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ऊजड़

वीरान; निर्जन; उजड़ा हुआ।

ऊजड़-खेड़ा

सुंसान और उजड़ा गाँव

ऊजड़ नगरी सूना देस

उस स्थान के बारे में बोलते हैं जो निर्जन और उजाड़ हो, तबाह और बर्बाद देश या शहर आदि

या बसे गूजर या रहे ऊजड़

ऐसे मौके़ पर बोलने लगे कि हम अपने सिवा किसी को नहीं बसने देंगे यानी या तो हमें रहे वर्ना दूसरे को भी रहना नसीब नहीं होसकता, यानी अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे, जब कोई शख़्स अपनी ही आबादी चाहे और दूसरे की आबादी ना देख सके, इस बस्ती में या गुजर बसेंगे या उजड़ी रहेगी, हम अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे

बसे तो गूजर , नहीं तो ऊजड़

वो बस्ती जो वीरान पड़ी रहे या निचले तबक़े के लोगों से आबाद होजाए (निज़ाम उद्दीन औलिया की बददुआ जो उन्हों ने फ़िरोज़ तुग़ल्लुक़ से नाराज़ होकर इस के क़िले को दी थी अब ज़रब-उल-मसल

गूजर से ऊजड़ भली ऊजड़ से भली उजाड़, जहाँ गूजर को देखिए वहीं दीजे मार

गुजर से वीरानी बेहतर है, जहां गुजर मिले उसे मार देना चाहिए, गुजरों की मज़म्मत में कहते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सू-ए-ज़न के अर्थदेखिए

सू-ए-ज़न

suu-e-zanسُوءِ ظَن

स्रोत: अरबी

वज़्न : 222

सू-ए-ज़न के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग, स्त्रीलिंग

  • संदेह और शक, कुधारणा, किसी की क्षमता या दृष्टिकोण या चरित्र के बारे में संदेह, किसी की ओर से बुरा ख़याल

शे'र

English meaning of suu-e-zan

Noun, Masculine, Feminine

  • mistrust or suspicion, doubt about someone's ability or attitude or character
  • suspicion, doubt
  • Unwanted suspicion.

سُوءِ ظَن کے اردو معانی

Roman

اسم، مذکر، مؤنث

  • بدگُمانی، بدظنی
  • خیالِ بد، خیالِ بے جا
  • شک و شبہ، کسی کی قابلیت ، رویہ یا کردار کے بارے میں شک کرنا

Urdu meaning of suu-e-zan

Roman

  • badgumaanii, badaznii
  • Khyaal-e-bad, Khyaal-e-bejaa
  • shak-o-shuba, kisii kii qaabiliiyat, ravaiyyaa ya kirdaar ke baare me.n shak karnaa

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ऊजड़

वीरान; निर्जन; उजड़ा हुआ।

ऊजड़-खेड़ा

सुंसान और उजड़ा गाँव

ऊजड़ नगरी सूना देस

उस स्थान के बारे में बोलते हैं जो निर्जन और उजाड़ हो, तबाह और बर्बाद देश या शहर आदि

या बसे गूजर या रहे ऊजड़

ऐसे मौके़ पर बोलने लगे कि हम अपने सिवा किसी को नहीं बसने देंगे यानी या तो हमें रहे वर्ना दूसरे को भी रहना नसीब नहीं होसकता, यानी अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे, जब कोई शख़्स अपनी ही आबादी चाहे और दूसरे की आबादी ना देख सके, इस बस्ती में या गुजर बसेंगे या उजड़ी रहेगी, हम अपने सिवा किसी को बसने ना देंगे

बसे तो गूजर , नहीं तो ऊजड़

वो बस्ती जो वीरान पड़ी रहे या निचले तबक़े के लोगों से आबाद होजाए (निज़ाम उद्दीन औलिया की बददुआ जो उन्हों ने फ़िरोज़ तुग़ल्लुक़ से नाराज़ होकर इस के क़िले को दी थी अब ज़रब-उल-मसल

गूजर से ऊजड़ भली ऊजड़ से भली उजाड़, जहाँ गूजर को देखिए वहीं दीजे मार

गुजर से वीरानी बेहतर है, जहां गुजर मिले उसे मार देना चाहिए, गुजरों की मज़म्मत में कहते हैं

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