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ऐसी

किसी वस्तु के जैसी या तुल्य

ऐसी-ऐसी

ऐसी-तैसी

ऐसा तैसा का स्त्रीलिंग, एक वाक्य जो सभ्य लोग गाली के रूप में उपयोग करते हैं, समानार्थक शब्द: लानत है, फटकार है, आदि

ऐसी-वैसी

तरह-तरह की

ऐसी-की-तैसी

अवमानना के शब्द

ऐसी तैसी में जाए

भाड़ में जाये, दोज़ख़ में जाये, हमारी तरफ़ से कहीं मारा मारा फिरे, कुछ भी करे हमें सरोकार नहीं

ऐसी तैसी में गया

भाड़ में जाये, दोज़ख़ में जाये, हमारी तरफ़ से कहीं मारा मारा फिरे, कुछ भी करे हमें सरोकार नहीं

ऐसी तैसी में जाओ

भाड़ में जाये, दोज़ख़ में जाये, हमारी तरफ़ से कहीं मारा मारा फिरे, कुछ भी करे हमें सरोकार नहीं

ऐसी की तैसी में जाए

ऐसी तैसी की

रुक : ऐसी तैसी

ऐसी की तैसी में जाओ

ऐसी बहू सयानी जो पैंचा माँगे पानी

बहू ऐसी होशियार है कि पानी भी माँगती है तो उधार (इसलिए कि दूसरे लोग उससे कभी कोई वस्तु मुफ़्त में न माँगे और यदि माँगें भी तो तुरंत लौटा दिया करें)

ऐसी-तैसी कराना

बोल चाल में दुश्नाम के तौर पर मुस्तामल, जैसे : उन्हें बला कर नहीं लाए तो फिर क्या वहां ऐसी तैसी कराने गए थे

ऐसी की तैसी में पड़े

ऐसी तैसी करना

बदसुलूकी करना, ज़लील-ओ-ख़ार करना, बरी गति बनाना, मारना

'ऐशी

ऐसी क्या तेरे ही तले गंगा बहती है

तुझ में कौन सी ऐसी विशेषता है कि जो कुछ तू चाहे वही होगा, क्या तेरे अतिरिक्त कोई दूसरा नहीं कर सकता

ऐसी होती कातनहारी, तो काहे फिरती मारी-मारी

ऐसी गुणवान या होशियार होती तो क्यूँ मारी-मारी फिरती

ऐसी मेख़ मारी कि पार निकल गई

बहुत चोट दी, बहुत हानि पहुँचाया

ऐसी कही कि धोए न छूटे

इतनी श्रमसाध्य या प्रभावशाली बात कह दी जिसका प्रभाव मिटाया नहीं जा सकता

ऐसी क्या क़ाज़ी की गधी चुराई है

कौन सा ऐसा बड़ा अपराध किया है, निर्दोष को किस का डर है

ऐसी क्या क़ाज़ी जी की गधी चुराई है

क्या हम ने कुछ भूल की है, कोई अपराध या पाप नहीं किया तो फिर क्या डर है

ऐसी कही कि छा गई

(किसी पर) ऐसी फब्ती कस दी जो चिपक कर रह गई

ख़ाक ऐसी ज़िंदगी पर

लानत है ऐसे जीने पर

इस की ऐसी तैसी

अपनी ऐसी तैसी में जाए

जहन्नुम में पड़े, भाड़ में जाये, हिमियायाँ क्या मतलब, चाहे जो हो

तोते की ऐसी आँखें फेरना

यकायक बेमुरव्वती का इज़हार करना, यकलख़त बेवफ़ाई करना

अपनी ऐसी तैसी में पड़े

नर्क में जाए, जहन्नम में पड़े, भाड़ में जाए, हमें क्या मतलब, चाहे जो हो

आ तेरी ऐसी तैसी

बातचीत में अप्रसन्नता के अवसर पर एक तरह के व्यंग्य और कटाक्ष का वाक्य (अभागा, दुष्ट, निकम्मे की जगह)

अपनी ऐसी-तैसी कराना

अपना ही कुछ बिगाड़ना, किसी का अपमान करने की कोशिश में ख़ुद अपमानित हो जाना. जैसे : उसने मेरी शिकायत करके अपनी ऐसी तैसी करा ली

कमा के खाया ऐसी तैसी जगत में आया

जो ले दे और कमा के खाए उसके दुनिया में आने का क्या फ़ायदा हुआ, अशिष्ट और अज्ञानी लोगों के बारे में कहा जाता है

अपनी ऐसी

कौन ऐसी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

आप ऐसी ही बातों से मक़्बूल हुए हैं

किसी को साफ़-साफ़ मूर्ख और बेवक़ूफ़ कहने के अवसर पर प्रयुक्त

कौन ऐसी किशमिश है जिस में लकड़ी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

ऐसे पर तो ऐसी काजल दिए पर कैसी

बिना बनाव श्रंगार के तो ये 'आलम है अगर बनाव श्रंगार हो तो क्या ग़ज़ब ढाए

रोते क्यों हो ? कहा सूरत ही ऐसी है

इस में ये ऐब पैदाइशी है, या जो शख़्स हरवक़त चीं बजबें रहे और परेशान सूरत बनाए रखे इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

मैं हूँ ऐसी चातुर ज्ञानी चातुर भरे मेरे आगे पानी

में इतनी चालाक हूँ कि दूसरे चालाक मेरी ख़िदमत करते हैं, अपनी होशयारी और चालाकी ज़ाहिर करने के मौके़ पर कहते हैं

बाँदी जब शादी करती है तो ऐसी ही करती है

तुच्छ या डींगें मारने वाला व्यक्ति शादी आदि में अपनी स्थिति या क्षमता से अधिक काम करता है

वक़्त-ए-पीरी शबाब की बातें, ऐसी हैं जैसे ख़्वाब की बातें

बुढ़ापे के ज़माने में जवानी की बातें ख़्वाब की बातें मालूम होती हैं यानी अविश्वसनीय मालूम होती हैं

ले के दिया कमा के खाया ऐसी तैसी जगत में आया

जो ले के दे और कमा के खाए इस का दुनिया में आना फ़ुज़ूल है, बदमाश और नादहिंद लोगों के मुताल्लिक़ कहते हैं

पाँव के नीचे की मिट्टी भी ऐसी न होगी

बारू जैसी भुरभुरी धौली जैसे धूप मीठी ऐसी कुछ नहीं जैसे मीठी चूप

शुक्र जो रीत की तरह भर भरी और धूप की तरह सफ़ैद होती है, चुप से ज़्यादा मीठी नहीं होती, ख़मोशी की तारीफ़ के मौक़ा पर मुस्तामल

चौधरी हो या राव जब काम न दे ऐसी तैसी में जाओ

कोई बड़े से बड़ा हो जब काम ना आया तो निकम्मा है

पीत तो ऐसी कीजिये जैसे रूई कपास, जीते जी तो संग रहे मुए पे होवे साथ

प्रेम ऐसा होना चाहिये जैसे रुई जीते जी पहनी जाती है और मरने पर कफ़न बनाया जाता है

टूम बिना बैर है , ऐसी बिन पानी के खेती जैसी

बगै़र गहने के औरत ऐसी जैसी खेती बला पानी

पीत तो ऐसी कीजिये जूँ हिन्दू की जोय, जीते जी तो संग रहे मरे पे सती होय

प्रेम तो ऐसी होनी चाहिये जैसे हिंदू की पत्नी कि जीते जी साथ रहती है और मरने पर सती होती है

क्या ऐसी बला है

भला ऐसी बात थी

ऐसा नहीं हो सकता, यह संभव न था, ये साहस न थी

आठ गाँव का चौधरी और बारह गाँव का राव, अपने काम न आए तो ऐसी तैसी में जाओ

कोई कैसा ही धनवान अथवा धनी हो जब अपना काम उस से ना निकले तो ऐसे धन-धान्य से क्या लाभ, जिस से कोई लाभ ना हो उस का होना ना होना बराबर है

भला ऐसी क्या बात थी

यह कौन सी मुश्किल बात थी

हवा ही ऐसी चली है

समय ही ऐसा है, वातावरण या समाज ही ऐसा है, रीति-रिवाज यही हैं

तंग-'ऐशी

दरिद्रता, कंगाली, दुःख, दीनता, खस्तगी, जीवन दूभर होना।

भला ऐसी मेरी क्या खाट कटी थी

क्या मजबूरी है , मुझे ऐसी क्या ज़रूरत थी

बारह गाँव का चौधरी अस्सी गाँव का राव, अपने काम न आवे तो ऐसी तैसी में जाव

आदमी चाहे कितना ही धनवान हो परंतु यदि किसी के काम न आए तो किसी कीम का नहीं

ख़ुश-ऐशी

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ऐसी-की-तैसी के अर्थदेखिए

ऐसी-की-तैसी

aisii-kii-taisiiاَیسی کی تَیسی

स्रोत: हिंदी

वज़्न : 22222

ऐसी-की-तैसी के हिंदी अर्थ

विशेषण, स्त्रीलिंग

शे'र

English meaning of aisii-kii-taisii

Adjective, Feminine

Roman

اَیسی کی تَیسی کے اردو معانی

صفت، مؤنث

  • رک : ایسی تیسی ۔

Urdu meaning of aisii-kii-taisii

  • ruk ha a.isii taisii

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ऐसी

किसी वस्तु के जैसी या तुल्य

ऐसी-ऐसी

ऐसी-तैसी

ऐसा तैसा का स्त्रीलिंग, एक वाक्य जो सभ्य लोग गाली के रूप में उपयोग करते हैं, समानार्थक शब्द: लानत है, फटकार है, आदि

ऐसी-वैसी

तरह-तरह की

ऐसी-की-तैसी

अवमानना के शब्द

ऐसी तैसी में जाए

भाड़ में जाये, दोज़ख़ में जाये, हमारी तरफ़ से कहीं मारा मारा फिरे, कुछ भी करे हमें सरोकार नहीं

ऐसी तैसी में गया

भाड़ में जाये, दोज़ख़ में जाये, हमारी तरफ़ से कहीं मारा मारा फिरे, कुछ भी करे हमें सरोकार नहीं

ऐसी तैसी में जाओ

भाड़ में जाये, दोज़ख़ में जाये, हमारी तरफ़ से कहीं मारा मारा फिरे, कुछ भी करे हमें सरोकार नहीं

ऐसी की तैसी में जाए

ऐसी तैसी की

रुक : ऐसी तैसी

ऐसी की तैसी में जाओ

ऐसी बहू सयानी जो पैंचा माँगे पानी

बहू ऐसी होशियार है कि पानी भी माँगती है तो उधार (इसलिए कि दूसरे लोग उससे कभी कोई वस्तु मुफ़्त में न माँगे और यदि माँगें भी तो तुरंत लौटा दिया करें)

ऐसी-तैसी कराना

बोल चाल में दुश्नाम के तौर पर मुस्तामल, जैसे : उन्हें बला कर नहीं लाए तो फिर क्या वहां ऐसी तैसी कराने गए थे

ऐसी की तैसी में पड़े

ऐसी तैसी करना

बदसुलूकी करना, ज़लील-ओ-ख़ार करना, बरी गति बनाना, मारना

'ऐशी

ऐसी क्या तेरे ही तले गंगा बहती है

तुझ में कौन सी ऐसी विशेषता है कि जो कुछ तू चाहे वही होगा, क्या तेरे अतिरिक्त कोई दूसरा नहीं कर सकता

ऐसी होती कातनहारी, तो काहे फिरती मारी-मारी

ऐसी गुणवान या होशियार होती तो क्यूँ मारी-मारी फिरती

ऐसी मेख़ मारी कि पार निकल गई

बहुत चोट दी, बहुत हानि पहुँचाया

ऐसी कही कि धोए न छूटे

इतनी श्रमसाध्य या प्रभावशाली बात कह दी जिसका प्रभाव मिटाया नहीं जा सकता

ऐसी क्या क़ाज़ी की गधी चुराई है

कौन सा ऐसा बड़ा अपराध किया है, निर्दोष को किस का डर है

ऐसी क्या क़ाज़ी जी की गधी चुराई है

क्या हम ने कुछ भूल की है, कोई अपराध या पाप नहीं किया तो फिर क्या डर है

ऐसी कही कि छा गई

(किसी पर) ऐसी फब्ती कस दी जो चिपक कर रह गई

ख़ाक ऐसी ज़िंदगी पर

लानत है ऐसे जीने पर

इस की ऐसी तैसी

अपनी ऐसी तैसी में जाए

जहन्नुम में पड़े, भाड़ में जाये, हिमियायाँ क्या मतलब, चाहे जो हो

तोते की ऐसी आँखें फेरना

यकायक बेमुरव्वती का इज़हार करना, यकलख़त बेवफ़ाई करना

अपनी ऐसी तैसी में पड़े

नर्क में जाए, जहन्नम में पड़े, भाड़ में जाए, हमें क्या मतलब, चाहे जो हो

आ तेरी ऐसी तैसी

बातचीत में अप्रसन्नता के अवसर पर एक तरह के व्यंग्य और कटाक्ष का वाक्य (अभागा, दुष्ट, निकम्मे की जगह)

अपनी ऐसी-तैसी कराना

अपना ही कुछ बिगाड़ना, किसी का अपमान करने की कोशिश में ख़ुद अपमानित हो जाना. जैसे : उसने मेरी शिकायत करके अपनी ऐसी तैसी करा ली

कमा के खाया ऐसी तैसी जगत में आया

जो ले दे और कमा के खाए उसके दुनिया में आने का क्या फ़ायदा हुआ, अशिष्ट और अज्ञानी लोगों के बारे में कहा जाता है

अपनी ऐसी

कौन ऐसी किशमिश है जिस में डंडी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

आप ऐसी ही बातों से मक़्बूल हुए हैं

किसी को साफ़-साफ़ मूर्ख और बेवक़ूफ़ कहने के अवसर पर प्रयुक्त

कौन ऐसी किशमिश है जिस में लकड़ी नहीं

हर चीज़ में कोई ना कोई कमी या ख़राबी ज़रूर होती है

ऐसे पर तो ऐसी काजल दिए पर कैसी

बिना बनाव श्रंगार के तो ये 'आलम है अगर बनाव श्रंगार हो तो क्या ग़ज़ब ढाए

रोते क्यों हो ? कहा सूरत ही ऐसी है

इस में ये ऐब पैदाइशी है, या जो शख़्स हरवक़त चीं बजबें रहे और परेशान सूरत बनाए रखे इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

मैं हूँ ऐसी चातुर ज्ञानी चातुर भरे मेरे आगे पानी

में इतनी चालाक हूँ कि दूसरे चालाक मेरी ख़िदमत करते हैं, अपनी होशयारी और चालाकी ज़ाहिर करने के मौके़ पर कहते हैं

बाँदी जब शादी करती है तो ऐसी ही करती है

तुच्छ या डींगें मारने वाला व्यक्ति शादी आदि में अपनी स्थिति या क्षमता से अधिक काम करता है

वक़्त-ए-पीरी शबाब की बातें, ऐसी हैं जैसे ख़्वाब की बातें

बुढ़ापे के ज़माने में जवानी की बातें ख़्वाब की बातें मालूम होती हैं यानी अविश्वसनीय मालूम होती हैं

ले के दिया कमा के खाया ऐसी तैसी जगत में आया

जो ले के दे और कमा के खाए इस का दुनिया में आना फ़ुज़ूल है, बदमाश और नादहिंद लोगों के मुताल्लिक़ कहते हैं

पाँव के नीचे की मिट्टी भी ऐसी न होगी

बारू जैसी भुरभुरी धौली जैसे धूप मीठी ऐसी कुछ नहीं जैसे मीठी चूप

शुक्र जो रीत की तरह भर भरी और धूप की तरह सफ़ैद होती है, चुप से ज़्यादा मीठी नहीं होती, ख़मोशी की तारीफ़ के मौक़ा पर मुस्तामल

चौधरी हो या राव जब काम न दे ऐसी तैसी में जाओ

कोई बड़े से बड़ा हो जब काम ना आया तो निकम्मा है

पीत तो ऐसी कीजिये जैसे रूई कपास, जीते जी तो संग रहे मुए पे होवे साथ

प्रेम ऐसा होना चाहिये जैसे रुई जीते जी पहनी जाती है और मरने पर कफ़न बनाया जाता है

टूम बिना बैर है , ऐसी बिन पानी के खेती जैसी

बगै़र गहने के औरत ऐसी जैसी खेती बला पानी

पीत तो ऐसी कीजिये जूँ हिन्दू की जोय, जीते जी तो संग रहे मरे पे सती होय

प्रेम तो ऐसी होनी चाहिये जैसे हिंदू की पत्नी कि जीते जी साथ रहती है और मरने पर सती होती है

क्या ऐसी बला है

भला ऐसी बात थी

ऐसा नहीं हो सकता, यह संभव न था, ये साहस न थी

आठ गाँव का चौधरी और बारह गाँव का राव, अपने काम न आए तो ऐसी तैसी में जाओ

कोई कैसा ही धनवान अथवा धनी हो जब अपना काम उस से ना निकले तो ऐसे धन-धान्य से क्या लाभ, जिस से कोई लाभ ना हो उस का होना ना होना बराबर है

भला ऐसी क्या बात थी

यह कौन सी मुश्किल बात थी

हवा ही ऐसी चली है

समय ही ऐसा है, वातावरण या समाज ही ऐसा है, रीति-रिवाज यही हैं

तंग-'ऐशी

दरिद्रता, कंगाली, दुःख, दीनता, खस्तगी, जीवन दूभर होना।

भला ऐसी मेरी क्या खाट कटी थी

क्या मजबूरी है , मुझे ऐसी क्या ज़रूरत थी

बारह गाँव का चौधरी अस्सी गाँव का राव, अपने काम न आवे तो ऐसी तैसी में जाव

आदमी चाहे कितना ही धनवान हो परंतु यदि किसी के काम न आए तो किसी कीम का नहीं

ख़ुश-ऐशी

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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