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आप सुखी तो सब सुखी

यदि मनुष्य स्वयं अच्छा हो, तो दुनिया उसके साथ अच्छा व्यवहार करती है

आप सुखी तो जग सुखी

अपने आप को सुख है तो मानो ज़माने भर को सुख है

तन सुखी तो मन सुखी

बदन को आराम हो यानी सेहत अच्छी हो और खाना अच्छा मिले तो इंसान को कोई तकलीफ़ नहीं होती , पेट की फ़िक्र ना हो तो अक़ल भी ठिकाने रहती है

आप स्वार्थी सदा दुखी पर स्वार्थी सदा सुखी

स्वार्थ में हानि है और स्वार्थरहित होन में आराम है

घी गिर गया तो रूखी सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही बड़ी बात है

घी गिर पड़ा तो रूखी सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही ग़नीमत है, मजबूरी और शर्मिंदगी को छिपाने के लिए बात टालने के मौक़ा पर कहते हैं

घी गिर पड़ा तो उबाली सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही ग़नीमत है, मजबूरी और शर्मिंदगी को छिपाने के लिए बात टालने के मौक़ा पर कहते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में आप सुखी तो सब सुखी के अर्थदेखिए

आप सुखी तो सब सुखी

aap sukhii to sab sukhiiآپ سُکھی تو سَب سُکھی

कहावत

आप सुखी तो सब सुखी के हिंदी अर्थ

  • यदि मनुष्य स्वयं अच्छा हो, तो दुनिया उसके साथ अच्छा व्यवहार करती है

English meaning of aap sukhii to sab sukhii

  • if you are good to others, they are good to you

آپ سُکھی تو سَب سُکھی کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • انسان خود اچھا ہو تو دنیا اُس کے ساتھ اچھا برتاؤ کرتی ہے

Urdu meaning of aap sukhii to sab sukhii

  • Roman
  • Urdu

  • insaan Khud achchhaa ho to duniyaa is ke saath achchhaa bartaa.o kartii hai

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आप सुखी तो सब सुखी

यदि मनुष्य स्वयं अच्छा हो, तो दुनिया उसके साथ अच्छा व्यवहार करती है

आप सुखी तो जग सुखी

अपने आप को सुख है तो मानो ज़माने भर को सुख है

तन सुखी तो मन सुखी

बदन को आराम हो यानी सेहत अच्छी हो और खाना अच्छा मिले तो इंसान को कोई तकलीफ़ नहीं होती , पेट की फ़िक्र ना हो तो अक़ल भी ठिकाने रहती है

आप स्वार्थी सदा दुखी पर स्वार्थी सदा सुखी

स्वार्थ में हानि है और स्वार्थरहित होन में आराम है

घी गिर गया तो रूखी सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही बड़ी बात है

घी गिर पड़ा तो रूखी सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही ग़नीमत है, मजबूरी और शर्मिंदगी को छिपाने के लिए बात टालने के मौक़ा पर कहते हैं

घी गिर पड़ा तो उबाली सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही ग़नीमत है, मजबूरी और शर्मिंदगी को छिपाने के लिए बात टालने के मौक़ा पर कहते हैं

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