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काहे

क्यों, किस लिए, काहे को, किस वजह से, किस कारण से

काहे पर

किस बात पर, किस वजह से

काहे कूँ

کیوں ، کس لیے ، کس غرض سے.

काहे को

why? what for?

काहे-का

किस बात का, किस वजह से, किस ग़रज़ से, किस चीज़ के लिए, किस चीज़ का

काहे-से

किस कारण से, किस चीज़ से

काहे-की

किस चीज़ की, किस बात की, किस वास्ते, (इबनुल वक़्त) इलाही ये काहै की लंबी चौड़ी ताज़ीम हो रही है

काहे के वास्ते

۔اب متروک ہے۔ ؎

काहे को गूलड़ का पेट फड़वाते हो

किसी का ऐब क्यों ज़ाहिर करते हो, किस लिए किसी के ऐब का राज़ ज़ाहिर करते हो

झुक चले तो टूटे काहे

मुनक्सर मिज़ाज आदमी नुक़्सान नहीं उठाता

शर' में शर्म काहे ही

साफ़ बात कहने या जायज़ काम करने में पिस-ओ-पेश ना करना चाहिए

तवा न तग़ारी काहे की भटियारी

झूठी आत्मप्रशंसा करना, कोरी शेख़ी दिखाना

अल्लाह ग़नी तो काहे की कमी

ईश्वर पर भरोसा रखो और निराश न हो

जिस का यार कोतवाल उसे डर काहे का

जिस का संबंध अधिकारियों से हो, वह किसी चीज़ से भयभीत नहीं होता

सय्याँ भए कोतवाल अब डर काहे का

क़रीबी रिश्तेदार के अधिकारी या शक्तिशाली होने के अवसर पर बोला जाता है

रोना काहे का था

किसी बात का अफ़सोस ना होता, कोई फ़िक्र ना होती, कोई परेशानी ना होती

जुवार के आटे में शर्त काहे की

जब पहले ही बुराई प्रकट हो गई तो फिर दोहराने की क्या बात है

सैंय्याँ भए कुतवाल अब डर काहे का

रुक : सी्यां भए कुतवाल अब डर किया है

सुख में रब को याद करे तो दुख काहे हो

अगर आराम के ज़माने में ख़ुदा को याद करें तो कभी तकलीफ़ ना हो

तीर न कमान काहे के पठान

तथ्य या कोई महत्ता एवं दर्जा न हो और शेख़ी बघारे, झूठी डींगें मारने वाला

घर में जो शहद मिले तो काहे बन को जाएँ

अगर बगै़र मेहनत मशक्कत के रोज़ी मिले तो दौड़ धूप की ज़रूरत क्यों पड़े

ऐसी होती कातनहारी, तो काहे फिरती मारी-मारी

ऐसी गुणवान या होशियार होती तो क्यूँ मारी-मारी फिरती

गधों से हल चलें तो बैल काहे को बिसाएँ

अयोग्य व्यक्तियों से यदि काम चले तो योग्य की कौन पूछे

मुफ़्त में निकले काम तो काहे को दीजिए दाम

जो चीज़ मुफ़्त या निशुल्क मिलती हो उस पर रुपया नहीं ख़र्च करना चाहिए

जो मेरे सो तेरे, काहे दाँत निपोड़े

मेरी और तेरी स्थिति एक जैसी है, क्यूँ क्रोध में आता है

जो गधे जीतें संग्राम, तो काहे को ताज़ी ख़र्चें दाम

यदि कठिन कार्य आसानी एवं सहजता से हो जाए तो लोग इस क़दर ख़र्च और दुख क्यूँ सहन करें

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सय्याँ भए कोतवाल अब डर काहे का के अर्थदेखिए

सय्याँ भए कोतवाल अब डर काहे का

sayyaa.n bha.e kotvaal ab Dar kaahe kaaسَیّاں بَھئے کوتْوال اَب ڈَر کاہے کا

कहावत

सय्याँ भए कोतवाल अब डर काहे का के हिंदी अर्थ

  • क़रीबी रिश्तेदार के अधिकारी या शक्तिशाली होने के अवसर पर बोला जाता है
  • दोस्त के अधिकारी या शक्तिशाली होने पर बग़लें बजाना

English meaning of sayyaa.n bha.e kotvaal ab Dar kaahe kaa

  • a friend in court makes the process short

سَیّاں بَھئے کوتْوال اَب ڈَر کاہے کا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • قریبی تعلق والے کے ذی اِختیار ہونے کے موقع پر بولا جاتا ہے
  • دوست کا صاحب اختیار ہونے پر بغلیں بجانا

Urdu meaning of sayyaa.n bha.e kotvaal ab Dar kaahe kaa

  • Roman
  • Urdu

  • qariibii taalluq vaale ke zii iKhatiyaar hone ke mauqaa par bolaa jaataa hai
  • dost ka saahib iKhatiyaar hone par baGle.n bajaanaa

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काहे

क्यों, किस लिए, काहे को, किस वजह से, किस कारण से

काहे पर

किस बात पर, किस वजह से

काहे कूँ

کیوں ، کس لیے ، کس غرض سے.

काहे को

why? what for?

काहे-का

किस बात का, किस वजह से, किस ग़रज़ से, किस चीज़ के लिए, किस चीज़ का

काहे-से

किस कारण से, किस चीज़ से

काहे-की

किस चीज़ की, किस बात की, किस वास्ते, (इबनुल वक़्त) इलाही ये काहै की लंबी चौड़ी ताज़ीम हो रही है

काहे के वास्ते

۔اب متروک ہے۔ ؎

काहे को गूलड़ का पेट फड़वाते हो

किसी का ऐब क्यों ज़ाहिर करते हो, किस लिए किसी के ऐब का राज़ ज़ाहिर करते हो

झुक चले तो टूटे काहे

मुनक्सर मिज़ाज आदमी नुक़्सान नहीं उठाता

शर' में शर्म काहे ही

साफ़ बात कहने या जायज़ काम करने में पिस-ओ-पेश ना करना चाहिए

तवा न तग़ारी काहे की भटियारी

झूठी आत्मप्रशंसा करना, कोरी शेख़ी दिखाना

अल्लाह ग़नी तो काहे की कमी

ईश्वर पर भरोसा रखो और निराश न हो

जिस का यार कोतवाल उसे डर काहे का

जिस का संबंध अधिकारियों से हो, वह किसी चीज़ से भयभीत नहीं होता

सय्याँ भए कोतवाल अब डर काहे का

क़रीबी रिश्तेदार के अधिकारी या शक्तिशाली होने के अवसर पर बोला जाता है

रोना काहे का था

किसी बात का अफ़सोस ना होता, कोई फ़िक्र ना होती, कोई परेशानी ना होती

जुवार के आटे में शर्त काहे की

जब पहले ही बुराई प्रकट हो गई तो फिर दोहराने की क्या बात है

सैंय्याँ भए कुतवाल अब डर काहे का

रुक : सी्यां भए कुतवाल अब डर किया है

सुख में रब को याद करे तो दुख काहे हो

अगर आराम के ज़माने में ख़ुदा को याद करें तो कभी तकलीफ़ ना हो

तीर न कमान काहे के पठान

तथ्य या कोई महत्ता एवं दर्जा न हो और शेख़ी बघारे, झूठी डींगें मारने वाला

घर में जो शहद मिले तो काहे बन को जाएँ

अगर बगै़र मेहनत मशक्कत के रोज़ी मिले तो दौड़ धूप की ज़रूरत क्यों पड़े

ऐसी होती कातनहारी, तो काहे फिरती मारी-मारी

ऐसी गुणवान या होशियार होती तो क्यूँ मारी-मारी फिरती

गधों से हल चलें तो बैल काहे को बिसाएँ

अयोग्य व्यक्तियों से यदि काम चले तो योग्य की कौन पूछे

मुफ़्त में निकले काम तो काहे को दीजिए दाम

जो चीज़ मुफ़्त या निशुल्क मिलती हो उस पर रुपया नहीं ख़र्च करना चाहिए

जो मेरे सो तेरे, काहे दाँत निपोड़े

मेरी और तेरी स्थिति एक जैसी है, क्यूँ क्रोध में आता है

जो गधे जीतें संग्राम, तो काहे को ताज़ी ख़र्चें दाम

यदि कठिन कार्य आसानी एवं सहजता से हो जाए तो लोग इस क़दर ख़र्च और दुख क्यूँ सहन करें

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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