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हाए-री

शोक, दुःख या शारीरिक कष्ट- सूचक शब्द, कष्ट, दुःख, पीड़ा, शोक, व्याकुलता, घबराहट, आकुलता, परेशानी, झंझट

हाए-रे

शोक, दुःख या शारीरिक कष्ट- सूचक शब्द, कष्ट, दुःख, पीड़ा, शोक, व्याकुलता, घबराहट, आकुलता, परेशानी, झंझट

हाँ रे हाँ

رک : ہاں جی ہاں ۔

हाँ री हाँ

رک : ہاں جی ہاں ۔

दाई रे दाई तेरे साथ हों भाई

कलिमा जो आंखमिचौली के खेल में बच्चे कहते हैं

गोंदा दे कर बुलबुल पकड़ते हैं

लालच की वजह से आदमी फंसता है

चार पाँव का घोड़ा चौकन्ना है, दो पाँव का आदमी क्या बला है

आदमी के लिए ठोकर खाना साधारण बात है, आदमी से भूल-चूक हो जाती है

चार पाँव का घोड़ा चौंकता है, दो पाँव का आदमी क्या बला है

आदमी के लिए ठोकर खाना साधारण बात है, मनुष्य धोखा खा जाता है

चार पाँव का घोड़ा चौंकता है, दो पाँव का आदमी क्या बला है

आदमी के लिए ठोकर खाना साधारण बात है, आदमी से भूल-चूक हो जाती है

जो ख़ुदा सर पर दो सींग दे तो वो भी सहने पड़ते हैं

जो कष्ट आए वो झेलना ही पड़ता है, ईश्वर की प्रसन्नता में प्रसन्न रहना अच्छी बात है

जो भादों में बरखा होए, काल बछोहड़ जा कर रोए

यदि भादों में वर्षा हो तो सूखा अथवा अकाल नहीं पड़ता

ख़ुदा दो सींग दे तो वो भी सहे जाते हैं

जो कष्ट आए वो झेलना ही पड़ता है, ईश्वर की प्रसन्नता में प्रसन्न रहना अच्छी बात है

अल्लाह दो सींग देवे तो वो भी क़ुबूल हैं

ईश्वर जो भी कष्ट सहावे सहना पड़ता है, ईश्वरेच्छा पर प्रसन्न होना चाहिए

महमूद के हाँ रहे, मस'ऊद के हाँ अंडे दे

ख़र्च किसी का और मेहरबानी किसी और पर

दुधार गाय की दो लातें भी पड़ती हैं

लाभ पहुँचाने वाले की घुड़कियाँ भी सही जाती हैं, काम करने वाले या कमाऊ व्यक्ति की दो कड़वी बातें भी सही जाती हैं

दो लड़ते हैं तो एक गिरता है

जब दो आदमीयों में लड़ाई होती है और एक हारता है तो हारने वाले की तसल्ली के लिए बोलते हैं

जो ख़ुदा सर पर सींग दे तो वो भी सहने जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

जो ख़ुदा सर पर सींग दे तो वो भी सहने पड़ते हैं

जो परेशानी आए उसे झेलना पड़ता है, ईश्वर की इच्छा पर सहमत होना बहुत अच्छी बात है

दुधार गाय की दो लातें भी सहनी पड़ती हैं

लाभ पहुँचाने वाले की घुड़कियाँ भी सही जाती हैं, काम करने वाले या कमाऊ व्यक्ति की दो कड़वी बातें भी सही जाती हैं

ख़ुदा सर पर दो सींग दे तो वो भी सहे जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

दूधैल गाय की दो लातें भी सहते हैं

किसी ख़ूबी या लाभ के कारण बुराई या तकलीफ़ सहन कर ली जाती है

जो भादों में बरखा होए, काल पंछोकर जा कर रोए

यदि भादों में वर्षा हो तो सूखा अथवा अकाल नहीं पड़ता

साजन हम तुम ऐक हैं देखत के हैं दो, मन से मन को तौल दो मन कदी न हो

हम तुम असल में एक हैं भले ही दो दिखाई देते हैं

मेरा था सो तेरा हुआ, बराए ख़ुदा टुक देखने तो दे

सास उस बहू से कहती है जो पति को लेकर अलग हो जाए

साईं सांसा मेट दे और न मेटे कोय, वा को सांसा क्या रहा जा सर साईं होय

ईश्वर के अतिरिक्त कोई सांसा अर्थात परेशानी एवं दुख को दूर नहीं कर सकता परंतु जिसे ईश्वर पुण्य की राह दिखा दे

कोई जले तो जलने दो मै आप ही जलता हूँ

मैं आप ही मुसीबत में गिरफ़्तार, हूँ मुझे किसी की मुसीबत से किया

ख़ुदा दो सींग भी दे, तो वो भी सहे जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

तर्कश में दो तीर नहीं, शर्मा शर्मी लड़ते हैं

आशा तो रही नहीं परंतु प्रयास हो रहा है

जान-ओ-माल को दु'आ देता हूँ

बुज़ुर्ग को मिज़ाजपुर्सी पर जवाब देते हैं

बादाम दो एक पोस्त हैं

बहुत निश्छल और मित्र आपस में मिले हुए हैं

आँखें ख़ुदा ने देखने को दी हैं या मुँह पर दी हैं

आँखें देखने को मिली हैं इनका दुरुस्त उपयोग करो

गूजर राँघड़ दो कुत्ता बिल्ली दो, ये चारों न हों तो खुले किवाड़ों सो

ये चारों चोरी के आदी हैं यदि ये न हों तो घरों के दरवाज़े बंद करने की आवश्यकता नहीं

राँघड़ गूजर दो कुत्ता बिल्ली दो, ये चारों न हों तो खुले किवाड़ों सो

ये चारों चोरी के आदी हैं यदि ये न हों तो घरों के दरवाज़े बंद करने की आवश्यकता नहीं

उत से अंधा आय है, इत से अंधा जाय, अंधे से अंधा मिला, कौन बतावे राय

जहाँ दोनों ही अंधे हों तो रास्ता कौन बताए अर्थात जहाँ सब अनपढ़ या अनभिज्ञ हों वहाँ कौन किसी कि दिशा-निर्देश करे

बोटी दे कर बकरा लेते हैं

थोड़ा लाभ पहुँचा कर अधिक बदला लेते हैं

बाजरा कहे में हूँ अकेला दो मोसली से लड़ूँ अकेला जो मेरी ताजो खिचड़ी खाए तो तुरत बोलता ख़ुश हो जाए

एक कहावत जो बाजरे की प्रशंसा में प्रयुक्त, परयायवाची: यदि सुंदर स्त्री बाजरा खाए तो बहुत प्रसन्न हो

शाह ख़ानम की आँखें दुखती हैं, शहर के चराग़ दीए गुल कर दो

ऐसी नाज़ुक मिज़ाज और मुतकब्बिर हैं कि अपनी तकलीफ़ के साथ औरों को भी तकलीफ़ देने से परहेज़ नहीं करतीं, अपनी तकलीफ़ और मुसीबत में औरों को मुबतला करना

दुधैल गाय की दो लातें भी सही जाती हैं

किसी ख़ूबी या लाभ के कारण बुराई या तकलीफ़ सहन कर ली जाती है

दुधैल गाय की दो लातें भी सही जाती हैं

जिस से नफ़ा पहुंचता है इस की नाज़ बर्दारी बुरी नीहं मालूम होती फ़ायदे के लिए तकलीफ़ उठाना बुरा नहीं लगता

साईं का रख आसरा और वाही का ले नाम, दो जग में भरपूर हों जो तेरे सगरे काम

ईश्वर पर भरोसा रख और उसी का नाम ले तो दोनों लोकों में तेरे काम पूरे होंगे

आँखें ख़ुदा ने मुँह पर दी हैं

अंधेपन से मत चलो रास्ता देख कर पाँव उठाओ

दो चून के बुरे होते हैं

एक के मुक़ाबले में दो शख़्स अगर ज़ईफ़ भी हूँ तब भी एक को अकेला होने की विजय से उन से डरना चाहिए, दो कमज़ोर भी मिल को क़वी हो जाते हैं

तर्कश में दो तीर नहीं, ख़ान बहादुर आते हैं

कस बल अर्थात शक्ति नाम को नहीं बड़े बड़े पहलवानों से लड़ने की डींग हाँक रहे हैं, ज़रा सी बात पर अपने आप को बड़ा समझ बैठे हैं

उत मत गेहूँ बुवा रे चेले, जित हों थल पाथर और ढेले

जिस ज़मीन में पत्थर और ढेले हों वहाँ गेहूँ नहीं बोना चाहिए

उत मत गेहूँ बुवा रे चेले, जित हों थाल और पाथर ढेले

जिस ज़मीन में पत्थर और ढेले हों वहाँ गेहूँ नहीं बोना चाहिए

एक आम की दो फाँकें हैं

दोनों एक ही शक्ल-ओ-सूरत या नसल के हैं

मरे हुओं पर मत रोओ बल्कि बेवक़ूफ़ों पर गिर्या करो

(तुर्की कहावत उर्दू में मुस्तामल) । मुरदे को रोने से बेहतर है बेवक़ूफ़ की बेवक़ूफ़ी का मातम करें

करनी ही संग जात है, जब जाय छूट सरीर, कोई साथ न दे सके, मात पिता सत बीर

मनुष्य के मरने पर उसके कर्म ही साथ जाते हैं, माँ-बाप, भाई या कोई कितना भी सज्जन या प्रिय व्यक्ति हो कोई साथ नहीं जाता

राँघर गूजर दो कुत्ता बिल्ली दो, ये चारों न हों तो खुले किवाड़ों सो

ये चारों चोरी के आदी हैं यदि ये न हों तो घरों के दरवाज़े बंद करने की आवश्यकता नहीं

छत्तीस प्रकार के भोजन में सत्तर दो बहत्तर रोग भरे हैं

बहुत खाने से इन्सान प्रायः बीमार रहता है

छत्तीस प्रकार के भोजन में सत्तर दो बहत्तर रोग भरे रहते हैं

बहुत खाने से इन्सान प्रायः बीमार रहता है

अभी एक बूंट की दो दाल नहीं हुई हैं

अभी काम का आरंभ है, अभी थोड़ा काम हुआ है

अभी एक बूंट की दो दाल नहीं हुए हैं

अभी काम का आरंभ है, अभी थोड़ा काम हुआ है

जिस के वास्ते रोए उस आँखों में आँसू भी नहीं

जिस के साथ किसी तकलीफ़ में हमदर्दी की उसे परवाह भी नहीं

जिस के वास्ते रोए उस की आँखों में आँसू भी नहीं

जिस के साथ किसी तकलीफ़ में हमदर्दी की उसे परवाह भी नहीं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में धरती के अर्थदेखिए

धरती

dhartiiدَھرْتی

स्रोत: संस्कृत

वज़्न : 22

धरती के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

शे'र

English meaning of dhartii

Noun, Feminine

دَھرْتی کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مؤنث

  • زمین، ارض

Urdu meaning of dhartii

  • Roman
  • Urdu

  • zamiin, arz

धरती के यौगिक शब्द

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हाए-री

शोक, दुःख या शारीरिक कष्ट- सूचक शब्द, कष्ट, दुःख, पीड़ा, शोक, व्याकुलता, घबराहट, आकुलता, परेशानी, झंझट

हाए-रे

शोक, दुःख या शारीरिक कष्ट- सूचक शब्द, कष्ट, दुःख, पीड़ा, शोक, व्याकुलता, घबराहट, आकुलता, परेशानी, झंझट

हाँ रे हाँ

رک : ہاں جی ہاں ۔

हाँ री हाँ

رک : ہاں جی ہاں ۔

दाई रे दाई तेरे साथ हों भाई

कलिमा जो आंखमिचौली के खेल में बच्चे कहते हैं

गोंदा दे कर बुलबुल पकड़ते हैं

लालच की वजह से आदमी फंसता है

चार पाँव का घोड़ा चौकन्ना है, दो पाँव का आदमी क्या बला है

आदमी के लिए ठोकर खाना साधारण बात है, आदमी से भूल-चूक हो जाती है

चार पाँव का घोड़ा चौंकता है, दो पाँव का आदमी क्या बला है

आदमी के लिए ठोकर खाना साधारण बात है, मनुष्य धोखा खा जाता है

चार पाँव का घोड़ा चौंकता है, दो पाँव का आदमी क्या बला है

आदमी के लिए ठोकर खाना साधारण बात है, आदमी से भूल-चूक हो जाती है

जो ख़ुदा सर पर दो सींग दे तो वो भी सहने पड़ते हैं

जो कष्ट आए वो झेलना ही पड़ता है, ईश्वर की प्रसन्नता में प्रसन्न रहना अच्छी बात है

जो भादों में बरखा होए, काल बछोहड़ जा कर रोए

यदि भादों में वर्षा हो तो सूखा अथवा अकाल नहीं पड़ता

ख़ुदा दो सींग दे तो वो भी सहे जाते हैं

जो कष्ट आए वो झेलना ही पड़ता है, ईश्वर की प्रसन्नता में प्रसन्न रहना अच्छी बात है

अल्लाह दो सींग देवे तो वो भी क़ुबूल हैं

ईश्वर जो भी कष्ट सहावे सहना पड़ता है, ईश्वरेच्छा पर प्रसन्न होना चाहिए

महमूद के हाँ रहे, मस'ऊद के हाँ अंडे दे

ख़र्च किसी का और मेहरबानी किसी और पर

दुधार गाय की दो लातें भी पड़ती हैं

लाभ पहुँचाने वाले की घुड़कियाँ भी सही जाती हैं, काम करने वाले या कमाऊ व्यक्ति की दो कड़वी बातें भी सही जाती हैं

दो लड़ते हैं तो एक गिरता है

जब दो आदमीयों में लड़ाई होती है और एक हारता है तो हारने वाले की तसल्ली के लिए बोलते हैं

जो ख़ुदा सर पर सींग दे तो वो भी सहने जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

जो ख़ुदा सर पर सींग दे तो वो भी सहने पड़ते हैं

जो परेशानी आए उसे झेलना पड़ता है, ईश्वर की इच्छा पर सहमत होना बहुत अच्छी बात है

दुधार गाय की दो लातें भी सहनी पड़ती हैं

लाभ पहुँचाने वाले की घुड़कियाँ भी सही जाती हैं, काम करने वाले या कमाऊ व्यक्ति की दो कड़वी बातें भी सही जाती हैं

ख़ुदा सर पर दो सींग दे तो वो भी सहे जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

दूधैल गाय की दो लातें भी सहते हैं

किसी ख़ूबी या लाभ के कारण बुराई या तकलीफ़ सहन कर ली जाती है

जो भादों में बरखा होए, काल पंछोकर जा कर रोए

यदि भादों में वर्षा हो तो सूखा अथवा अकाल नहीं पड़ता

साजन हम तुम ऐक हैं देखत के हैं दो, मन से मन को तौल दो मन कदी न हो

हम तुम असल में एक हैं भले ही दो दिखाई देते हैं

मेरा था सो तेरा हुआ, बराए ख़ुदा टुक देखने तो दे

सास उस बहू से कहती है जो पति को लेकर अलग हो जाए

साईं सांसा मेट दे और न मेटे कोय, वा को सांसा क्या रहा जा सर साईं होय

ईश्वर के अतिरिक्त कोई सांसा अर्थात परेशानी एवं दुख को दूर नहीं कर सकता परंतु जिसे ईश्वर पुण्य की राह दिखा दे

कोई जले तो जलने दो मै आप ही जलता हूँ

मैं आप ही मुसीबत में गिरफ़्तार, हूँ मुझे किसी की मुसीबत से किया

ख़ुदा दो सींग भी दे, तो वो भी सहे जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

तर्कश में दो तीर नहीं, शर्मा शर्मी लड़ते हैं

आशा तो रही नहीं परंतु प्रयास हो रहा है

जान-ओ-माल को दु'आ देता हूँ

बुज़ुर्ग को मिज़ाजपुर्सी पर जवाब देते हैं

बादाम दो एक पोस्त हैं

बहुत निश्छल और मित्र आपस में मिले हुए हैं

आँखें ख़ुदा ने देखने को दी हैं या मुँह पर दी हैं

आँखें देखने को मिली हैं इनका दुरुस्त उपयोग करो

गूजर राँघड़ दो कुत्ता बिल्ली दो, ये चारों न हों तो खुले किवाड़ों सो

ये चारों चोरी के आदी हैं यदि ये न हों तो घरों के दरवाज़े बंद करने की आवश्यकता नहीं

राँघड़ गूजर दो कुत्ता बिल्ली दो, ये चारों न हों तो खुले किवाड़ों सो

ये चारों चोरी के आदी हैं यदि ये न हों तो घरों के दरवाज़े बंद करने की आवश्यकता नहीं

उत से अंधा आय है, इत से अंधा जाय, अंधे से अंधा मिला, कौन बतावे राय

जहाँ दोनों ही अंधे हों तो रास्ता कौन बताए अर्थात जहाँ सब अनपढ़ या अनभिज्ञ हों वहाँ कौन किसी कि दिशा-निर्देश करे

बोटी दे कर बकरा लेते हैं

थोड़ा लाभ पहुँचा कर अधिक बदला लेते हैं

बाजरा कहे में हूँ अकेला दो मोसली से लड़ूँ अकेला जो मेरी ताजो खिचड़ी खाए तो तुरत बोलता ख़ुश हो जाए

एक कहावत जो बाजरे की प्रशंसा में प्रयुक्त, परयायवाची: यदि सुंदर स्त्री बाजरा खाए तो बहुत प्रसन्न हो

शाह ख़ानम की आँखें दुखती हैं, शहर के चराग़ दीए गुल कर दो

ऐसी नाज़ुक मिज़ाज और मुतकब्बिर हैं कि अपनी तकलीफ़ के साथ औरों को भी तकलीफ़ देने से परहेज़ नहीं करतीं, अपनी तकलीफ़ और मुसीबत में औरों को मुबतला करना

दुधैल गाय की दो लातें भी सही जाती हैं

किसी ख़ूबी या लाभ के कारण बुराई या तकलीफ़ सहन कर ली जाती है

दुधैल गाय की दो लातें भी सही जाती हैं

जिस से नफ़ा पहुंचता है इस की नाज़ बर्दारी बुरी नीहं मालूम होती फ़ायदे के लिए तकलीफ़ उठाना बुरा नहीं लगता

साईं का रख आसरा और वाही का ले नाम, दो जग में भरपूर हों जो तेरे सगरे काम

ईश्वर पर भरोसा रख और उसी का नाम ले तो दोनों लोकों में तेरे काम पूरे होंगे

आँखें ख़ुदा ने मुँह पर दी हैं

अंधेपन से मत चलो रास्ता देख कर पाँव उठाओ

दो चून के बुरे होते हैं

एक के मुक़ाबले में दो शख़्स अगर ज़ईफ़ भी हूँ तब भी एक को अकेला होने की विजय से उन से डरना चाहिए, दो कमज़ोर भी मिल को क़वी हो जाते हैं

तर्कश में दो तीर नहीं, ख़ान बहादुर आते हैं

कस बल अर्थात शक्ति नाम को नहीं बड़े बड़े पहलवानों से लड़ने की डींग हाँक रहे हैं, ज़रा सी बात पर अपने आप को बड़ा समझ बैठे हैं

उत मत गेहूँ बुवा रे चेले, जित हों थल पाथर और ढेले

जिस ज़मीन में पत्थर और ढेले हों वहाँ गेहूँ नहीं बोना चाहिए

उत मत गेहूँ बुवा रे चेले, जित हों थाल और पाथर ढेले

जिस ज़मीन में पत्थर और ढेले हों वहाँ गेहूँ नहीं बोना चाहिए

एक आम की दो फाँकें हैं

दोनों एक ही शक्ल-ओ-सूरत या नसल के हैं

मरे हुओं पर मत रोओ बल्कि बेवक़ूफ़ों पर गिर्या करो

(तुर्की कहावत उर्दू में मुस्तामल) । मुरदे को रोने से बेहतर है बेवक़ूफ़ की बेवक़ूफ़ी का मातम करें

करनी ही संग जात है, जब जाय छूट सरीर, कोई साथ न दे सके, मात पिता सत बीर

मनुष्य के मरने पर उसके कर्म ही साथ जाते हैं, माँ-बाप, भाई या कोई कितना भी सज्जन या प्रिय व्यक्ति हो कोई साथ नहीं जाता

राँघर गूजर दो कुत्ता बिल्ली दो, ये चारों न हों तो खुले किवाड़ों सो

ये चारों चोरी के आदी हैं यदि ये न हों तो घरों के दरवाज़े बंद करने की आवश्यकता नहीं

छत्तीस प्रकार के भोजन में सत्तर दो बहत्तर रोग भरे हैं

बहुत खाने से इन्सान प्रायः बीमार रहता है

छत्तीस प्रकार के भोजन में सत्तर दो बहत्तर रोग भरे रहते हैं

बहुत खाने से इन्सान प्रायः बीमार रहता है

अभी एक बूंट की दो दाल नहीं हुई हैं

अभी काम का आरंभ है, अभी थोड़ा काम हुआ है

अभी एक बूंट की दो दाल नहीं हुए हैं

अभी काम का आरंभ है, अभी थोड़ा काम हुआ है

जिस के वास्ते रोए उस आँखों में आँसू भी नहीं

जिस के साथ किसी तकलीफ़ में हमदर्दी की उसे परवाह भी नहीं

जिस के वास्ते रोए उस की आँखों में आँसू भी नहीं

जिस के साथ किसी तकलीफ़ में हमदर्दी की उसे परवाह भी नहीं

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