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union के लिए उर्दू शब्द
union के उर्दू अर्थ
- अंजुमन
- इम्तिज़ाज
- इत्तिफ़ाक़
- इत्तिहाद
- शीराज़ा-बंदी
- यगानगत
union کے اردو معانی
- اَنْجُمَنْ
- اِمْتِزاج
- اِتِّفاق
- اِتِّحاد
- شیرازہ بندی
- یَگانْگَت
खोजे गए शब्द से संबंधित
रज़ाई
रंगीन अब्रे और अस्तर के बीच में रूई भरा और गोट लगा ओढ़ने का एक कपड़ा, रूई भरी दुलाई, लिहाफ़, लिबादा, सोड़, गुदड़ी
मिल गई तो रोज़ी वर्ना रोज़ा
अगर मज़दूरी या काम से उजरत हासिल होगई तो गुज़ारा हो जाएगा वर्ना भूका रहना पड़ेगा
'अर्ज़ी दाग़ देना
दरख़ास्त और आवेदन पेश कर देना, लिखित आवेदन करना, मुलाज़मत और नौकरी का उम्मीदवार होना
मैं राज़ी और मेरा ख़ुदा राज़ी
रुक : में ख़ुश मेरा ख़ुदा ख़ुश, किसी बात पर मुकम्मल रज़ा ज़ाहिर करने के लिए कहते हैं
रोज़े छुड़ाने गए नमाज़ गले पड़ी
जब एक आफ़त से बचने की तदबीर या फ़िक्र में एक दूसरी आफ़त सर पड़ जाये तो बोलते हैं
रोज़े बख़्शवाने गए नमाज़ गले पड़ी
जब एक आफ़त से बचने की तदबीर या फ़िक्र में एक दूसरी आफ़त सर पड़ जाये तो बोलते हैं
नमाज़ बख़्शवाने गए, रोज़े गले पड़े
एक काम से पीछा छुड़ाने की कोशिश की, दूसरा इस से मुश्किल ज़िम्मे आ पड़े तो कहते हैं
नमाज़ बख़्शवाने आए, रोज़े गले पड़े
एक काम से पीछा छुड़ाने की कोशिश की, दूसरा इस से मुश्किल ज़िम्मे आ पड़े तो कहते हैं
रोज़ा ताेड़ना
कुछ ऐसा करना जो उपवास को अमान्य करता है, उपवास को अमान्य करता है, ऐसा काम करना जिस से रोज़ा टूट जाए, रोज़ा फ़ासिद करना
गए थे रोज़े छुड़ाने नमाज़ गले पड़ी
रुक : गए थे नमाज़ बख़॒श॒वाने रोज़े गले पड़ गए, एक काम से जान छुड़ाते छुड़ाते एक और काम मिल जाये तो कहते हैं
रोज़ा छुड़ाने गए थे नमाज़ गले पड़ी
जब एक संकट से बचने के प्रयास में दूसरी संकट खड़ी हो जाती है तो उस समय कहते हैं
रोज़ी नहीं तो रोज़ा
रोज़गार की तदबीर ना निकली तो फ़ाक़ा, मुआमला आर या पार होने या किसी हतमी नतीजा के लिए ती्यार होने के मौक़ा पर मुस्तामल
रोज़ा रोज़ रोज़ , बंदा चंद रोज़
रोज़ा तो हमेशा रहेगा लेकिन बंदा चंद रोज़ का मेहमान है बाअज़ लोग जब रोज़ा रखना नहीं चाहते तो कहते हैं
दीद-बाज़ी रब राज़ी
रिया कार बनावटी सूफीयों का नारा जिस की आड़ में अपनी ताक झान, नज़रबाज़ी का जवाज़ पैदा करते हैं, ताक झान और नज़रबाज़ी को रुहानी गज़ा क़रार देना
आई रोज़ी नहीं तो रोज़ा
कुछ मिल गया तो खा पी लिया नहीं तो भूखा रह गया, भरोसे और संतोष पर गुज़र बसर है
शश-'ईद के रोज़े
छः रोज़े जो ईद के बाद से लगातार तीन दिन तक रखे जाते हैं, कहते हैं इन छः रोज़ों का पुण्य साल भर के रोज़ों के बराबर होता है
ग़रीबों ने रोज़े रखे, दिन बड़े हो गए
कमज़ोर और ग़रीब जो काम करता है उस में नुक़्सान ही होता है या मुसीबत में और मुसीबत घेर लेती है
संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .
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