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क़सीदा

नज़्म अर्थात कविता की वह सिन्फ़ अर्थात विधा जिसमें प्रशंसा, उपदेश और सलाह, बहार की तारीफ़, रोज़गार की कमी या ज़माने की शिकायत के विषय बयान किए जाएँ, उसके मतले के दो मिसरों और हर शेर के मिसरा-ए-सानी अर्थात दूसरे मिसरे का हम-क़ाफ़िया अर्थात समान क़ाफ़िया वाला होना ज़रूरी है, सामान्यतः क़सीदे में प्रशंसात्मक विषय होता है, उसमें पारंपरिक रूप से कुछ बातों का लिहाज़ रखा जाता है, उदाहरणतः सर्वप्रथम तशबीब अर्थात प्रशंसा, दूसरा हुस्न-ए-तख़लीस या गुरेज़ अर्थात प्रशंसा से प्रशंसा के विषय की ओर मुड़ना, तीसरा तारीफ़-ए-ममदूह अर्थात प्रशंसा पात्र की तारीफ़, चौथा हुस्न-उल-तलब अर्थात अपना उद्देश्य उद्घाटित करना, पाँचवाँ दुआ, क़सीदा कई प्रकार का होता है, जैसे बहारिया, हालिया, फ़ख़्रिया इत्यादि जो बहार, हालात-ए-ज़माना अर्थात सामयिक परिस्थितियाँ या फ़ख़्र-ओ-तअल्ली अर्थात गर्व से संबद्ध है, कभी-कभी जब क़सीदे के आख़िर में हर्फ़-ए-रवी इस तरह आता हो कि उसके बाद रदीफ़ न आए तो उससे भी क़सीदा संबद्ध हो जाता, उदाहरणतः अलिफ़िया, लामिया इत्यादि अर्थात अलिफ़ की या लाम की रवी वाला क़सीदा, आम बोलचाल में हर प्रकार के प्रशंसात्मक वाक्य या गद्याँश को भी क़सीदा कह देते हैं

क़सीदा-गो

क़सीदा लिखने वाला कवि, प्रशंसा करने वाला कवि

क़सीदा-गर

अ. फा. वि.कसीदा लिखनेवाला, वह शाइर जो क़सीदे अधिक और अच्छे लिखता हो ।

क़सीदा-गोई

किसी की प्रशंसा में कविता कहना, क़सीदा कहना

क़सीदा-निगार

क़सीदा लिखने वाला, प्रशंसा या स्तुति लिखने वाला कवि

क़सीदा-निगारी

किसी की प्रशंसा में कुछ लिखना, प्रशंसा करना

क़सीदा पढ़ना

तारीफ़ करना

क़सीदा-ख़्वानी

क़सीदा पढ़ना,

क़सीदा-ख़्वाँ

कसीदा पढ़ने वाला

मदहिया-क़सीदा

(शायरी) ऐसा क़सीदा जिसमें किसी की प्रशंसा और स्तुति बयान की जाए

'ऐनी-क़सीदा

(شاعری) وہ مخصوص عقیدہ جس میں کسی شخص کی تعریف مشاہدے کی روشنی میں کی جاتی ہے ، حقیقی مدحیہ قصیدہ.

ना'तिया-क़सीदा

हुज़ूर की शान में तारीफ़ी शेर नज़्म की सूरत क़सीदा या क़सीदा नात

सर-ए-क़सीदा

بہترین قصیدہ

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में टूम कपड़े जिस घर पावें, ऐक छोड़ दस बैर आवें के अर्थदेखिए

टूम कपड़े जिस घर पावें, ऐक छोड़ दस बैर आवें

Tuum kap.De jis ghar paave.n, ek chho.D das bair aave.nٹُوم کَپْڑے جس گَھر پاویں، ایک چھوڑ دس بَیر آویں

अथवा : टूम कापड़े जिस घर पावें, ऐक छोड़ दस बइयर आवें

कहावत

टूम कपड़े जिस घर पावें, ऐक छोड़ दस बैर आवें के हिंदी अर्थ

  • अमीर आदमी चाहे तो जितनी शादियाँ मर्ज़ी से कर ले
  • जहाँ पहनने-ओढ़ने को मिले वहाँ एक क्या दस 'औरतें आ जाती हैं

    विशेष टूम कापड़ा= गहना कपड़ा। बइयर= स्त्री।

ٹُوم کَپْڑے جس گَھر پاویں، ایک چھوڑ دس بَیر آویں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • امیر آدمی چاہے تو جتنی شادیاں مرضی سے کر لے
  • جہاں پہننے اوڑھنے کو ملے وہاں ایک کیا دس عورتیں آ جاتی ہیں

    مثال بیر= عورت

Urdu meaning of Tuum kap.De jis ghar paave.n, ek chho.D das bair aave.n

  • Roman
  • Urdu

  • amiir aadamii chaahe to jitnii shaadiyaa.n marzii se kar le
  • jahaa.n pahanne o.Dhne ko mile vahaa.n ek kiya das aurte.n aa jaatii hai.n

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क़सीदा

नज़्म अर्थात कविता की वह सिन्फ़ अर्थात विधा जिसमें प्रशंसा, उपदेश और सलाह, बहार की तारीफ़, रोज़गार की कमी या ज़माने की शिकायत के विषय बयान किए जाएँ, उसके मतले के दो मिसरों और हर शेर के मिसरा-ए-सानी अर्थात दूसरे मिसरे का हम-क़ाफ़िया अर्थात समान क़ाफ़िया वाला होना ज़रूरी है, सामान्यतः क़सीदे में प्रशंसात्मक विषय होता है, उसमें पारंपरिक रूप से कुछ बातों का लिहाज़ रखा जाता है, उदाहरणतः सर्वप्रथम तशबीब अर्थात प्रशंसा, दूसरा हुस्न-ए-तख़लीस या गुरेज़ अर्थात प्रशंसा से प्रशंसा के विषय की ओर मुड़ना, तीसरा तारीफ़-ए-ममदूह अर्थात प्रशंसा पात्र की तारीफ़, चौथा हुस्न-उल-तलब अर्थात अपना उद्देश्य उद्घाटित करना, पाँचवाँ दुआ, क़सीदा कई प्रकार का होता है, जैसे बहारिया, हालिया, फ़ख़्रिया इत्यादि जो बहार, हालात-ए-ज़माना अर्थात सामयिक परिस्थितियाँ या फ़ख़्र-ओ-तअल्ली अर्थात गर्व से संबद्ध है, कभी-कभी जब क़सीदे के आख़िर में हर्फ़-ए-रवी इस तरह आता हो कि उसके बाद रदीफ़ न आए तो उससे भी क़सीदा संबद्ध हो जाता, उदाहरणतः अलिफ़िया, लामिया इत्यादि अर्थात अलिफ़ की या लाम की रवी वाला क़सीदा, आम बोलचाल में हर प्रकार के प्रशंसात्मक वाक्य या गद्याँश को भी क़सीदा कह देते हैं

क़सीदा-गो

क़सीदा लिखने वाला कवि, प्रशंसा करने वाला कवि

क़सीदा-गर

अ. फा. वि.कसीदा लिखनेवाला, वह शाइर जो क़सीदे अधिक और अच्छे लिखता हो ।

क़सीदा-गोई

किसी की प्रशंसा में कविता कहना, क़सीदा कहना

क़सीदा-निगार

क़सीदा लिखने वाला, प्रशंसा या स्तुति लिखने वाला कवि

क़सीदा-निगारी

किसी की प्रशंसा में कुछ लिखना, प्रशंसा करना

क़सीदा पढ़ना

तारीफ़ करना

क़सीदा-ख़्वानी

क़सीदा पढ़ना,

क़सीदा-ख़्वाँ

कसीदा पढ़ने वाला

मदहिया-क़सीदा

(शायरी) ऐसा क़सीदा जिसमें किसी की प्रशंसा और स्तुति बयान की जाए

'ऐनी-क़सीदा

(شاعری) وہ مخصوص عقیدہ جس میں کسی شخص کی تعریف مشاہدے کی روشنی میں کی جاتی ہے ، حقیقی مدحیہ قصیدہ.

ना'तिया-क़सीदा

हुज़ूर की शान में तारीफ़ी शेर नज़्म की सूरत क़सीदा या क़सीदा नात

सर-ए-क़सीदा

بہترین قصیدہ

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