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'इद्दत

(शरीया) मुसलमानों में पति के मरने या तलाक़ देने के बाद का वह समय जिसमें स्त्री पुनर्विवाह नहीं कर सकती वह समय सौ दिन का होता है

'इद्दत के दिन

इद्दत की अवधि

'इद्दत में होना

रुक : इद्दत में बैठना

'इद्दत पूरी होना

(मुसलमानों में पति के मरने या तलाक़ देने के बाद का वह समय जिसमें स्त्री पुनर्विवाह नहीं कर सकती) का समय ख़त्म होना

'इद्दत में बैठ्ना

इद्दत पूरी करना, इद्दत की अवधि पार करना, इद्दत में रहना

ज़माना-ए-'इद्दत

तलाक़ या पति की मृत्यु के बाद चार महीने और दस दिन का समय अवधि जो औरत अपने घर में रहकर गुज़ारती है

मुद्दत-ए-'इद्दत

तलाक़ (या विध्वा होने) के बाद की वह अवधि जिसमें स्त्री को दूसरा निकाह (विवाह) करना वैध नहीं और वह मुतल्लक़ा (तलाक़ पा चुकी महिला) के लिए तीन मासिक-धर्म या तीन मास है और विध्वा के लिए चार-मास और दस दिन, गर्भवती स्त्री के लिए दोनों स्थिती में प्रसव तक है

वुजूब-ए-'इद्दत

(فقہ) عدّت کا لازم آنا ؛ عدّت واجب ہو جانا ۔

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में रोज़-ए-शुमार के अर्थदेखिए

रोज़-ए-शुमार

roz-e-shumaarروزِ شُمار

वज़्न : 22121

देखिए: रोज़-ए-हिसाब

रोज़-ए-शुमार के हिंदी अर्थ

फ़ारसी, अरबी - संज्ञा, पुल्लिंग

  • क़यामत का दिन जब हर किसी के पाप और पुण्य की गणना की जाएगी

शे'र

English meaning of roz-e-shumaar

Persian, Arabic - Noun, Masculine

  • day of reckoning, doomsday

روزِ شُمار کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فارسی، عربی - اسم، مذکر

  • روزِ حِساب، اعمالِ نیک و بد کے حِساب کا دِن، قیامت کا دن

Urdu meaning of roz-e-shumaar

  • Roman
  • Urdu

  • roz hisaab, aamaal-e-nek-o-bad ke hisaab ka din, qiyaamat ka din

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'इद्दत

(शरीया) मुसलमानों में पति के मरने या तलाक़ देने के बाद का वह समय जिसमें स्त्री पुनर्विवाह नहीं कर सकती वह समय सौ दिन का होता है

'इद्दत के दिन

इद्दत की अवधि

'इद्दत में होना

रुक : इद्दत में बैठना

'इद्दत पूरी होना

(मुसलमानों में पति के मरने या तलाक़ देने के बाद का वह समय जिसमें स्त्री पुनर्विवाह नहीं कर सकती) का समय ख़त्म होना

'इद्दत में बैठ्ना

इद्दत पूरी करना, इद्दत की अवधि पार करना, इद्दत में रहना

ज़माना-ए-'इद्दत

तलाक़ या पति की मृत्यु के बाद चार महीने और दस दिन का समय अवधि जो औरत अपने घर में रहकर गुज़ारती है

मुद्दत-ए-'इद्दत

तलाक़ (या विध्वा होने) के बाद की वह अवधि जिसमें स्त्री को दूसरा निकाह (विवाह) करना वैध नहीं और वह मुतल्लक़ा (तलाक़ पा चुकी महिला) के लिए तीन मासिक-धर्म या तीन मास है और विध्वा के लिए चार-मास और दस दिन, गर्भवती स्त्री के लिए दोनों स्थिती में प्रसव तक है

वुजूब-ए-'इद्दत

(فقہ) عدّت کا لازم آنا ؛ عدّت واجب ہو جانا ۔

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