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कि

कि

किहरी

बब्बर शेर

किहीन

least, junior, youngest

किहीं

अति क्षुद्र, बहुत छोटा ।।

कि कर्द कि नयाफ़्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस ने किया इस ने पाया, हर शख़्स को अपने आमाल का नतीजा मिलता है

किहीन-ओ-मिहीन

छोटा और बड़ा, जवान और बूढ़ा, प्रतीकात्मक: नौकर चाकर, नौकरों की टोली

जो कि

जूँ ही

जूँ कि

जिस प्रकार से, जिस ढँग से, जिस तरीके पर

ज्यूँ-कि

جس طرح جیسے.

हर कि

ہر ایک ، ہر وہ ، ہر جو

ज़ाँ कि

اس لیے کہ ، کیونکہ.

वक़्ती कि

जिस समय, जिस दम, जिस घड़ी

चंदाँ कि

जितना, जितने, यदि, फिर भी

है शर्त कि

लाज़िम है कि, ज़रूरी है कि

अज़-बस-कि

इसलिये

ब-हाले कि

इस रूप में कि, जबकि, इस अवस्था में कि, ऐसे हाल में कि

हर गाह कि

رک : ہرگاہ/گہہ ۔

बा आँ कि

-इसके बावजूद ।

चे जाए कि

کجا یہ کہ ، کیاں یہ بات کہ یہ تو بڑی بات ہے کہ .

दर सूरते कि

بشرطیکہ ، اس صورت میں کہ.

गिरा कि गिरा

अब बहुत जल्द गिरा चाहता है

हर कि-ओ-मिह

हर बड़ा और छोटा, हर ख़ास-ओ-आम, हर कोई

बा वस्फ़ी कि

اس کے باوجود (رک).

अज़-मास्त-कि-बर-मास्त

ये सब कुछ अपने ही बुरे कर्मों का परिणाम है (अपने किए पर पछताने के अवसर पर प्रयुक्त)

ओढ़ूँ कि बिछाउं

ख़ाली खोली अदाद-ओ-तहसीन लेकर क्या करें इस से पेट नहीं भर सकता

मन आनम कि मन दानम

۔(ف) مقولہ۔ مدح وتعریف کے جواب میں۔اپنی عاجزی اورخاکساری ظاہر کرنے کے لئے مستعمل ہے۔

ख़ुदा मारे कि छोड़े

कुछ भी हो

चोर जाते रहे कि अंधियारी

बुरे स्वभाव वाला अवसर पाते ही बुरे काम करता ही है, जगत के नियम नहीं बदलते

'अक़्ल बड़ी कि भैंस

किसी की बेतुकी बात पर उपहास में कहते हैं

ऐसा कहना पक्का कि बासी थक्का

इतना पकाने की आवश्यकता ही नहीं कि जो दूसरे दिन के लिए रखा रहे

अकेला हुस्नो रोए कि क़ब्र खोदे

तन्हा शख़्स जिस पर मुसीबत के वक़्त में कई कई ज़िम्मेदारीयां हूँ वो किस किस काम को सँभाले (इस मौक़ा पर मुस्तामल है जब कि मुसीबत और परेशा नन की हालत में काम कसरत से पेश आएं और सँभालने वाला तन्हा हुआ

हर कि शक आरद काफ़िर गर्दद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) (क़ौल की तसदीक़ के लिए कहते हैं) जो शक करे काफ़िर हो जाये

हर कि महजूब अस्त महबूब अस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) जिस में शर्म होती है उससे लोग मुहब्बत करते हैं

आप बीती कहूँ कि जग बीती

अपने पर जो गुज़री है वह सुनाऊँ या दूसरे की सुनी सुनाई बयान करूँ

हर कि मेहनत नकशीद ब राहत नरसीद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) अगर मेहनत नहीं करोगे तो आराम और सुकून भी नहीं मिलेगा

हर कि पिदर नदारद साया-ए-सर नदारद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस का बाप नहीं इस के सर पर साया नहीं

हर कि हेच नदारद ज़हेच ग़म नदारद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस के पास कुछ नहीं होता उस को कोई ग़म नहीं होता

मोम तो नहीं हो कि पिगल जाओगे

नाज़ुक और नामर्द ना बनू, हिम्मत से काम लो, डट के मुक़ाबला करो

मोम तो नहीं हो कि पिघल जाओगे

नाज़ुक और नामर्द ना बनू, हिम्मत से काम लो, डट के मुक़ाबला करो

हर कि ख़िदमत कर्द ऊ मख़दूम शुद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो ख़लक़-ए-ख़ुदा या बुज़ुर्गों की ख़िदमत करता है इज़्ज़त पाता है , जो ख़िदमत करता है इस की ख़िदमत की जाती है, जो ख़िदमत करता है उसे इज़्ज़त मिलती है

हर कि आमद बर आँ मज़ीद नुमूद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो आया इस ने इस में इज़ाफ़ा किया

हर जा कि नमक ख़ोरी नमक दान न शिकन

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जहां नमक खाओ नमकदान को ना तोड़ो , जिस से फ़ायदा उठाओ उसे नुक़्सान ना पहुँचाओ

कोई जिए कि मरे उन को अपने काम से काम

۔मक़ूला। ख़ुदग़रज़ आदमी की निसबत कहते हैं जिस को किसी के रंज विरह हित की पर्वा ना हो।

ओछे के घर तीतर बाहर बाँधूँ कि भीतर

रुक : उत्तर के घर तीतर बाहर बांधों कि भीतर

अंधा धुंद कि मंगल गाइयाँ

अंधेर मचा हुआ है

हर कि बाबदाँ नशीनद नेकी न बीनद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो बदों के साथ बैठता है वो नेकी नहीं देखता, बरी सोहबत का नतीजा बुरा होता है

हर कि दंदाँ दाद नान हम मी दहद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस ने दाँत दिए वही रोटी भी देगा, इंसान को रिज़्क की तलब में ज़्यादा परेशान ना होना चाहिए ख़ुदा पर भरोसा करना चाहिए

हर कि पिसर नदारद नूर-ए-नज़र नदारद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस का बेटा नहीं उस की आँखों नूर नहीं

वो फूल ही क्या जो कि महेसर न चढ़े

पारबती देवी की मूर्ती पर चढ़ाया हुआ वह फूल जो उसके सर पर रह जाता था और सबसे ऊँचा गिना जाता था

टके के पान बनेनी खाए, कहो घर रहे कि जाए

बनियों की कंजूसी पर व्यंग है

हर कि दर कान-ए-नमक रफ़्त नमक शुद

का दर कान-ए-नमक रफत नमक शुद

हर कि ख़ूद रा बीनद ख़ुदा रा न बीनद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) मग़रूर आदमी ख़ुदा को नहीं पाता, ख़ुद पसंद शख़्स ख़ुदा शनास नहीं होता

हर कि अज़ दीदा दूर अज़ दिल दूर

(فارسی کہاوت اُردو میں مستعمل) جو سامنے نہیں ہوتا اس کا خیال بھی نہیں رہتا ، جو آنکھ سے دور وہ دل سے دور ہوتا ہے ، آنکھ اوجھل پہاڑ اوجھل

हर रोज़ 'ईद नीस्त कि हल्वा ख़ूरद कसे

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर रोज़ ईद नहीं है कि कोई हलवा खाए , रोज़ रोज़ उम्दा मौक़ा हाथ नहीं आता , हर रोज़ ख़ुशी हासिल नहीं होती, ज़माना एक सा नहीं रहता, (बिलउमूम ऐसे मौके़ पर मुस्तामल जब कोई एक बार कुछ पाने के बाद फिर फ़ायदे की उम्मीद रखे)

हर कि रा ज़र दर तराज़ूस्त ज़ोर दर बाज़ूस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस के पास ज़र है इस के पास ज़ोर भी है, जिस के पास पैसा है वो ताक़तवर है

हर कि बरादर नदारद क़ुव्वत-ए-बाज़ू नदारद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस का भाई नहीं उस की क़ुव्वत-ए-बाज़ू नहीं

हर जा कि सुल्तान ख़ैमा ज़द ग़ौग़ा नमान्द 'आम रा

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जहां बादशाह ख़ेमा लगा दे वहां आम लोगों का शोर नहीं होता, बड़ों के सामने छोटों की तौक़ीर नहीं होती , बड़ों के सामने छोटों की नहीं चलती

वो दिन डुब्बा कि घोड़ी चढ़ा कुब्बा

जिस दिन यह दोषयुक्त व्यक्ति घोड़ी चढ़ेगा वह दिन विनाश या तबाही का होगा

हर कि बा नूह नशीनद चे ग़म अज़ तूफ़ानश

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो नोहऑ के साथ बैठे उसे तूफ़ान नोहऑ की क्या फ़िक्र, जो हाकिम के साथ होता है उसे हाकिम से ख़तरा नहीं होता, जिस के हिमायती बड़े लोग हूँ उसे क्या ख़ौफ़ है

दीगर ब-ख़ुद मनाज़ा कि तुर्की तमाम शुद

फ़ारसी मिसल उर्दू में मुस्तामल, अब अपने ऊपर नाज़ ना करो क्योंकि तुर्की तमाम होगई यानी तुम्हारा सारा ज़ोर शोर ख़त्म हो गया, रोब दाब मिट गया ब ग़रूर किसी बात पर है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में बावजूदे-कि के अर्थदेखिए

बावजूदे-कि

baavajuude-kiبا وُجُودیکہ

बावजूदे-कि के हिंदी अर्थ

क्रिया-विशेषण

  • अगरचे

शे'र

English meaning of baavajuude-ki

Adverb

  • in spite of, though, even if, granted that

با وُجُودیکہ کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فعل متعلق

  • اگرچہ

Urdu meaning of baavajuude-ki

  • Roman
  • Urdu

  • agarche

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कि

कि

किहरी

बब्बर शेर

किहीन

least, junior, youngest

किहीं

अति क्षुद्र, बहुत छोटा ।।

कि कर्द कि नयाफ़्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस ने किया इस ने पाया, हर शख़्स को अपने आमाल का नतीजा मिलता है

किहीन-ओ-मिहीन

छोटा और बड़ा, जवान और बूढ़ा, प्रतीकात्मक: नौकर चाकर, नौकरों की टोली

जो कि

जूँ ही

जूँ कि

जिस प्रकार से, जिस ढँग से, जिस तरीके पर

ज्यूँ-कि

جس طرح جیسے.

हर कि

ہر ایک ، ہر وہ ، ہر جو

ज़ाँ कि

اس لیے کہ ، کیونکہ.

वक़्ती कि

जिस समय, जिस दम, जिस घड़ी

चंदाँ कि

जितना, जितने, यदि, फिर भी

है शर्त कि

लाज़िम है कि, ज़रूरी है कि

अज़-बस-कि

इसलिये

ब-हाले कि

इस रूप में कि, जबकि, इस अवस्था में कि, ऐसे हाल में कि

हर गाह कि

رک : ہرگاہ/گہہ ۔

बा आँ कि

-इसके बावजूद ।

चे जाए कि

کجا یہ کہ ، کیاں یہ بات کہ یہ تو بڑی بات ہے کہ .

दर सूरते कि

بشرطیکہ ، اس صورت میں کہ.

गिरा कि गिरा

अब बहुत जल्द गिरा चाहता है

हर कि-ओ-मिह

हर बड़ा और छोटा, हर ख़ास-ओ-आम, हर कोई

बा वस्फ़ी कि

اس کے باوجود (رک).

अज़-मास्त-कि-बर-मास्त

ये सब कुछ अपने ही बुरे कर्मों का परिणाम है (अपने किए पर पछताने के अवसर पर प्रयुक्त)

ओढ़ूँ कि बिछाउं

ख़ाली खोली अदाद-ओ-तहसीन लेकर क्या करें इस से पेट नहीं भर सकता

मन आनम कि मन दानम

۔(ف) مقولہ۔ مدح وتعریف کے جواب میں۔اپنی عاجزی اورخاکساری ظاہر کرنے کے لئے مستعمل ہے۔

ख़ुदा मारे कि छोड़े

कुछ भी हो

चोर जाते रहे कि अंधियारी

बुरे स्वभाव वाला अवसर पाते ही बुरे काम करता ही है, जगत के नियम नहीं बदलते

'अक़्ल बड़ी कि भैंस

किसी की बेतुकी बात पर उपहास में कहते हैं

ऐसा कहना पक्का कि बासी थक्का

इतना पकाने की आवश्यकता ही नहीं कि जो दूसरे दिन के लिए रखा रहे

अकेला हुस्नो रोए कि क़ब्र खोदे

तन्हा शख़्स जिस पर मुसीबत के वक़्त में कई कई ज़िम्मेदारीयां हूँ वो किस किस काम को सँभाले (इस मौक़ा पर मुस्तामल है जब कि मुसीबत और परेशा नन की हालत में काम कसरत से पेश आएं और सँभालने वाला तन्हा हुआ

हर कि शक आरद काफ़िर गर्दद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) (क़ौल की तसदीक़ के लिए कहते हैं) जो शक करे काफ़िर हो जाये

हर कि महजूब अस्त महबूब अस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) जिस में शर्म होती है उससे लोग मुहब्बत करते हैं

आप बीती कहूँ कि जग बीती

अपने पर जो गुज़री है वह सुनाऊँ या दूसरे की सुनी सुनाई बयान करूँ

हर कि मेहनत नकशीद ब राहत नरसीद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) अगर मेहनत नहीं करोगे तो आराम और सुकून भी नहीं मिलेगा

हर कि पिदर नदारद साया-ए-सर नदारद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस का बाप नहीं इस के सर पर साया नहीं

हर कि हेच नदारद ज़हेच ग़म नदारद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस के पास कुछ नहीं होता उस को कोई ग़म नहीं होता

मोम तो नहीं हो कि पिगल जाओगे

नाज़ुक और नामर्द ना बनू, हिम्मत से काम लो, डट के मुक़ाबला करो

मोम तो नहीं हो कि पिघल जाओगे

नाज़ुक और नामर्द ना बनू, हिम्मत से काम लो, डट के मुक़ाबला करो

हर कि ख़िदमत कर्द ऊ मख़दूम शुद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो ख़लक़-ए-ख़ुदा या बुज़ुर्गों की ख़िदमत करता है इज़्ज़त पाता है , जो ख़िदमत करता है इस की ख़िदमत की जाती है, जो ख़िदमत करता है उसे इज़्ज़त मिलती है

हर कि आमद बर आँ मज़ीद नुमूद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो आया इस ने इस में इज़ाफ़ा किया

हर जा कि नमक ख़ोरी नमक दान न शिकन

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जहां नमक खाओ नमकदान को ना तोड़ो , जिस से फ़ायदा उठाओ उसे नुक़्सान ना पहुँचाओ

कोई जिए कि मरे उन को अपने काम से काम

۔मक़ूला। ख़ुदग़रज़ आदमी की निसबत कहते हैं जिस को किसी के रंज विरह हित की पर्वा ना हो।

ओछे के घर तीतर बाहर बाँधूँ कि भीतर

रुक : उत्तर के घर तीतर बाहर बांधों कि भीतर

अंधा धुंद कि मंगल गाइयाँ

अंधेर मचा हुआ है

हर कि बाबदाँ नशीनद नेकी न बीनद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो बदों के साथ बैठता है वो नेकी नहीं देखता, बरी सोहबत का नतीजा बुरा होता है

हर कि दंदाँ दाद नान हम मी दहद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस ने दाँत दिए वही रोटी भी देगा, इंसान को रिज़्क की तलब में ज़्यादा परेशान ना होना चाहिए ख़ुदा पर भरोसा करना चाहिए

हर कि पिसर नदारद नूर-ए-नज़र नदारद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस का बेटा नहीं उस की आँखों नूर नहीं

वो फूल ही क्या जो कि महेसर न चढ़े

पारबती देवी की मूर्ती पर चढ़ाया हुआ वह फूल जो उसके सर पर रह जाता था और सबसे ऊँचा गिना जाता था

टके के पान बनेनी खाए, कहो घर रहे कि जाए

बनियों की कंजूसी पर व्यंग है

हर कि दर कान-ए-नमक रफ़्त नमक शुद

का दर कान-ए-नमक रफत नमक शुद

हर कि ख़ूद रा बीनद ख़ुदा रा न बीनद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) मग़रूर आदमी ख़ुदा को नहीं पाता, ख़ुद पसंद शख़्स ख़ुदा शनास नहीं होता

हर कि अज़ दीदा दूर अज़ दिल दूर

(فارسی کہاوت اُردو میں مستعمل) جو سامنے نہیں ہوتا اس کا خیال بھی نہیں رہتا ، جو آنکھ سے دور وہ دل سے دور ہوتا ہے ، آنکھ اوجھل پہاڑ اوجھل

हर रोज़ 'ईद नीस्त कि हल्वा ख़ूरद कसे

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर रोज़ ईद नहीं है कि कोई हलवा खाए , रोज़ रोज़ उम्दा मौक़ा हाथ नहीं आता , हर रोज़ ख़ुशी हासिल नहीं होती, ज़माना एक सा नहीं रहता, (बिलउमूम ऐसे मौके़ पर मुस्तामल जब कोई एक बार कुछ पाने के बाद फिर फ़ायदे की उम्मीद रखे)

हर कि रा ज़र दर तराज़ूस्त ज़ोर दर बाज़ूस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस के पास ज़र है इस के पास ज़ोर भी है, जिस के पास पैसा है वो ताक़तवर है

हर कि बरादर नदारद क़ुव्वत-ए-बाज़ू नदारद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जिस का भाई नहीं उस की क़ुव्वत-ए-बाज़ू नहीं

हर जा कि सुल्तान ख़ैमा ज़द ग़ौग़ा नमान्द 'आम रा

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जहां बादशाह ख़ेमा लगा दे वहां आम लोगों का शोर नहीं होता, बड़ों के सामने छोटों की तौक़ीर नहीं होती , बड़ों के सामने छोटों की नहीं चलती

वो दिन डुब्बा कि घोड़ी चढ़ा कुब्बा

जिस दिन यह दोषयुक्त व्यक्ति घोड़ी चढ़ेगा वह दिन विनाश या तबाही का होगा

हर कि बा नूह नशीनद चे ग़म अज़ तूफ़ानश

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो नोहऑ के साथ बैठे उसे तूफ़ान नोहऑ की क्या फ़िक्र, जो हाकिम के साथ होता है उसे हाकिम से ख़तरा नहीं होता, जिस के हिमायती बड़े लोग हूँ उसे क्या ख़ौफ़ है

दीगर ब-ख़ुद मनाज़ा कि तुर्की तमाम शुद

फ़ारसी मिसल उर्दू में मुस्तामल, अब अपने ऊपर नाज़ ना करो क्योंकि तुर्की तमाम होगई यानी तुम्हारा सारा ज़ोर शोर ख़त्म हो गया, रोब दाब मिट गया ब ग़रूर किसी बात पर है

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