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साझी

साझेदार, शरीक, हिस्सादार

साझी-दार

साझी, भागीदार, हिस्सादार

साझी साझी मिल गए झूटे पड़े बसीठ

फ़रीक़ैन आपस में एक हो गए दरमयान में आने वालों को ख़िफ़्फ़त उठानी पड़ी

साँझी

दसहरे के समय मंदिरों में गोबर की बनाई हुई मूर्तियां (जो मूर्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं)

साझी होना

शरीक होना, मिल जाना

साझी करना

साझा करना

साझी बनना

become a partner, enter into partnership (with)

साझिया

(दुकानदारी) व्यावसायिक व्यवसाय में भागीदार, हिस्सेदार

आधी का साझी बराबर की चोट

आधे का भगीदार प्रतिद्वंदी होता है

आधे का साझी बराबर की चोट

साझी या हिस्सेदार का हक़ बराबर होता है

गोबर की साँझी भी फरिया ओढ़े अच्छी लगती है

कुरूप भी शृंगार की वजह से सुंदर लगती है, सज्जा बड़ी चीज़ है

गोबर की साँझी

गोबर की छोटी सी मूर्ती जो हिंदू लड़कियाँ भादों के महीने में बनाती हैं

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ज़ात-ए-बुज़ुर्ग के अर्थदेखिए

ज़ात-ए-बुज़ुर्ग

zaat-e-buzurgذاتِ بُزُرگ

वज़्न : 22121

टैग्ज़: व्यंगात्मक

English meaning of zaat-e-buzurg

Noun, Feminine

  • (sarc.) artful, crafty, cunning
  • a venerable elder

ذاتِ بُزُرگ کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مؤنث

  • (طنزاً) چالاک ، شریر ، بد ذات ، مفسد.
  • عمر رسیدہ و معزز شخص ، محترم ہستی.

Urdu meaning of zaat-e-buzurg

  • Roman
  • Urdu

  • (tanzan) chaalaak, shariir, badazaat, mufsid
  • umr rsiida-o-muazziz shaKhs, muhatram hastii

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साझेदार, शरीक, हिस्सादार

साझी-दार

साझी, भागीदार, हिस्सादार

साझी साझी मिल गए झूटे पड़े बसीठ

फ़रीक़ैन आपस में एक हो गए दरमयान में आने वालों को ख़िफ़्फ़त उठानी पड़ी

साँझी

दसहरे के समय मंदिरों में गोबर की बनाई हुई मूर्तियां (जो मूर्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं)

साझी होना

शरीक होना, मिल जाना

साझी करना

साझा करना

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साझिया

(दुकानदारी) व्यावसायिक व्यवसाय में भागीदार, हिस्सेदार

आधी का साझी बराबर की चोट

आधे का भगीदार प्रतिद्वंदी होता है

आधे का साझी बराबर की चोट

साझी या हिस्सेदार का हक़ बराबर होता है

गोबर की साँझी भी फरिया ओढ़े अच्छी लगती है

कुरूप भी शृंगार की वजह से सुंदर लगती है, सज्जा बड़ी चीज़ है

गोबर की साँझी

गोबर की छोटी सी मूर्ती जो हिंदू लड़कियाँ भादों के महीने में बनाती हैं

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

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