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'अलीम

सब कुछ जाननेवाला, सर्वज्ञ, महाज्ञानी

'अलीमुल्लाह

knower, cognizant of God

'अली-मद

فتونِ سپہ گری میں لکڑی چلانے کے ایک طرز کا نام جس کے اصول اور طریقے حضرت علی مرتضیٰ کی طرف منسوب ہیں ، برصغیر میں ایران کی عربی آمیز پھنکینی کو علی مد کہا جاتا ہے جس میں پھنکیت کا پایاں قدم ایک مقام پر جما رہتا ہے اور صرف داہنے پان٘و کو آگے پیچے ہٹا کر پینترے بدلے جاتے ہیں ، یہ فن شرفا سے مخصوص ہے .

'अली-मदद

कुश्ती के एक फ़न का नाम; बकैती या फकैती की एक क़िस्म; फ़क़ीरों का जवाब सलाम, दरवेशों का सलाम

'अली-मद-धज

तलवार बाज़ी के एक ठाट का नाम जिसमें विरोधी के सामने ऐसे पैंतरे से खड़े होते हैं कि तलवार बाज़ का शरीर शब्द अली का रूप बना मालूम होता है और यही इस धज के मामकरण का कारण है, इस ठाट पर मुक़ाबला करने वाले शब्दिक रूप अली मदीए (अलीमदे) कहलाते हैं, कुछ उस्ताद इस ठाट को ज़फ़र पैकर कहते हैं और इस के विभिन्न नाम और तरीक़े निश्चित किए हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में दुख में सुख की क़द्र होती है के अर्थदेखिए

दुख में सुख की क़द्र होती है

dukh me.n sukh kii qadr hotii haiدکھ میں سکھ کی قدر ہوتی ہے

कहावत

दुख में सुख की क़द्र होती है के हिंदी अर्थ

  • आराम की आदमी महत्व नहीं देता जब तक उसे कष्ट न हो

دکھ میں سکھ کی قدر ہوتی ہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • آدمی آرام کی قدر نہیں کرتا جب تک کہ اسے تکلیف نہ ہو

Urdu meaning of dukh me.n sukh kii qadr hotii hai

  • Roman
  • Urdu

  • aadamii aaraam kii qadar nahii.n kartaa jab tak ki use takliif na ho

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'अलीमुल्लाह

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'अली-मद

فتونِ سپہ گری میں لکڑی چلانے کے ایک طرز کا نام جس کے اصول اور طریقے حضرت علی مرتضیٰ کی طرف منسوب ہیں ، برصغیر میں ایران کی عربی آمیز پھنکینی کو علی مد کہا جاتا ہے جس میں پھنکیت کا پایاں قدم ایک مقام پر جما رہتا ہے اور صرف داہنے پان٘و کو آگے پیچے ہٹا کر پینترے بدلے جاتے ہیں ، یہ فن شرفا سے مخصوص ہے .

'अली-मदद

कुश्ती के एक फ़न का नाम; बकैती या फकैती की एक क़िस्म; फ़क़ीरों का जवाब सलाम, दरवेशों का सलाम

'अली-मद-धज

तलवार बाज़ी के एक ठाट का नाम जिसमें विरोधी के सामने ऐसे पैंतरे से खड़े होते हैं कि तलवार बाज़ का शरीर शब्द अली का रूप बना मालूम होता है और यही इस धज के मामकरण का कारण है, इस ठाट पर मुक़ाबला करने वाले शब्दिक रूप अली मदीए (अलीमदे) कहलाते हैं, कुछ उस्ताद इस ठाट को ज़फ़र पैकर कहते हैं और इस के विभिन्न नाम और तरीक़े निश्चित किए हैं

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