दे. 'बंदए जर’। बंदए नाचीज़ (ke 8) फा. पुं.-दे. 'बंदए आजिज़'। | बंदए बेजर (352 54) फा. पुं.-वह भक्त या दास जो बिना खरीदे ही भक्त या दास हो। बंदए बेदाम (Al32 844.J) फा. पुं.-वह व्यक्ति जो परम भक्त हो अर्थात् बगैर फंदे और जाल के ही प्रेमपाशाबद्ध। बंदए मिस्की (4•84) फा. अ. पुं.-दे. 'बंदए आजिज़'। बंदए मुखिलस (alsiu» ४५) फा. अ. पुं.-वह भक्त जो बहुत ही श्रद्धापूर्वक सेवा करे । बंदए शिकम (45 849) फा. पुं.-पेट का बंदा, पेट का कुत्ता, उदर-कृमि।। बंदए हल्कःबगोश (LA2= 84) फा. अ. पुं.-वह दास जिसके कानों में दासता का कुंडल पड़ा हो।। बंदगी (53) फा. स्त्री-प्रणाम, सलाम, दासता, गुलामी, उपेक्षा, इतिनाब, विनम्रता, इन्किसारी, पूजा, उपासना, इबादत, आज्ञापालन। बंद बंद (94) फा. पु.-शरीर का एक-एक जोड़।। बंदर (4) अ. पुं.-समुद्रतट, साहिल, बंदरगाह, पोर्ट । बंदिश (44) फा. स्त्री.-ग्रंथि, गाँठ, गिरिह, षड्यंत्र, साज़िश, पेशबंदी, पुरश्चरण, रोक, रुकावट, प्रतिबंध, मनाही, बनावट, साख्त, बाँधने का काम । बंदिशें अल्फ़ाज़ (!AL-JA) फा. अ. स्त्री-गद्य या पद्य में शब्दों का यथास्थान उपयोग तथा शुद्ध और चमत्कारपूर्ण विन्यास । बंदिशे इबारत (es}L°U*3) फा. अ. स्त्री-दे. ‘बंदिशे अल्फ़ाज़' ।। बंदिशे मज्मून (J}4•AL) फा. अ. स्त्री-किसी प्रबंध या मज्मून का नैसर्गिक और मन को लगनेवाला बयान । बंदी (:) फा. वि.-कैदी, कारावासी । बंदीखानः (&cts) फा. पुं.-कैदखाना, कारावास । बंदूक़ (54-4) अ. स्त्री.-गोली चलाने का प्रसिद्ध यंत्र, शतघ्नी।। बंदूक़ची (,) अ. फा. पं.-बंदूक चलानेवाला, निशानची, निशानःबाज़, लक्ष्यभेदी । बंदूक़साज (, ९. 5941) अ. फा. पुं.-बंदूक़ बनानेवाला, बंदूकों की मरम्मत करनेवाला।