनी आख़िर दुनिया फ़ना-फ़नी

मनुष्य का अहंकार ही रहता है और न घमंड ही रहता है, एक दिन सब नष्ट हो जाते हैं

मख़फ़ी न रहे कि

वाज़िह रहे कि, वाज़िह हो कि, मालूम हो कि

रले मिले पंचों रहे, जान जाए पर सच न कहे

पंचायत के साथ मेल-जोल रखना चाहिए चाहे झूठ ही बोलना पड़े

जाए जान रहे ईमान

मरना बेहतर है परंतु ईमान रह जाए

जान जाए माल रहे

कंजूसों का कथन

जाए जान रहे आन

आबरू के लिए जान तक क़ुर्बान की जा सकती है क्योंकि भ्रम बड़ी चीज़ है

न रहे बाँस न बजे बाँसुरी

फ़साद या परेशानी की जड़ काट देना, बुनियाद ही को मिटा देना बेहतर है

न बासी रहे न कुत्ता खाए

ज़्यादा होगा ना इक्का रुत जाएगा, ना ज़्यादा होगा ना ज़ाए जाएगा (रोज़ाना इस्तिमाल कर लेने वाली चीज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

पास रहे जानिये या बाट चले

किसी की अच्छाई या बुराई उसी सूरत में मालूम होती है जब वो या तो पास रहे या सफ़र में शरीक हो

बँधी रहे न टके बिके

ज़्यादा नफ़ा की उम्मीद में किसी चीज़ को रोक कर बेचना उमूमन नुक़्सानदेह होता है

न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे

ऐसा काम किया गया कि हर तरह हानि हुई, कोई काम पूरा नहीं हुआ

दो घड़ी दिन या रात रहे

उस वक़्त जब थोड़ा सा दिन या रात बाक़ी रहे

शैख़ चंडाल न रहे मक्खी न छोड़े बाल

ऐसे शख़्स के बारे में कहते हैं जो हरीस हो बहुत लालची, हर चीज़ हड़प कर जाने वाला

आँधी आए न मेंह बुढ़िया पेंठ से न रहे

उस अवसर पर प्रयोग किया जाता है जब कोई व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में अपनी आदत या काम से नहीं रोकता है

न दीन के रहे , ना दुनिया के

कहीं का न रहना, हर दो स्थितियों में नुक़सान हो तो कहते हैं

सब जग रूठा रहे, श्रीराम न रूठा चाहिए

रुक : सब तोड़ें, पर एक रब ना तोड़े

हार जीत सब में रहे हारे न दतार

लाभ-हानि सभी को होती है पर उदार व्यक्ति कभी हानि नहीं उठाता

सब जग रूठा रहे, मेरा मालिक न रूठा चाहिए

रुक : सब तोड़ें, पर एक रब ना तोड़े

सब से भले हम, न रहे की शादी न गए का ग़म

निश्चिंत आज़ाद व्यक्ति को न किसी की ख़ुशी न दुख या चिंता, वह हर चीज़ से निस्पृह होता है

आधी छोड़ सारी को जाए आधी रहे न सारी पाए

वह व्यक्ति जो मौजूद चीज़ को छोड़ कर ज़्यादा की ओर भागता है वह मौजूद चीज़ को भी खो देता है, लालची हमेशा नुक़्सान उठाता है

लुटिया डूबी रहे हरदास घोड़ी दाना खाए न घास

काम बिलकुल बिगड़ गया अब इस के सुधरने की कोई उम्मीद नहीं

घर रहे न तीरथ गए मूँड मूँडा के जोगी भए

किसी काम के न रहे सारी मेहनत बेकार गई, मुफ़्त का अपमान हुआ लाभ कोई न हुआ

घर में रहे न तीरथ गए , मूँड मुंडा कर जोगी भए

फोकट में बदनामी उठाई

धड़ी के पान बनैनी खाए , कहो भाई घर रहे या जाए

बख़ील आदमी अदना ख़र्च से घबराता है

टूटी का क्या जोड़ना गाँठ पड़े और न रहे

जहां एक दफ़ा शुक्र रणजी हो जाये, फिर पहली सी दोस्ती नहीं होती

सदा न फूली केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन फिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

सदा न फूली केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन थिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

प्रीत न टूटे अन-मिले उत्तम मन की लाग, सौ जुग पानी में रहे चकमक तजे न आग

सच्चा प्रेम अनुपस्थिति में नहीं जाती जिस तरह चक़माक़ पानी में रहने से आग नहीं खोता

उस की सीख न सीखियो जो गुर से फिर जाय, बिद्या सूं ख़ाली रहे फिर पाछे पछताय

उस व्यक्ति के पद्य-चिंहों पर नहीं चलना चाहिए जो अपने गुरू से ही फिर जाए क्यूँ कि वो कुछ नहीं सीख सकता और पछताता है, बुरे के पीछे नहीं चलना चाहिए

आधी छोड़ सारी को जावे आधी रहे न सारी पावे

वह व्यक्ति जो मौजूद चीज़ को छोड़ कर ज़्यादा की ओर भागता है वह मौजूद चीज़ को भी खो देता है, लालची हमेशा नुक़्सान उठाता है

परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दो ही बातों का खोट है रहे न संग ले जाय

परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है

घर के रहे न दर के

घर का रहना न बाहर का, कहीं का न रहना

सदा न तोराई केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन थिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

आधी को छोड़ सारी को धावे आधी रहे न सारी पावे

वह व्यक्ति जो उपस्थित वस्तु को छोड़ कर अधिक की ओर भागता है वह उपस्थित वस्तु को भी खो देता है, लालची सदा हानि उठाता है

रहे तो वाह वाह, न रहे तो वाह वाह

जब किसी के जाने या किसी के रहने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, तो बोलते हैं

घर के रहे न बार के

रुक : घर के रहे ना दर के

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जान रहे या न रहे के अर्थदेखिए

जान रहे या न रहे

jaan rahe yaa na raheجان رہے یا نہ رہے

वाक्य

मूल शब्द: जान

देखिए: जान जाये कि रहे

جان رہے یا نہ رہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • رک : جان جائے کہ رہے.

Urdu meaning of jaan rahe yaa na rahe

  • Roman
  • Urdu

  • ruk ha jaan jaaye ki rahe

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जान रहे या न रहे

رک : جان جائے کہ رہے.

जान जाये कि रहे

कुछ ही मुसीबत क्यों न आए, कैसा ही नुक़्सान क्यों न हो

या किसी को कर रहे या किसी का हो रहे

लोगों से अलग थलग नहीं रहना चाहिए या किसी को दोस्त बनाए या ख़ुद किसी का दोस्त बने, या किसी को अपना दोस्त बनाए या किसी का दोस्त बिन जाये अलग थलग रह कर गुज़ारा नहीं होता

शैख़ चंडाल न रहे मक्खी न रहे बाल

ऐसे शख़्स के बारे में कहते हैं जो हरीस हो बहुत लालची, हर चीज़ हड़प कर जाने वाला

मख़्फ़ी न रहे

let it not be hidden, be it known, whereas

फ़रीद शकर-गंज, न रहे दुख न रहे रंज

एक प्रार्थनात्मक वाक्य, बाबा फ़रीद के फ़क़ीरों की पुकार कि बाबा फ़रीद गंज को याद किया जाए तो दुख और मुसीबत दूर हो

या बसे गूजर या रहे ऊजड़

ऐसे मौके़ पर बोलने लगे कि हम अपने सिवा किसी को नहीं बसने देंगे यानी या तो हमें रहे वर्ना दूसरे को भी रहना नसीब नहीं होसकता, यानी अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे, जब कोई शख़्स अपनी ही आबादी चाहे और दूसरे की आबादी ना देख सके, इस बस्ती में या गुजर बसेंगे या उजड़ी रहेगी, हम अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे

न रहे मान न रहे मनी आख़िर दुनिया फ़ना-फ़नी

मनुष्य का अहंकार ही रहता है और न घमंड ही रहता है, एक दिन सब नष्ट हो जाते हैं

मख़फ़ी न रहे कि

वाज़िह रहे कि, वाज़िह हो कि, मालूम हो कि

रले मिले पंचों रहे, जान जाए पर सच न कहे

पंचायत के साथ मेल-जोल रखना चाहिए चाहे झूठ ही बोलना पड़े

जाए जान रहे ईमान

मरना बेहतर है परंतु ईमान रह जाए

जान जाए माल रहे

कंजूसों का कथन

जाए जान रहे आन

आबरू के लिए जान तक क़ुर्बान की जा सकती है क्योंकि भ्रम बड़ी चीज़ है

न रहे बाँस न बजे बाँसुरी

फ़साद या परेशानी की जड़ काट देना, बुनियाद ही को मिटा देना बेहतर है

न बासी रहे न कुत्ता खाए

ज़्यादा होगा ना इक्का रुत जाएगा, ना ज़्यादा होगा ना ज़ाए जाएगा (रोज़ाना इस्तिमाल कर लेने वाली चीज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

पास रहे जानिये या बाट चले

किसी की अच्छाई या बुराई उसी सूरत में मालूम होती है जब वो या तो पास रहे या सफ़र में शरीक हो

बँधी रहे न टके बिके

ज़्यादा नफ़ा की उम्मीद में किसी चीज़ को रोक कर बेचना उमूमन नुक़्सानदेह होता है

न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे

ऐसा काम किया गया कि हर तरह हानि हुई, कोई काम पूरा नहीं हुआ

दो घड़ी दिन या रात रहे

उस वक़्त जब थोड़ा सा दिन या रात बाक़ी रहे

शैख़ चंडाल न रहे मक्खी न छोड़े बाल

ऐसे शख़्स के बारे में कहते हैं जो हरीस हो बहुत लालची, हर चीज़ हड़प कर जाने वाला

आँधी आए न मेंह बुढ़िया पेंठ से न रहे

उस अवसर पर प्रयोग किया जाता है जब कोई व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में अपनी आदत या काम से नहीं रोकता है

न दीन के रहे , ना दुनिया के

कहीं का न रहना, हर दो स्थितियों में नुक़सान हो तो कहते हैं

सब जग रूठा रहे, श्रीराम न रूठा चाहिए

रुक : सब तोड़ें, पर एक रब ना तोड़े

हार जीत सब में रहे हारे न दतार

लाभ-हानि सभी को होती है पर उदार व्यक्ति कभी हानि नहीं उठाता

सब जग रूठा रहे, मेरा मालिक न रूठा चाहिए

रुक : सब तोड़ें, पर एक रब ना तोड़े

सब से भले हम, न रहे की शादी न गए का ग़म

निश्चिंत आज़ाद व्यक्ति को न किसी की ख़ुशी न दुख या चिंता, वह हर चीज़ से निस्पृह होता है

आधी छोड़ सारी को जाए आधी रहे न सारी पाए

वह व्यक्ति जो मौजूद चीज़ को छोड़ कर ज़्यादा की ओर भागता है वह मौजूद चीज़ को भी खो देता है, लालची हमेशा नुक़्सान उठाता है

लुटिया डूबी रहे हरदास घोड़ी दाना खाए न घास

काम बिलकुल बिगड़ गया अब इस के सुधरने की कोई उम्मीद नहीं

घर रहे न तीरथ गए मूँड मूँडा के जोगी भए

किसी काम के न रहे सारी मेहनत बेकार गई, मुफ़्त का अपमान हुआ लाभ कोई न हुआ

घर में रहे न तीरथ गए , मूँड मुंडा कर जोगी भए

फोकट में बदनामी उठाई

धड़ी के पान बनैनी खाए , कहो भाई घर रहे या जाए

बख़ील आदमी अदना ख़र्च से घबराता है

टूटी का क्या जोड़ना गाँठ पड़े और न रहे

जहां एक दफ़ा शुक्र रणजी हो जाये, फिर पहली सी दोस्ती नहीं होती

सदा न फूली केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन फिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

सदा न फूली केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन थिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

प्रीत न टूटे अन-मिले उत्तम मन की लाग, सौ जुग पानी में रहे चकमक तजे न आग

सच्चा प्रेम अनुपस्थिति में नहीं जाती जिस तरह चक़माक़ पानी में रहने से आग नहीं खोता

उस की सीख न सीखियो जो गुर से फिर जाय, बिद्या सूं ख़ाली रहे फिर पाछे पछताय

उस व्यक्ति के पद्य-चिंहों पर नहीं चलना चाहिए जो अपने गुरू से ही फिर जाए क्यूँ कि वो कुछ नहीं सीख सकता और पछताता है, बुरे के पीछे नहीं चलना चाहिए

आधी छोड़ सारी को जावे आधी रहे न सारी पावे

वह व्यक्ति जो मौजूद चीज़ को छोड़ कर ज़्यादा की ओर भागता है वह मौजूद चीज़ को भी खो देता है, लालची हमेशा नुक़्सान उठाता है

परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दो ही बातों का खोट है रहे न संग ले जाय

परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है

घर के रहे न दर के

घर का रहना न बाहर का, कहीं का न रहना

सदा न तोराई केतकी सदा न सावन हो, सदा न जोबन थिर रहे सदा न जीवे को

कोई चीज़ हमेशा नहीं रहती, हर शैय फ़ानी है

आधी को छोड़ सारी को धावे आधी रहे न सारी पावे

वह व्यक्ति जो उपस्थित वस्तु को छोड़ कर अधिक की ओर भागता है वह उपस्थित वस्तु को भी खो देता है, लालची सदा हानि उठाता है

रहे तो वाह वाह, न रहे तो वाह वाह

जब किसी के जाने या किसी के रहने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, तो बोलते हैं

घर के रहे न बार के

रुक : घर के रहे ना दर के

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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