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ज़वाल
अवनति, उतार, पतन, ढलाव, घटाव, ह्रास, उन्नति का उलटा
ज़वाल होना
कमी होना, हानि होना, क्षति होना
ज़वाल-आमादा
जो पतन की ओर जाने को तैयार हो, पतनोन्मुख, जो नाशवान हो, नश्वर
ज़वाल आना
विलुप्ति होना, ख़त्म होना
ज़वाल-ए-शब
decline of night, post-midnight
ज़वाल-पज़ीर
ख़त्म होने वाला, मिटने वाला, अप्रभावी होने वाला, पतनशील, जिसका पतन हो रहा हो, अवनतिशील
ज़वाल-पज़ीरी
تنزُّلی ، فنا ہونےکی حالت.
ज़वाल-उल-ख़ौफ़
निडर और निर्भय होना, आशंका न होना
ज़वाल का वक़्त
मध्याह्न रेखा से सूर्य के ढलने का समय, दोपहर के बाद का समय, ज़ुहर का समय
ज़वाला
उतार की तरफ़, जिसका ह्वास हो गया हो
ज़वाल की घड़ी
मध्याह्न रेखा से सूर्य के ढलने का समय, दोपहर के बाद का समय, ज़ुहर का समय
नुक़्ता-ए-ज़वाल
विकास और उत्थान गिरावट का शुरुआती बिंदु
रू-ब-ज़वाल
गिरावट आना, पतन की ओर जाना, पतनोन्मुख
माइल-ब-ज़वाल
अवनति की ओर प्रवृत्त, पतनोन्मुख, नीचे को जाता हुआ।
'उरूज-ओ-ज़वाल
वृद्धि और गिरावट, ऊँच-नीच
बे-ज़वाल
ना घुटने वाला, लाज़वाल, क़ायम, पाएदार
ला-ज़वाल
न ख़त्म होने वाला, जिसका अंत नहीं हो, जिसका नाश न हो, अनश्वर, अविनाशी, शाश्वत
ज़ूद-ज़वाल
زوال پذیر ، جلدی بدلنے والا.
हर-कमाले-रा-ज़वाल
(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) प्रत्येक पूर्णता का पतन होता है, उत्थान के बाद पतन शुरू होता है
एल्ची रा चि ज़वाल
संदेश अच्छा है या बुरा इसके लिए संदेशवाहक ज़िम्मेदार नहीं है और विपरीत संदेश देना याद रखने पर संदेशवाहक को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जाता
एल्ची को ज़वाल नहीं
संदेश अच्छा है या बुरा इसके लिए संदेशवाहक ज़िम्मेदार नहीं है और विपरीत संदेश देना याद रखने पर संदेशवाहक को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया जाता
वक़्त-ए-ज़वाल
किसी के डूबने, ढलने का समय, सूर्यास्त
नमाज़-ए-ज़वाल
نماز جو سورج کے زوال کے بعد پڑھی جائے ۔
मा'रिज़-ए-ज़वाल में आना
ज़वालपज़ीर होना, इन्हितात पज़ीर होना
ना-क़ाबिल-ए-ज़वाल
जिसका कभी पतन न हो, जिसकी अवनति न हो सके।
दौलत-ए-ला-ज़वाल
कभी ना ख़त्म होने वाली सम्पत्ती
हर कमाल के बा'द ज़वाल होता है
क़द्र-ए-ने'मत , बा'द-ए-ज़वाल
(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर चीज़ की एहमीयत का अंदाज़ा इस के ज़वाल के बाद होता है, कोई नेअमत छिन जाये तो इस की क़दर मालूम होती है
रास्ती रा ज़वाल के बाशद
(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) सच्चाई को ज़वाल नहीं
सफ़ेद बाल जवानी का ज़वाल
सफ़ेद बाल बुढ़ापे के आने की निशानी होते हैं
कमाल-ए-शय ज़वाल-ए-शय
विकास के अंतिम पायदान पर पतन का आरंभ होता है, प्रत्येक चरम का पतन है
जिस ने रंडी को चाहा उसे भी ज़वाल और जिस को रंडी ने चाहा उस की भी तबाही
तवाइफ़ का यार हर तरह ख़ार रहता है