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'इश्क़
प्रेम की प्रचंड भावना, गहरी चाहत, मोहब्बत, प्रेम, प्यार
'इश्क़ल्लाह
आज़ाद फ़क़ीरों या दरवेशों का बाहमी सलाम जिसका जवाब मदद अल्लाह होता है, पहलवानों का सलाम जो वो अखाड़े में उतर कर करते हैं
'इश्क़-बाज़
इश्क़ करने वाला; इश्क की मौज में रहने वाला व्यक्ति; आशिक; प्रेमी
'इश्क़-बाज़ी
प्रेम-व्यवहार, इश्क़ करना, इश्क़ की मौज, आशिक़ी
'इश्क़-ओ-'आशिक़ी
प्रेम-प्रसंग, प्रेम, मोहब्बत
'इश्क़-बाज़ाँ
प्रेमीगण, प्यार के खेल के खिलाड़ी, प्यार के खिलाड़ी
'इश्क़-ए-इलाही
अल्लाह की मुहब्बत, सत्य प्रेम, दिव्य प्रेम, आध्यात्मिक प्रेम
'अशिक़ा
इशक़-ए-पेचाँ, एक प्रसिद्ध बेल
'इश्क़-ए-फ़ानी
नश्वर प्रेम, मिट जाने वाला प्रेम, मर जाने वाला प्यार
'इश्क़-ए-हक़ीक़ी
ईश्वरीय प्रेम, ईश्वर-भक्ति
'इश्क़-ए-सादिक़
सच्चा प्रेम जो बिना किसी स्वार्थ के हो
'इश्क़ बुरी बला है
मुहब्बत बुरी चीज़ है सब कुछ भुला देती है
'इश्क़िया
इश्क संबंधी, इश्क के अंदाज़ में, प्रेमसंबंधी, शृंगारिक
'इश्क़-ए-मजाज़ी
मानव-प्रेम, भौतिक प्रेम, प्राणियों से प्रेम, सांसारिक प्रेम
'इश्क़ अल्लाह लेना
पहलवान का कश्ती से थक कर सलाम करने के बाद अखाड़े से निकलना, हार मानना, उस्तादी तस्लीम करना
'इश्क़-ए-बुताँ
सुंदरियों से प्रेम, सुंदरता की पूजा
'इश्क़-ए-पेचाँ
एक बेल जो पेड़ों पर लिपट जाती है जिन का फूल लाल और पत्तियाँ बारिक बारीक होती हैं
'इश्क़ या करे अमीर या करे फ़क़ीर
'इश्क़ हर एक के बस का नहीं है, अमीर अथवा फ़क़ीर ही इस को निभा सकते हैं क्यूँकि दोनों को कोई चिंता नहीं होती
'इश्क़िया-शा'इर
वह कवि जिसकी कविता का विषय प्यार- मोहब्बत हो, प्यार- मोहब्बत की भावनाओं और विचारों का अनुवाद करने वाला कवि
'इश्क़ छुपाने से नहीं छुपता
प्रेम को छिपाया नहीं जा सकता
'इश्क़ बाज़ी खेल नहीं
मुहब्बत करना बहुत मुश्किल है
'इश्क़ की कजलाई हुई चिंगारी चमक उठी
'इश्क़ का मारा पानी नहीं माँगता
'इश्क़ियात
इश्क के संबंध या मुआमलात, इश्क़-ओ-मुहब्बत से मुताल्लिक़ बातें
'इश्क़-बाज़ी ख़ाला जी का घर नहीं
मुहब्बत करना बहुत मुश्किल है
'इश्क़ और मुश्क छुपाने से नहीं छुपता
प्रेम का राज़ और कस्तूरी की ख़ुशबू या सुगंध प्रकट हो कर रहती है
'इश्क़ में शाह-ओ-गदा बराबर
'इश्क़ के कूचे में 'आशिक़ की हजामत होती है
'इश्क़ में 'आशिक़ की बहुत हानि होती है
'इश्क़-ओ-मुश्क पिनहाँ नमी शवद
'इश्क़-ए-मजाज़ी से 'इश्क़-ए-हक़ीक़ी पैदा होता है
मानवप्रेम अर्थात नश्वरप्रेम अंत में ईश्वरप्रेम अर्थात वास्तविक प्रेम में परिवर्तित हो जाता है
'इश्क़ में शाह-ओ-गदा बराबर हैं
'इश्क़ के कूचे में शाह-ओ-गदा बराबर हैं
इश्क़ में धनवान एवं निर्धन का कोई अंतर नहीं रहता
'इश्क़ में आदमी के टाँके उधड़ते हैं
'इश्क़-ए-अव्वल दर दिल-ए-मा'शूक़ पैदा मी शवद
(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) मुहब्बत पहले माशूक़ के दिल में पैदा होती है