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इख़्फ़ा

छुपाना, मख़फ़ी रखना, प्रकट न करना

अख़्फ़ा

बहुत ज़्यादा गुप्त, सब से ज़्यादा छिपा हुआ

इख़्फ़ा-ए-राज़

भेद छिपाना,

इख़्फ़ा-ए-जुर्म

अपराध करके उसे छिपाना, जुर्म ज़ाहिर न करना

इख़्फ़ा-ए-वारदात

दे. ‘इखफ़ाए जुर्म' ।।

इख़्फ़ा-ए-शफ़वी

(تجوید) میم ساکن کے بعد ’ب م‘ کے علاوہ کوئی اور حرف آنے پر میم کو اس کےمخرج سے ظاہر کرکے پڑھنا

इख़्फ़ा-ए-राज़-ए-'इश्क़

प्रेम के रहस्य को छिपाना

इख़्फ़ाफ़

दूसरों की दृष्टि में हलका होना, खफ़ीफ़ होना।

इख़्फ़ात

आवाज़ का धीमापन, तेज़ का उलटा

ज़िक्र-बिल-इख़्फ़ा

ख़ामोशी के साथ या धीरे-धीरे प्रार्थना

ना-क़ाबिल-ए-इख़्फ़ा

फा. अ. वि. जो छिपाया न जा सके।

शिर्क-ए-अख़्फ़ा

سب سے زیادہ چھپا ہوا شرک ، وہ شرک جو دل میں رہے اور قول و فعل سے بھی ظاہر نہ ہو .

लतीफ़ा-ए-अख़्फ़ा

لطائف سِتّہ میں سے چھٹا لطیفہ جس کا محل کاسۂ سر ہے.

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ज़रूरी-उल-इज़हार के अर्थदेखिए

ज़रूरी-उल-इज़हार

zaruurii-ul-iz.haarضَرُوریُ الْاِظْہار

स्रोत: अरबी

वज़्न : 1222221

ज़रूरी-उल-इज़हार के हिंदी अर्थ

विशेषण

  • जिसे व्यक्त या वर्णित किया जाना चाहिए

English meaning of zaruurii-ul-iz.haar

Adjective

  • that which must be expressed or described

ضَرُوریُ الْاِظْہار کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

صفت

  • جس کا ظاہر یا بیان کرنا ضروری ہے

Urdu meaning of zaruurii-ul-iz.haar

  • Roman
  • Urdu

  • jis ka zaahir ya byaan karnaa zaruurii hai

खोजे गए शब्द से संबंधित

इख़्फ़ा

छुपाना, मख़फ़ी रखना, प्रकट न करना

अख़्फ़ा

बहुत ज़्यादा गुप्त, सब से ज़्यादा छिपा हुआ

इख़्फ़ा-ए-राज़

भेद छिपाना,

इख़्फ़ा-ए-जुर्म

अपराध करके उसे छिपाना, जुर्म ज़ाहिर न करना

इख़्फ़ा-ए-वारदात

दे. ‘इखफ़ाए जुर्म' ।।

इख़्फ़ा-ए-शफ़वी

(تجوید) میم ساکن کے بعد ’ب م‘ کے علاوہ کوئی اور حرف آنے پر میم کو اس کےمخرج سے ظاہر کرکے پڑھنا

इख़्फ़ा-ए-राज़-ए-'इश्क़

प्रेम के रहस्य को छिपाना

इख़्फ़ाफ़

दूसरों की दृष्टि में हलका होना, खफ़ीफ़ होना।

इख़्फ़ात

आवाज़ का धीमापन, तेज़ का उलटा

ज़िक्र-बिल-इख़्फ़ा

ख़ामोशी के साथ या धीरे-धीरे प्रार्थना

ना-क़ाबिल-ए-इख़्फ़ा

फा. अ. वि. जो छिपाया न जा सके।

शिर्क-ए-अख़्फ़ा

سب سے زیادہ چھپا ہوا شرک ، وہ شرک جو دل میں رہے اور قول و فعل سے بھی ظاہر نہ ہو .

लतीफ़ा-ए-अख़्फ़ा

لطائف سِتّہ میں سے چھٹا لطیفہ جس کا محل کاسۂ سر ہے.

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