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क्रोध

गुस्सा, कोप, रोष, तीक्ष्ण मनोविकार

क्रोधी

जिसे बहुत जल्दी अथवा बिना विशेष बात के गुस्सा आ जाता हो, जिसे जल्दी या शीघ्र ही गुस्सा आता हो, गुस्सैल; प्रायः क्रोध करने के स्वभाव वाला, गुस्से वाला, ग़ज़बनाक, नाराज़

जित-किरोध

وہ جس نے اپنے غصے پر قابو پا لیا ہو، جو غصے میں نہ آ ئے

काम-किरोध

भावना की प्रबलता, बैर और आदतें, कामुक इच्छाएँ और गु़स्सा

साधू वही जो साधन करे , करोध लोभ और मोह को मारे

फ़क़ीर वही है जो नफ़स मारे और लालच और शहवत को क़ाबू में रखे

काम क्रोध, मध, लोभ की जब मन में होवे खान, का पंडित का मूर्खा दोऊ एक समान

काम वासना, क्रोध, घमंड और लोभ अर्थात लालच अगर दिल में हों तो ज्ञानी एवं अनपढ़ दोनों बराबर हैं

जब तू न्याय की गद्दी पर बैठे तो अपने मन से तरफ़-दारी लालच और क्रोध को दूर कर

शासक को पक्षपात लालच और क्रोध नहीं करना चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ज़राफ़त-ए-बिस्यार हुनर नदीमाँ अस्त ओ 'ऐब-ए-हकीमाँ के अर्थदेखिए

ज़राफ़त-ए-बिस्यार हुनर नदीमाँ अस्त ओ 'ऐब-ए-हकीमाँ

zaraafat-e-bisyaar hunar nadiimaa.n ast o 'aib-e-hakiimaa.nظَرافَتِ بِسْیار ہُنَر نَدِیماں اَسْت و عَیبِ حَکِیماں

कहावत

ज़राफ़त-ए-बिस्यार हुनर नदीमाँ अस्त ओ 'ऐब-ए-हकीमाँ के हिंदी अर्थ

  • (फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) बहुत अधिक हँसी दिल लगी मुसाहिबों के लिए हुनर है और ज्ञानियों के लिए दोष

ظَرافَتِ بِسْیار ہُنَر نَدِیماں اَسْت و عَیبِ حَکِیماں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • (فارسی کہاوت اُردو میں مستعمل) بہت زیادہ ہنسی دل لگی مصاحبوں کے لیے ہنر ہے اور عالموں کے لیے عیب

Urdu meaning of zaraafat-e-bisyaar hunar nadiimaa.n ast o 'aib-e-hakiimaa.n

  • Roman
  • Urdu

  • (faarsii kahaavat urduu me.n mustaamal) bahut zyaadaa hansii dil lagii musaahibo.n ke li.e hunar hai aur aalimo.n ke li.e a.ib

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क्रोध

गुस्सा, कोप, रोष, तीक्ष्ण मनोविकार

क्रोधी

जिसे बहुत जल्दी अथवा बिना विशेष बात के गुस्सा आ जाता हो, जिसे जल्दी या शीघ्र ही गुस्सा आता हो, गुस्सैल; प्रायः क्रोध करने के स्वभाव वाला, गुस्से वाला, ग़ज़बनाक, नाराज़

जित-किरोध

وہ جس نے اپنے غصے پر قابو پا لیا ہو، جو غصے میں نہ آ ئے

काम-किरोध

भावना की प्रबलता, बैर और आदतें, कामुक इच्छाएँ और गु़स्सा

साधू वही जो साधन करे , करोध लोभ और मोह को मारे

फ़क़ीर वही है जो नफ़स मारे और लालच और शहवत को क़ाबू में रखे

काम क्रोध, मध, लोभ की जब मन में होवे खान, का पंडित का मूर्खा दोऊ एक समान

काम वासना, क्रोध, घमंड और लोभ अर्थात लालच अगर दिल में हों तो ज्ञानी एवं अनपढ़ दोनों बराबर हैं

जब तू न्याय की गद्दी पर बैठे तो अपने मन से तरफ़-दारी लालच और क्रोध को दूर कर

शासक को पक्षपात लालच और क्रोध नहीं करना चाहिए

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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