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बचत

बचने का भाव, बचे हुए होने की अवस्था या भाव, बचा हुआ अंश, जो शेष रहे

बिछत

खराबी। दोष।

बाँछित

वह वस्तु जिस की इच्छा की जाए, जिसकी वांछा की गई हो, चाहा हुआ, इच्छित, वांछित, चुना हुआ, पसंदीदा

बिछाता

बिछवा, एक पौधा जिसके छू जाने से जिस्म में खुजली पैदा हो जाती है

बिचित्तर

चित्र में रंग भरने वाला, मुसव्विर, चित्रकार

बिछटना

بچھڑنا

बिछत्या

छिपकली

बिचित्र

अजीब-ओ-ग़रीब, अद्द्भुत, हैरतनाक, ख़ुशनुमा

बचती

बचत, बचत से संबंधित

बिछ्टी

एक प्रकार का पौधा जिसका पत्ता बदन को छू जाने से भारी खुजली पैदा करता है, बिच्छू बूटी

बेचता क्या है

क्या महत्व रखता है, किस खेत की मूली है

बिछौंटा

वह चंदा जो हिस्से के अनुसार लगाया या लिया जाए

चलो सखी वहाँ चलें जहाँ बसें बृज राज, गौ-रस बेचत हरि मिलें एक पंथ दो काज

स्त्रियों का कथन है कि वहाँ अर्थात मथुरा जाने से दूध भी बिक जाता है और कृष्ण जी का दर्शन भी हो जाता है

चली सखी चलिये वहाँ जहाँ बसें बृज-राज, गौ-रस बेचत हरि मिलें एक पंथ दो काज

स्त्रियों का कथन है कि वहाँ अर्थात मथुरा जाने से दूध भी बिक जाता है और कृष्ण जी का दर्शन भी हो जाता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में आसूदगी-ए-लुत्फ़-ओ-'इनायत के अर्थदेखिए

आसूदगी-ए-लुत्फ़-ओ-'इनायत

aasuudgi-e-lutf-o-'inaayatآسُودْگیٔ لُطْف و عِنایَت

वज़्न : 2211222122

English meaning of aasuudgi-e-lutf-o-'inaayat

  • contented with pleasure and favours

Urdu meaning of aasuudgi-e-lutf-o-'inaayat

  • Roman
  • Urdu

खोजे गए शब्द से संबंधित

बचत

बचने का भाव, बचे हुए होने की अवस्था या भाव, बचा हुआ अंश, जो शेष रहे

बिछत

खराबी। दोष।

बाँछित

वह वस्तु जिस की इच्छा की जाए, जिसकी वांछा की गई हो, चाहा हुआ, इच्छित, वांछित, चुना हुआ, पसंदीदा

बिछाता

बिछवा, एक पौधा जिसके छू जाने से जिस्म में खुजली पैदा हो जाती है

बिचित्तर

चित्र में रंग भरने वाला, मुसव्विर, चित्रकार

बिछटना

بچھڑنا

बिछत्या

छिपकली

बिचित्र

अजीब-ओ-ग़रीब, अद्द्भुत, हैरतनाक, ख़ुशनुमा

बचती

बचत, बचत से संबंधित

बिछ्टी

एक प्रकार का पौधा जिसका पत्ता बदन को छू जाने से भारी खुजली पैदा करता है, बिच्छू बूटी

बेचता क्या है

क्या महत्व रखता है, किस खेत की मूली है

बिछौंटा

वह चंदा जो हिस्से के अनुसार लगाया या लिया जाए

चलो सखी वहाँ चलें जहाँ बसें बृज राज, गौ-रस बेचत हरि मिलें एक पंथ दो काज

स्त्रियों का कथन है कि वहाँ अर्थात मथुरा जाने से दूध भी बिक जाता है और कृष्ण जी का दर्शन भी हो जाता है

चली सखी चलिये वहाँ जहाँ बसें बृज-राज, गौ-रस बेचत हरि मिलें एक पंथ दो काज

स्त्रियों का कथन है कि वहाँ अर्थात मथुरा जाने से दूध भी बिक जाता है और कृष्ण जी का दर्शन भी हो जाता है

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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