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ऊजड़

वीरान; निर्जन; उजड़ा हुआ।

ऊजड़-खेड़ा

सुंसान और उजड़ा गाँव

ऊजड़ नगरी सूना देस

उस स्थान के बारे में बोलते हैं जो निर्जन और उजाड़ हो, तबाह और बर्बाद देश या शहर आदि

या बसे गूजर या रहे ऊजड़

ऐसे मौके़ पर बोलने लगे कि हम अपने सिवा किसी को नहीं बसने देंगे यानी या तो हमें रहे वर्ना दूसरे को भी रहना नसीब नहीं होसकता, यानी अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे, जब कोई शख़्स अपनी ही आबादी चाहे और दूसरे की आबादी ना देख सके, इस बस्ती में या गुजर बसेंगे या उजड़ी रहेगी, हम अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे

बसे तो गूजर , नहीं तो ऊजड़

वो बस्ती जो वीरान पड़ी रहे या निचले तबक़े के लोगों से आबाद होजाए (निज़ाम उद्दीन औलिया की बददुआ जो उन्हों ने फ़िरोज़ तुग़ल्लुक़ से नाराज़ होकर इस के क़िले को दी थी अब ज़रब-उल-मसल

गूजर से ऊजड़ भली ऊजड़ से भली उजाड़, जहाँ गूजर को देखिए वहीं दीजे मार

गुजर से वीरानी बेहतर है, जहां गुजर मिले उसे मार देना चाहिए, गुजरों की मज़म्मत में कहते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ज़राफ़त-ए-आतिश अफ़रोज़ जुदाई अस्त के अर्थदेखिए

ज़राफ़त-ए-आतिश अफ़रोज़ जुदाई अस्त

zaraafat-e-aatish afroz judaa.ii astظَرافَتِ آتِش اَفْروز جُدائی اَسْت

कहावत

ज़राफ़त-ए-आतिश अफ़रोज़ जुदाई अस्त के हिंदी अर्थ

  • (फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) हँसी मज़ाक़ से जुदाई की आग रौशन होती है अर्थात दिल-लगी मज़ाक़ में अधिक्तर मन दुखी हो जाता है, कभी कभी हँसी हँसी में लड़ाई होने लगती है और लोगों में मेल था जुदाई हो जाती है

ظَرافَتِ آتِش اَفْروز جُدائی اَسْت کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • (فارسی کہاوت اردو میں مستعمل) ہنسی مذاق سے جدائی کی آگ روشن ہوتی ہے یعنی دل لگی مذاق میں اکثر ملال ہو جاتا ہے، بعض دفعہ ہنسی ہنسی میں لڑائی ہونے لگتی ہے اور لوگوں میں میل تھا جدائی ہو جاتی ہے

Urdu meaning of zaraafat-e-aatish afroz judaa.ii ast

  • Roman
  • Urdu

  • (faarsii kahaavat urduu me.n mustaamal) hansii mazaaq se judaa.ii kii aag roshan hotii hai yaanii dil lagii mazaaq me.n aksar malaal ho jaataa hai, baaaz dafaa hansii hansii me.n la.Daa.ii hone lagtii hai aur logo.n me.n mel tha judaa.ii ho jaatii hai

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ऊजड़

वीरान; निर्जन; उजड़ा हुआ।

ऊजड़-खेड़ा

सुंसान और उजड़ा गाँव

ऊजड़ नगरी सूना देस

उस स्थान के बारे में बोलते हैं जो निर्जन और उजाड़ हो, तबाह और बर्बाद देश या शहर आदि

या बसे गूजर या रहे ऊजड़

ऐसे मौके़ पर बोलने लगे कि हम अपने सिवा किसी को नहीं बसने देंगे यानी या तो हमें रहे वर्ना दूसरे को भी रहना नसीब नहीं होसकता, यानी अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे, जब कोई शख़्स अपनी ही आबादी चाहे और दूसरे की आबादी ना देख सके, इस बस्ती में या गुजर बसेंगे या उजड़ी रहेगी, हम अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे

बसे तो गूजर , नहीं तो ऊजड़

वो बस्ती जो वीरान पड़ी रहे या निचले तबक़े के लोगों से आबाद होजाए (निज़ाम उद्दीन औलिया की बददुआ जो उन्हों ने फ़िरोज़ तुग़ल्लुक़ से नाराज़ होकर इस के क़िले को दी थी अब ज़रब-उल-मसल

गूजर से ऊजड़ भली ऊजड़ से भली उजाड़, जहाँ गूजर को देखिए वहीं दीजे मार

गुजर से वीरानी बेहतर है, जहां गुजर मिले उसे मार देना चाहिए, गुजरों की मज़म्मत में कहते हैं

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